Thursday, May 11, 2017

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट 321 में इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव में लीडरशिप के अन्य नेताओं के साथ-साथ नरेश अग्रवाल का भी बेगाना-सा व्यवहार जेपी सिंह के लिए मुश्किलों को बढ़ाने वाला है

नई दिल्ली । जेपी सिंह को इंटरनेशनल डायरेक्टर एंडॉर्सी पद के चुनावी संग्राम में लीडरशिप ने - खासकर नरेश अग्रवाल ने जिस तरह अकेला छोड़ दिया लगता है, उसके चलते मल्टीपल की चुनावी राजनीति खासी रोमांचक हो गयी है । गौरतलब है कि जेपी सिंह को लीडरशिप के 'आदमी' के रूप में देखा/पहचाना जाता है और लोगों के बीच माना जाता है कि नरेश अग्रवाल की आँखों में बसने वालों में विनोद खन्ना के बाद जेपी सिंह का ही नंबर आता है । लायन-व्यवस्था में जेपी सिंह की चमत्कारी सफलता में लीडरशिप के साथ उनकी नजदीकी को ही कारण के रूप में देखा/पहचाना जाता है । लीडरशिप के साथ नजदीकी के चलते ही लायन-व्यवस्था में जेपी सिंह की पहुँच और हैसियत कई एक पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर्स से भी ज्यादा मानी/समझी और पहचानी जाती है । लेकिन लायन राजनीति में सारी 'पहुँचें' और 'हैसियतें' चकरघिन्नी बन जाती हैं - और शायद यही कारण है कि इंटरनेशनल डायरेक्टर एंडॉर्सी पद के चुनाव में लीडरशिप के बड़े से लेकर छोटे नेता तक जेपी सिंह की मदद करने की बजाए उनसे अपने अपने पिछले हिसाब चुकता करने की तैयारी में देखे जा रहे हैं । लीडरशिप के नेताओं के इस रवैये ने जेपी सिंह के लिए आसान समझे जा रहे इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव को खासा मुश्किल और चुनौतीपूर्ण बना दिया है ।
जेपी सिंह के लिए मुसीबतों का पिटारा एक तो इस बात से खुला है कि मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट 321 में इस वर्ष कई मुद्दे एक साथ ले आए जा रहे हैं - इस वर्ष मल्टीपल के विभाजन का मुद्दा भी महत्त्वपूर्ण बना दिया गया है, और साथ ही मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट पदाधिकारियों को और ज्यादा अधिकार देने/दिलाने के कई प्रस्ताव रखे जा रहे हैं । मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन के चुनाव को लेकर इस वर्ष जो समीकरण बन रहा है, वह भी जेपी सिंह के लिए मुसीबत बढ़ाने वाला साबित हो रहा है । जेपी सिंह के लिए मुसीबत की बात यह हो रही है कि इन मामलों में जिस तरह के राजनीतिक समीकरण बन रहे हैं, वह जेपी सिंह की इंटरनेशनल डायरेक्टर पद की चुनावी राजनीति के लिए सीधा खतरा बन रही है । मल्टीपल के विभाजन और मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट पदाधिकारियों के अधिकार बढ़ाने के मुद्दे पर डिस्ट्रिक्ट्स में लीडरशिप को निशाना बनाया जा रहा है; अधिकतर डिस्ट्रिक्ट्स में मल्टीपल के विभाजन को लेकर विरोध है और उन्होंने अपने विरोध को मुखर रूप में प्रकट भी कर दिया है । मल्टीपल पदाधिकारियों के अधिकार बढ़ाने के मुद्दे पर मुकेश गोयल की तरफ से जिस तरह का तीखा विरोध आया है, और उनके विरोध को मल्टीपल में जिस तरह का समर्थन मिलता दिख रहा है - उसने मल्टीपल में लीडरशिप विरोधी हवा बनाने का काम किया है । जेपी सिंह को चूँकि लीडरशिप के 'आदमी' के रूप में देखा/पहचाना जाता है, इसलिए लीडरशिप के खिलाफ फूटने वाले गुस्से में उनके ही 'निशाना' बनने की स्थिति बनती है । इस स्थिति से निपटना जेपी सिंह के लिए बड़ी चुनौती है ।
मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन के चुनाव ने जेपी सिंह के लिए और भी बड़ा खतरा खड़ा किया हुआ है । इस मामले में तेजपाल खिल्लन ने जेपी सिंह को उनके अपने ही 'घर' में जिस तरह से घेर लिया है, उससे जेपी सिंह के लिए काफी विकट स्थिति बन गई है । मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद के लिए विनय गर्ग और अनिल तुलस्यान के बीच मुकाबला सज रहा है । विनय गर्ग की उम्मीदवारी का झंडा तेजपाल खिल्लन ने उठाया हुआ है; विनय गर्ग, जेपी सिंह के डिस्ट्रिक्ट के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर हैं - और दोनों के बीच छत्तीस का संबंध है । तेजपाल खिल्लन ने इसी बात का फायदा उठाया हुआ है । खतरे को पहचानते हुए जेपी सिंह की तरफ से विनय गर्ग के साथ संबंधों की खटास को कम करने की हालाँकि कोशिशें तो हुईं - लेकिन एक तो चूँकि खटास बहुत ज्यादा है, और दूसरे जेपी सिंह की तरफ से कोशिशें भी ढीली-ढाली सी ही रहीं : इसलिए बात बन नहीं पाई । इस मामले में कई लोगों को लगता है कि लीडरशिप यदि चाहे और कोशिश करे, तो अनिल तुलस्यान के लिए समर्थन जुटाने का काम करके विनय गर्ग को - और उनके बहाने वास्तव में तेजपाल खिल्लन को दबाव में लाने का काम कर सकती है, और इस तरह जेपी सिंह की मदद सकती है; लेकिन लीडरशिप की तरफ से ऐसी कोई कोशिश चूँकि होती हुई नहीं दिख रही है, इसलिए लोगों को यह भी लग रहा है कि लीडरशिप शायद जेपी सिंह की मदद करना ही नहीं चाहती है । लोगों के बीच बन रही यह सोच और भावना जेपी सिंह के लिए बड़ा और दोहरा खतरा खड़ी कर रही है । मजे की बात यह है कि खुद जेपी सिंह भी यह नहीं समझ पा रहे हैं कि मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन के चुनाव में वह अपनी क्या भूमिका रखें और कैसे हस्तक्षेप करें ? वह शायद तटस्थ होने और 'दिखने' की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन इस कोशिश में वह उन लोगों का भी समर्थन खोते नजर आ रहे हैं, जो विनय गर्ग और तेजपाल खिल्लन के विरोध में हैं । मल्टीपल काउंसिल का इस वर्ष का चुनाव सिर्फ मल्टीपल के पदाधिकारियों का ही चुनाव नहीं करेगा, बल्कि इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए भी चुनावी समीकरण तय करेगा - इसीलिए इस चुनाव में जेपी सिंह की महत्त्वपूर्ण भूमिका होनी चाहिए थी, जो नहीं है; और यह बात इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के एक उम्मीदवार के रूप में जेपी सिंह की कमजोरी को दिखाती है ।
इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए जेपी सिंह की उम्मीदवारी के संबंध में नरेश अग्रवाल का रवैया भी संदेहास्पद लग रहा है । जानकारों का मानना और कहना है कि नरेश अग्रवाल जिस क्षण चाहेंगे - उस क्षण वीएस कुकरेजा और तेजपाल खिल्लन इंटरनेशनल डायरेक्टर पद की चुनावी लड़ाई से अपना बोरिया-बिस्तर समेट लेंगे । जानकारों का ही कहना है कि नरेश अग्रवाल को इनसे कुछ कहना भी नहीं पड़ेगा, उनका सिर्फ इशारा ही काफी होगा । किंतु वीएस कुकरेजा की उम्मीदवारी को लेकर तेजपाल खिल्लन जिस तरह से आगे बढ़ रहे हैं, उससे लग रहा है कि उन्हें आगे बढ़ने से रोकने में नरेश अग्रवाल की भी कोई दिलचस्पी नहीं है । जेपी सिंह के साथ नरेश अग्रवाल के संबंधों का जिन लोगों को पता है, उन्हें नरेश अग्रवाल का यह रवैया खासा हैरानी भरा लग रहा है । जेपी सिंह के प्रति नरेश अग्रवाल का यह बेगाना-सा व्यवहार इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के उम्मीदवार के रूप में भी जेपी सिंह के लिए मुश्किलों को बढ़ाने वाला है ।