नई दिल्ली । नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के चेयरमैन राकेश मक्कड़ की वकालत के चक्कर में विजय झालानी खासे विवाद में फँस गए हैं । राकेश
मक्कड़ की तरफ से सुनने को मिला कि 4 अगस्त को होने वाली रीजनल काउंसिल की
मीटिंग में विजय झालानी उनकी मदद के लिए उपस्थित रहेंगे, तो काउंसिल के
कुछेक सदस्य भड़क उठे और उनकी तरफ से सुनाई दिया कि विजय झालानी यदि उक्त
मीटिंग में आए और उन्होंने राकेश मक्कड़ का बचाव करने का प्रयास किया तो
उनका विरोध किया जाएगा । इन बातों के बीच विजय झालानी ने लोगों को कहा/बताया है कि 4
अगस्त को दिल्ली से बाहर होने के कारण उनका मीटिंग में शामिल हो सकना संभव
ही नहीं होगा । इन पँक्तियों के लेखक से बात करते हुए विजय झालानी ने यह
भी साफ कहा कि उनका राकेश मक्कड़ से कोई संबंध नहीं है और उन्होंने कभी भी
राकेश मक्कड़ का बचाव करने का प्रयास नहीं किया है । उनका कहना है कि उन्हें
नहीं पता कि राकेश मक्कड़ अपने साथ उनका नाम क्यों जोड़ते हैं, और क्यों
कुछेक सदस्य उन्हें बदनाम करने का प्रयास करते हैं ? इन पँक्तियों के
लेखक से बात करते हुए उन्होंने दृढ़ता से कहा और दावा किया कि 4 अगस्त को वह यदि दिल्ली में होते भी,
तो भी वह रीजनल काउंसिल की मीटिंग में शामिल नहीं होते ।
विजय झालानी के स्पष्ट इंकार के बावजूद उन्हें लेकर विवाद यदि भड़का हुआ है, तो इसका कारण यह है कि सेंट्रल काउंसिल के कुछेक सदस्य भी इस विवाद को हवा देने में लगे हैं - जिनका कहना है कि कॉमन सेंस की बात है कि विवाद का यदि धुँआ है तो आग कहीं न कहीं तो होगी ही न ! विजय झालानी इंस्टीट्यूट की सेंट्रल काउंसिल में नॉमिनेटेड सदस्य हैं । रीजनल काउंसिल के साथ-साथ सेंट्रल काउंसिल के भी कई सदस्यों का आरोप है कि नॉमिनेटेड सदस्य को अपनी जिस विशेष स्थिति तथा गरिमा का ध्यान रखना चाहिए, विजय झालानी प्रायः उसका उल्लंघन करते हैं और रीजनल काउंसिल के कामकाज में अनावश्यक हस्तक्षेप करते हैं । इस चक्कर में पिछली एक मीटिंग में रीजनल काउंसिल के वरिष्ठ सदस्य राजिंदर नारंग के साथ उनकी खासी झड़प भी हो गयी थी । काउंसिल सदस्यों का कहना है कि दूसरे नॉमिनेटेड सदस्य यदा-कदा ही इंस्टीट्यूट के मुख्यालय में नजर आते हैं, लेकिन विजय झालानी यहाँ अक्सर ही मौजूद रहते हैं और अपना ज्यादातर समय नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के कार्यालय में बिताते हैं । राकेश मक्कड़ के चेयरमैन बनने के बाद से तो विजय झालानी का इंस्टीट्यूट के मुख्यालय में नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के कार्यालय में उठना-बैठना और बढ़ गया है; राकेश मक्कड़ को उनके खाने-पीने की व्यवस्था करते/करवाते अक्सर ही देखा गया है ।
राकेश मक्कड़ की बड़ी समस्या यह है कि वह बेईमानियाँ और साजिशें तो कर सकते हैं, लेकिन अपने बचाव में अपनी वकालत नहीं कर सकते - इसलिए उन्हें हमेशा एक 'वकील' की जरूरत पड़ती है । विजय झालानी को उन्होंने अपने एक वकील के रूप में कुछेक मौकों पर इस्तेमाल किया । उनकी वकालत करने के कारण विजय झालानी की एक मीटिंग में राजिंदर नारंग से जो झड़प हुई थी, उसके बाद विजय झालानी हालाँकि राकेश मक्कड़ की वकालत करते हुए कहीं नहीं सुने/देखे गए हैं । किंतु 4 अगस्त को होने वाली मीटिंग में उनकी उपस्थिति की बात करके राकेश मक्कड़ ने उन्हें लेकर विवाद को खासा भड़का दिया है । उक्त मीटिंग में राकेश मक्कड़ के वकील की भूमिका सेंट्रल काउंसिल के सदस्य राजेश शर्मा निभा सकते थे, लेकिन सीए डे फंक्शन में हुई बदइंतजामी और बेईमानी के आरोपों में राजेश शर्मा इस कदर घिरे हुए हैं कि अभी वह पर्दे के पीछे रहने में ही अपनी भलाई देख रहे हैं । ऐसे में, राकेश मक्कड़ ने 4 अगस्त की मीटिंग में विजय झालानी को आगे रखने की योजना बनाई थी; उनकी इस योजना की भनक