नई दिल्ली । तेजपाल खिल्लन की राजनीतिक दादागिरी को
उनके ही डिस्ट्रिक्ट के एक पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर जेसी वर्मा से ऐसी
पटखनी मिलेगी कि तेजपाल खिल्लन के लिए मुँह छिपाना मुश्किल हो जायेगा - यह
किसी ने नहीं सोचा था । जेसी वर्मा इस समय मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन
हैं, जिन्होंने इंटरनेशनल डायरेक्टर के चुनाव के मामले में तेजपाल खिल्लन
की राजनीति की हवा चुपके से ऐसी टाइट की है कि तेजपाल खिल्लन के लिए यह
समझना मुश्किल हो रहा है कि फजीहत से वह बचें तो कैसे ? तेजपाल खिल्लन
पिछले कुछ दिनों से वीएस कुकरेजा को इंटरनेशनल डायरेक्टर चुनवाने/बनवाने के
अपने अभियान का गुब्बारा फुलाए हुए थे, लेकिन जेसी वर्मा ने सुई चुभा कर
उनके गुब्बारे की सारी हवा निकाल दी है । दरअसल हुआ यह है वीएस कुकरेजा की
तरफ से इंटरनेशनल डायरेक्टर पद की उम्मीदवारी के लिए मल्टीपल को साठ दिन
पहले नोटिस ऑफ इन्टेंशन नहीं मिला है, जिसके कारण इस वर्ष उनकी उम्मीदवारी
मान्य नहीं रह जाती है । वीएस कुकरेजा वैसे तो अपने आप को बड़ा कानूनची
समझते हैं, और मौकों पर यह जताने/बताने से भी नहीं चूकते हैं कि लायंस
इंटरनेशनल के नियम उनसे ज्यादा कोई नहीं जानता है - पर अपने ही मामले में
वह नियम का पालन न करने की बेवकूफी कर बैठे ।
कानूनची व्यक्ति के साथ एक दिक्कत और होती है, और वह यह कि वह अपनी बेवकूफी को स्वीकार नहीं करता है, और कानूनी दाँवपेंचों के सहारे अपनी बेवकूफी को सही साबित करने का प्रयास करता है । वीएस कुकरेजा ने भी यही किया । उन्होंने पाया कि मल्टीपल में जो नियम साठ दिन का है, वह इंटरनेशनल में 45 दिन का है । इस नियम की आड़ में वीएस कुकरेजा ने अपनी बेवकूफी छिपाने की कोशिश करते हुए लायंस इंटरनेशनल में गुहार लगाई कि उनके द्वारा दिया गया 'नोटिस ऑफ इन्टेंशन' चूँकि 45 दिन वाली शर्त को पूरा करता है, इसलिए उनकी उम्मीदवारी मान्य की/करवाई जाए । लायंस इंटरनेशनल ने लेकिन उन्हें दो-टूक बता दिया है कि चुनाव इंटरनेशनल में नहीं होना है, मल्टीपल में होना है - इसलिए उनके मामले में मल्टीपल का नियम लागू होगा । दीपक तलवार की चेयरमैनी वाली नोमीनेटिंग कमेटी की चूँकि अभी तक मीटिंग नहीं हुई है, इसलिए वीएस कुकरेजा की उम्मीदवारी अभी रिजेक्ट तो नहीं हुई है - लेकिन 'नोटिस ऑफ इन्टेंशन' के मामले में नियम का पालन न होने के कारण वीएस कुकरेजा की उम्मीदवारी स्वीकार होने का कोई कारण नहीं दिख रहा है । वीएस कुकरेजा की उम्मीदवारी के पेपर ही रिजेक्ट हो जाने से होने वाली फजीहत से बचने के लिए तेजपाल खिल्लन सम्मानजनक ढंग से इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनावी पचड़े से बाहर निकलने के लिए कोई फार्मूला खोज रहे हैं, जिसके लिए दीपक तलवार भी उन्हें मौका दे रहे हैं - और इसीलिए नोमीनेटिंग कमेटी की मीटिंग को वह टालते जा रहे हैं ।
