नई
दिल्ली । मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट 321 में इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए होने
वाला चुनाव क्या अवैध रूप से किया/करवाया जा रहा है - जो कि लायंस इंटरनेशनल के नियमों की खुल्लम-खुल्ला अवहेलना है ?
यह सवाल मल्टीपल के कई पदाधिकारियों और नेताओं को मथ रहा है । इससे भी
ज्यादा महत्त्व का सवाल यह खड़ा हुआ है कि इस मामले में इंटरनेशनल
प्रेसीडेंट होने जा रहे नरेश अग्रवाल की भी मिलीभगत है क्या ? क्योंकि कोई
भी इस बात पर तो यकीन नहीं ही करेगा कि नरेश अग्रवाल को विश्वास में लिए
बिना - और या उनकी अनुमति लिए बिना तो इतना बड़ा 'खेल' नहीं ही हो रहा होगा ।
उल्लेखनीय है कि मल्टीपल काउंसिल की 6 से 8 मार्च के बीच शिमला में हुई
तीसरी कैबिनेट मीटिंग में पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर सुशील अग्रवाल ने
मल्टीपल की रिऑर्गेनाइजेशन रिपोर्ट पेश करते हुए साफ शब्दों में बताया था
कि नरेश अग्रवाल के जून 2019 तक इंटरनेशनल बोर्ड का सदस्य होने के कारण
मल्टीपल में इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए एंडोर्समेंट नहीं दिया जा सकता
है । यह बात उक्त मीटिंग के जारी किए गए मिनिट्स में भी दर्ज है । इसके
बावजूद मल्टीपल की चौथी कैबिनेट मीटिंग के साथ ही होने वाली मल्टीपल
कॉन्फ्रेंस में इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए एंडोर्समेंट देने की तैयारी
की जा रही है । आरोप यह सुना जा रहा है कि इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के दूसरे
संभावित उम्मीदवारों को धोखे में रखकर उन्हें जेपी सिंह के 'सामने' से
हटाने और इस तरह जेपी सिंह के लिए मुकाबले को आसान बनाने की खातिर यह 'खेल'
रचा गया है । 'नोटिस ऑफ इन्टेंशन' तथा नोमीनेशन के नियमों का हवाला
देते हुए जिस तरह से इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के दूसरे अधिकतर उम्मीदवारों के नामांकन रद्द कर दिए गए हैं,
उससे भी जाहिर हो रहा है कि मनमाने तरीके से इंटरनेशनल डायरेक्टर का चुनाव
करवाने के पीछे जेपी सिंह को फायदा पहुँचाने की नीयत काम कर रही है ।
मल्टीपल में इंटरनेशनल डायरेक्टर का चुनाव करवाने की तैयारी में लगे मल्टीपल काउंसिल के पदाधिकारी तथा दूसरे नेता इस तैयारी को जायज ठहराने के लिए लायंस इंटरनेशनल बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की 24 से 27 मार्च के बीच ग्रीक के एथेंस में हुई मीटिंग में लिए फैसले का हवाला दे रहे हैं । उनका कहना है कि बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने अपनी इस मीटिंग में नियमों में जो फेरबदल करने का फैसला लिया है, उसके चलते मल्टीपल में इंटरनेशनल डायरेक्टर का चुनाव करवाया जा सकता है । लेकिन एथेंस में हुई बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की मीटिंग के जो तथ्य 'रचनात्मक संकल्प' को मिले हैं, वह एक अलग और विपरीत कहानी ही कहते हैं । उक्त मीटिंग में कॉन्स्टीट्यूशन व बाई-लॉज कमेटी के जिन दस मामलों में फैसला हुआ है, उसमें नौवें और दसवें नंबर पर इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव को लेकर होने वाले संशोधनों का जिक्र है - जिनमें 2017 की इंटरनेशनल कन्वेंशन में इंटरनेशनल बाई-लॉज के आर्टिकल II के सेक्शन 5 (C) और सेक्शन 4 में संशोधन करने के लिए प्रस्ताव रखने की बात स्वीकार की गई है । (स्नैपशॉट देखें) यानि नियमों में फेरबदल करने की बात इंटरनेशनल बोर्ड ने