Thursday, May 4, 2017

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट 321 में इंद्रजीत सिंह और स्वर्ण सिंह खालसा के तेवरों ने मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन के चुनाव में तेजपाल खिल्लन को झटका देते हुए एक अलग समीकरण बनने के संकेत दिए

नई दिल्ली । विनय गर्ग को धोखा देकर मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद के लिए विशाल सिन्हा को तवज्जो देने की तेजपाल खिल्लन की कार्रवाई इंद्रजीत सिंह तथा स्वर्ण सिंह खालसा के रवैये के चलते भारी मुसीबत में फँस गई है । इंद्रजीत सिंह की तरफ से संदेश दिया गया है कि चेयरमैन बनने/बनाने के फार्मूले में यदि विनय गर्ग फिट नहीं हुए तो वह मल्टीपल काउंसिल के चुनाव में हिस्सा नहीं लेंगे और अपना वोट नहीं डालेंगे; दूसरी तरफ स्वर्ण सिंह खालसा ने विशाल सिन्हा के गिफ्ट को लेने से इंकार कर दिया है । डिस्ट्रिक्ट 321 ए टू तथा डिस्ट्रिक्ट 321 डी के फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में क्रमशः इंद्रजीत सिंह और स्वर्ण सिंह खालसा की इन कार्रवाइयों ने मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद के लिए बिछाई जा रही तेजपाल खिल्लन की बिसात को पलट देने का काम किया है - क्योंकि तेजपाल खिल्लन ने अपनी बिसात में इन दोनों को अपने साथ 'माना' है, इन दोनों के रवैये में लेकिन बगावत के तेवर देखे/पहचाने जा रहे हैं मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद के चुनाव के संदर्भ में तेजपाल खिल्लन ने विनय गर्ग का शिकार सबसे आसान समझा था - इसलिए पहले तो तेजपाल खिल्लन ने विनय गर्ग को चेयरमैन बनवाने/चुनवाने का झाँसा दिया, लेकिन फिर उन्हें किनारे करके विशाल सिन्हा का हाथ पकड़ लिया । लेकिन इंद्रजीत सिंह ने उन्हें धीरे से जो जोर का झटका दिया है, उसने तेजपाल खिल्लन का खेल बिगाड़ दिया है । समझा जाता है कि विशाल सिन्हा को रास्ते से हटाने के लिए ही इंद्रजीत सिंह और डिस्ट्रिक्ट 321 बी वन के पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर केएस लूथरा ने स्वर्ण सिंह खालसा को अपने साथ मिलाया, जिसके चलते तेजपाल खिल्लन की सलाहानुसार गिफ्ट देने आए विशाल सिन्हा से स्वर्ण सिंह खालसा ने गिफ्ट लेने से ही इंकार कर दिया - और विशाल सिन्हा को अपना गिफ्ट वापस लेकर लौटना पड़ा
उल्लेखनीय है कि मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद के लिए जिन तीन उम्मीदवारों के नाम चर्चा में हैं, उनमें सबसे कमजोर स्थिति विनय गर्ग की ही देखी/पहचानी जा रही है । परिस्थितियाँ और चुनावी गणित हालाँकि सबसे ज्यादा उनके ही पक्ष में हैं - लेकिन फिर भी उनकी स्थिति सबसे ज्यादा कमजोर समझी/पहचानी जा रही है, तो इसलिए कि वह अपनी उम्मीदवारी को लेकर जरा भी सक्रिय 'दिखाई' नहीं दे रहे हैं । विनय गर्ग की तरफ से सुनने को मिला है कि वह चेयरमैन पद की दौड़ में काबिलियत के भरोसे हैं, और 'हॉर्स-ट्रेडिंग' के खेल में वह नहीं पड़ेंगे । उनकी तरफ से कहा/सुना जा रहा है कि लोग यदि मल्टीपल के लीडर के रूप में उन्हें चुनना चाहते हैं, जिनकी लीडरशिप क्वालिटी की हालत यह है कि वह अपने फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर का समर्थन नहीं ले पा रहे हैं, तो फिर उन्हें कुछ नहीं कहना/करना इसके अलावा, पिछले वर्षों के घटना-चक्र से विनय गर्ग और उनके साथियों ने यह सबक भी सीखा है कि मल्टीपल की राजनीति में जो ज्यादा तेज चलता है, वह अंततः लुढ़क पड़ता है - इसलिए पीछे रहो और मौके पर नजर रखो । विनय गर्ग और उनके साथियों का तर्क है कि वह चेयरमैन पद की लड़ाई में हैं, और मानते/समझते हैं कि स्थितियाँ उनके अनुकूल हैं - बस स्थितियों को उचित तरीके से इस्तेमाल करने की जरूरत है । इंद्रजीत सिंह की तरफ से 'विनय गर्ग नहीं, तो उनका वोट नहीं' का जो संदेश आया/मिला है, उसके पीछे दरअसल मल्टीपल काउंसिल के चेयरमैन पद को लेकर बन रहे मौजूदा समीकरणों को तहस-नहस करने का उद्देश्य छिपा है
