नई दिल्ली । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सतीश सिंघल को रोटरी नोएडा
ब्लड बैंक के घपलों और उन घपलों में अपनी मिलीभगत के आरोपों से बचने के
लिए दिल्ली एक कार्यक्रम में आए इंटरनेशनल डायरेक्टर बासकर चॉकलिंगम को
सफाई देने के लिए मजबूर होना पड़ा । सतीश सिंघल दरअसल अपने
इस ब्लड बैंक की कमाई को लेकर गंभीर आरोपों के घेरे में हैं - जो खुद उनके लिए,
डिस्ट्रिक्ट के लिए तथा रोटरी के लिए बदनामी का सबब बन रहे हैं । रोटरी नोएडा ब्लड बैंक के मैनेजिंग ट्रस्टी के रूप में सतीश सिंघल पर गंभीर वित्तीय
आरोपों से चूँकि रोटरी के कई बड़े नेता भी परिचित हैं; और समय समय पर उक्त
आरोपों के कारण रोटरी की होने वाली बदनामी के प्रति वह चिंता भी व्यक्त
करते रहे हैं - इसलिए सतीश सिंघल को डर है कि इन आरोपों के कारण रोटरी इंटरनेशनल कार्यालय की तरफ से वह कभी भी 'सजा' पा सकते हैं ।
उल्लेखनीय है कि रोटरी के नाम पर धंधा करने तथा पैसों की बेईमानियाँ करने के आरोप में पिछले दिनों ही डिस्ट्रिक्ट 3100 के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुनील गुप्ता को गवर्नर-काल पूरा होने से पहले ही गवर्नर पद से हटा दिया गया है; और डिस्ट्रिक्ट 3030 में पूर्व गवर्नर निखिल किबे सहित तीन वरिष्ठ रोटेरियंस को रोटरी से ही निकाल दिया गया है । रोटरी इंटरनेशनल की इन कार्रवाइयों ने सतीश सिंघल को अपनी गवर्नरी के प्रति बुरी तरह डराया हुआ है, और उन्हें लग रहा है कि रोटरी नोएडा ब्लड बैंक की घपलेबाजियों के कारण कहीं उनके साथ भी सुनील गुप्ता और निखिल किबे जैसा सुलूक न हो जाए ?
सतीश सिंघल पहले हालाँकि पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर सुशील गुप्ता और पूर्व इंटरनेशनल प्रेसीडेंट कल्याण बनर्जी के भरोसे थे; उन्हें उम्मीद थी कि यह दोनों उन्हें बचा लेंगे, लेकिन इन दोनों पर से उनका भरोसा तब से उठ गया है, जब से उन्हें पता चला है कि कल्याण बनर्जी की छत्रछाया के बावजूद सुशील गुप्ता अपने डिस्ट्रिक्ट में रोटरी क्लब दिल्ली राजधानी की एक मैचिंग ग्रांट में हुई बेईमानी के मामले में खुद फँस गए हैं । सतीश सिंघल ने अपने नजदीकियों से कहा है कि कल्याण बनर्जी जब सुशील गुप्ता को नहीं बचा पाए, तो उन्हें क्या और कैसे बचायेंगे; और सुशील गुप्ता पहले खुद को बचायेंगे या उन्हें बचायेंगे ? कल्याण बनर्जी और सुशील गुप्ता की तरफ से निराश होकर सतीश सिंघल ने मौजूदा इंटरनेशनल डायरेक्टर बासकर चॉकलिंगम का दामन पकड़ने में ही अपनी भलाई देखी है ।
रोटरी इंटरनेशनल के पदाधिकारियों ने पिछले कुछ समय से प्रोजेक्ट्स और समाज-सेवा करने के नाम पर बेईमानी और चोरी-चकारी करने वाले रोटेरियंस तथा डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स तक पर जिस तरह की निगरानी रखने और उनके खिलाफ कड़े फैसले लेने का रवैया अपनाया हुआ है, उससे सतीश सिंघल को डर हुआ है कि वह कभी भी रोटरी इंटरनेशनल की चपेट में आ सकते हैं । इससे बचने के लिए ही सतीश सिंघल मौजूदा इंटरनेशनल डायरेक्टर बासकर चॉकलिंगम को सफाई देने के लिए मजबूर हुए । सतीश सिंघल और उनके नजदीकियों को यह डर भी है कि सतीश सिंघल के खिलाफ यदि अभी ही कार्रवाई हो गयी तो इसका डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में