अभी सिद्धांततः स्वीकार की है, और इस फेरबदल को इंटरनेशनल कन्वेंशन में रखने की बात स्वीकार की है - इंटरनेशनल कन्वेंशन में यह फेरबदल स्वीकार होंगे, तब यह नियम/कानून का रूप बनेंगे, और उसके बाद से लागू होंगे । मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट 321 की कॉन्फ्रेंस, जिसमें इंटरनेशनल डायरेक्टर का चुनाव होना है - शिकागो में होने वाली 2017 की इंटरनेशनल कन्वेंशन से करीब एक महीने पहले ही हो जाएगी । ऐसे में सवाल यही है कि 30 जून से 4 जुलाई के बीच होने वाली इंटरनेशनल कन्वेंशन में जो नियम 'बनेगा', उस नियम के अनुसार 26 से 28 मई के बीच होने वाली मल्टीपल कॉन्फ्रेंस में कार्रवाई कैसे हो सकती है - 26 से 28 मई के बीच होने वाली मल्टीपल कॉन्फ्रेंस में तो लायंस इंटरनेशनल के मौजूदा नियमों के अनुसार ही कार्रवाई हो सकती है ।
मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट 321 के पदाधिकारी और पर्दे के पीछे से उन्हें कठपुतली की तरह चलाने वाले नेताओं ने लेकिन यह कमाल कर दिखाने की तैयारी शुरू कर दी है कि - लायंस इंटरनेशनल में नियम बाद में बनेगा, उस पर अमल पहले ही कर लिया जाएगा । सामान्य स्थितियों में ऐसा हो सकना असंभव ही होता है, किंतु मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट 321 के नेताओं और उनके कठपुतले पदाधिकारियों ने ऐसा करने की तैयारी शुरू कर दी है - तो माना जाना चाहिए कि उनका कॉन्फीडेंस लेबल काफी ऊँचा है । उनके इस ऊँचे और मनमाने कॉन्फीडेंस लेबल को नरेश अग्रवाल की 'ताकत' से खाद-पानी मिलता नजर आ रहा है । समझा जाता है कि 'सैयां भये कोतवाल, तो फिर डर काहे का' वाली तर्ज पर मल्टीपल में इंटरनेशनल डायरेक्टर पद का चुनाव करवाने वाले लोगों को पूरा पूरा भरोसा है कि अगले लायन वर्ष में चूँकि नरेश अग्रवाल ही इंटरनेशनल प्रेसीडेंट के पद पर होंगे, इसलिए वह उनकी नियम-विरुद्ध हुई मनमानी कार्रवाई पर लायंस इंटरनेशनल की मुहर लगवा कर उनकी अवैध कार्रवाई को वैध बनवा ही देंगे ।
लेकिन मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट 317 में इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए एंडोर्समेंट लेने वाले डिस्ट्रिक्ट 317 बी के पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर वासुदेव वलवलकर का इंटरनेशनल बोर्ड द्वारा जो हाल हुआ है, वह एक सबक भी है कि नियम विरुद्ध मनमानियाँ फजीहत का कारण भी बन जाती हैं । दिलचस्प संयोग की और मजे की बात है कि वासुदेव वलवलकर के मामले में भी फैसला 24 से 27 मार्च के बीच एथेंस में हुई उसी बोर्ड मीटिंग में हुआ है, जिसके संदर्भित फैसलों की मनमानी व्याख्या करते हुए मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट 321 में इंटरनेशनल डायरेक्टर का चुनाव कराने की तैयारी की जा रही है । इस दिलचस्प संयोग में कहीं यह संकेत तो नहीं छिपा है कि इंटरनेशनल बोर्ड का मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट 317 के झंझट से पीछा छूटने के साथ साथ ही मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट 321 के संभावित झंझट की नींव पड़ गई है - क्योंकि मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट 321 में कुछेक लोगों ने कहना शुरू कर दिया है कि मल्टीपल में इस बार इंटरनेशनल डायरेक्टर का चुनाव सचमुच यदि हुआ, तो वह उसके खिलाफ इंटरनेशनल बोर्ड में अपील करेंगे और देखेंगे कि नरेश अग्रवाल के नाम पर कुछ लोग मल्टीपल में कैसे मनमानी करते हैं ?
