Monday, May 1, 2017

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 में एक महिला प्रेसीडेंट के साथ अभद्र और अशालीन व्यवहार के आरोप के चलते मुकेश अरनेजा की हुई फजीहत के कारण सीओएल तथा इंटरनेशनल डायरेक्टर का चयन करने वाली नोमीनेटिंग कमेटी का चुनावी परिदृश्य दिलचस्प बना

नई दिल्ली । मुकेश अरनेजा पर एक वरिष्ठ रोटेरियन द्वारा अपनी पत्नी से अभद्रता करने का आरोप लगाए जाने के मामले के तूल पकड़ने से रूपक जैन और जेके गौड़ अजीब मुसीबत में फँस गए हैं, और इस मुसीबत से बचने के लिए उन्होंने मुकेश अरनेजा से अपनी दूरी बनाना और दिखाना शुरू कर दिया है । उल्लेखनीय है कि रूपक जैन सीओएल का तथा जेके गौड़ इंटरनेशनल डायरेक्टर का चयन करने वाली नोमीनेटिंग कमेटी का चुनाव जीतने के लिए मुकेश अरनेजा के समर्थन और सहयोग से प्रेसीडेंट्स को अपनी तरफ करने की कोशिशों में लगे हैं, लेकिन मुकेश अरनेजा के एक महिला प्रेसीडेंट से ही अशालीन हरकत करने के आरोप की गिरफ्त में आने के कारण उनकी कोशिशें मुसीबत में फँस गई हैं । इंटरनेशनल डायरेक्टर का चयन करने वाली नोमीनेटिंग कमेटी के चुनाव में जेके गौड़ के प्रतिद्धंद्धी उम्मीदवार रमेश अग्रवाल के समर्थकों ने प्रेसीडेंट्स के बीच यह सवाल उछाल भी दिया है कि एक प्रेसीडेंट, और वह भी महिला प्रेसीडेंट के साथ अशालीन हरकत करने के आरोपी के समर्थक उम्मीदवार को वह यदि समर्थन देते हैं तो रोटरी समुदाय में डिस्ट्रिक्ट की कैसी छवि बनेगी ? मुकेश अरनेजा यूँ तो किसी के साथ भी बदतमीजी करने के मामले में खासे कुख्यात हैं, पर अपनी बदतमीजियों का शिकार बनाने के मामले में वह महिलाओं को भी नहीं छोड़ेंगे - इसकी उम्मीद उनके घनघोर विरोधियों को भी नहीं थी । रोटरी में सक्रिय महिलाओं के प्रति मुकेश अरनेजा अभद्र व अशालीन किस्म की बातें तो करते रहे हैं; अपने द्वारा ही समर्थित एक उम्मीदवार की पत्नी के बारे में मुकेश अरनेजा कहते/बताते रहे हैं कि अपने पति के लिए वोट जुटाने के लिए उसने तो दूसरे के घरों में पराठे तक सेंके हैं । लेकिन उनके द्वारा किसी महिला, और वह भी रोटरी पदाधिकारी से सामने सामने बदतमीजी करने का मामला पहली बार ही सामने आया है ।
रोटरी क्लब दादरी के वरिष्ठ सदस्य कुलदीप गर्ग ने एक वाट्स-ऐप ग्रुप में लिखा कि मुकेश अरनेजा ने उनकी पत्नी, जो एक क्लब की अध्यक्ष भी हैं, से एक कार्यक्रम में जिस लहजे में बात की उससे वह बहुत दुखी हैं । कुलदीप गर्ग के आरोप पर अपना पक्ष रखने तथा अपनी कारस्तानी पर शर्मिंदा होने और माफी माँगने की बजाए मुकेश अरनेजा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दुरुपयोग का राग आलापने लगे । हो सकता है कि कुलदीप गर्ग झूठ बोल रहे हों, या उन्हें कोई गलतफहमी हुई हो - लेकिन इसका फैसला तो लोग तब करेंगे जब मुकेश अरनेजा यह बतायेंगे कि उनके अनुसार वास्तव में हुआ क्या था ? यह बताने और अपना पक्ष रखने की बजाए मुकेश अरनेजा दार्शनिक अंदाज़ में बातें