उनके समर्थन पर निर्भर आलोक गुप्ता की उम्मीदवारी पर बहुत ही बुरा असर पड़ेगा । अभी ही कई लोग सिर्फ इस कारण से आलोक गुप्ता की उम्मीदवारी के विरोध में हैं कि आलोक गुप्ता अपनी उम्मीदवारी को सफल बनाने के लिए रोटरी के नाम पर धंधा करने वाले सतीश सिंघल जैसे व्यक्ति पर निर्भर हैं; ऐसे में आलोक गुप्ता की उम्मीदवारी के दूसरे समर्थकों को भी चिंता हुई है कि सतीश सिंघल यदि डिस्ट्रिक्ट 3100 के सुनील गुप्ता और डिस्ट्रिक्ट 3030 के निखिल किबे वाली दशा को प्राप्त हुए, तब फिर तो आलोक गुप्ता के लिए हालात और भी मुश्किल हो जायेंगे ।
उल्लेखनीय है कि रोटरी के नाम पर धंधा करने तथा पैसों की बेईमानियाँ करने के आरोप में पिछले दिनों ही डिस्ट्रिक्ट 3100 के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुनील गुप्ता को गवर्नर-काल पूरा होने से पहले ही गवर्नर पद से हटा दिया गया है; और डिस्ट्रिक्ट 3030 में पूर्व गवर्नर निखिल किबे सहित तीन वरिष्ठ रोटेरियंस को रोटरी से ही निकाल दिया गया है । रोटरी इंटरनेशनल की इन कार्रवाइयों ने सतीश सिंघल को अपनी गवर्नरी के प्रति बुरी तरह डराया हुआ है, और उन्हें लग रहा है कि रोटरी नोएडा ब्लड बैंक की घपलेबाजियों के कारण कहीं उनके साथ भी सुनील गुप्ता और निखिल किबे जैसा सुलूक न हो जाए ?
सतीश सिंघल पहले हालाँकि पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर सुशील गुप्ता और पूर्व इंटरनेशनल प्रेसीडेंट कल्याण बनर्जी के भरोसे थे; उन्हें उम्मीद थी कि यह दोनों उन्हें बचा लेंगे, लेकिन इन दोनों पर से उनका भरोसा तब से उठ गया है, जब से उन्हें पता चला है कि कल्याण बनर्जी की छत्रछाया के बावजूद सुशील गुप्ता अपने डिस्ट्रिक्ट में रोटरी क्लब दिल्ली राजधानी की एक मैचिंग ग्रांट में हुई बेईमानी के मामले में खुद फँस गए हैं । सतीश सिंघल ने अपने नजदीकियों से कहा है कि कल्याण बनर्जी जब सुशील गुप्ता को नहीं बचा पाए, तो उन्हें क्या और कैसे बचायेंगे; और सुशील गुप्ता पहले खुद को बचायेंगे या उन्हें बचायेंगे ? कल्याण बनर्जी और सुशील गुप्ता की तरफ से निराश होकर सतीश सिंघल ने मौजूदा इंटरनेशनल डायरेक्टर बासकर चॉकलिंगम का दामन पकड़ने में ही अपनी भलाई देखी है ।
रोटरी नोएडा
ब्लड बैंक के मैनेजिंग ट्रस्टी के रूप में सतीश सिंघल की बेईमानीभरी
भूमिका की पोल खोलने का काम दिल्ली स्थित रोटरी ब्लड बैंक के
'नतीजों' ने किया है । उल्लेखनीय है कि डिस्ट्रिक्ट 3011 के पूर्व
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विनोद
बंसल की देखरेख में चल रहे दिल्ली स्थित
रोटरी ब्लड बैंक में प्रति माह करीब 2500 यूनिट ब्लड की बिक्री करके
15 से 20 लाख रुपए का लाभ दर्ज किया जा रहा है, जबकि सतीश सिंघल रोटरी नोएडा
ब्लड बैंक में प्रति माह करीब 2500 यूनिट ब्लड की बिक्री से कुल करीब
34/35 हजार रुपए का ही लाभ 'बताते' हैं । दोनों ब्लड बैंक के हिसाब-किताब की जानकारी रखने वाले लोगों को हैरानी यह देख/जान कर हुई कि दिल्ली वाला ब्लड बैंक ढाई
हजार के करीब यूनिट बेच कर जब 15 से 20 लाख रुपए के करीब का लाभ कमा लेता है, तो
सतीश सिंघल की देखरेख में चलने वाले ब्लड बैंक की कमाई उतने ही यूनिट ब्लड
बेचने के बाद 34/35 हजार रुपए के करीब पर ही क्यों ठहर जाती है ?
