देहरादून ।
सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के उम्मीदवार के रूप में अश्वनी
काम्बोज की और उनकी उम्मीदवारी के प्रस्तोता नेता के रूप में सुनील जैन की
जैसी जो सक्रियता है, उसके चलते उनके अपने संभावित साथी/समर्थक नेताओं के
बीच ही असंतोष पैदा हो रहा है - और उन्हें लग रहा है कि अश्वनी काम्बोज और
सुनील जैन अगले लायन वर्ष की तैयारी करते हुए क्रमशः रेखा गुप्ता और एलएम
जखवाल से आगे निकलने/होने की 'लड़ाई' लड़ रहे हैं । अश्वनी काम्बोज और सुनील जैन की गतिविधियों ने उनके सबसे नजदीकी सहयोगी अनीता गुप्ता तक को सशंकित कर दिया है ।
अन्य संभावित साथी/समर्थक नेताओं के साथ-साथ अनीता गुप्ता तक की शिकायत है
कि एक उम्मीदवार रूप में अश्वनी काम्बोज जो कुछ भी कर रहे हैं, वह पूरी
तरह सुनील जैन के दिशा-निर्देशन में कर रहे हैं - और सुनील जैन भी उनसे
विचार-विमर्श करने की जरूरत नहीं समझ रहे हैं ।
अश्वनी काम्बोज और सुनील जैन के अकेले अकेले 'चलने' के इसी रवैये से उनके
ही संभावित साथी/समर्थक नेताओं को लग रहा है कि यह दोनों अगले लायन वर्ष
में मुकेश गोयल के साथ जुड़ने की तैयारी कर रहे हैं - और इस तैयारी के तहत
इस वर्ष के चुनाव में इतनी 'ताकत' जुटा लेना चाहते हैं, जिससे कि मुकेश
गोयल के यहाँ इनकी एंट्री और स्वीकार्यता आसानी से हो जाए । सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए हो रहे मौजूदा
वर्ष के चुनाव में मुकेश गोयल के उम्मीदवार के रूप में संजीवा अग्रवाल को
जब करीब 80 क्लब्स का तो खुला समर्थन अभी तक ही मिल गया है, तो मौजूदा वर्ष
में तो अश्वनी काम्बोज और सुनील जैन को अपने लिए कहीं कोई उम्मीद बची नहीं
दिखती है - इसलिए इस वर्ष की उनकी सक्रियता वास्तव में अगले वर्ष में अपना
मौका बनाने को लेकर है । इसके लिए इन्हें डिस्ट्रिक्ट में अपने लिए रेखा गुप्ता और एलएम जखवाल से ज्यादा समर्थन दिखाने की जरूरत है - इस वर्ष के चुनाव में यह यही करने की कोशिश कर रहे हैं ।
उल्लेखनीय है कि सुनील जैन का इस वर्ष मुकेश गोयल से जो अलगाव हुआ, उसके केंद्र में एलएम जखवाल ही हैं । सुनील जैन की चाहत और माँग थी कि मुकेश गोयल देहरादून के नेता के रूप में उन्हें मान्यता दें, मुकेश गोयल ने लेकिन उनकी बजाए एलएम जखवाल पर भरोसा किया । इसी बात से खफा होकर सुनील जैन ने अनीता गुप्ता के साथ मिल कर देहरादून में अलग चूल्हा जला लिया । इस वर्ष के चुनाव में सुनील जैन दिखाना/साबित करना चाहते हैं कि देहरादून क्षेत्र में एलएम जखवाल की तुलना में उनका ज्यादा प्रभाव है, ताकि मुकेश गोयल खेमे की देहरादून की फ्रेंचाइजी उन्हें मिल जाए । इसके लिए उन्होंने अश्वनी काम्बोज को उम्मीदवार बना लिया है । उम्मीदवार के रूप में उन्होंने अश्वनी काम्बोज को जो खोज निकाला है, उससे उन्हें एक सहूलियत भी मिल गई है । दरअसल अगले