चंडीगढ़
। सीओएल के चुनावी मुकाबले में मिली बहुत ही बुरी चुनावी हार का
फ्रस्ट्रेशन निकालने के लिए मधुकर मल्होत्रा ने जितेंद्र ढींगरा को जिस
तरह से निशाना बनाया है, उससे डिस्ट्रिक्ट में लोगों को महसूस हो रहा है कि
इस वर्ष डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में जितेंद्र ढींगरा को
मिली जीत को मधुकर मल्होत्रा अभी तक भी जैसे हजम नहीं कर पा रहे हैं ।
मधुकर मल्होत्रा का नया आरोप यह है कि सीओएल के चुनाव में पाँच उम्मीदवारों
में उनके चौथे नंबर पर आने की बात डिस्ट्रिक्ट में फैला कर उन्हें बदनाम
करने की कोशिशों के पीछे जितेंद्र ढींगरा हैं । उल्लेखनीय है कि सीओएल के
चुनाव में पाँच उम्मीदवारों के बीच मधुकर मल्होत्रा के चौथे नंबर पर आने की
बात का हवाला देते हुए डिस्ट्रिक्ट में मधुकर मल्होत्रा की भारी फजीहत हो
रही है । मधुकर मल्होत्रा की यह फजीहत इसलिए हो रही है क्योंकि वह अपने
आपको डिस्ट्रिक्ट के एक बड़े नेता के रूप में प्रोजेक्ट करते हैं, और जताते
रहते हैं कि डिस्ट्रिक्ट में राजेंद्र उर्फ राजा साबू के बाद उन्हीं का
ज्यादा प्रभाव है और उन्हीं की चलती है । कॉलिज ऑफ गवर्नर्स में भी वह अपने
प्रभाव का बखान करते रहते हैं, और लोगों को बताते/जताते रहते हैं कि वह
कॉलिज ऑफ गवर्नर्स में कोई फैसला करवाना चाहते हैं - तो आसानी से करवा
लेते हैं । किंतु अभी पिछले सप्ताह ही सीओएल के लिए कॉलिज ऑफ गवर्नर्स में
जो चुनाव हुआ, उसमें पोल खुली कि 'वहाँ' तो मधुकर मल्होत्रा को
इक्का-दुक्का लोगों का ही समर्थन है - और उनसे ज्यादा समर्थन तो रंजीत
भाटिया, जीके ठकराल और मनमोहन सिंह के पास है । सीओएल का चुनाव मनमोहन
सिंह जीते हैं । चुनावी नतीजे के विस्तृत विवरण को लेकर लोगों को कोई
आधिकारिक सूचना तो नहीं मिली है, लेकिन अपने अपने स्रोतों से मिली
जानकारियों के हवाले से लोगों के बीच चर्चा है कि दूसरे नंबर पर जीके ठकराल
तथा तीसरे नंबर पर रंजीत भाटिया रहे । मधुकर मल्होत्रा चौथे नंबर पर रहे । सीओएल के चुनावी नतीजे के इस विस्तृत विवरण के चलते लोगों के बीच मधुकर मल्होत्रा की भारी किरकिरी हो रही है ।
मधुकर
मल्होत्रा लोगों के बीच हो रही अपनी इस किरकिरी के लिए जितेंद्र ढींगरा को
जिम्मेदार ठहरा रहे हैं । उनका कहना है कि कॉलिज ऑफ गवर्नर्स के बीच होने
वाला सीओएल का चुनाव एक बहुत छोटा चुनाव होता है, जिसमें नतीजा सिर्फ यह
सामने आता है कि जीता कौन - दूसरे और या चौथे और या आखिरी नंबर पर कौन
रहा, इस बात का महत्त्व नहीं होता है । उनकी शिकायत है कि लेकिन इस बार
जिस तरह से लोगों के बीच इस बात को प्रचारित किया जा रहा है कि दूसरे,