तेजपाल खिल्लन के लिए मुसीबत की बात यह हुई है कि इस फजीहत से उन्हें बचाने में उनके डिस्ट्रिक्ट के पूर्व गवर्नर्स जेसी वर्मा और राजीव मित्तल उनकी मदद कर सकते हैं - लेकिन तेजपाल खिल्लन इन दोनों की ही डिस्ट्रिक्ट में जिस तरह से बेइज्जती करते रहे हैं, उसके कारण इन दोनों को भी मौका मिला है कि यह तेजपाल खिल्लन को मजा चखाएँ । मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन के रूप में जेसी वर्मा चाहें तो वीएस कुकरेजा के 'नोटिस ऑफ इन्टेंशन' को साठ दिन पहले आया हुआ बता सकते हैं; लायन-राजनीति में इस तरह की 'बेईमानियाँ' आम बात है । नोमीनेटिंग कमेटी में को-चेयरमैन के रूप में राजीव मित्तल के पास भी मौका है कि वह वीएस कुकरेजा की उम्मीदवारी को मान्य करवा दें - खुद उनकी तरफ से लोगों के बीच कहा/सुना भी गया है कि इस वर्ष हो रहे इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव में नियमों के मामले में लोचा ही लोचा है, इसलिए कई मामलों में नोमीनेटिंग कमेटी को नियमों की अनदेखी करनी ही पड़ेगी; ऐसे में, वीएस कुकरेजा के मामले में भी नियमों की अनदेखी की जा सकती है । किंतु वीएस कुकरेजा और तेजपाल खिल्लन ने अपने अपने रवैये और व्यवहार से जिस तरह लोगों को अपना विरोधी बनाया हुआ है, उसे देखते हुए उम्मीद कम ही है कि कोई भी उनके प्रति रियायत करना चाहेगा । यहाँ यह याद करना प्रासंगिक होगा कि अभी कुछ दिन पहले ही तेजपाल खिल्लन की ओछी किस्म की व्यूह-रचना के कारण ही ऐसी स्थिति बनी कि मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन होने के बावजूद जेसी वर्मा अपने ही डिस्ट्रिक्ट की डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस में शामिल नहीं हो सके । जेसी वर्मा के नजदीकियों का कहना है कि जेसी वर्मा उस अपमान को भूले नहीं हैं, और अब जब उन्हें मौका मिला है तो वह तेजपाल खिल्लन की फजीहत करने का यह मौका छोड़ेंगे नहीं ।
तेजपाल खिल्लन को इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनावी मैदान में लड़ाई शुरू होने से पहले ही जो तगड़ा वाला झटका लगा है, उसे और विस्तार देने के लिए मल्टीपल के उनके विरोधी नेताओं ने मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन के चुनाव में उन्हें पछाड़ने के लिए भी उनकी घेराबंदी शुरू कर दी है । तेजपाल खिल्लन के उम्मीदवार विनय गर्ग के मुकाबले मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन के चुनाव में अनिल तुलस्यान के लिए समर्थन जुटाने के काम में मल्टीपल के कई नेता जिस तरह से सक्रिय हुए हैं, उसके कारण अनिल तुलस्यान का पलड़ा भारी होता हुआ नजर आ रहा है । दरअसल इंटरनेशनल डायरेक्टर पद की चुनावी लड़ाई में जेपी सिंह के एक पक्ष होने - और मजबूत व महत्त्वपूर्ण पक्ष होने के कारण मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन के रूप में विनय गर्ग को एक बड़े खतरे के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है; इस कारण से विनय गर्ग के खिलाफ कई सेंटीमेंट्स इकट्ठा हो गए हैं : किन्हीं को शिकायत है कि विनय गर्ग बिलकुल भी सक्रिय नहीं रहते हैं और उन्हें उचित तवज्जो नहीं देते हैं; किन्हीं को इस बात से परेशानी है कि विनय गर्ग तो तेजपाल खिल्लन की कठपुतली बन कर ही रहेंगे; किन्हीं को डर है कि विनय गर्ग का तो एकमात्र एजेंडा जेपी सिंह और उनके समर्थकों के साथ बदला लेने का रहेगा; विनय गर्ग के प्रति यह सारी शिकायतें, परेशानियाँ और डर अनिल तुलस्यान के लिए जैसे वरदान बन कर आईं हैं । मजे की बात यह हुई है कि अलग अलग कारणों से लीडरशिप के लोग भी और लीडरशिप के विरोधी रहे लोग भी अनिल