लायन वर्ष में मुकेश गोयल खेमे की तरफ से रेखा गुप्ता के उम्मीदवार होने की चर्चा है । सुनील जैन को लगता है कि रेखा गुप्ता के लिए एक मुकाबले-भरा चुनाव अफोर्ड करना संभव नहीं होगा, इसलिए अश्वनी काम्बोज को इस वर्ष यदि अपेक्षाकृत ठीक ठाक समर्थन मिल जाता है तो मुकेश गोयल पर उनकी उम्मीदवारी के पक्ष में राजी होने के लिए दबाव बनाया जा सकेगा और उन्हें राजी किया जा सकेगा । इस वर्ष डिस्ट्रिक्ट के क्लब्स के बीच संजीवा अग्रवाल को जो जोरदार समर्थन मिलता दिख रहा है, उसके कारण सुनील जैन को इस वर्ष तो अश्वनी काम्बोज के लिए मौका नहीं नजर आ रहा है - और इस वर्ष के लिए वह कोई मौका बनाने की कोशिश करते हुए भी नहीं नजर आ रहे हैं; और इसीलिए उनकी तरफ से मीटिंग्स करने की कोई तैयारी नहीं सुनी गई है; उनकी कोशिश तो सिर्फ छोटा-मोटा ऐसा कुछ करने की है कि अश्वनी काम्बोज की पराजय का अंतर इतना ज्यादा न हो जाए कि अश्वनी काम्बोज के लिए अगले वर्ष का नंबर भी मारा जाए ।
रेखा गुप्ता को पिछले वर्ष मिली करारी हार के कारण इस वर्ष मुकेश गोयल खेमे की उम्मीदवारी नहीं मिल सकने के घटना-चक्र से सबक लेकर ही सुनील जैन ने यह रणनीति बनाई है । उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष का चुनाव खत्म होते ही रेखा गुप्ता ने मुकेश गोयल खेमे का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन मुकेश गोयल खेमे ने चूँकि बड़े भारी अंतर से चुनाव जीता था - इसलिए वह इस दबाव में नहीं आए कि उन्हें रेखा गुप्ता से एक बार फिर चुनाव लड़ना पड़ सकता है, और वह संजीवा अग्रवाल को उम्मीदवार के रूप में लाए । पिछले वर्ष के चुनाव में विजेता उम्मीदवार के रूप में विनय मित्तल को 277 वोट मिले थे, जबकि रेखा गुप्ता 107 वोट ही हासिल कर सकीं थीं । सुनील जैन का मानना/समझना और कहना है कि रेखा गुप्ता को यदि 40/50 वोट और मिल गए होते, तो मुकेश गोयल खेमे की तरफ से इस वर्ष संजीवा अग्रवाल को आगे नहीं किया जाता, और रेखा गुप्ता ही उम्मीदवार हो गईं होतीं । अश्वनी काम्बोज के साथ ऐसा न हो, इसलिए सुनील जैन उनके लिए डेढ़ सौ वोट जुटाने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं । सुनील जैन को लगता है कि अश्वनी काम्बोज के पक्ष में यदि 150/160 वोट आ जाते हैं, तो एक तो उनके लिए यह दिखाना/जताना संभव हो जायेगा कि उनके अकेले के पास 40/50 वोट की ताकत है - और दूसरे अश्वनी काम्बोज की उम्मीदवारी को अगले लायन वर्ष की चुनावी राजनीति में मुकेश गोयल खेमे में स्वीकार्य कराने का मौका बन जायेगा ।
