Tuesday, May 23, 2017

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3100 में अदालती मदद से गवर्नरी पाने की दिनेश शर्मा की कार्रवाई डिस्ट्रिक्ट की बदनामी और मुसीबतों को बढ़ाने का ही काम तो नहीं करेगी ?

सिकंदराबाद । अदालती आदेश से उत्साहित होकर दिनेश शर्मा ने खुद को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर मान कर डिस्ट्रिक्ट असेम्बली के आयोजन की घोषणा करके डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में 'काम' करना शुरू तो कर दिया, लेकिन फिर पता नहीं कैसे उन्हें ख्याल आया कि जोश में होश नहीं खोना चाहिए - और तब उन्होंने डिस्ट्रिक्ट असेम्बली के आयोजन को अगली सूचना तक स्थगित करने का फैसला किया । दिनेश शर्मा को शायद किसी ने बताया होगा कि अदालती आदेश से ज्यादा खुश होने की जरूरत नहीं है, डिस्ट्रिक्ट गवर्नर अदालती आदेश से नहीं बनोगे - उसके लिए तो रोटरी इंटरनेशनल से औपचारिक आदेश मिलना जरूरी होगा । अदालती आदेश में यह नहीं कहा गया है कि पैतृक संगठन के मुख्यालय की मत सुनो, तुम तो गवर्नरी का काम शुरू करो । अदालती आदेश मिलते ही, उक्त आदेश की कॉपी रोटरी इंटरनेशनल को उपलब्ध करवाने से पहले ही - दिनेश शर्मा ने फटाफट कॉलिज ऑफ गवर्नर्स की मीटिंग बुलाई, उसमें समर्थन लिया और खुद को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर मानते हुए काम करना शुरू कर दिया और 4 जून को डिस्ट्रिक्ट असेम्बली आयोजित करने की घोषणा कर डाली । शुक्र है कि उन्हें जल्दी ही सदबुद्धि आ गई और फिर उन्होंने डिस्ट्रिक्ट असेम्बली के 4 जून के आयोजन को फिलहाल स्थगित कर दिया है - और अब उन्होंने रोटरी इंटरनेशनल से 'नियुक्ति पत्र' लेने के काम को प्राथमिकता देने का निश्चय किया है ।
उल्लेखनीय है कि डिस्ट्रिक्ट 3100 के गवर्नर्स की रोटरी जगत में बड़ी भारी बदनामी है - मजे की बात यह है कि रोटरी जगत में हर कोई यह भी मानता/समझता है कि वास्तव में उनके 'अपराध' इतने बड़े नहीं हैं, जितनी उनकी बदनामी है । डिस्ट्रिक्ट 3100 के गवर्नर्स पर जो भी आरोप रहे हैं, वैसे आरोप अन्य कई डिस्ट्रिक्ट्स के कई गवर्नर्स पर रहे हैं; पर उनकी ज्यादा बदनामी नहीं है । जिन आरोपों के कारण डिस्ट्रिक्ट 3100 में सुनील गुप्ता को अपनी गवर्नरी गँवानी पड़ी और दीपक बाबु को गवर्नरी मिलते मिलते रह गयी - वैसे ही और या उनसे भी ज्यादा गंभीर आरोपों के बावजूद दूसरे कई डिस्ट्रिक्ट्स के गवर्नर आराम से गवर्नरी पूरी कर गए और अब मजे से पूर्व गवर्नर के फायदे ले रहे हैं । डिस्ट्रिक्ट 3100 के गवर्नर्स का - कारनामों के मुकाबले आनुपातिक रूप से ज्यादा कठोर सजा पाने और बदनामी हासिल करने का मुख्य कारण यह है कि अपने आचरण और व्यवहार में वह संगठन में होने का संतुलन नहीं बना पाते हैं, और जोश में होश खो देते हुए वह अपने आप को संगठन से ऊपर समझने लगते हैं । सुनील गुप्ता के सामने संभलने के बहुत अवसर आए थे, लेकिन पता नहीं किस नशे में वह यह समझने लगे थे कि उनका कोई क्या बिगाड़ लेगा ? उनका जो हाल हुआ, उससे दीपक बाबु ने कोई सबक नहीं लिया - दीपक बाबु उनसे ज्यादा नशे में रहे, जिसका नतीजा हुआ कि वह सुनील गुप्ता से भी ज्यादा दुर्गति को प्राप्त हुए । लगता है कि दिनेश शर्मा ने भी उनकी हुई हालत से कुछ नहीं सीखा - और वह भी अपने आप को संगठन से ज्यादा होशियार तथा खुद को संगठन से ऊपर समझने के उन्हीं के रास्ते पर बढ़ चले हैं ।