यह संदेश देना वास्तव में इंद्रजीत सिंह की मजबूरी भी है । उनके अपने डिस्ट्रिक्ट की राजनीति में दरअसल पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर जेपी सिंह ने उन्हें ठिकाने लगाने का जो बीड़ा उठाया हुआ है, उसके तहत जेपी सिंह यह 'दिखाने' और साबित करने की कोशिश कर रहे हैं कि इंद्रजीत सिंह अगले वर्ष खुद मल्टीपल चेयरमैन बनना चाहते हैं, और इसलिए वह इस वर्ष विनय गर्ग को चेयरमैन नहीं बनने देंगे । इंद्रजीत सिंह ने भी जेपी सिंह के इस प्रचार को झूठा साबित करने के लिए कमर कस ली है । इसके तहत ही, इंद्रजीत सिंह ने यह संदेश दिया है कि विनय गर्ग के अलावा किसी और के चेयरमैन बनने/बनवाने के 'फार्मूले' में वह शामिल नहीं होंगे इंद्रजीत सिंह दरअसल 'दिखाना' यह चाहते हैं कि उन्होंने विनय गर्ग की बजाए किसी और को मल्टीपल चेयरमैन बनाने/बनवाने में दिलचस्पी नहीं ली है - और इसलिए विनय गर्ग के प्रति उनके समर्थन पर सवाल नहीं उठाया जा सकता है । समझा जाता है कि अपने इस संदेश के जरिए इंद्रजीत सिंह ने तेजपाल खिल्लन को भी आगाह कर दिया है कि वह यदि विनय गर्ग से किए गए वायदे को भूलने की तैयारी कर रहे हैं, तो फिर उनके समर्थन और वोट की उम्मीद न करें । इंद्रजीत सिंह के इस तेवर ने तेजपाल खिल्लन के लिए भारी मुसीबत खड़ी कर दी है ।
इंद्रजीत सिंह ने तेजपाल खिल्लन के लिए जो मुसीबत खड़ी की है, उसे और बढ़ाने का काम किया है स्वर्ण सिंह खालसा ने । दरअसल स्वर्ण सिंह खालसा ने विशाल सिन्हा से गिफ्ट लेने से इंकार करके विशाल सिन्हा और तेजपाल खिल्लन की निगाह में अपनी भूमिका को संदेहास्पद बना लिया है । विशाल सिन्हा, तेजपाल खिल्लन की सलाह पर ही संभावित समर्थक फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स को गिफ्ट देने निकले थे । मजे की बात यह है कि उनसे गिफ्ट लेने से स्वर्ण सिंह खालसा के इंकार करने की बात लोगों को खुद विशाल सिन्हा ने ही बताई - कुछ को इस आशंका के साथ कि स्वर्ण सिंह खालसा साथ रहेंगे या नहीं; और कुछ को यह विश्वास दिलाने के लिए कि स्वर्ण सिंह खालसा के साथ तो उनके कितने अच्छे संबंध हैं ! विशाल सिन्हा लोगों के बीच भले ही यह दावा कर रहे हों कि स्वर्ण सिंह खालसा तो उन्हें अपना भाई जैसा मानते हैं, और इसीलिए उन्होंने उनसे गिफ्ट नहीं लिया; लेकिन यह दावा करने के साथ-साथ विशाल सिन्हा ने गुरनाम सिंह और तेजपाल खिल्लन को यह कहते/बताते हुए सावधान भी किया है कि स्वर्ण सिंह खालसा पर ज्यादा भरोसा मत करना, वह धोखा दे सकते हैं । विशाल सिन्हा को लगता है कि स्वर्ण सिंह खालसा, केएस लूथरा और इंद्रजीत सिंह के संपर्क में हैं और उनके ही कहने पर उन्होंने उनसे गिफ्ट नहीं लिया है । केएस लूथरा की सक्रियता और इंद्रजीत सिंह और स्वर्ण सिंह खालसा के तेवरों ने मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन के चुनाव में एक अलग समीकरण बनने के संकेत दिए हैं - और इन संकेतों ने विशाल सिन्हा के पक्ष में बिछाई जा रही तेजपाल खिल्लन की बिसात को उलट-पलट देने का काम किया है ।