सुनील जैन के लिए मुसीबत की बात लेकिन यह हुई है कि उनकी इस सोच और रणनीति को लेकर उनके संभावित साथी/समर्थक नेता ही भड़क गए हैं, उन्हें लगता है कि सुनील जैन उन्हें इस्तेमाल करते हुए अपने लिए मौका बना रहे हैं । सुनील जैन की इस सोच और रणनीति की पोल उनकी खुद की कार्रवाइयों से ही खुल गई है । दरअसल हुआ यह कि सुनील जैन ने संभावित साथी/समर्थक नेताओं को अश्वनी काम्बोज की उम्मीदवारी के संदर्भ में फोन किया तो हर किसी से उन्हें यही सुनने को मिला कि अश्वनी काम्बोज की शक्ल तो दिखवा दो, हम तो उन्हें पहचानते ही नहीं हैं - सुनील जैन ने उन्हें आश्वस्त किया कि अश्वनी काम्बोज जल्दी ही आपसे मिलेंगे । अधिकतर नेताओं की लेकिन शिकायत है कि अश्वनी काम्बोज उनसे मिले ही नहीं हैं । अश्वनी काम्बोज हालाँकि कुछेक जगहों पर गए हैं, और क्लब्स के पदाधिकारियों से मिले हैं तथा उन्हें गिफ्ट सौंप कर आए हैं - लेकिन डिस्ट्रिक्ट के जो बड़े नेता उनके समर्थक हो सकते हैं, उन्हें अभी तक उनकी तरफ से घास भी नहीं पड़ी है । बड़े नेताओं को यह और सुनने को मिला है कि सुनील जैन ने अश्वनी काम्बोज को समझा दिया है कि बड़े नेताओं के पास जाओगे, तो वह लंबे-चौड़े खर्चे का हिसाब और बता देंगे, तथा चुनावी मीटिंग्स करने के लिए कहेंगे; इसलिए उनसे दूर ही रहो - उनका समर्थन तो अपने आप ही मिल जायेगा । सुनील जैन का मानना और कहना है कि डिस्ट्रिक्ट में कुछ लोग तो ऐसे हैं - जिनसे वोट माँगों/ न माँगों, जिनसे बात करो/न करो, जिन्हें पूछो/न पूछो - वह मुकेश गोयल के विरोधियों को ही वोट देंगे; इसलिए ऐसे लोगों पर समय और पैसा खराब करने का कोई फायदा नहीं है । सुनील जैन के सुझावानुसार ही अश्वनी काम्बोज ने चुनावी मीटिंग्स करने पर ध्यान देने की बजाए ऐसे क्लब्स-पदाधिकारियों पर निशाना साधा है, जो गिफ्ट लेकर ही वोट दे देंगे । अश्वनी काम्बोज और सुनील जैन को विश्वास है कि सिर्फ ऐसा करके वह पिछले वर्ष रेखा गुप्ता को मिले वोटों से ज्यादा वोट प्राप्त कर लेंगे - और यह देख कर अगले लायन वर्ष में मुकेश गोयल उन्हें देहरादून की फ्रेंचाइजी दे देंगे और अश्वनी काम्बोज को उम्मीदवार के रूप में स्वीकार कर लेंगे ।
सुनील जैन की इस रणनीति को फेल करने के लिए एलएम जखवाल तथा रेखा गुप्ता ने भी लेकिन कमर कस ली है । हाल ही के दिनों में रेखा गुप्ता के बॉट्स-ऐप समूहों से निकलने/छोड़ने के जो मामले घटित हुए हैं, उनका संबंध रेखा गुप्ता की सतर्क सक्रियता से जोड़ कर देखा जा रहा है । रेखा गुप्ता की तरफ से प्रयास हैं कि अश्वनी काम्बोज को पिछले वर्ष उन्हें मिले वोटों से भी कम वोट मिलें, ताकि अश्वनी काम्बोज अगले लायन वर्ष में किसी भी रूप में उनके लिए चुनौती न बन सकें ।
