Friday, May 12, 2017

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 में डिस्ट्रिक्ट असेम्बली में ज्यादा से ज्यादा रजिस्ट्रेशन करवाने की सतीश सिंघल की जबर्दस्ती के कारण प्रेसीडेंट्स इलेक्ट के बीच पैदा हुई नाराजगी आलोक गुप्ता के लिए चुनौती और ललित खन्ना के लिया फायदे का जरिया बनी

नोएडा । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट सतीश सिंघल द्वारा डिस्ट्रिक्ट असेम्बली के लिए ज्यादा से ज्यादा रजिस्ट्रेशंस लाने/करवाने के लिए असिस्टेंट गवर्नर्स पर तथा कई एक प्रेसीडेंट्स पर दबाव बनाने की कार्रवाई ने लोगों - खासतौर से प्रेसीडेंट्स इलेक्ट को नाराज करने का ही काम किया है । प्रेसीडेंट्स इलेक्ट की तरफ से सतीश सिंघल के रवैये पर तीखी प्रतिक्रिया देखने/सुनने को मिली है । इस मामले में चूँकि प्रेसीडेंट्स इलेक्ट पर तीन तरफा दबाव पड़ा, इसलिए उनके बीच नाराजगी ने सघन और तीखा रूप लिया । दरअसल रजिस्ट्रेशंस की कम संख्या देख कर डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट सतीश सिंघल का माथा ठनका और फिर उन्होंने अपने असिस्टेंट गवर्नर्स पर ज्यादा से ज्यादा रजिस्ट्रेशंस करवाने के लिए दबाव बनाया, असिस्टेंट गवर्नर्स ने यह दबाव प्रेसीडेंट्स इलेक्ट पर ट्रांसफर कर दिया; सतीश सिंघल ने अपनी तरफ से भी कई एक प्रेसीडेंट्स इलेक्ट से ज्यादा से ज्यादा रजिस्ट्रेशंस करवाने के लिए हड़काने/धमकाने वाली भाषा में बात की । प्रेसीडेंट्स इलेक्ट ने उन्हें बताया भी कि जितने जो सदस्य डिस्ट्रिक्ट असेम्बली में आना चाहते हैं, उन्होंने रजिस्ट्रेशन करवा लिया है; सतीश सिंघल ने लेकिन उनसे कहा कि जो सदस्य नहीं भी आना चाहते हैं उनके भी रजिस्ट्रेशन करवाओ - प्रेसीडेंट्स इलेक्ट के सामने समस्या खड़ी हुई कि ऐसे सदस्यों के रजिस्ट्रेशन के पैसे कौन देगा ? सतीश सिंघल ने एक कमाल और किया - और वह यह कि उन्होंने कई क्लब्स में प्रेसीडेंट इलेक्ट के साथ-साथ मौजूदा प्रेसीडेंट से भी रजिस्ट्रेशन करवाने के लिए कहा; मौजूदा प्रेसीडेंट ने इस बात को अपने क्लब में इस तरह से प्रस्तुत किया, जैसे सतीश सिंघल को 'अपने' प्रेसीडेंट पर भरोसा ही नहीं है । सतीश सिंघल की इस हरकत के चलते कुछेक क्लब्स में तो विवाद और झगड़े जैसी स्थिति भी पैदा हो गई है, और कई प्रेसीडेंट्स इलेक्ट सतीश सिंघल के बारे में नाराजगीभरी नकारात्मक किस्म की बातें करने/कहने लगे हैं ।
सतीश सिंघल के लिए मुसीबत की बात यह हुई है कि डिस्ट्रिक्ट असेम्बली की तैयारी और रजिस्ट्रेशन में उन्हें किसी और का सहयोग बिलकुल भी नहीं मिल पा रहा है - यहाँ तक कि उनके डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर मुकेश अरनेजा ने भी उन्हें अकेला छोड़ दिया है । डिस्ट्रिक्ट के दूसरे प्रमुख लोगों के साथ-साथ मुकेश अरनेजा का भी हालाँकि कहना यह है कि सतीश सिंघल ने उनसे कुछ करने के लिए कहा ही नहीं, जितना कहा - उतना उन्होंने कर दिया । मुकेश अरनेजा की इस बात पर सतीश सिंघल की प्रतिक्रिया क्या रही, यह तो नहीं पता - लेकिन उनके नजदीकियों से सुनने को मिला कि मुकेश अरनेजा कार्यक्रम में तो खामखाँ ही इधर से उधर भागते फिरेंगे और अपने आपको बहुत व्यस्त और जिम्मेदार दिखाने का नाटक करेंगे - तथा हर जगह घुसने और आगे रहने का प्रयास करेंगे, लेकिन काम करने के मामले में बहानेबाजी करेंगे कि उनसे तो कहा ही नहीं गया ! सतीश सिंघल के एक नजदीकी ने गुस्से से कहा कि कार्यक्रम में हर जगह वह चमगादड़ की तरह 'लटकने' की जो कोशिश करते हैं, उसके लिए उनसे कौन कहता है ?
मुकेश अरनेजा के डिस्ट्रिक्ट असेम्बली की तैयारी तथा रजिस्ट्रेशन करवाने के काम से दूर रहने के पीछे एक प्रमुख वजह रोटरी क्लब दादरी के वरिष्ठ सदस्य कुलदीप गर्ग का मामला बताया/सुना जा रहा है । कुलदीप गर्ग ने मुकेश अरनेजा पर अपनी क्लब प्रेसीडेंट पत्नी के साथ अभद्र व्यवहार करने का आरोप लगाया हुआ है । मुकेश अरनेजा किसी के साथ भी बदतमीजी करने के मामले में खासे कुख्यात हैं; अभी तक उनकी खुशकिस्मती रही है कि उनकी बदतमीजी का शिकार होने वाले लोग अपमान का घूँट पीकर चुप बने रहे - पहली बार यह हुआ है कि उनकी बदतमीजी के शिकार ने 'लोगों की अदालत' में उनके अभद्र व्यवहार की शिकायत की है और न्याय की माँग की है । कुलदीप गर्ग की माँग भी सिर्फ इतनी सी है कि मुकेश अरनेजा अपने अभद्र व्यवहार के लिए सार्वजनिक रूप से ईमानदारी से माफी माँगे - उनकी माफी से जाहिर हो कि अपने किए पर उन्हें सचमुच पश्चाताप है, जिससे दूसरे लोग आश्वस्त हो सकें कि अब और कोई उनके अभद्र व्यवहार का शिकार नहीं बनेगा । कुलदीप गर्ग का कहना है कि घटना के तुरंत बाद मुकेश अरनेजा को जब वहाँ उपस्थित लोगों की नाराजगी का सामना करना पड़ा, तब मुकेश अरनेजा ने शरत जैन व सतीश सिंघल की उपस्थिति में कहा था कि 'अब छोड़ो भी, मुझे क्या फाँसी चढ़ाओगे' - और इसे ही वह माफी माँगना कह रहे हैं । कुलदीप गर्ग का कहना है कि मुकेश अरनेजा ने जो हरकत की है, उसके लिए उन्हें उचित रूप में माफी माँगनी पड़ेगी, और जब तक मुकेश अरनेजा उचित रूप में माफी नहीं मागेंगे - वह रोटेरियंस के बीच अपनी माँग उठाते रहेंगे । कुलदीप गर्ग के इस तेवर को देखते हुए मुकेश अरनेजा ने प्रयास किया कि सतीश सिंघल उन्हें डिस्ट्रिक्ट असेम्बली में आने से रोकें, सतीश सिंघल ने इसमें कोई दिलचस्पी नहीं ली - जिसके चलते मुकेश अरनेजा उनसे खफा हुए और उन्होंने डिस्ट्रिक्ट असेम्बली की तैयारी से अपने आपको दूर रखा । मुकेश अरनेजा को ही भय नहीं है, बल्कि दूसरों को भी लगता है कि डिस्ट्रिक्ट असेम्बली में कुलदीप गर्ग अपने मामले को लेकर सक्रिय होंगे ही, और उनकी सक्रियता लोगों के बीच मुकेश अरनेजा की फजीहत करने का ही काम करेगी । इसी से मुकेश अरनेजा ने चाहा कि कुलदीप गर्ग को सतीश सिंघल डिस्ट्रिक्ट असेम्बली से दूर रखें, जिस पर लेकिन सतीश सिंघल ने कोई ध्यान नहीं दिया । इससे मुकेश अरनेजा को यह भी शक हुआ है कि कहीं सतीश सिंघल भी तो नहीं चाहते हैं कि डिस्ट्रिक्ट असेम्बली में लोगों के बीच कुलदीप गर्ग के जरिए उनकी फजीहत हो ?
