गाजियाबाद । डिस्ट्रिक्ट
गवर्नर शिव कुमार चौधरी ने दूसरों के बैंक अकाउंट की डिटेल्स देने/बताने का
जो खेल शुरू किया, उसमें अब वह खुद ही बुरी तरह फँस गए हैं । उन्होंने
दूसरों के बैंक अकाउंट के कुछेक डिटेल्स दिए, तो दूसरों ने डिस्ट्रिक्ट
अकाउंट के डिटेल्स खंगाल डाले । डिस्ट्रिक्ट अकाउंट के जो डिटेल्स अभी तक
सामने आए हैं, उससे डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में शिव कुमार चौधरी द्वारा
पैसों की हेराफेरी करने के बड़े संगीन भेद खुले हैं - और पता चला है कि
उन्होंने मल्टीपल ड्यूज और लायंस क्लब्स इंटरनेशनल फाउंडेशन के साथ-साथ
एमजेएफ के कुल मिलाकर करीब 19 लाख रुपए डकार लिए हैं । उन्हें डिस्ट्रिक्ट
की तरफ से इन 19 लाख रुपयों का भुगतान अभी करना है, जबकि डिस्ट्रिक्ट
अकाउंट में अभी कुल एक लाख तीस हजार रुपए ही हैं । गंभीर बात यह है कि
पिछले कई दिनों से मल्टीपल और फाउंडेशन की तरफ से ड्यूज चुकाने के लिए
उन्हें लगातार पत्र लिखे जा रहे हैं, जिनका न वह जबाव दे रहे हैं और न
ड्यूज जमा कर रहे हैं । मल्टीपल और फाउंडेशन को ड्यूज देने की बजाए
डिस्ट्रिक्ट अकाउंट से उन्होंने किसी विशाल चौधरी को फरवरी, मार्च और
अप्रैल में कुल मिला कर करीब साढ़े छह लाख रुपए दिए हैं । डिस्ट्रिक्ट
अकाउंट से ही एक वस्त्र भंडार को करीब सवा दो लाख रुपए दिए गए हैं ।
जबसे यह पोल खुली है, तभी से लोग मजाक उड़ा रहे हैं और पूछ रहे हैं कि शिव
कुमार चौधरी ने डिस्ट्रिक्ट अकाउंट में जमा हुए मल्टीपल और फाउंडेशन के ड्यूज के पैसों से अपने और अपने
परिवार के सदस्यों के लिए कपड़े खरीद लिए हैं क्या ?
डिस्ट्रिक्ट अकाउंट में 9 दिन पहले की, एक मई की करीब साढ़े तीन लाख रुपए की एंट्री भी रहस्यमयी है । इस एंट्री में लेह में हो रही डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस को देहरादून में शिफ्ट कर देने का राज छिपा है । उल्लेखनीय है कि पहले से चर्चा रही है कि लेह में डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस करने का शिगुफा छोड़ने के पीछे शिव कुमार चौधरी का असल उद्देश्य उम्मीदवारों को ब्लैकमेल करके उनसे पैसे ऐंठना था । देहरादून में डिस्ट्रिक्ट अकाउंट में करीब साढ़े तीन लाख रुपए किसने जमा करवाए हैं और क्यों जमा करवाए हैं - शिव कुमार चौधरी इस बात को छिपाने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे लोगों के बीच अनुमान लगाया जा रहा है कि उक्त रकम देहरादून से सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के उम्मीदवार अश्वनी काम्बोज की तरफ से जमा करवाई हो सकती है । लोगों के बीच सवाल चर्चा में है कि तो क्या शिव कुमार चौधरी ने खुद को अश्वनी काम्बोज को करीब साढ़े तीन लाख रुपए में बेच दिया है ? डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की मर्यादा को छिन्न-भिन्न करते हुए शिव कुमार चौधरी जिस तरह से अश्वनी काम्बोज के लिए समर्थन जुटाने में लगे हुए हैं, उससे भी लोगों को विश्वास हो रहा है कि अश्वनी काम्बोज ने पैसे देकर शिव कुमार चौधरी को ड्यूटी पर लगा दिया है, शिव कुमार चौधरी भी और कुछ ईनाम/विनाम की उम्मीद में अश्वनी काम्बोज की ड्यूटी को बहुत मेहनत से कर रहे हैं । लायन राजनीति में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर और पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स के 'इस' या 'उस' उम्मीदवार के समर्थन में होने की बात बहुत आम है, यह कोई आरोप वाली बात भी नहीं रह गई है - लेकिन शिव कुमार चौधरी इस काम को जिस निर्लज्जता के साथ अंजाम दे रहे हैं, वह डिस्ट्रिक्ट ही नहीं - लायनिज्म के इतिहास में जरूर नयी बात है । लोगों का मानना और कहना है कि उनकी इस नयी बात में एक मई को डिस्ट्रिक्ट एकाउंट में देहरादून में जमा हुए करीब साढ़े तीन लाख रुपयों का बड़ा योगदान है ।
