Saturday, August 26, 2017

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3080 में टीके रूबी को गवर्नर बनाए जाने के फैसले से खफा राजा साबू ने निर्णय लेने की जॉन जर्म की क्षमताओं और नीयत पर सवाल उठा कर खुद को रोटरी से ऊपर और बड़ा दिखाने की कोशिश की है क्या ?

चंडीगढ़ । टीके रूबी को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर घोषित करने के निवर्तमान इंटरनेशनल प्रेसीडेंट जॉन जर्म के फैसले को चुनौती देते हुए राजा साबू और उनके गिरोह के पूर्व गवर्नर्स द्वारा लिखे/ भेजे गए पत्र को आज ठीक एक महीना हो गया है, लेकिन रोटरी इंटरनेशनल कार्यालय में किसी ने उसका कोई संज्ञान तक नहीं लिया है - इससे साबित है कि रोटरी इंटरनेशनल में राजा साबू का सारा 'राजा-पना' पूरी तरह झड़ चुका है । राजा साबू का राजा-पना तो हालाँकि जून माह के तीसरे सप्ताह में तभी झड़ गया था, जब इंटरनेशनल प्रेसीडेंट के रूप में जॉन जर्म ने डिस्ट्रिक्ट 3080 के वर्ष 2017-18 के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए टीके रूबी के नाम की घोषणा की थी । रोटरी इंटरनेशनल के मौजूदा सत्ता-समीकरणों को जानने/पहचानने वाले वरिष्ठ रोटेरियंस का कहना है कि रोटरी इंटरनेशनल में राजा साबू की यदि जरा सी भी - जरा सी भी 'इज्जत' बची होती, तो टीके रूबी को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर चुनने का फैसला न हुआ होता । यह फैसला राजा साबू की खासी फजीहत करने वाला फैसला था । रोटरी के अधिकतर बड़े नेताओं को जॉन जर्म के इस फैसले में 'भिगो कर जूता मारने' वाली कहावत चरितार्थ होते हुए दिखी । कुछेक लोगों ने इस फैसले को 'पोएटिक जस्टिस' के नायाब उदाहरण के रूप में भी देखा/पहचाना । टीके रूबी को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर घोषित करने के जॉन जर्म के फैसले में राजा साबू के लिए जो 'संदेश' था, उसे दूसरों के साथ-साथ राजा साबू ने भी 'पढ़' लिया था - और यही कारण रहा कि वह समझ ही नहीं पाए कि अपनी इस सार्वजनिक दुर्गति पर कैसे रिएक्ट करें ?
दीये में जब तेल खत्म हो रहा होता है और लौ बुझने को होती है, तब लौ बड़ी तेजी से भभकती है और यह आभास देने की कोशिश करती है कि वह बुझ नहीं रही है बल्कि और तेजी से चमकेगी - लेकिन भभकते भभकते ही वह बुझ जाती है । रोटेरियन और रोटरी लीडर के रूप में राजा साबू की भी यही दशा हो रही है - टीके रूबी को लेकर फरवरी 2015 से शुरू हुए घटना चक्र के अभी तक के 30 महीनों में घटी घटनाओं को देखें, तो राजा साबू को डिस्ट्रिक्ट से लेकर इंटरनेशनल बोर्ड तक में हर जगह लगातार मात पर मात मिली है; जॉन जर्म के फैसले से उनकी मात पर अंतिम मुहर भी लग गई है - लेकिन राजा साबू फिर भी भभक भभक उठ रहे हैं । मजे की बात है कि राजा साबू ने हाल ही में क्लब्स के प्रेसीडेंट्स को लिखे पत्र में नसीहत दी है कि रोटरी को 'गुरु' के तथा एक टीचर के रूप में देखना चाहिए और रोटरी की वैल्यूज पर विश्वास करना चाहिए - पर इस नसीहत पर वह खुद अमल करते हुए नहीं दिखते हैं । 'कहना कुछ और करना कुछ' की तर्ज पर राजा साबू के व्यक्तित्व और व्यवहार का दोगलापन लोग हालाँकि पहले से देखते रहे हैं, लेकिन ज्यादा मुखर होकर यह अब रेखांकित हुआ है । क्लब्स के प्रेसीडेंट्स को रोटरी की वैल्यूज पर विश्वास रखने की नसीहत देने वाले राजा साबू ने रोटरी की यह 'वैल्यू' कहाँ और कब सीखी कि एक पूर्व प्रेसीडेंट के रूप में वह मौजूदा प्रेसीडेंट और इंटरनेशनल बोर्ड के फैसले पर ऊँगली उठाएँ ?