तुलस्यान की उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने के अभियान में लगे नजर आ रहे हैं । दरअसल अलग अलग कारणों से तेजपाल खिल्लन के विरोधियों को लग रहा है कि इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव के मामले में तेजपाल खिल्लन जिस फजीहत का शिकार हो रहे हैं, उसे और विस्तार देने तथा पुख्ता करने के लिए मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन के चुनाव में भी उन्हें पछाड़ना जरूरी है - और इसी बात ने मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन के चुनाव में पलड़े को अनिल तुलस्यान की तरफ भारी बनाते हुए झुका दिया है ।
कानूनची व्यक्ति के साथ एक दिक्कत और होती है, और वह यह कि वह अपनी बेवकूफी को स्वीकार नहीं करता है, और कानूनी दाँवपेंचों के सहारे अपनी बेवकूफी को सही साबित करने का प्रयास करता है । वीएस कुकरेजा ने भी यही किया । उन्होंने पाया कि मल्टीपल में जो नियम साठ दिन का है, वह इंटरनेशनल में 45 दिन का है । इस नियम की आड़ में वीएस कुकरेजा ने अपनी बेवकूफी छिपाने की कोशिश करते हुए लायंस इंटरनेशनल में गुहार लगाई कि उनके द्वारा दिया गया 'नोटिस ऑफ इन्टेंशन' चूँकि 45 दिन वाली शर्त को पूरा करता है, इसलिए उनकी उम्मीदवारी मान्य की/करवाई जाए । लायंस इंटरनेशनल ने लेकिन उन्हें दो-टूक बता दिया है कि चुनाव इंटरनेशनल में नहीं होना है, मल्टीपल में होना है - इसलिए उनके मामले में मल्टीपल का नियम लागू होगा । दीपक तलवार की चेयरमैनी वाली नोमीनेटिंग कमेटी की चूँकि अभी तक मीटिंग नहीं हुई है, इसलिए वीएस कुकरेजा की उम्मीदवारी अभी रिजेक्ट तो नहीं हुई है - लेकिन 'नोटिस ऑफ इन्टेंशन' के मामले में नियम का पालन न होने के कारण वीएस कुकरेजा की उम्मीदवारी स्वीकार होने का कोई कारण नहीं दिख रहा है । वीएस कुकरेजा की उम्मीदवारी के पेपर ही रिजेक्ट हो जाने से होने वाली फजीहत से बचने के लिए तेजपाल खिल्लन सम्मानजनक ढंग से इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनावी पचड़े से बाहर निकलने के लिए कोई फार्मूला खोज रहे हैं, जिसके लिए दीपक तलवार भी उन्हें मौका दे रहे हैं - और इसीलिए नोमीनेटिंग कमेटी की मीटिंग को वह टालते जा रहे हैं ।
तेजपाल खिल्लन के लिए मुसीबत की बात यह हुई है कि इस फजीहत से उन्हें बचाने में उनके डिस्ट्रिक्ट के पूर्व गवर्नर्स जेसी वर्मा और राजीव मित्तल उनकी मदद कर सकते हैं - लेकिन तेजपाल खिल्लन इन दोनों की ही डिस्ट्रिक्ट में जिस तरह से बेइज्जती करते रहे हैं, उसके कारण इन दोनों को भी मौका मिला है कि यह तेजपाल खिल्लन को मजा चखाएँ । मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन के रूप में जेसी वर्मा चाहें तो वीएस कुकरेजा के 'नोटिस ऑफ इन्टेंशन' को साठ दिन पहले आया हुआ बता सकते हैं; लायन-राजनीति में इस तरह की 'बेईमानियाँ' आम बात है । नोमीनेटिंग कमेटी में को-चेयरमैन के रूप में राजीव मित्तल के पास भी मौका है कि वह वीएस कुकरेजा की उम्मीदवारी को मान्य करवा दें - खुद उनकी तरफ से लोगों के बीच कहा/सुना भी गया है कि इस वर्ष हो रहे इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव में नियमों के मामले में लोचा ही लोचा है, इसलिए कई मामलों में नोमीनेटिंग कमेटी को नियमों की