चंडीगढ़
। डिस्ट्रिक्ट गवर्नर टीके रूबी ने रोटरी इंटरनेशनल से डिस्ट्रिक्ट गवर्नर
को खर्चे के रूप में मिलने वाली सारी रकम प्रोजेक्ट्स के लिए दान कर देने
की घोषणा करके रोटरी के इतिहास में एक अनोखी मिसाल कायम की है । रोटरी
में, कम से कम भारत देश की रोटरी के करीब 97 वर्षों के इतिहास में इससे
पहले कभी सुनने को नहीं मिला कि किसी डिस्ट्रिक्ट गवर्नर ने घोषणा की हो कि
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में उनके जो भी खर्चे होंगे, उन्हें वह स्वयं
वहन करेंगे और रोटरी इंटरनेशनल से मिलने वाले खर्चे को अपने लिए इस्तेमाल
नहीं करेंगे । टीके रूबी की यह घोषणा इसलिए भी अनोखी है, क्योंकि उनके
ही डिस्ट्रिक्ट में उनसे पहले के तीन डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बदनीयती और
हिसाब-किताब की हेराफेरी के कारण विवाद व आरोपों के घेरे में रहे और फजीहत
का शिकार बने हैं । दिलीप पटनायक के गवर्नर-काल में तो हिसाब-किताब में
इतनी गड़बड़ियाँ पकड़ी गईं कि दो बैलेंसशीट लाने के लिए मजबूर होना पड़ा ।
उनके बाद डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बने डेविड हिल्टन के कार्यकाल में हिसाब-किताब
को लेकर तमाम बबाल हुए, जिन्हें उन्होंने चुप्पी साध कर गुजारा । पिछले
रोटरी वर्ष में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रहे रमन अनेजा के कार्यकाल में भी लोगों
को हिसाब-किताब संबंधी सवालों के जबाव तो नहीं ही मिले, डिस्ट्रिक्ट
कॉन्फ्रेंस में हिसाब-किताब संबंधी सवालों को पूछने से भी रोका गया । गंभीर
और संगीन बात यह है कि इन सभी हरकतों को पूर्व इंटरनेशनल प्रेसीडेंट
राजेंद्र उर्फ राजा साबू का कहीं छिपा तो कहीं खुला समर्थन प्राप्त रहा है ।
राजा
साबू के डिस्ट्रिक्ट के रूप में जाने/पहचाने जाने वाले डिस्ट्रिक्ट में
हाल-फिलहाल तक रहे ऐसे हालात में, मौजूदा डिस्ट्रिक्ट गवर्नर टीके रूबी ने
रोटरी इंटरनेशनल से खर्चे के लिए मिलने वाली रकम को प्रोजेक्ट्स में देने
की घोषणा की है - तो यह इस बात का संकेत है कि डिस्ट्रिक्ट में 'हवा' बदल
रही है । टीके रूबी दो वर्षों से भी अधिक समय के अथक संघर्षों के बाद जिस
तरह से डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बने हैं, उससे डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति
की हवा के बदलने का संकेत और सुबूत तो पहले ही मिल चुका है; टीके
रूबी के नए कदम ने तो यह 'बताया/दिखाया' है कि राजनीति की हवा में होने
वाला बदलाव डिस्ट्रिक्ट की प्रशासनिक व्यवस्था में भी अपने पाँव पसार रहा
है । उल्लेखनीय है कि इससे पहले किसी डिस्ट्रिक्ट गवर्नर ने - यहाँ तक
कि राजा साबू और पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर यशपाल दास तक ने भी - लोगों को
इस बात की हवा तक नहीं लगने दी कि उन्हें खर्चे के लिए रोटरी इंटरनेशनल से
कितनी रकम मिली है । टीके रूबी को रोटरी इंटरनेशनल से खर्चे की पहली किस्त
मिली है, और उन्होंने लोगों को पाई-पाई तक का विवरण दे दिया है, और घोषणा
कर दी है कि यह रकम तथा आगे भी जो रकम आएगी - वह सब वह क्लब्स के
प्रोजेक्ट्स के लिए दे देंगे । डिस्ट्रिक्ट में लोग याद करते हुए कह रहे
हैं कि उन्होंने तो अभी तक यही देखा/पाया है कि किसी गवर्नर से यदि यह पूछ
भी लो कि उन्हें खर्चे के नाम पर रोटरी से क्या मिला है, तो वह नाराज हो
जाता है ।
इस सच्चाई के ताजे सुबूत के रूप में रमन अनेजा
की डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस में राजा साबू द्वारा दिखाई गई नाराजगी का
जिक्र भी किया/सुना जा रहा है । उल्लेखनीय है कि डिस्ट्रिक्ट की पिछली ही
कॉन्फ्रेंस में रोटरी क्लब चंडीगढ़ सिटी ब्यूटीफुल के पूर्व प्रेसीडेंट
मोहिंदर पॉल
गुप्ता ने एक प्रोजेक्ट की फंडिंग के बारे में सवाल पूछा, तो राजा
साबू बुरी तरह तमतमा गए थे और बौखलाए गुस्से में वह अपनी सीट छोड़ कर
हॉल के बीच आ गए थे और लोगों से सवाल करने लगे थे कि उन्हें प्रोजेक्ट करना चाहिए कि नहीं ? बेईमानीभरी चालाकी से पूछे गए इस सवाल में लोगों का ध्यान डायवर्ट करने की राजा साबू की कोशिश लेकिन छिपी नहीं रह सकी; क्योंकि लोगों का तुरंत
ध्यान गया कि प्रोजेक्ट के होने या न होने को लेकर तो सवाल था ही नहीं -
सवाल तो इस बारे में था कि किसी प्रोजेक्ट में पैसे कहाँ से आते हैं, कितने
आते हैं और कैसे खर्च होते हैं ? इस सवाल
का सीधा जबाव देने की बजाए, सवाल से राजा साबू का बुरी तरह बौखलाना डिस्ट्रिक्ट के लोगों को 'चोर की दाढ़ी में तिनका' वाला मुहावरा याद दिला गया ।
राजा साबू के लिए मुसीबत की बात यह हुई है कि अभी जब डिस्ट्रिक्ट गवर्नर टीके रूबी ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में रोटरी इंटरनेशनल से मिलने वाले पैसे खुद पर खर्च करने से इंकार किया है, तभी राजा साबू के क्लब की तरफ से 24 लोगों के दल के मंगोलिया जाने के प्रोजेक्ट की बात सामने आई है, जो वहाँ के बीमार लोगों का ईलाज करेंगे । इस दल में 17 डॉक्टर्स के तथा सात वालिंटियर्स के होने की बात बताई गई है । डिस्ट्रिक्ट के लोगों को पहले तो इसी बात पर हैरानी है कि राजा साबू के क्लब को चंडीगढ़ व उसके आसपास के इलाकों में और या डिस्ट्रिक्ट 3080 की भौगिलिक सीमा में ईलाज की जरूरत वाले बीमार नहीं मिले/दिखे क्या; बीमार भी उन्हें एक दूर देश में ही मिले/दिखे ? चलो, इस बात को छोड़ भी दें; तो
डिस्ट्रिक्ट के लोगों को यह जानने का तो हक है ही कि इस प्रोजेक्ट में
कितनी रकम खर्च हो रही है, वह रकम कैसे जुटी/जुटाई गई है और कहाँ/कैसे खर्च होगी ? डॉक्टर्स और वॉलिंटियर्स कौन कौन हैं और उनका चुनाव कैसे और कब हुआ है ? उल्लेखनीय है कि इस तरह के प्रोजेक्ट्स में कई बार राजा साबू, उनकी पत्नी और पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर मधुकर मल्होत्रा वॉलिंटियर्स के रूप में गए हैं । लोगों को हैरानी है कि
वॉलिंटियर्स के रूप में यह लोग क्या करते होंगे ? लोगों ने बीमार लोगों के
आसपास खड़े हो कर खिंचवाई गईं इनकी तस्वीरें जरूर देखी हैं । लोग यह जानना चाहते हैं कि इन कुछेक तस्वीरों के लिए रोटरी का कितना पैसा फूँका गया है ? राजा साबू और उनके संगी-साथियों की मनमानी बेईमानियों के प्रति डिस्ट्रिक्ट के लोगों की बढ़ती जागरूकता को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर
टीके रूबी की घोषणा से और बल व प्रोत्साहन मिला है, जिसका नतीजा है कि राजा
साबू और मधुकर मल्होत्रा के क्लब के पदाधिकारियों से इस सवाल का सीधा जबाव
नहीं मिल रहा है कि 26 अगस्त को मंगोलिया रवाना होने वाले 24 सदस्यीय दल में राजा साबू और मधुकर मल्होत्रा भी हैं या नहीं ? राजा साबू के क्लब के एक अच्छे प्रोजेक्ट को चोरी-छिपे करने के पीछे आखिर राज क्या है ? डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में किए जाने वाले खर्चे स्वयं वहन करने की टीके रूबी की घोषणा ने उक्त सवाल को और मुखर बना दिया है ।