Saturday, May 20, 2017

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल के लीगल अधिकारी स्कॉट ड्रमहेलर के स्पष्टीकरण से मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट 321 में इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव के विवाद में अपनी भूमिका पर पर्दा डालने की कोशिश ने चेयरमैन जेसी वर्मा की कारस्तानी को और उभारने का ही काम किया है

नई दिल्ली । मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन जेसी वर्मा लायंस इंटरनेशनल के लीगल डिपार्टमेंट की सबसे बड़ी 'तोप' स्कॉट ड्रमहेलर को आगे करके इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव को लेकर अपनी शीर्षासनी कलाबाजी को छिपाने की जो कोशिश कर रहे हैं, उससे अपनी स्थिति को उन्होंने और हास्यास्पद बना लिया है । उल्लेखनीय है कि जेसी वर्मा दिखाने/जताने की कोशिश तो यह करते हैं कि वह बहुत नियमानुसार काम करने वाले व्यक्ति हैं, लेकिन इस मामले में उन्होंने जिस तरह से रंग बदले हैं - उससे वह कठपुतली चेयरमैन ही साबित हुए हैं । उनके लिए फजीहत की बात यह हुई है कि इस मामले में अपने आप को पाक-साफ दिखाने की वह जितनी ज्यादा कोशिश कर रहे हैं, उतने ही ज्यादा वह इसमें फँसते जा रहे हैं । इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव को लेकर सवाल उठा रहे लायन सदस्यों और पदाधिकारियों का मुँह बंद करने के लिए जेसी वर्मा ने अब स्कॉट ड्रमहेलर का एक तथाकथित स्पष्टीकरण पेश किया है, इस स्पष्टीकरण ने लेकिन जेसी वर्मा की मुश्किलों को कम करने की बजाए बढ़ा और दिया है । दरअसल स्कॉट ड्रमहेलर के इस स्पष्टीकरण में ऐसी कोई नई बात सामने नहीं आई है, जो पहले से ही लोगों की - और या खुद जेसी वर्मा की जानकारी में नहीं थी । स्कॉट ड्रमहेलर ने अपने इस स्पष्टीकरण में साफ कहा है कि मौजूदा इंटरनेशनल कॉन्स्टीट्यूशन तथा बाई-लॉज और बोर्ड पॉलिसी के अनुसार इंटरनेशनल बोर्ड के किसी सदस्य के मल्टीपल से कोई दूसरा बोर्ड का सदस्य नहीं हो सकता है ।
इसमें नई बात भला क्या है ? वास्तव में तो इसी नियम का हवाला देते हुए मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन के रूप में जेसी वर्मा ने इस वर्ष इंटरनेशनल डायरेक्टर पद का चुनाव कराने से इंकार किया हुआ था । उल्लेखनीय है कि मल्टीपल काउंसिल की 6 से 8 मार्च के बीच शिमला में हुई तीसरी कैबिनेट मीटिंग में पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर सुशील अग्रवाल ने मल्टीपल की रिऑर्गेनाइजेशन रिपोर्ट पेश करते हुए साफ शब्दों में बताया था कि नरेश अग्रवाल के जून 2019 तक इंटरनेशनल बोर्ड का सदस्य होने के कारण मल्टीपल में इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए एंडोर्समेंट नहीं दिया जा सकता है । यह बात उक्त मीटिंग के जारी किए गए मिनिट्स में भी दर्ज है । अब नियम तो जो पहले था, वही अब भी है - स्कॉट ड्रमहेलर जो नियम बता रहे हैं, उसी नियम का हवाला देते हुए ही तो जेसी वर्मा पहले बता रहे थे कि इंटरनेशनल डायरेक्टर का चुनाव नहीं हो सकता है, और अब जब चुनाव करवाया जा रहा है तब भी जेसी वर्मा स्पष्टीकरण के नाम पर उसी नियम को रेखांकित करता स्कॉट ड्रमहेलर का मेल-संदेश लोगों के मुँह पर चिपकाने की कोशिश कर रहे हैं । जेसी वर्मा की इस हरकत से ऐसा लगता है कि जैसे मल्टीपल के लायन सदस्यों और पदाधिकारियों को उन्होंने 'शिकारपुर' का समझा हुआ है ।
पहले इंकार करने - और फिर अचानक से कलाबाजी खाते हुए इंटरनेशनल डायरेक्टर पद का चुनाव कराए जाने को लेकर जो भी सवाल उठ रहे हैं, उनका जबाव मल्टीपल चेयरमैन होने के नाते जेसी वर्मा को देना है; इंटरनेशनल कार्यालय से स्पष्टीकरण लेने की आड़ में वह अपनी कलाबाजी की हरकत पर पर्दा नहीं डाल सकते हैं । यह उन्हें ही बताना है कि पिछले दो महीने में जब इंटरनेशनल कॉन्स्टीट्यूशन तथा बाई-लॉज और बोर्ड पॉलिसी में कोई बदलाव नहीं हुआ है, तब मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट में इंटरनेशनल डायरेक्टर का चुनाव करवाने को लेकर उनके रवैये में ठीक शीर्षासनी बदलाव कैसे और क्यों हो गया है ? आखिर किसने उनकी गर्दन पकड़ कर उनसे यह शीर्षासन करवा दिया है, और क्यों वह इसके लिए तैयार हो गए हैं ?
मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट 321 में अचानक से इंटरनेशनल डायरेक्टर का चुनाव करवाने के फैसले को लेकर बबाल दरअसल इसलिए भी ज्यादा मचा हुआ है, क्योंकि इस अचानक लिए फैसले के बाद एक जेपी सिंह को छोड़ कर बाकी सभी उम्मीदवार - चुनावी मुकाबले से बाहर खड़े कर दिए गए हैं । इसी से लोगों के बीच संदेह पैदा हुआ है कि जेसी वर्मा की देख-रेख में यह सारी कलाबाजी जेपी सिंह को बिना चुनावी मुकाबले के इंटरनेशनल डायरेक्टर चुनवाने/बनवाने की कवायद का हिस्सा है । अब इसे मजाक कहा जायेगा या सोची/समझी साजिश माना जायेगा कि मल्टीपल के पदाधिकारी साठ दिन पहले तक कह रहे थे कि मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट में इंटरनेशनल डायरेक्टर का चुनाव नहीं होगा; और अब वह उम्मीदवारों के नामांकन इस आधार पर खारिज कर रहे हैं कि उन्होंने साठ दिन पहले अपनी उम्मीदवारी के लिए इन्टेंशन नहीं दी । दावा किया जा रहा है कि एक अकेले जेपी सिंह ने साठ दिन पहले इन्टेंशन दी थी, और इस आधार पर उनका नामांकन सही है; सवाल यह है कि साठ दिन पहले जब मल्टीपल के पदाधिकारी इंटरनेशनल डायरेक्टर का चुनाव न होने की बात कह रहे थे, तब साठ दिन पहले जेपी सिंह की इन्टेंशन वह स्वीकार क्यों कर रहे थे ? इन सवालों का जबाव मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन के रूप में जेसी वर्मा को देना है; स्कॉट ड्रमहेलर को नहीं देना है - और उन्होंने दिया भी नहीं है ।
स्कॉट ड्रमहेलर ने लगता है कि समझ लिया है कि मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट 321 में इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव को लेकर जो नाटक हो रहा है, उसके असली सूत्रधार अगले लायन वर्ष में इंटरनेशनल प्रेसीडेंट होने जा रहे नरेश अग्रवाल हैं; इसलिए जेसी वर्मा को संबोधित मेल के अंत में उन्होंने नरेश अग्रवाल को भी मामले में घसीट लिया है । स्कॉट ड्रमहेलर का मेल-संदेश लोगों को भेज कर जेसी वर्मा ने इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव के विवाद में अपनी भूमिका पर पर्दा डालने की जो कोशिश की है, वह उल्टी ही पड़ी है - और स्टॉक ड्रमहेलर के तथाकथित स्पष्टीकरण ने जेसी वर्मा की कारस्तानी को और उभारने का ही काम किया है ।
जेसी वर्मा को संबोधित स्कॉट ड्रमहेलर का मेल-संदेश :