Thursday, May 25, 2017

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट 321 की चुनावी राजनीति में नरेश अग्रवाल और उनकी पत्नी का नाम घसीट कर तेजपाल खिल्लन ने मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन के चुनाव को दिलचस्प बनाया

जीरकपुर । नरेश अग्रवाल और उनकी पत्नी द्वारा पड़ने वाले दबावों को बता बता कर तेजपाल खिल्लन अपने 'ग्रुप' को एकजुट रखने की जो कोशिश कर रहे हैं, उसने मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन के चुनाव को खासा उलझनभरा और दिलचस्प बना दिया है । मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद के लिए अपने उम्मीदवार विनय गर्ग के समर्थन में पाँच वोटों के होने का दावा करते हुए तेजपाल खिल्लन आजकल लोगों को बता रहे हैं कि नरेश अग्रवाल उन्हें लगातार फोन कर रहे हैं, कुछेक बार तो उनकी पत्नी ने भी उन्हें फोन किया है । तेजपाल खिल्लन के एक नजदीकी ने इन पंक्तियों के लेखक से बात करते हुए बताया कि उन्हें खुद तेजपाल खिल्लन ने बताया कि उन्होंने लेकिन दोनों लोगों से यह कहते हुए बात करने से इंकार कर दिया कि उन्हें यदि बिजनेस की बात करना है, तो मेरे बेटे से करो - और यदि राजनीति की बात करना है, तो मैं 28 मई के बाद करूँगा । इस तरह की बातों से तेजपाल खिल्लन दरअसल यह जताने/दिखाने का प्रयास कर रहे हैं कि मल्टीपल की चुनावी राजनीति में उन्होंने जो गोलबंदी की है, उससे नरेश अग्रवाल तक परेशान हो उठे हैं और वह भी उन्हें अपनी तरफ खींचने में लग गए हैं - लेकिन वह उनकी बातों में नहीं आ रहे हैं । नरेश अग्रवाल तक की बात तो लोगों को हजम हो रही थी, लेकिन तेजपाल खिल्लन ने जिस तरह से नरेश अग्रवाल की पत्नी का नाम भी घसीट लिया है - उससे मामला खासा दिलचस्प हो उठा है । लोगों को लग रहा है कि इन बातों के जरिए तेजपाल खिल्लन एक तरफ तो अपने 'ग्रुप' को एकजुट करने/रखने की कोशिश कर रहे हैं, और दूसरी तरफ लोगों के बीच वह अपना 'कद' ऊँचा बनाने/दिखाने का प्रयास कर रहे हैं ।
उल्लेखनीय है कि तेजपाल खिल्लन के लीडरशिप - और खासतौर से नरेश अग्रवाल के साथ कभी सर्द तो कभी गर्म किस्म के संबंध रहे हैं, और लोगों के बीच धारणा यह बनी है कि लायन राजनीति में सर्द/गर्म होने का खेल वास्तव में वह अपने धंधे को बढ़ाने के लिए करते हैं । मल्टीपल की इस वर्ष की चुनावी राजनीति में तेजपाल खिल्लन ने जिस तरह से अपनी सक्रियता को दिखाया/बढ़ाया हुआ है, उसे राजनीति की आड़ में व्यावसायिक फायदा उठाने की उनकी योजना के रूप में देखा/पहचाना गया है । लायनिज्म में अगले पाँच-छह वर्ष दरअसल उनके धंधे के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण हैं । अगले लायन वर्ष में नरेश अग्रवाल इंटरनेशनल प्रेसीडेंट होंगे, उसके अगले वर्ष भी वह इंटरनेशनल बोर्ड के सदस्य रहेंगे; उसके बाद वर्ष 2022 में दिल्ली में होने वाली इंटरनेशनल कन्वेंशन का काम शुरू जायेगा । खुद तेजपाल खिल्लन ने ही अपने नजदीकियों को बताया है कि लायंस इंटरनेशनल में पिन्स और मैडल्स के हर वर्ष करीब 50 करोड़ रुपए के ऑर्डर मिलते/निकलते हैं । नरेश अग्रवाल के कारण उन्हें यदि चौथाई ऑर्डर भी मिल जाएँ, तो अगले पाँच-छह वर्षों में उनके तो बारे-न्यारे हो जायेंगे । काम-धंधा बेटे के जिम्मे कर तेजपाल खिल्लन जिस तरह से राजनीति में 'व्यस्त' हो गए हैं, उससे लोगों को यह लगा है कि उनकी इस राजनीतिक सक्रियता के पीछे उनका वास्तविक उद्देश्य ऑर्डर्स का जुगाड़ करना ही है । एक कुशल बिजनेसमैन होने के नाते तेजपाल खिल्लन इस तरह की बातों पर गौर नहीं करते हैं, और इस तरह की बातों को अनसुना करने की समझदारी ही दिखाते हैं । इस बार समस्या लेकिन यह हुई है कि तेजपाल खिल्लन को डर हुआ है कि इस तरह की बातों से उनका राजनीतिक प्लान कहीं फेल न हो जाए । तेजपाल खिल्लन को डर है कि जो लोग उनके साथ और उनके भरोसे हैं, वह कहीं इस बात को गंभीरता से न ले लें कि तेजपाल खिल्लन उनके नाम पर राजनीति करें सो करें - धंधा भी कर ले जाएँ ! इसीलिए तेजपाल खिल्लन को लोगों के बीच विश्वास और भरोसा बनाए रखने के लिए उन्हें यह बताने की जरूरत महसूस हुई कि वह नरेश अग्रवाल की बातों में आने वाले नहीं हैं; और देखिए वह खुद तो उन्हें फोन  कर ही रहे हैं, बल्कि अपनी पत्नी से भी फोन करवा रहे हैं - लेकिन वह उनसे बात ही नहीं कर रहे हैं, क्योंकि इस बार उन्हें उनसे कोई समझौता नहीं करना है ।