मल्टीपल में इंटरनेशनल डायरेक्टर का चुनाव करवाने की तैयारी में लगे मल्टीपल काउंसिल के पदाधिकारी तथा दूसरे नेता इस तैयारी को जायज ठहराने के लिए लायंस इंटरनेशनल बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की 24 से 27 मार्च के बीच ग्रीक के एथेंस में हुई मीटिंग में लिए फैसले का हवाला दे रहे हैं । उनका कहना है कि बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने अपनी इस मीटिंग में नियमों में जो फेरबदल करने का फैसला लिया है, उसके चलते मल्टीपल में इंटरनेशनल डायरेक्टर का चुनाव करवाया जा सकता है । लेकिन एथेंस में हुई बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की मीटिंग के जो तथ्य 'रचनात्मक संकल्प' को मिले हैं, वह एक अलग और विपरीत कहानी ही कहते हैं । उक्त मीटिंग में कॉन्स्टीट्यूशन व बाई-लॉज कमेटी के जिन दस मामलों में फैसला हुआ है, उसमें नौवें और दसवें नंबर पर इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव को लेकर होने वाले संशोधनों का जिक्र है - जिनमें 2017 की इंटरनेशनल कन्वेंशन में इंटरनेशनल बाई-लॉज के आर्टिकल II के सेक्शन 5 (C) और सेक्शन 4 में संशोधन करने के लिए प्रस्ताव रखने की बात स्वीकार की गई है । (स्नैपशॉट देखें) यानि नियमों में फेरबदल करने की बात इंटरनेशनल बोर्ड ने अभी सिद्धांततः स्वीकार की है, और इस फेरबदल को इंटरनेशनल कन्वेंशन में रखने की बात स्वीकार की है - इंटरनेशनल कन्वेंशन में यह फेरबदल स्वीकार होंगे, तब यह नियम/कानून का रूप बनेंगे, और उसके बाद से लागू होंगे । मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट 321 की कॉन्फ्रेंस, जिसमें इंटरनेशनल डायरेक्टर का चुनाव होना है - शिकागो में होने वाली 2017 की इंटरनेशनल कन्वेंशन से करीब एक महीने पहले ही हो जाएगी । ऐसे में सवाल यही है कि 30 जून से 4 जुलाई के बीच होने वाली इंटरनेशनल कन्वेंशन में जो नियम 'बनेगा', उस नियम के अनुसार 26 से 28 मई के बीच होने वाली मल्टीपल कॉन्फ्रेंस में कार्रवाई कैसे हो सकती है - 26 से 28 मई के बीच होने वाली मल्टीपल कॉन्फ्रेंस में तो लायंस इंटरनेशनल के मौजूदा नियमों के अनुसार ही कार्रवाई हो सकती है ।
मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट 321 के पदाधिकारी और पर्दे के पीछे से उन्हें कठपुतली की तरह चलाने वाले नेताओं ने लेकिन यह कमाल कर दिखाने की तैयारी शुरू कर दी है कि - लायंस इंटरनेशनल में नियम बाद में बनेगा, उस पर अमल पहले ही कर लिया जाएगा । सामान्य स्थितियों में ऐसा हो सकना असंभव ही होता है, किंतु मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट 321 के नेताओं और उनके कठपुतले पदाधिकारियों ने ऐसा करने की तैयारी शुरू कर दी है - तो माना जाना चाहिए कि उनका कॉन्फीडेंस लेबल काफी ऊँचा है । उनके इस ऊँचे और मनमाने कॉन्फीडेंस लेबल को नरेश अग्रवाल की 'ताकत' से खाद-पानी मिलता नजर आ रहा है । समझा जाता है कि 'सैयां भये कोतवाल, तो फिर डर काहे का' वाली तर्ज पर मल्टीपल में इंटरनेशनल डायरेक्टर पद का चुनाव करवाने वाले लोगों को पूरा पूरा भरोसा है कि अगले लायन वर्ष में चूँकि नरेश अग्रवाल ही इंटरनेशनल प्रेसीडेंट के पद पर होंगे, इसलिए वह उनकी नियम-विरुद्ध हुई मनमानी कार्रवाई पर लायंस इंटरनेशनल की मुहर लगवा कर उनकी अवैध कार्रवाई को वैध बनवा ही देंगे ।
लेकिन मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट 317 में इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए एंडोर्समेंट लेने वाले डिस्ट्रिक्ट 317 बी के पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर वासुदेव वलवलकर का इंटरनेशनल बोर्ड द्वारा जो हाल हुआ है, वह एक सबक भी है कि नियम विरुद्ध मनमानियाँ फजीहत का कारण भी बन जाती हैं । दिलचस्प संयोग की और मजे की बात है कि वासुदेव वलवलकर के मामले में भी फैसला 24 से 27 मार्च के बीच एथेंस में हुई उसी बोर्ड मीटिंग में हुआ है, जिसके संदर्भित फैसलों की मनमानी व्याख्या करते हुए मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट 321 में इंटरनेशनल डायरेक्टर का चुनाव कराने की तैयारी की जा रही है । इस दिलचस्प संयोग में कहीं यह संकेत तो नहीं छिपा है कि इंटरनेशनल बोर्ड का मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट 317 के झंझट से पीछा छूटने के साथ साथ ही मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट 321 के संभावित झंझट की नींव पड़ गई है - क्योंकि मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट 321 में कुछेक लोगों ने कहना शुरू कर दिया है कि मल्टीपल में इस बार इंटरनेशनल डायरेक्टर का चुनाव सचमुच यदि हुआ, तो वह उसके खिलाफ इंटरनेशनल बोर्ड में अपील करेंगे और देखेंगे कि नरेश अग्रवाल के नाम पर कुछ लोग मल्टीपल में कैसे मनमानी करते हैं ?