गौर करने की बात है कि दिनेश शर्मा रोटरी क्लब सिकंदराबाद के सदस्य हैं और सिकंदराबाद में रहते हैं, जो बुलंदशहर जिले का एक शहर है । दिनेश शर्मा को रोटरी इंटरनेशनल द्वारा किए गए अन्याय में न्याय पाना है, लेकिन इसके लिए वह बुलंदशहर की न्यायिक व्यवस्था पर भरोसा नहीं करते हैं । डिस्ट्रिक्ट 3100 में मेरठ, मुजफ्फरनगर और मुरादाबाद बड़े केंद्र हैं - दिनेश शर्मा यहाँ की न्यायिक व्यवस्था पर भी भरोसा नहीं करते हैं । न्याय पाने के लिए वह कोटद्वार जाते हैं । कोटद्वार में सिर्फ एक रोटरी क्लब है । यानि कोटद्वार में रोटरी फले-फैले-फूले, ज्यादा लोग रोटेरियन बने, ज्यादा क्लब खुले/बने - दिनेश शर्मा इसके लिए प्रयास नहीं करते हैं, लेकिन रोटरी में न्याय पाने के लिए वह सिकंदराबाद से कोटद्वार चले आते हैं । तकनीकी रूप से हालाँकि इसमें कुछ भी गलत नहीं है । दिनेश शर्मा ने यह जो भी किया है, पूरी तरह कानूनी दायरे में रहते हुए किया है, यह करने का उन्हें पूरा पूरा अधिकार है । लेकिन उनके 'इस' करने में उनकी एक होशियारी तो झलकती ही है - और उनके 'इस' करने में ही वह सोच 'दिखाई' देती है, जिसमें व्यक्ति अपने आप को अपने ही संगठन से ज्यादा होशियार और खुद को उससे ऊपर समझता है । दुनिया के तमाम देशों में फैले हुए रोटरी इंटरनेशनल की सौ वर्षों से अधिक की उम्र हो चुकी है; जाहिर है कि वह एक बड़ी ताकत है - दिनेश शर्मा और या उनके संगी-साथियों को क्या सचमुच लगता है कि वह अपनी तिकड़मों से रोटरी इंटरनेशनल को अपने सामने झुका लेंगे ? और या क्या वह सचमुच चाहते हैं कि रोटरी में गवर्नर बनाने/तय करने का काम अब अदालतों को सौंप देना चाहिए ?
सवाल हालाँकि यह भी है कि दिनेश शर्मा क्या करें ? बिना किसी आरोप/अपराध के उनसे यदि गवर्नर बनने का मौका छीना जा रहा है, तो उन्हें क्या करना चाहिए ? लेकिन इस सवाल में भी मौकापरस्ती छिपी है । अन्याय क्या सिर्फ दिनेश शर्मा के साथ ही हुआ है ? डिस्ट्रिक्ट 3100 यदि नॉन-डिस्ट्रिक्ट स्टेटस में गया है, तो क्या तमाम सारे लोगों को बिना किसी आरोप/अपराध के सजा नहीं मिली है ? कुछेक लोगों की करतूतों के कारण डिस्ट्रिक्ट के नॉन-डिस्ट्रिक्ट होने में डिस्ट्रिक्ट के क्लब्स के और उनके सदस्यों के साथ जो अन्याय हुआ, दिनेश शर्मा ने उसकी कभी कोई फिक्र की क्या ? सूचना तो यही है कि दिनेश शर्मा ने दूसरों के साथ हुए अन्याय की परवाह करने की बजाए कोशिश सिर्फ यह की कि कैसे भी उन्हें गवर्नर बनने का मौका मिल जाए । विडंबना की बात यह है कि अदालती आदेश के बाद वह खुशी खुशी उन लोगों से भी गले में माला डलवाते दिखे, जो डिस्ट्रिक्ट की मौजूदा दुर्गति के लिए जिम्मेदार हैं और जो रोटरी इंटरनेशनल द्वारा बाकायदा नाम लेकर 'आरोपी' बताए गए थे । यानि दिनेश शर्मा दोनों हाथों में लडडू पकड़ना चाहते हैं - एक तरफ वह अपने साथ होने वाले अन्याय का दुखड़ा भी रोयेंगे, और दूसरी तरफ अपने साथ होने वाले अन्याय की स्थितियाँ पैदा करने वालों से माला भी पहनेंगे और उनके ही समर्थन के सहारे न्याय पाने की कोशिश करेंगे ।
दिनेश शर्मा ने अदालती कार्रवाई के जरिए गवर्नरी प्राप्त करने की जो कोशिश की है, उसकी रोटरी के बड़े नेताओं के बीच प्रतिकूल प्रतिक्रिया होने के ही संकेत मिले हैं । सुना जा रहा है कि रोटरी के बड़े नेताओं ने दिनेश शर्मा की कार्रवाई को उचित और सही नहीं माना है । अदालती आदेश आने के बाद, वर्ष 2018-19 के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के लिए हो रहे चुनाव को रद्द करने की बजाए स्थगित करने के फैसले से भी आभास मिलता है कि रोटरी इंटरनेशनल अदालती फैसले का अध्ययन करके अपील में जाने की सोच रहा है । इससे यह आभास मिलता है कि मामला कानूनी पचड़े में फँसेगा; जिसके चलते दिनेश शर्मा को कुछ कुछ समय के लिए गवर्नर 'होने' के सुख का अहसास भले ही हो, सचमुच गवर्नरी करने का मौका मिलेगा - इसमें संदेह है । अदालती आदेश से रोटरी इंटरनेशनल में किसी को गवर्नरी मिली हो, इसका कोई उदाहरण भी नहीं है । अंततः क्या होगा, इस बारे में अभी पक्के तौर पर कुछ कहना जल्दबाजी करना होगा; अभी लेकिन अधिकतर लोगों को यही लग रहा है कि दिनेश शर्मा की कार्रवाई ने डिस्ट्रिक्ट की बदनामी और मुसीबतों को बढ़ाने का ही काम किया है ।