उल्लेखनीय है कि सुनील जैन का इस वर्ष मुकेश गोयल से जो अलगाव हुआ, उसके केंद्र में एलएम जखवाल ही हैं । सुनील जैन की चाहत और माँग थी कि मुकेश गोयल देहरादून के नेता के रूप में उन्हें मान्यता दें, मुकेश गोयल ने लेकिन उनकी बजाए एलएम जखवाल पर भरोसा किया । इसी बात से खफा होकर सुनील जैन ने अनीता गुप्ता के साथ मिल कर देहरादून में अलग चूल्हा जला लिया । इस वर्ष के चुनाव में सुनील जैन दिखाना/साबित करना चाहते हैं कि देहरादून क्षेत्र में एलएम जखवाल की तुलना में उनका ज्यादा प्रभाव है, ताकि मुकेश गोयल खेमे की देहरादून की फ्रेंचाइजी उन्हें मिल जाए । इसके लिए उन्होंने अश्वनी काम्बोज को उम्मीदवार बना लिया है । उम्मीदवार के रूप में उन्होंने अश्वनी काम्बोज को जो खोज निकाला है, उससे उन्हें एक सहूलियत भी मिल गई है । दरअसल अगले लायन वर्ष में मुकेश गोयल खेमे की तरफ से रेखा गुप्ता के उम्मीदवार होने की चर्चा है । सुनील जैन को लगता है कि रेखा गुप्ता के लिए एक मुकाबले-भरा चुनाव अफोर्ड करना संभव नहीं होगा, इसलिए अश्वनी काम्बोज को इस वर्ष यदि अपेक्षाकृत ठीक ठाक समर्थन मिल जाता है तो मुकेश गोयल पर उनकी उम्मीदवारी के पक्ष में राजी होने के लिए दबाव बनाया जा सकेगा और उन्हें राजी किया जा सकेगा । इस वर्ष डिस्ट्रिक्ट के क्लब्स के बीच संजीवा अग्रवाल को जो जोरदार समर्थन मिलता दिख रहा है, उसके कारण सुनील जैन को इस वर्ष तो अश्वनी काम्बोज के लिए मौका नहीं नजर आ रहा है - और इस वर्ष के लिए वह कोई मौका बनाने की कोशिश करते हुए भी नहीं नजर आ रहे हैं; और इसीलिए उनकी तरफ से मीटिंग्स करने की कोई तैयारी नहीं सुनी गई है; उनकी कोशिश तो सिर्फ छोटा-मोटा ऐसा कुछ करने की है कि अश्वनी काम्बोज की पराजय का अंतर इतना ज्यादा न हो जाए कि अश्वनी काम्बोज के लिए अगले वर्ष का नंबर भी मारा जाए ।
रेखा गुप्ता को पिछले वर्ष मिली करारी हार के कारण इस वर्ष मुकेश गोयल खेमे की उम्मीदवारी नहीं मिल सकने के घटना-चक्र से सबक लेकर ही सुनील जैन ने यह रणनीति बनाई है । उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष का चुनाव खत्म होते ही रेखा गुप्ता ने मुकेश गोयल खेमे का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन मुकेश गोयल खेमे ने चूँकि बड़े भारी अंतर से चुनाव जीता था - इसलिए वह इस दबाव में नहीं आए कि उन्हें रेखा गुप्ता से एक बार फिर चुनाव लड़ना पड़ सकता है, और वह संजीवा अग्रवाल को उम्मीदवार के रूप में लाए । पिछले वर्ष के चुनाव में विजेता उम्मीदवार के रूप में विनय मित्तल को 277 वोट मिले थे, जबकि रेखा गुप्ता 107 वोट ही हासिल कर सकीं थीं । सुनील जैन का मानना/समझना और कहना है कि रेखा गुप्ता को यदि 40/50 वोट और मिल गए होते, तो मुकेश गोयल खेमे की तरफ से इस वर्ष संजीवा अग्रवाल को आगे नहीं किया जाता, और रेखा गुप्ता ही उम्मीदवार हो गईं होतीं । अश्वनी काम्बोज के साथ ऐसा न हो, इसलिए सुनील जैन उनके लिए डेढ़ सौ वोट जुटाने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं । सुनील जैन को लगता है कि अश्वनी काम्बोज के पक्ष में यदि 150/160 वोट आ जाते हैं, तो एक तो उनके लिए यह दिखाना/जताना संभव हो जायेगा कि उनके अकेले के पास 40/50 वोट की ताकत है - और दूसरे अश्वनी काम्बोज की उम्मीदवारी को अगले लायन वर्ष की चुनावी राजनीति में मुकेश गोयल खेमे में स्वीकार्य कराने का मौका बन जायेगा ।