काउंसिल के दूसरे सदस्यों को लगी तो उन्होंने भी विजय झालानी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया । विजय झालानी ने 4 अगस्त की रीजनल काउंसिल की मीटिंग से दूर रहने की घोषणा करके इस विवाद को थामने का प्रयास तो किया है, लेकिन नॉमिनेटेड सदस्य होने के बावजूद नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के कामकाज में उनके द्वारा दिखाई जाती रही दिलचस्पी को देखते तथा याद करते हुए काउंसिल सदस्य विवाद को हवा देते हुए नजर आ रहे हैं - ताकि वह विजय झालानी को रीजनल काउंसिल के कामकाज में अनावश्यक हस्तक्षेप करने से सचमुच में रोके रख सकें ।
विजय झालानी के स्पष्ट इंकार के बावजूद उन्हें लेकर विवाद यदि भड़का हुआ है, तो इसका कारण यह है कि सेंट्रल काउंसिल के कुछेक सदस्य भी इस विवाद को हवा देने में लगे हैं - जिनका कहना है कि कॉमन सेंस की बात है कि विवाद का यदि धुँआ है तो आग कहीं न कहीं तो होगी ही न ! विजय झालानी इंस्टीट्यूट की सेंट्रल काउंसिल में नॉमिनेटेड सदस्य हैं । रीजनल काउंसिल के साथ-साथ सेंट्रल काउंसिल के भी कई सदस्यों का आरोप है कि नॉमिनेटेड सदस्य को अपनी जिस विशेष स्थिति तथा गरिमा का ध्यान रखना चाहिए, विजय झालानी प्रायः उसका उल्लंघन करते हैं और रीजनल काउंसिल के कामकाज में अनावश्यक हस्तक्षेप करते हैं । इस चक्कर में पिछली एक मीटिंग में रीजनल काउंसिल के वरिष्ठ सदस्य राजिंदर नारंग के साथ उनकी खासी झड़प भी हो गयी थी । काउंसिल सदस्यों का कहना है कि दूसरे नॉमिनेटेड सदस्य यदा-कदा ही इंस्टीट्यूट के मुख्यालय में नजर आते हैं, लेकिन विजय झालानी यहाँ अक्सर ही मौजूद रहते हैं और अपना ज्यादातर समय नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के कार्यालय में बिताते हैं । राकेश मक्कड़ के चेयरमैन बनने के बाद से तो विजय झालानी का इंस्टीट्यूट के मुख्यालय में नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के कार्यालय में उठना-बैठना और बढ़ गया है; राकेश मक्कड़ को उनके खाने-पीने की व्यवस्था करते/करवाते अक्सर ही देखा गया है ।
राकेश मक्कड़ की बड़ी समस्या यह है कि वह बेईमानियाँ और साजिशें तो कर सकते हैं, लेकिन अपने बचाव में अपनी वकालत नहीं कर सकते - इसलिए उन्हें हमेशा एक 'वकील' की जरूरत पड़ती है । विजय झालानी को उन्होंने अपने एक वकील के रूप में कुछेक मौकों पर इस्तेमाल किया । उनकी वकालत करने के कारण विजय झालानी की एक मीटिंग में राजिंदर नारंग से जो झड़प हुई थी, उसके बाद विजय झालानी हालाँकि राकेश मक्कड़ की वकालत करते हुए कहीं नहीं सुने/देखे गए हैं । किंतु 4 अगस्त को होने वाली मीटिंग में उनकी उपस्थिति की बात करके राकेश मक्कड़ ने उन्हें लेकर विवाद को खासा भड़का दिया है । उक्त मीटिंग में राकेश मक्कड़ के वकील की भूमिका सेंट्रल काउंसिल के सदस्य राजेश शर्मा निभा सकते थे, लेकिन सीए डे फंक्शन में हुई बदइंतजामी और बेईमानी के आरोपों में राजेश शर्मा इस कदर घिरे हुए हैं कि अभी वह पर्दे के पीछे रहने में ही अपनी भलाई देख रहे हैं । ऐसे में, राकेश मक्कड़ ने 4 अगस्त की मीटिंग में विजय झालानी को आगे रखने की योजना बनाई थी; उनकी इस योजना की भनक काउंसिल के दूसरे सदस्यों को लगी तो उन्होंने भी विजय झालानी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया । विजय झालानी ने 4 अगस्त की रीजनल काउंसिल की मीटिंग से दूर रहने की घोषणा करके इस विवाद को थामने का प्रयास तो किया है, लेकिन नॉमिनेटेड सदस्य होने के बावजूद नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के कामकाज में उनके द्वारा दिखाई जाती रही दिलचस्पी को देखते तथा याद करते हुए काउंसिल सदस्य विवाद को हवा देते हुए नजर आ रहे हैं - ताकि वह विजय झालानी को रीजनल काउंसिल के कामकाज में अनावश्यक हस्तक्षेप करने से सचमुच में रोके रख सकें ।