Monday, May 22, 2017

लायंस इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 सी वन में सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद पर संजीवा अग्रवाल को मिली भारी चुनावी जीत ने डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति पर मुकेश गोयल की पकड़ को एक बार फिर साबित किया

देहरादून । संजीवा अग्रवाल की सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए हुई भारी चुनावी जीत ने डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति पर मुकेश गोयल की पकड़ को एक बार फिर साबित किया है । इस बार के चुनाव और उसके नतीजे ने मुकेश गोयल का कद इसलिए और बढ़ाया है, क्योंकि इस बार का चुनाव सिर्फ वोट जुटाने भर का मामला नहीं था - बल्कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में शिव कुमार चौधरी की बेहूदा और लायनिज्म-विरोधी कार्रवाइयों से निपटने का भी था । शिव कुमार चौधरी को लगता था कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में वह मनमाने तरीके से किसी भी क्लब को बंद कर सकते हैं, किसी भी क्लब के वोट देने के अधिकार को छीन सकते हैं, चुनाव करवाने से इंकार कर सकते हैं, और न जाने क्या-क्या कर सकते हैं । शिव कुमार चौधरी ने अपनी बेहूदा और बेवकूफीभरी बातों से डिस्ट्रिक्ट में माहौल यह बनाया हुआ था कि हर किसी को शक था कि चुनाव हो भी पायेगा - होगा भी तो क्या शांतिपूर्ण व विवादहीन तरीके से हो पायेगा ? शिव कुमार चौधरी अपनी बातों और अपनी हरकतों से डिस्ट्रिक्ट का और लायनिज्म का नाम लगातार बदनाम कर रहे थे, लेकिन कई पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स के साथ-साथ पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर सुशील अग्रवाल तक शिव कुमार चौधरी की हरकतों को शह दे रहे थे - दरअसल उन्हें उम्मीद थी कि शिव कुमार चौधरी की इन हरकतों के सहारे मुकेश गोयल से 'जीत' पाने की अपनी पुरानी हसरत को वह पूरा कर लेंगे । ऐसे माहौल में, स्वाभाविक रूप से मुकेश गोयल के सामने दोहरी चुनौती थी - एक तरफ तो उन्हें अपने समर्थन-आधार को एकजुट रखना था, और दूसरी तरफ उन्हें शिव कुमार चौधरी की नकारात्मक हरकतों को भी कामयाब नहीं होने देना था । मुकेश गोयल के सामने एक चुनौती और थी - वह समझ रहे थे कि शिव कुमार चौधरी सारी हरकतें उन्हें और उनके उम्मीदवार को ब्लैकमेल करने और उनसे पैसे ऐंठने के लिए कर रहे हैं; इसलिए उन्हें खुद को और अपने उम्मीदवार को ब्लैकमेलिंग से भी बचाना था ।
मुकेश गोयल को बहुआयामी चुनौती से निपटने में जो सफलता मिली है, उसमें विनय मित्तल की संलग्नता और सक्रियता को खासतौर से पहचाना गया है और कई लोगों ने विनय मित्तल को डिस्ट्रिक्ट के एक हरफनमौला नेता के रूप में चिन्हित किया है । अभी तक विनय मित्तल को लोग एक अच्छे कार्यकर्त्ता के रूप में तो मानते/पहचानते रहे हैं, लेकिन उन्हें लीडर मानने में लोगो को संकोच रहा है । लोगों का मानना/कहना रहा कि विनय मित्तल में जो अतिरिक्त विनयशीलता है, वह उनके लीडर बनने में सबसे बड़ी बाधा है । उनके शुभचिंतकों का भी मानना/कहना रहा कि विनय मित्तल में यदि किलर-इन्स्टिंगक्ट होती, तो वह बड़े लीडर हो सकते थे । दरअसल एक आम धारणा है कि बड़ा लीडर वही हो सकता है जो पूरी बेशर्मी के साथ किसी से भी बदतमीजी कर सकता हो और गाली-गलौच करने में सिद्धहस्त हो । लेकिन देखने में यह आया कि जिस विनयशीलता को विनय मित्तल की कमजोरी के रूप में देखा/पहचाना गया, वास्तव में वही विनयशीलता उनकी ताकत बनी । इस बार के चुनाव का सबसे बड़ा संदेश वास्तव में यही है कि किस तरह विनयशीलता ने गाली-गलौच के धुरंधर की हवा टाइट कर दी । लोगों के बीच चर्चा रही कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर शिव कुमार चौधरी को उनके खुद के चक्रव्यूह में फँसा देने की रणनीति विनय मित्तल की ही थी । शिव कुमार चौधरी की हरकतों को लायंस इंटरनेशनल में तरह तरह से रिपोर्ट करने/करवाने के पीछे दरअसल विनय मित्तल का ही दिमाग था - जिसके चलते लायंस इंटरनेशनल के सौ वर्षों के इतिहास में पहली बार किसी डिस्ट्रिक्ट गवर्नर को लायंस इंटरनेशनल से सीधी चेतावनी मिली - और एक से अधिक बार मिली कि चुनाव में यदि गड़बड़ी हुई तो तुम्हें डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद से हटा दिया जाएगा ।
मुकेश गोयल खेमे को चुनावी गणित को लेकर दरअसल कोई खतरा नहीं था; उनका डर बस यह था कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर शिव कुमार चौधरी कॉन्फ्रेंस को डिस्टर्ब कर सकते हैं और उस आड़ में उनके लिए मुसीबत खड़ी कर सकते हैं । इससे निपटने के लिए ही लायंस इंटरनेशनल के पदाधिकारियों को शिव कुमार चौधरी की हर हरकत से अवगत कराया जाता रहा, जिससे लायंस इंटरनेशनल में शिव कुमार चौधरी की हरकतों को लेकर पूरी फाइल बन गई । इसी कारण से, लायंस इंटरनेशनल ने चुनाव में ऑब्जर्बर नियुक्त करने की माँग भी तुरंत मान ली । शिव कुमार चौधरी दरअसल यह समझ ही नहीं पाएँ कि मुकेश गोयल खेमे की तरफ से उन्हें चारों तरफ से घेर कर बाँध देने की तैयारी हो रही है, वह बेवकूफीभरी इसी ऐंठ में रहे कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर होने के नाते वह जो चाहेंगे - वह कर लेंगे । ऑब्जर्बर के रूप में आए राजू मनवानी ने डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस में पहला काम शिव कुमार चौधरी की ऐंठ को निकालने का ही किया । कॉन्फ्रेंस में शिव कुमार चौधरी और अनीता गुप्ता की तरफ से हरकत होने की आशंका थी । राजू मनवानी ने आते ही शिव कुमार चौधरी और उनके 'साथी' गवर्नर्स को समझा दिया कि लायंस इंटरनेशनल ने उन्हें कहा है कि कॉन्फ्रेंस के होने में यदि कोई गड़बड़ी होती हुई दिखे, तो कॉन्फ्रेंस की जिम्मेदारी आप ले लेना और आप ही चुनाव करवाना । ऑब्जर्बर के रूप में राजू मनवानी के इन कड़े तेवरों को देख कर शिव कुमार चौधरी और अनीता गुप्ता की फिर चूँ करने की भी हिम्मत नहीं हुई - और चुनावी प्रक्रिया बड़े शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुई ।
शिव कुमार चौधरी ने तकनीकी आधार पर मुकेश गोयल खेमे के कुछेक वोट कम करने की कोशिश जरूर की, लेकिन उन्हें समझा दिया गया कि इन्हीं आधारों पर उनके भी कई वोट कम होते हैं - मुकेश गोयल खेमे की जानकारी और तैयारी देख/समझ कर शिव कुमार चौधरी को जल्दी  ही समझ में आ गया कि वह एक पूरी तरह हारी हुई लड़ाई को जीतने की बेवकूफीभरी कोशिश कर रहे हैं । इसके बाद पता नहीं कैसे चमत्कार हुआ और शिव कुमार चौधरी से रूठी रूठी रहने वाली सदबुद्धि उनके पास आ फटकी - जिसके प्रभाव में शिव कुमार चौधरी ने फिर समर्पण कर देने में ही अपनी भलाई समझी । इसके बाद तो फिर चुनाव का जो नतीजा निकलना था, वही निकला । अश्वनी काम्बोज को झूठे गणित बता कर और बेसिरपैर के सब्ज़बाग दिखा कर उनके समर्थक नेताओं ने उनके पैसे पर अपनी अपनी राजनीति दिखाने/चमकाने का जुगाड़ भले ही कर लिया हो, लेकिन चुनावी नतीजे में एक बड़ी पराजय पहले से ही साफ-साफ दिख रही थी । इस निश्चित पराजय को टालने के लिए ही तो चुनाव में गड़बड़ी करने का माहौल बनाया जा रहा था - लायंस इंटरनेशनल में शिकायतें कर कर के और ऑब्जर्बर के रूप में राजू मनवानी द्वारा निभाई गई भूमिका ने लेकिन गड़बड़ी करने की संभावनाओं को ही खत्म कर दिया । अश्वनी काम्बोज और उनके नजदीकियों ने महसूस किया कि झूठी तस्वीर दिखा कर डिस्ट्रिक्ट गवर्नर शिव कुमार चौधरी और कुछेक पूर्व गवर्नर्स ने उन्हें ही ठग लिया है ।