करने लगे, जिससे लोगों ने कुलदीप गर्ग के आरोप को सच मान लिया । मुकेश अरनेजा की जैसी हरकतें रहीं हैं, और जैसी उनकी छवि है - उसके कारण भी कुलदीप गर्ग के आरोप को विश्वसनीयता मिली । वाट्स-ऐप ग्रुप में मुकेश अरनेजा की खिंचाई होना शुरू हुई, तो ग्रुप के एडमिन ने ग्रुप ही बंद कर दिया । उल्लेखनीय है कि उक्त वाट्स-ऐप ग्रुप डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट सतीश सिंघल ने बनाया था, और वही इसे चलवा रहे थे । मुकेश अरनेजा उनके डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर हैं । एक महिला पदाधिकारी के साथ की गई हरकत के सामने आने से मुकेश अरनेजा की हो रही फजीहत के छींटों से बचने के लिए सतीश सिंघल ने उक्त ग्रुप को ही बंद करवा दिया । सतीश सिंघल को कई लोगों ने सावधान किया है कि मुकेश अरनेजा जैसे व्यक्ति को आपने डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर तो बना दिया है, लेकिन आपको यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि आपके गवर्नर-काल में मुकेश अरनेजा के कारण किसी महिला का अपमान न हो सके और कोई महिला मुकेश अरनेजा की अभद्र व अशालीन फ़ब्तियों का शिकार न बने यहाँ यह याद करना प्रासंगिक होगा कि मुकेश अरनेजा को अमित जैन ने भी डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर बनाया था, लेकिन मुकेश अरनेजा की हरकतों से तंग आकर अमित जैन ने उन्हें जल्दी ही डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर के पद से हटा दिया था ।
मजे की बात यह है कि जिन मुकेश अरनेजा पर महिलाओं के प्रति अभद्र व अशालीन फ़ब्तियाँ कसने तथा अभी एक महिला पदाधिकारी को सामने सामने अपने व्यंग-वाणों का निशाना बनाने का आरोप लगा है, वही मुकेश अरनेजा खुद भी रोटरी में महिलाओं के लिए माहौल अनुकूल न रह जाने की शिकायत करते रहे हैं । वह कहते/बताते रहे हैं कि वह इसीलिए अपनी पत्नी को कम ही कार्यक्रमों में साथ ले जाते हैं; और 'इसीलिए' उन्होंने अपनी बेटी को रोटरी में आगे नहीं बढ़ने दिया । उल्लेखनीय है कि उनकी बेटी छह/सात वर्ष पहले डिस्ट्रिक्ट इंटरेक्ट रिप्रेजेंटेटिव के रूप में अच्छा काम करने के लिए प्रशंसा पा चुकी हैं, और उन्हें भावी रोटरी पदाधिकारी के रूप में देखा/पहचाना जा चुका है; लेकिन खुद मुकेश अरनेजा ने ही कई बार जिक्र किया है कि रोटरी के माहौल को देखते हुए ही उन्होंने अपनी बेटी को रोटरी से दूर तथा अलग कर दिया है । इस तरह की बातों पर लोगों का कहना रहा है कि मुकेश अरनेजा ने अपनी पत्नी और बेटी को तो 'बचा' लिया; लेकिन दूसरों की पत्नियों और बेटियों को वह क्यों निशाना बनाते रहते हैं ? कुछेक लोगों का तो यह भी कहना है कि अपनी पत्नी को वह इसलिए ही अधिकतर कार्यक्रमों में नहीं ले जाते हैं, ताकि अन्य महिलाओं के प्रति बदतमीजी पूर्ण बातें करने/बनाने के मौके बनाने में उनके सामने कोई बाधा न पड़े ।