रोटरी के इतिहास में यह पहली बार हुआ है कि एक पूर्व प्रेसीडेंट रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड और प्रेसीडेंट के फैसले की आलोचना कर रहा है । उल्लेखनीय है कि किसी भी समाज और संगठन में व्यवस्था बनाए रखने के लिए यह जरूरी माना जाता है कि सबसे बड़ी इकाई (बॉडी) द्वारा लिए गए फैसले को स्वीकार करना ही होता है । सुप्रीम कोर्ट का फैसला किसी को भले ही न्याय करता हुआ न लगे, लेकिन फिर भी उसे मानना ही होता है । जिम्मेदार लोगों से उम्मीद की जाती है कि वह उस फैसले को शिष्टता और गरिमा के साथ स्वीकार करें । रोटरी में सर्वोच्च इकाई इंटरनेशनल बोर्ड है और सर्वोच्च पद प्रेसीडेंट है । रोटरी की तमाम वैल्यूज में एक यह भी है कि इनके फैसले को चेलैंज नहीं किया जा सकता है । डीसी बंसल ने इनके फैसले को चेलैंज किया तो उन्हें रोटरी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है । रोटरी की वैल्यूज डीसी बंसल के लिए और राजा साबू के लिए अलग अलग हैं क्या ? कोई तर्क दे सकता है कि इंटरनेशनल बोर्ड और प्रेसीडेंट के फैसले के खिलाफ डीसी बंसल 'रोटरी के बाहर' गए, इसलिए उन्हें रोटरी से बाहर कर दिया गया है; राजा साबू तो रोटरी के भीतर ही अपनी बात कह रहे हैं । यह तर्क लेकिन इस तथ्य की अनदेखी करता है कि रोटरी में ऐसी कोई व्यवस्था ही नहीं है, जिसमें इंटरनेशनल बोर्ड और प्रेसीडेंट के फैसले के खिलाफ कुछ किया/कहा जा सके । इस व्यवस्था के अभाव के कारण ही डीसी बंसल को रोटरी के बाहर जाने के लिए मजबूर होना पड़ा । डीसी बंसल का मुख्य गुनाह यह है कि इंटरनेशनल बोर्ड और प्रेसीडेंट के जिस अंतिम फैसले को सम्मान और गरिमा के साथ स्वीकार करने की 'वैल्यू' का पालन करने की उम्मीद की जाती है, वह उसमें फेल हुए । राजा साबू और उनके साथी गवर्नर्स भी इस 'वैल्यू' का पालन नहीं कर रहे हैं - तो उनका गुनाह कम कैसे हो गया ?
रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड और प्रेसीडेंट के अंतिम फैसले को डीसी बंसल स्वीकार नहीं कर सके, यह बात तो फिर भी समझ में आती है; लेकिन उस फैसले से राजा साबू और उनके साथी गवर्नर्स को 'आहत' क्यों होना चाहिए - वह उस अंतिम फैसले को सम्मान और गरिमा के साथ क्यों स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं ? क्या यह इस बात का सुबूत नहीं है कि राजा साबू और उनके साथी गवर्नर्स अपने आप को रोटरी से ऊपर समझ रहे हैं, और उन्हें यह बात हजम नहीं हो रही है कि फरवरी 2015 में हुए चुनाव में टीके रूबी को मिली जीत को तरह तरह की प्रपंचबाजी से हार में बदलने की उनकी सारी कोशिशें आखिर फेल कैसे हो गईं और उनके न चाहने के बावजूद टीके रूबी डिस्ट्रिक्ट गवर्नर कैसे बन गए ? इंटरनेशनल प्रेसीडेंट को संबोधित राजा साबू और उनके गिरोह के पूर्व गवर्नर्स द्वारा लिखे/भेजे गए पत्र को देखने/पढ़ने वाले लोगों में से जिस किसी से भी इन पँक्तियों के लेखक की बात हो सकी है, उन सभी ने माना और कहा है कि पत्र में इस्तेमाल हुए शब्द, पत्र की भाषा और भाषा का तेवर राजा साबू और उनके गिरोह के पूर्व गवर्नर्स के फ्रस्ट्रेशन और उनके अहंकार को प्रदर्शित करता है । यह पत्र न केवल निवर्तमान प्रेसीडेंट जॉन जर्म की क्षमताओं तथा उनकी नीयत के प्रति संदेह जताता है, बल्कि मौजूदा प्रेसीडेंट ईयान रिसले के प्रति भी किंचित अभद्रता  प्रकट करता है । राजा साबू के इस रवैये ने लोगों को हैरान किया है । इससे पहले किसी पूर्व प्रेसीडेंट ने मौजूदा प्रेसीडेंट के साथ/प्रति इस तरह की हरकत नहीं की है । इसे राजा साबू के राजा-पने के भभकने के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है । रोटरी में राजा साबू के राजा-पने की क्या हैसियत रह गई है, यह इससे भी साबित है कि 27 जुलाई के उक्त पत्र को लिखे/भेजे आज ठीक एक महीना हो गया है - लेकिन रोटरी इंटरनेशनल में उसका किसी ने संज्ञान तक नहीं लिया है । राजा साबू से हमदर्दी रखने वाले लोगों को राजा साबू की इस दशा पर दया भी आ रही है; उनका कहना है कि राजा साबू को समझ लेना चाहिए कि पहले की तरह अब उनकी मनमानियाँ नहीं चल सकेंगी । कुछेक लोगों का तो कहना है कि अपने भाषणों और अपने पत्रों में राजा साबू दूसरों को जो नसीहतें देते रहते हैं, उन पर कभी खुद भी अमल कर लिया करें; और रोटरी की वैल्यूज पर खुद भी विश्वास करना सीखें !