सुनील जैन के लिए मुसीबत की बात लेकिन यह हुई है कि उनकी इस सोच और रणनीति को लेकर उनके संभावित साथी/समर्थक नेता ही भड़क गए हैं, उन्हें लगता है कि सुनील जैन उन्हें इस्तेमाल करते हुए अपने लिए मौका बना रहे हैं । सुनील जैन की इस सोच और रणनीति की पोल उनकी खुद की कार्रवाइयों से ही खुल गई है । दरअसल हुआ यह कि सुनील जैन ने संभावित साथी/समर्थक नेताओं को अश्वनी काम्बोज की उम्मीदवारी के संदर्भ में फोन किया तो हर किसी से उन्हें यही सुनने को मिला कि अश्वनी काम्बोज की शक्ल तो दिखवा दो, हम तो उन्हें पहचानते ही नहीं हैं - सुनील जैन ने उन्हें आश्वस्त किया कि अश्वनी काम्बोज जल्दी ही आपसे मिलेंगे । अधिकतर नेताओं की लेकिन शिकायत है कि अश्वनी काम्बोज उनसे मिले ही नहीं हैं । अश्वनी काम्बोज हालाँकि कुछेक जगहों पर गए हैं, और क्लब्स के पदाधिकारियों से मिले हैं तथा उन्हें गिफ्ट सौंप कर आए हैं - लेकिन डिस्ट्रिक्ट के जो बड़े नेता उनके समर्थक हो सकते हैं, उन्हें अभी तक उनकी तरफ से घास भी नहीं पड़ी है । बड़े नेताओं को यह और सुनने को मिला है कि सुनील जैन ने अश्वनी काम्बोज को समझा दिया है कि बड़े नेताओं के पास जाओगे, तो वह लंबे-चौड़े खर्चे का हिसाब और बता देंगे, तथा चुनावी मीटिंग्स करने के लिए कहेंगे; इसलिए उनसे दूर ही रहो - उनका समर्थन तो अपने आप ही मिल जायेगा । सुनील जैन का मानना और कहना है कि डिस्ट्रिक्ट में कुछ लोग तो ऐसे हैं - जिनसे वोट माँगों/ न माँगों, जिनसे बात करो/न करो, जिन्हें पूछो/न पूछो - वह मुकेश गोयल के विरोधियों को ही वोट देंगे; इसलिए ऐसे लोगों पर समय और पैसा खराब करने का कोई फायदा नहीं है । सुनील जैन के सुझावानुसार ही अश्वनी काम्बोज ने चुनावी मीटिंग्स करने पर ध्यान देने की बजाए ऐसे क्लब्स-पदाधिकारियों पर निशाना साधा है, जो गिफ्ट लेकर ही वोट दे देंगे । अश्वनी काम्बोज और सुनील जैन को विश्वास है कि सिर्फ ऐसा करके वह पिछले वर्ष रेखा गुप्ता को मिले वोटों से ज्यादा वोट प्राप्त कर लेंगे - और यह देख कर अगले लायन वर्ष में मुकेश गोयल उन्हें देहरादून की फ्रेंचाइजी दे देंगे और अश्वनी काम्बोज को उम्मीदवार के रूप में स्वीकार कर लेंगे ।
सुनील जैन की इस रणनीति को फेल करने के लिए एलएम जखवाल तथा रेखा गुप्ता ने भी लेकिन कमर कस ली है । हाल ही के दिनों में रेखा गुप्ता के बॉट्स-ऐप समूहों से निकलने/छोड़ने के जो मामले घटित हुए हैं, उनका संबंध रेखा गुप्ता की सतर्क सक्रियता से जोड़ कर देखा जा रहा है । रेखा गुप्ता की तरफ से प्रयास हैं कि अश्वनी काम्बोज को पिछले वर्ष उन्हें मिले वोटों से भी कम वोट मिलें, ताकि अश्वनी काम्बोज अगले लायन वर्ष में किसी भी रूप में उनके लिए चुनौती न बन सकें ।