तीसरे और या चौथे नंबर पर कौन रहा, उसके पीछे वास्तव में लोगों के बीच
उन्हें बदनाम करने की साजिश है । मधुकर मल्होत्रा ने अपने नजदीकियों के बीच
साजिशकर्ता के रूप में जितेंद्र ढींगरा का नाम लिया है । उनका कहना
रहा है कि अभी तक कॉलिज ऑफ गवर्नर्स में हुई बातें लोगों के बीच नहीं आती
थीं, और डिस्ट्रिक्ट में कॉलिज ऑफ गवर्नर्स की एक गरिमा व प्रतिष्ठा रही है
- जिसे लेकिन अब धूल में मिलाने की कोशिश हो रही है । कहीं इशारों में तो
कहीं सीधा नाम लेकर मधुकर मल्होत्रा ने इस कोशिश के पीछे जितेंद्र ढींगरा
को चिन्हित किया है । मधुकर मल्होत्रा ने कुछेक लोगों के बीच यहाँ
तक कहा/बताया कि जितेंद्र ढींगरा के 'इस' व्यवहार की आशंका के कारण ही
पहले उन्हें सीओएल के लिए डिस्ट्रिक्ट के प्रतिनिधि का चुनाव करने वाली कॉलिज ऑफ गवर्नर्स की मीटिंग में
नहीं बुलाया जा रहा था; मधुकर मल्होत्रा के ही अनुसार, कॉलिज ऑफ गवर्नर्स
के सदस्य लेकिन अब महसूस कर रहे हैं कि जितेंद्र ढींगरा को उक्त मीटिंग में
शामिल करने का फैसला गलत ही साबित हुआ है ।
मधुकर
मल्होत्रा की इस तरह की बातों पर जितेंद्र ढींगरा के नजदीकियों की तरफ से
भी तीखा जबाव सुनने को मिला है, जिसमें कहा/बताया जा रहा है कि उक्त मीटिंग
में जितेंद्र ढींगरा को शामिल कर किसी ने भी उन पर कोई अहसान नहीं किया है
- कॉलिज ऑफ गवर्नर्स की मीटिंग में शामिल होना जितेंद्र ढींगरा का अब
अधिकार है । कहा/बताया जा रहा है कि रोटरी इंटरनेशनल की जिस व्यवस्था और
उसके जिस नियम के अनुसार, मधुकर मल्होत्रा को कॉलिज ऑफ गवर्नर्स की मीटिंग
में शामिल होने का अधिकार है, वही व्यवस्था और नियम जितेंद्र ढींगरा को
भी कॉलिज ऑफ गवर्नर्स की मीटिंग में शामिल होने का अधिकार देता है - मधुकर
मल्होत्रा जितनी जल्दी इस सच्चाई को 'स्वीकार' कर लेंगे, उतनी ही जल्दी वह
टेंशन से मुक्त हो जायेंगे; अन्यथा वह फ्रस्ट्रेशन का ही शिकार रहेंगे । मजे
की बात है कि मधुकर मल्होत्रा ने जितेंद्र ढींगरा को लेकर जो और जिस तरह की
बातें की हैं, उन पर जितेंद्र ढींगरा ने तो चुप्पी बनाए रखी है - लेकिन
उनके नजदीक के कुछेक लोग खासे मुखर हैं । इन्हीं लोगों की तरफ से कहा/पूछा
जा रहा है कि उन्हें नहीं पता कि जितेंद्र ढींगरा के खिलाफ मधुकर मल्होत्रा
के जो आरोप हैं, उनमें कितनी क्या सच्चाई है; मधुकर मल्होत्रा को लेकिन यह
बताना चाहिए कि कॉलिज ऑफ गवर्नर्स में जो होता है, और या सीओएल के चुनाव
में जो हुआ उसके बारे में डिस्ट्रिक्ट के लोगों को जानने का हक आखिर क्यों
नहीं है ? मधुकर मल्होत्रा इन बातों को छिपा कर क्यों रखना चाहते हैं ?