सतीश सिंघल और मुकेश अरनेजा के प्रति अलग अलग कारणों से लोगों - खासकर प्रेसीडेंट्स इलेक्ट के बीच बन रही छवि और नाराजगी अगले रोटरी वर्ष के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव के संदर्भ में भी महत्त्वपूर्ण हो उठी है; और आलोक गुप्ता तथा ललित खन्ना ने अपने अपने तरीके से इस स्थिति को हैंडल करने की तैयारी दिखाई है । डिस्ट्रिक्ट असेम्बली की व्यवस्था करने की जिम्मेदारी आलोक गुप्ता के क्लब के पास है, और सतीश सिंघल की कोर टीम के प्रमुख सदस्य होने के कारण भी वह असेम्बली की कार्रवाई में आगे-आगे दिख रहे हैं तथा उम्मीद है कि कार्यक्रम के दौरान भी वह आगे आगे ही दिखेंगे; इस तरह आलोक गुप्ता को सत्ता में 'होने' का लाभ मिल रहा है, तो ललित खन्ना सत्ताधारी नेताओं के खिलाफ बन रही नाराजगी में अपने लिए अवसर बनाने में लगे हैं । ललित खन्ना और उनके समर्थक यह देख/जान कर उत्साहित हैं कि डिस्ट्रिक्ट में लोगों - खासकर प्रेसिडेंट्स इलेक्ट के बीच सतीश सिंघल और मुकेश अरनेजा की हरकतों के खिलाफ नाराजगी बढ़ रही है और यह नाराजगी मुखर भी हो रही है । आलोक गुप्ता की उम्मीदवारी के प्रति मुकेश अरनेजा का 'कभी गर्म, कभी सर्द' रहने का जो नाटक चल रहा है, उससे निपटना भी आलोक गुप्ता के लिए एक बड़ा काम है । सतीश सिंघल के खास और नजदीक होने का आलोक गुप्ता को यदि फायदा है, तो नोएडा ब्लड बैंक से जुड़े आरोपों तथा अन्य कार्रवाइयों के कारण होने वाली सतीश सिंघल की बदनामी का आलोक गुप्ता को नुकसान भी है - ऐसे में, फायदे और नुकसान के बीच तालमेल बनाना आलोक गुप्ता के लिए सबसे बड़ी चुनौती है । क्योंकि अभी सतीश सिंघल और मुकेश अरनेजा की बदनामियों और निरंतर जारी हरकतों के कारण डिस्ट्रिक्ट में लोगों के - खासतौर से प्रेसीडेंट इलेक्ट के बीच जो सेंटीमेंट्स बन रहे हैं, उसका फायदा ललित खन्ना को मिलता दिख रहा है । इस फायदे को लगातार बनाए रखने की चुनौती ललित खन्ना के सामने है ।