डिस्ट्रिक्ट अकाउंट में हुए फर्जीवाड़े के तथ्य सामने आने के बाद शिव कुमार चौधरी ने डिस्ट्रिक्ट के लोगों से वायदा किया है कि वह उचित समय पर अपने गवर्नर-काल का हिसाब देंगे । लोगों का कहना है कि शिव कुमार चौधरी के वायदों की असलियत जाननी हो तो लोगों को लायंस क्लब मसूरी के अध्यक्ष सतीश अग्रवाल से मिल लेना चाहिए, जिनके पैसे वह बार-बार तकादा करने के बावजूद नहीं लौटा रहे हैं । जो सतीश अग्रवाल से न मिल सकें, वह मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन जेसी वर्मा और या इंटरनेशनल डायरेक्टर तथा लायंस को-ऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इंडिया के चेयरमैन जीएस होरा से मिल लें - जिनके बार बार लिखने के बावजूद शिव कुमार चौधरी मल्टीपल और फाउंडेशन के ड्यूज नहीं दे रहे हैं । हिसाब देने के वायदे की बात जाने दो, क्योंकि हिसाब तो कोई माँग ही नहीं रहा - हिसाब की बात तो शिव कुमार चौधरी ने मूल मुद्दे से ध्यान हटाने के लिए कर दी है । मूल मुद्दे की बात तो यह है कि मल्टीपल ड्यूज, फाउंडेशन और एमजेएफ के जो करीब 19 लाख रुपए डिस्ट्रिक्ट में जमा हुए, वह शिव कुमार चौधरी ने आखिर कहाँ ठिकाने लगा दिए हैं - क्योंकि उक्त रकम न तो वहाँ पहुँची है, जहाँ उसे पहुँचना चाहिए था; और न वह डिस्ट्रिक्ट एकाउंट में है । मुद्दे का सवाल यह है कि डिस्ट्रिक्ट अकाउंट से मल्टीपल को और फाउंडेशन को पैसा देने की बजाए किसी विशाल चौधरी को तीन बार में करीब साढ़े छह लाख रुपए तथा किसी वस्त्र भंडार को करीब सवा दो लाख रुपए का भुगतान क्यों और कैसे किया गया ?
शिव कुमार चौधरी ने अपने आपको जब गंभीर आरोपों के घेरे में फँसा पाया, तो आरोपों का जबाव देने की बजाए वह दूसरों पर आरोप लगाने लगे । दूसरों पर आरोप लगा कर अपने आपको आरोपों से बचाने की उनकी कोशिश ने उन्हें और भी हास्यास्पद बना दिया है । उनकी हरकतों को लायनिज्म के लिए बहुत ही शर्मनाक घटना-चक्र के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है । देश में और खासतौर से मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट 321 में नरेश अग्रवाल के इंटरनेशनल प्रेसीडेंट बनने को लेकर जहाँ उत्साह का माहौल है, वहाँ एक डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में शिव कुमार चौधरी की डिस्ट्रिक्ट अकाउंट में चोरी-चकारी करने की हरकतों के खुलासे ने डिस्ट्रिक्ट 321 सी वन ही नहीं, बल्कि लायनिज्म की भी साख व प्रतिष्ठा को दाँव पर लगा दिया है ।
डिस्ट्रिक्ट अकाउंट में 9 दिन पहले की, एक मई की करीब साढ़े तीन लाख रुपए की एंट्री भी रहस्यमयी है । इस एंट्री में लेह में हो रही डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस को देहरादून में शिफ्ट कर देने का राज छिपा है । उल्लेखनीय है कि पहले से चर्चा रही है कि लेह में डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस करने का शिगुफा छोड़ने के पीछे शिव कुमार चौधरी का असल उद्देश्य उम्मीदवारों को ब्लैकमेल करके उनसे पैसे ऐंठना था । देहरादून में डिस्ट्रिक्ट अकाउंट में करीब साढ़े तीन लाख रुपए किसने जमा करवाए हैं और क्यों जमा करवाए हैं - शिव कुमार चौधरी इस बात को छिपाने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे लोगों के बीच अनुमान लगाया जा रहा है कि उक्त रकम देहरादून से सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के उम्मीदवार अश्वनी काम्बोज की तरफ से जमा करवाई हो सकती है । लोगों के बीच सवाल चर्चा में है कि तो क्या