अनदेखी करनी ही पड़ेगी; ऐसे में, वीएस कुकरेजा के मामले में भी नियमों की अनदेखी की जा सकती है । किंतु वीएस कुकरेजा और तेजपाल खिल्लन ने अपने अपने रवैये और व्यवहार से जिस तरह लोगों को अपना विरोधी बनाया हुआ है, उसे देखते हुए उम्मीद कम ही है कि कोई भी उनके प्रति रियायत करना चाहेगा । यहाँ यह याद करना प्रासंगिक होगा कि अभी कुछ दिन पहले ही तेजपाल खिल्लन की ओछी किस्म की व्यूह-रचना के कारण ही ऐसी स्थिति बनी कि मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन होने के बावजूद जेसी वर्मा अपने ही डिस्ट्रिक्ट की डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस में शामिल नहीं हो सके । जेसी वर्मा के नजदीकियों का कहना है कि जेसी वर्मा उस अपमान को भूले नहीं हैं, और अब जब उन्हें मौका मिला है तो वह तेजपाल खिल्लन की फजीहत करने का यह मौका छोड़ेंगे नहीं ।
तेजपाल खिल्लन को इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनावी मैदान में लड़ाई शुरू होने से पहले ही जो तगड़ा वाला झटका लगा है, उसे और विस्तार देने के लिए मल्टीपल के उनके विरोधी नेताओं ने मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन के चुनाव में उन्हें पछाड़ने के लिए भी उनकी घेराबंदी शुरू कर दी है । तेजपाल खिल्लन के उम्मीदवार विनय गर्ग के मुकाबले मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन के चुनाव में अनिल तुलस्यान के लिए समर्थन जुटाने के काम में मल्टीपल के कई नेता जिस तरह से सक्रिय हुए हैं, उसके कारण अनिल तुलस्यान का पलड़ा भारी होता हुआ नजर आ रहा है । दरअसल इंटरनेशनल डायरेक्टर पद की चुनावी लड़ाई में जेपी सिंह के एक पक्ष होने - और मजबूत व महत्त्वपूर्ण पक्ष होने के कारण मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन के रूप में विनय गर्ग को एक बड़े खतरे के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है; इस कारण से विनय गर्ग के खिलाफ कई सेंटीमेंट्स इकट्ठा हो गए हैं : किन्हीं को शिकायत है कि विनय गर्ग बिलकुल भी सक्रिय नहीं रहते हैं और उन्हें उचित तवज्जो नहीं देते हैं; किन्हीं को इस बात से परेशानी है कि विनय गर्ग तो तेजपाल खिल्लन की कठपुतली बन कर ही रहेंगे; किन्हीं को डर है कि विनय गर्ग का तो एकमात्र एजेंडा जेपी सिंह और उनके समर्थकों के साथ बदला लेने का रहेगा; विनय गर्ग के प्रति यह सारी शिकायतें, परेशानियाँ और डर अनिल तुलस्यान के लिए जैसे वरदान बन कर आईं हैं । मजे की बात यह हुई है कि अलग अलग कारणों से लीडरशिप के लोग भी और लीडरशिप के विरोधी रहे लोग भी अनिल तुलस्यान की उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने के अभियान में लगे नजर आ रहे हैं । दरअसल अलग अलग कारणों से तेजपाल खिल्लन के विरोधियों को लग रहा है कि इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव के मामले में तेजपाल खिल्लन जिस फजीहत का शिकार हो रहे हैं, उसे और विस्तार देने तथा पुख्ता करने के लिए मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन के चुनाव में भी उन्हें पछाड़ना जरूरी है - और इसी बात ने मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन के चुनाव में पलड़े को अनिल तुलस्यान की तरफ भारी बनाते हुए झुका दिया है ।