Sunday, May 28, 2017

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट 321 की राजनीति में अपनी हार को जीत में बदलने की तेजपाल खिल्लन की हंगामाई 'तरकीब' में नरेश अग्रवाल को गालियाँ सुनने के साथ-साथ हाथापाई का भी शिकार होना पड़ा

जीरकपुर । इंटरनेशनल प्रेसीडेंट पद की जिम्मेदारी संभालने जा रहे नरेश अग्रवाल अपने ही मल्टीपल - मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट 321 की वार्षिक कॉन्फ्रेंस में लोगों के गुस्से का इस हद तक शिकार हो गए कि उन्हें लोगों की गालियाँ सुनने के साथ-साथ उनकी धक्का-मुक्की का भी निशाना बनना पड़ा । प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, कुछेक लोगों ने नरेश अग्रवाल के साथ धक्का-मुक्की करते हुए उन्हें 'अपनी तरफ' खींचने की कोशिश की, जिसके चलते वह लात-घूँसों का भी शिकार हो गए । प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि अन्य कुछेक लोग बीच-बचाव न करते और नरेश अग्रवाल को सुरक्षा घेरे में न लेते, तो उन्हें गहरी चोटें आ सकती थीं । गौरतलब है कि इंटरनेशनल प्रेसीडेंट होने के नाते रहने वाली व्यस्तता के कारण अगले लायन वर्ष में नरेश अग्रवाल के लिए अपने मल्टीपल के लोगों से मिलना-जुलना संभव नहीं हो सकेगा, इसलिए इस बार की मल्टीपल कॉन्फ्रेंस में उनकी उपस्थिति का खास महत्त्व था । उनकी उपस्थिति को संभव करने के लिए ही कॉन्फ्रेंस की तारीखें उनकी उपलब्धतता को ध्यान में रख कर तय की गईं थीं । मल्टीपल कॉन्फ्रेंस में नरेश अग्रवाल की उपस्थिति को लेकर मल्टीपल के लोग भी खासे उत्साहित थे - और खुद नरेश अग्रवाल भी खासे जोश में थे; इस उत्साह और जोश के कारण इस बार की मल्टीपल कॉन्फ्रेंस के ऐतिहासिक होने का अनुमान लगाया जा रहा था । लेकिन मल्टीपल कॉन्फ्रेंस में जो नजारा बना, और नरेश अग्रवाल को लोगों के गाली-गलौच भरे हिंसक गुस्से का जिस तरह शिकार होना पड़ा - उसके चलते इस बार की मल्टीपल कॉन्फ्रेंस ऐतिहासिक तो हो गई, लेकिन यह इतिहास का यह अध्याय लायंस इंटरनेशनल के इतिहास  कलंक की तरह ही याद किया जायेगा । लायंस इंटरनेशनल के अभी तक के सौ वर्षों के इतिहास में इससे पहले शायद ही किसी इंटरनेशनल प्रेसीडेंट को अपने ही मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट में ऐसे अपमानजनक हिंसक हादसे का शिकार होना पड़ा हो ।
नरेश अग्रवाल के साथ उनके अपने ही मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट में जो बदतमीजी हुई, उसके लिए तमाम लोग नरेश अग्रवाल को ही जिम्मेदार कह/बता रहे हैं । कॉन्फ्रेंस में हुए झगड़े-झंझट के लिए फौरी तौर पर भले ही मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन और इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनावी विवाद को कारण के रूप में देखा/बताया जा रहा हो, लेकिन हालात को इस स्थिति तक पहुँचाने में पूरे वर्ष की घटनाओं की भूमिका रही है । वास्तव में यह पूरा वर्ष ही मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट 321 में खासा उथल-पुथल भरा रहा - एक लीडर के रूप में नरेश अग्रवाल जिसमें हस्तक्षेप करने और हालात को बिगड़ने से बचाने में कतई असफल रहे; सच बल्कि यह है कि उन्होंने हस्तक्षेप करने की जरूरत ही नहीं समझी । दो-तीन डिस्ट्रिक्ट में चोट्टे किस्म के लोग गवर्नर बने, जिनका सारा ध्यान पैसे बनाने पर रहा और जिन्होंने ड्यूज तक हड़प लेने की हरकतें कीं, और लायंस इंटरनेशनल उन्हें बस चिट्ठियाँ लिखता रह गया । ड्यूज हड़पने की उनकी कार्यवाईयाँ मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन के चुनाव को प्रभावित करने के हथकंडे के रूप में इस्तेमाल करने की बातें खुलेआम होने लगीं - इंटरनेशनल पदाधिकारी के रूप में नरेश अग्रवाल तब भी आँखें बंद किए बैठे रहे । हद की बात यह रही कि मल्टीपल की चुनावी राजनीति में नरेश अग्रवाल एक पक्ष की तरफ झुके हुए तो नजर आए - लेकिन उस एक पक्ष के खिलाफ किस किस तरह की बातें हो रही हैं और किस किस तरह के गठजोड़ बन रहे हैं, इसे लेकर वह पूरी तरह लापरवाह बने रहे । लोगों का मानना और कहना है कि मल्टीपल की चुनावी राजनीति में नरेश अग्रवाल जो कुछ भी करना/पाना चाहते थे, उसके लिए वह यदि थोड़ा पहले से सक्रिय होते - और मल्टीपल में बन रहे हिंसक माहौल को भाँपते हुए पहले से ही कदम उठा लेते, तो वह मल्टीपल में आराम से अपने पसंदीदा चुनावी नतीजे भी पा लेते और फजीहत का शिकार भी न बनते ।
मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन तथा इंटरनेशनल डायरेक्टर पद को लेकर तेजपाल खिल्लन ने जो और जिस तरह की राजनीति की, उसे देख कर बहुत पहले से ही लोगों की समझ में आ गया था कि वह वास्तव में एक हारी हुई लड़ाई लड़ रहे हैं, और अपनी निश्चित हार को छिपाने के लिए मल्टीपल कॉन्फ्रेंस में फसाद खड़ा करने की तैयारी कर रहे हैं । नरेश अग्रवाल और मल्टीपल काउंसिल के पदाधिकारियों को शायद यह आभास तो था कि कॉन्फ्रेंस में हंगामा तो होगा, लेकिन उन्हें भी यह उम्मीद नहीं थी कि कॉन्फ्रेंस में लायंस के भेष में आए कुछ लोग सड़कछाप लफंगों की तरह व्यवहार करेंगे - और नरेश अग्रवाल सहित मल्टीपल के तथा इंटरनेशनल के बड़े पदाधिकारियों तक से बदतमीजी करेंगे । तेजपाल खिल्लन के लिए इंटरनेशनल डायरेक्टर का चुनाव प्रतिष्ठा का चुनाव बन गया था, लेकिन वहाँ चूँकि उनके हाथ कुछ लगने वाला नहीं था - इसलिए उन्होंने मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन के चुनाव की आड़ में राजनीति खेलने की तैयारी की, और इस तैयारी में मल्टीपल के उन्हीं चोट्टे गवर्नर्स के साथ गठजोड़ बनाया, जो ड्यूज न जमा करा कर मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन के चुनाव को प्रभावित करने की बात कर रहे थे । अलग अलग कारणों से लीडरशिप से नाराज होने वाले लोगों को जोड़ कर तेजपाल खिल्लन ने कॉन्फ्रेंस में हंगामा कराने के जरिए लीडरशिप को ब्लैकमेल करने की जो तैयारी की, उसका अनुमान लगाने में नरेश अग्रवाल तथा लीडरशिप के अन्य लोग पूरी तरह विफल रहे और अपनी फजीहत करा बैठे ।