शिव कुमार चौधरी ने खुद को अश्वनी काम्बोज को करीब साढ़े तीन लाख रुपए में बेच दिया है ? डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की मर्यादा को छिन्न-भिन्न करते हुए शिव कुमार चौधरी जिस तरह से अश्वनी काम्बोज के लिए समर्थन जुटाने में लगे हुए हैं, उससे भी लोगों को विश्वास हो रहा है कि अश्वनी काम्बोज ने पैसे देकर शिव कुमार चौधरी को ड्यूटी पर लगा दिया है, शिव कुमार चौधरी भी और कुछ ईनाम/विनाम की उम्मीद में अश्वनी काम्बोज की ड्यूटी को बहुत मेहनत से कर रहे हैं । लायन राजनीति में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर और पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स के 'इस' या 'उस' उम्मीदवार के समर्थन में होने की बात बहुत आम है, यह कोई आरोप वाली बात भी नहीं रह गई है - लेकिन शिव कुमार चौधरी इस काम को जिस निर्लज्जता के साथ अंजाम दे रहे हैं, वह डिस्ट्रिक्ट ही नहीं - लायनिज्म के इतिहास में जरूर नयी बात है । लोगों का मानना और कहना है कि उनकी इस नयी बात में एक मई को डिस्ट्रिक्ट एकाउंट में देहरादून में जमा हुए करीब साढ़े तीन लाख रुपयों का बड़ा योगदान है ।
डिस्ट्रिक्ट अकाउंट में हुए फर्जीवाड़े के तथ्य सामने आने के बाद शिव कुमार चौधरी ने डिस्ट्रिक्ट के लोगों से वायदा किया है कि वह उचित समय पर अपने गवर्नर-काल का हिसाब देंगे । लोगों का कहना है कि शिव कुमार चौधरी के वायदों की असलियत जाननी हो तो लोगों को लायंस क्लब मसूरी के अध्यक्ष सतीश अग्रवाल से मिल लेना चाहिए, जिनके पैसे वह बार-बार तकादा करने के बावजूद नहीं लौटा रहे हैं । जो सतीश अग्रवाल से न मिल सकें, वह मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन जेसी वर्मा और या इंटरनेशनल डायरेक्टर तथा लायंस को-ऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इंडिया के चेयरमैन जीएस होरा से मिल लें - जिनके बार बार लिखने के बावजूद शिव कुमार चौधरी मल्टीपल और फाउंडेशन के ड्यूज नहीं दे रहे हैं । हिसाब देने के वायदे की बात जाने दो, क्योंकि हिसाब तो कोई माँग ही नहीं रहा - हिसाब की बात तो शिव कुमार चौधरी ने मूल मुद्दे से ध्यान हटाने के लिए कर दी है । मूल मुद्दे की बात तो यह है कि मल्टीपल ड्यूज, फाउंडेशन और एमजेएफ के जो करीब 19 लाख रुपए डिस्ट्रिक्ट में जमा हुए, वह शिव कुमार चौधरी ने आखिर कहाँ ठिकाने लगा दिए हैं - क्योंकि उक्त रकम न तो वहाँ पहुँची है, जहाँ उसे पहुँचना चाहिए था; और न वह डिस्ट्रिक्ट एकाउंट में है । मुद्दे का सवाल यह है कि डिस्ट्रिक्ट अकाउंट से मल्टीपल को और फाउंडेशन को पैसा देने की बजाए किसी विशाल चौधरी को तीन बार में करीब साढ़े छह लाख रुपए तथा किसी वस्त्र भंडार को करीब सवा दो लाख रुपए का भुगतान क्यों और कैसे किया गया ?
शिव कुमार चौधरी ने अपने आपको जब गंभीर आरोपों के घेरे में फँसा पाया, तो आरोपों का जबाव देने की बजाए वह दूसरों पर आरोप लगाने लगे । दूसरों पर आरोप लगा कर अपने आपको आरोपों से बचाने की उनकी कोशिश ने उन्हें और भी हास्यास्पद बना दिया है । उनकी हरकतों को लायनिज्म के लिए बहुत ही शर्मनाक घटना-चक्र के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है । देश में और खासतौर से मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट 321 में नरेश अग्रवाल के इंटरनेशनल प्रेसीडेंट बनने को लेकर जहाँ उत्साह का माहौल है, वहाँ एक डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में शिव कुमार चौधरी की डिस्ट्रिक्ट अकाउंट में चोरी-चकारी करने की हरकतों के खुलासे ने डिस्ट्रिक्ट 321 सी वन ही नहीं, बल्कि लायनिज्म की भी साख व प्रतिष्ठा को दाँव पर लगा दिया है ।