जितेंद्र ढींगरा के इन्हीं नजदीकियों का कहना है कि मधुकर मल्होत्रा की
समस्या वास्तव में यह है कि उन्हें यह बात हजम नहीं हो पा रही है कि उनके न
चाहने और उनके विरोध करने के बावजूद जितेंद्र ढींगरा डिस्ट्रिक्ट गवर्नर
नॉमिनी चुन लिए गए हैं और दो वर्ष बाद वह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर होंगे ।
उल्लेखनीय
है कि इस वर्ष हुए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव के दस दिन पहले
तक मधुकर मल्होत्रा यह दावा कर रहे थे कि वह किसी भी कीमत पर जितेंद्र
ढींगरा का चयन नहीं होने देंगे । चयन/चुनाव का दिन नजदीक आते आते मधुकर
मल्होत्रा ने जब माहौल को भाँपा/पहचाना और यह समझ लिया कि वह चाहें जो कर
लें - जितेंद्र ढींगरा को चयनित होने से नहीं रोक सकेंगे, रोकने की कोशिश
करेंगे तो अपनी ही फजीहत करवायेंगे; लिहाजा मधुकर मल्होत्रा ने अपने आपको
चुनावी प्रक्रिया से पीछे कर लिया । जितेंद्र ढींगरा के चयन/चुनाव को
मधुकर मल्होत्रा रोक तो नहीं पाए, लेकिन जितेंद्र ढींगरा के चयन/चुनाव को
स्वीकार कर पाना भी उनके लिए मुश्किल हुआ । पिछले दिनों कई एक मौकों पर
उनका 'दर्द' छलकता हुआ दिखा भी । उनका दर्द कितना गहरा है, इसे इस बात
से समझा/पहचाना जा सकता है कि चंडीगढ़ में जितेंद्र ढींगरा के स्वागत में जो
समारोह हुआ, उसमें मधुकर मल्होत्रा शामिल तो हुए - लेकिन वहाँ उन्होंने जो
कुछ कहा उसमें जितेंद्र ढींगरा के लिए कोई अच्छी बात कहने की बजाए अपनी
पीड़ा और नाराजगी को ही जाहिर किया । उनकी बातें सुनकर वहाँ मौजूद लोगों ने
कहा भी कि जितेंद्र ढींगरा की जीत से मधुकर मल्होत्रा को कुछ ज्यादा ही चोट
लग गई लगती है । सीओएल के चुनाव में उम्मीदवारी प्रस्तुत करने वाले पाँच उम्मीदवारों में चौथे नंबर पर
रहने के नतीजे ने मधुकर मल्होत्रा की 'उस' चोट को लगता है कि और गहरा कर
दिया है - जिसकी पीड़ा में निकली आह में उन्होंने जितेंद्र ढींगरा को निशाना
बना लिया है ।
मधुकर मल्होत्रा को पिछले कुछ दिनों में
सिर्फ जितेंद्र ढींगरा की चुनावी सफलता से ही चोट नहीं लगी है, बल्कि उनके
प्रति राजा साबू के रवैये में आए बदलाव से भी गहरा झटका लगा है । मधुकर
मल्होत्रा अपने आप को राजा साबू के बड़े खासमखास बताते/जताते/दिखाते रहे
हैं, लेकिन प्रवीन चंद्र गोयल के साथ डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर बनने का जो मौका
उन्हें राजा साबू के कारण ही नहीं मिला, उससे वह खुद भी बहुत चक्कर में पड़े
- और उनके लिए डिस्ट्रिक्ट के लोगों को यह समझाना मुश्किल हुआ कि
खासमखास होने के बावजूद राजा साबू ने उनके साथ ऐसा क्यों किया ? सीओएल के
चुनाव के लिए भी राजा साबू का समर्थन मधुकर मल्होत्रा की बजाए रंजीत भाटिया
के साथ सुना गया । मधुकर मल्होत्रा के लिए राहत की बात यह जरूर रही कि
राजा साबू के समर्थन के बावजूद रंजीत भाटिया को भी कॉलिज ऑफ गवर्नर्स में
कोई खास समर्थन नहीं मिला, और उनकी तीसरी पोजीशन रही - मधुकर मल्होत्रा के
लिए लेकिन मुसीबत की बात यह हुई है कि डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच राजा
साबू के साथ उनकी तथाकथित नजदीकियत की जो पोल खुली है, उससे अपनी स्थिति
में सुधार करने/लाने की उनकी उम्मीदें और ध्वस्त हो गई हैं । इससे पैदा हुए
फ्रस्ट्रेशन में जितेंद्र ढींगरा के प्रति गुस्से से भरे उनके डिब्बे का
ढक्कन खुल गया है, और सीओएल के चुनावी नतीजे के डिटेल्स लोगों के बीच जाहिर
करने का आरोप लगाते हुए उन्होंने जितेंद्र ढींगरा पर उन्हें बदनाम करने का
आरोप मढ़ना शुरू कर दिया है । हालाँकि उनकी तरफ से इस सवाल का जबाव
सुनने को नहीं मिला है कि डिस्ट्रिक्ट के लोगों को यह बात आखिर क्यों नहीं
जाननी चाहिए कि सीओएल के लिए उम्मीदवारी प्रस्तुत करने वाले उम्मीदवारों
में कौन किस नंबर पर रहा ?