तेजपाल खिल्लन को इस बार मल्टीपल की चुनावी राजनीति में किसी भी कीमत पर कामयाब होना ही है - उन्हें लगता है कि इस बार यदि वह सफल नहीं हो पाए, तो अगले पाँच-छह वर्ष में अपने बिजनेस में ऊँची छलाँग मारने का उनके सामने जो मौका है, उसे वह खो देंगे । इसीलिए मजे की बात यह देखने में आ रही है कि मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद के लिए विनय गर्ग की और इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए वीएस कुकरेजा की उतनी सक्रियता नहीं है, जितनी तेजपाल खिल्लन की है । उनके चुनाव को लेकर उनकी बजाए तेजपाल खिल्लन ने दिन-रात एक किया हुआ है । मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद पर विनय गर्ग के लिए समर्थन और वोट जुटाने के लिए फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स से बात करने पर कई बार तेजपाल खिल्लन को सुनना पड़ा है कि - विनय गर्ग तो कुछ कहते नहीं हैं, आप ही कह रहे हैं; कहो तो आपको चेयरमैन बनवा देते हैं । विनय गर्ग और वीएस कुकरेजा की तरफ से पैसे खर्च न करने की भी शिकायतें तेजपाल खिल्लन को जब तब सुनने को मिलती रही हैं, और हर बार उन्होंने  लोगों को एक ही जबाव दिया है कि फिक्र मत करो, मैं पैसे खर्च करूँगा ! मल्टीपल काउंसिल की कॉन्फ्रेंस में रजिस्ट्रेशन व कमरों आदि पर जो पैसा खर्च हो रहा है, उसे लेकर भी तेजपाल खिल्लन ने यह दिखाने/जताने का कोई मौका नहीं छोड़ा है कि यह पैसा वह खर्च कर रहे हैं । इससे लोगों बीच यह सवाल भी उठ रहे हैं कि विनय गर्ग  वीएस कुकरेजा की बजाए तेजपाल खिल्लन क्यों पैसे खर्च कर रहे हैं ? दरअसल इसीलिए माना/समझा जा रहा है कि मल्टीपल में इस बार का चुनाव विनय गर्ग और वीएस कुकरेजा को नहीं जीतना है - बल्कि तेजपाल खिल्लन को जीतना है; और वह पैसे खर्च नहीं कर रहे हैं, बल्कि इन्वेस्ट कर रहे हैं - आज इन्वेस्ट करेंगे, तो कल उसका कई गुना प्राप्त करेंगे ।
मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद के लिए तेजपाल खिल्लन जो पाँच वोट अपने साथ मान रहे हैं, उनमें डिस्ट्रिक्ट 321 एफ के आनंद साहनी तथा डिस्ट्रिक्ट 321 डी के स्वर्ण सिंह खालसा पर उन्हें लगातार संदेह बना हुआ है । उन्हें डर है कि यह दोनों लोग लीडरशिप के साथ जाने के चक्कर में उन्हें धोखा दे सकते हैं; इसलिए तेजपाल खिल्लन ने इनकी पहरेदारी तो मजबूत लगाई हुई है - लेकिन फिर भी वह इन दोनों की तरफ से पूरी तरह आश्वस्त नहीं हैं । इन दोनों का भरोसा और समर्थन बनाए रखने के लिए ही तेजपाल खिल्लन ने दरअसल नरेश अग्रवाल और उनकी पत्नी द्वारा फोन करने की कहानी सुनाई है । तेजपाल खिल्लन ने दूसरों के साथ-साथ खास तौर से इन दोनों तक यह संदेश पहुँचाने तथा इन्हें यह दिखाने/जताने का प्रयास किया है कि नरेश अग्रवाल और उनकी पत्नी के हस्तक्षेप से भी वह प्रभावित नहीं हो रहे हैं - और नरेश अग्रवाल की 'राजनीति' से वह कोई समझौता नहीं करेंगे तथा उनसे भिड़ते रहेंगे । तेजपाल खिल्लन को भरोसा है कि इस तरह की बातों से वह अपने खेमे के लोगों को तथा अपने द्वारा जुटाए गए समर्थन को चुनाव के समय तक तो अपने पक्ष में बनाए रखने में सफल हो जायेंगे । लेकिन अपने बिजनेस और अपनी राजनीति के फायदे के लिए तेजपाल खिल्लन ने जिस तरह से नरेश अग्रवाल के साथ-साथ उनकी पत्नी के नाम को भी घसीट लिया है, उससे उनके नजदीक के ही कई लोग खफा भी हो रहे हैं । उनका कहना है कि तेजपाल खिल्लन को अपने बिजनेस और अपनी राजनीति के स्वार्थ में इस हद पर नहीं उतर आना चाहिए कि वह नरेश अग्रवाल और उनकी पत्नी को भी विवाद में घसीट लें ।