यहाँ नोट करने की बात यह भी है कि दिल्ली वाला ब्लड बैंक बड़ा है, और इसलिए
उसके खर्चे भी ज्यादा हैं; ब्लड के विभिन्न कंपोनेंट्स के दाम बिलकुल बराबर
हैं - बल्कि एक कंपोनेंट के दाम सतीश सिंघल के ब्लड बैंक में कुछ ज्यादा
ही बसूले जाते हैं । इस लिहाज से सतीश सिंघल की देखरेख में चलने वाले रोटरी नोएडा ब्लड बैंक का लाभ तो और भी ज्यादा होना चाहिए । लाभ के इस बड़े अंतर ने ब्लड बैंक के कर्ता-धर्ता के रूप में सतीश सिंघल की भूमिका को न
सिर्फ संदेहास्पद बना दिया है, बल्कि गंभीर वित्तीय आरोपों के घेरे में भी
ला दिया है ।
सतीश सिंघल का
अपना व्यवहार व रवैया भी उनकी भूमिका के प्रति संदेह व आरोपों को विश्वसनीय
बनाने का काम करता है । रोटरी नोएडा ब्लड बैंक के ट्रस्टी अक्सर शिकायत
करते सुने गए हैं कि सतीश सिंघल ब्लड बैंक का हिसाब-किताब देने/बताने में
हमेशा आनाकानी करते हैं, और पूछे जाने पर नाराजगी दिखाने लगते हैं । सतीश
सिंघल के इस व्यवहार और रवैये से लोगों को विश्वास हो चला है कि सतीश
सिंघल ब्लड बैंक में ऐसा कुछ करते हैं, जिसे दूसरों से छिपाकर रखना चाहते
हैं । ब्लड बैंक के कुछेक ट्रस्टियों का ही आरोप भी रहा कि सतीश सिंघल ब्लड
बैंक को अपने निजी संस्थान के रूप में इस्तेमाल करते हैं, और उसकी कमाई
हड़प जाते हैं । सतीश
सिंघल अपना पूरा समय ब्लड बैंक में ही बिताते हैं, जिससे लगता है कि उनके
पास और कोई कामधंधा नहीं है । सतीश सिंघल के इसी व्यवहार व रवैये से लोगों
को यह लगता रहा है कि रोटरी ब्लड बैंक को उन्होंने अपनी कमाई का जरिया बना
लिया है - और अपनी 'कमाई' भी वह बेईमानीपूर्ण तरीके से निकालते हैं । रोटरी इंटरनेशनल के पदाधिकारियों ने पिछले कुछ समय से प्रोजेक्ट्स और समाज-सेवा करने के नाम पर बेईमानी और चोरी-चकारी करने वाले रोटेरियंस तथा डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स तक पर जिस तरह की निगरानी रखने और उनके खिलाफ कड़े फैसले लेने का रवैया अपनाया हुआ है, उससे सतीश सिंघल को डर हुआ है कि वह कभी भी रोटरी इंटरनेशनल की चपेट में आ सकते हैं । इससे बचने के लिए ही सतीश सिंघल मौजूदा इंटरनेशनल डायरेक्टर बासकर चॉकलिंगम को सफाई देने के लिए मजबूर हुए । सतीश सिंघल और उनके नजदीकियों को यह डर भी है कि सतीश सिंघल के खिलाफ यदि अभी ही कार्रवाई हो गयी तो इसका डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में उनके समर्थन पर निर्भर आलोक गुप्ता की उम्मीदवारी पर बहुत ही बुरा असर पड़ेगा । अभी ही कई लोग सिर्फ इस कारण से आलोक गुप्ता की उम्मीदवारी के विरोध में हैं कि आलोक गुप्ता अपनी उम्मीदवारी को सफल बनाने के लिए रोटरी के नाम पर धंधा करने वाले सतीश सिंघल जैसे व्यक्ति पर निर्भर हैं; ऐसे में आलोक गुप्ता की उम्मीदवारी के दूसरे समर्थकों को भी चिंता हुई है कि सतीश सिंघल यदि डिस्ट्रिक्ट 3100 के सुनील गुप्ता और डिस्ट्रिक्ट 3030 के निखिल किबे वाली दशा को प्राप्त हुए, तब फिर तो आलोक गुप्ता के लिए हालात और भी मुश्किल हो जायेंगे ।