कुलदीप गर्ग के आरोप के बाद महिलाओं के प्रति रवैये को लेकर मुकेश अरनेजा की जो छीछालेदर शुरू हुई है, उसने सीओएल तथा इंटरनेशनल डायरेक्टर का चयन करने वाली नोमीनेटिंग कमेटी के चुनावी परिदृश्य को खासा दिलचस्प बना दिया है । इन दोनों चुनावों में क्रमशः रूपक जैन और जेके गौड़ की तरफ से ज्यादा सक्रियता है - इनके प्रतिद्धंद्धियों के रूप में क्रमशः केके गुप्ता और रमेश अग्रवाल अपनी वरिष्ठता और वरिष्ठता के नाते अपने 'अधिकार' के तर्क और वोट देने वाले प्रेसीडेंट्स के विवेक और समझदारी के भरोसे हैं केके गुप्ता और रमेश अग्रवाल को विश्वास है कि वोट देते समय प्रेसीडेंट्स इस प्रभाव में बिलकुल नहीं आयेंगे कि वोट लेने के लिए किस उम्मीदवार ने उनकी ज्यादा खुशामद की है और खुशामद करने के लिए किस उम्मीदवार ने उन्हें कितनी बार फोन किए हैं, या कौन उम्मीदवार उनसे कितनी बार मिला है; इसके बजाए वह देखेंगे और इस बात का अध्ययन व मूल्यांकन करेंगे कि उनके सामने जो उम्मीदवार हैं, उनमें से किसे रोटरी का ज्यादा अनुभव है और किसने रोटरी के लिए कितना और क्या काम किया है - और इस आधार पर कौन डिस्ट्रिक्ट व रोटरी का नाम आगे बढ़ा सकेगा ? मजेदार किस्म का उल्लेखनीय तथ्य यह है कि केके गुप्ता और रमेश अग्रवाल अपने अपने प्रतिद्धंद्धी उम्मीदवार के गवर्नर-काल में डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर रहे हैं - यानि रूपक जैन और जेके गौड़ को अपना अपना गवर्नर-काल अच्छे से चलाने के लिए तो क्रमशः केके गुप्ता और रमेश अग्रवाल की मदद की जरूरत पड़ी और इनकी मदद के सहारे ही उन्होंने अपना अपना गवर्नर-काल पूरा किया - लेकिन उसके बाद रूपक जैन और जेके गौड़ इतने अहसानफरामोश हो गए कि क्रमशः केके गुप्ता और रमेश अग्रवाल से मिली मदद को पूरी तरह से भुला बैठे हैं । केके गुप्ता और रमेश अग्रवाल को उम्मीद है कि रूपक जैन और जेके गौड़ भले ही उनके योगदान तथा उनकी मदद को भुला बैठे हों, लेकिन वोट देने वाले प्रेसीडेंट्स अवश्य ही इस बात का ध्यान रखेंगे कि वरिष्ठ होने, निरंतर सक्रिय रहने तथा अनुभवी होने के नाते सीओएल तथा इंटरनेशनल डायरेक्टर का चयन करने वाली नोमीनेटिंग कमेटी के लिए कौन उचित दावेदार है ?
रूपक जैन और जेके गौड़ को उम्मीद रही कि वरिष्ठता, सक्रियता और अनुभव में वह भले ही क्रमशः केके गुप्ता और रमेश अग्रवाल के सामने कहीं न ठहर रहे हों; लेकिन अपने खुशामदी व्यवहार तथा मुकेश अरनेजा के सहयोग व समर्थन से वह अपना बेड़ा पार करवा लेंगे । लेकिन कुलदीप गर्ग के आरोप के चलते मुकेश अरनेजा की जो नई हरकत सामने आई है और जिसके चलते उनकी जो फजीहत हुई है, उसके कारण मुकेश अरनेजा का सहयोग और समर्थन उनका काम बिगाड़ने का ही काम करेगा - इसलिए रूपक जैन और जेके गौड़ ने मुकेश अरनेजा से पीछा छुड़ाना भी शुरू कर दिया है यह नजारा देख कर ही लग रहा है कि कुलदीप गर्ग के आरोप ने सीओएल तथा इंटरनेशनल डायरेक्टर का चयन करने वाली नोमीनेटिंग कमेटी के चुनावी परिदृश्य को दिलचस्प बना दिया है ।