Wednesday, August 30, 2017

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3100 में वोटों की खरीद के जरिए दीपक जैन को चुनाव जितवाने की तैयारी करने वाले पूर्व गवर्नर्स की असली मंशा कहीं अपनी अपनी जेबें भरना तो नहीं हैं ?

मेरठ । दीपक जैन की उम्मीदवारी के लिए वोट जुटाने हेतु पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर योगेश मोहन गुप्ता तथा एमएस जैन ने वोटों की खरीद-फरोख्त का रास्ता अपनाने के जो संकेत दिए हैं, उसने डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति के परिदृश्य को रोचक तो बना दिया है, लेकिन साथ ही डिस्ट्रिक्ट को फिर से पहले वाली दलदल की ओर धकेलना भी शुरू कर दिया है । उल्लेखनीय है कि दीपक जैन की उम्मीदवारी के इन दोनों सक्रिय समर्थकों ने पहले श्रीहरी गुप्ता और राजकमल गुप्ता को चुनावी मुकाबले से बाहर करने के लिए तिकड़में की थीं, लेकिन उनकी तिकड़में बुरी तरह फेल रही हैं । श्रीहरी गुप्ता को डराने तथा दबाव में लेने के लिए इन्होंने दावा किया कि मेरठ के अधिकतर पूर्व गवर्नर्स दीपक जैन की उम्मीदवारी के साथ हैं, इसलिए मेरठ में श्रीहरी गुप्ता को खास समर्थन नहीं मिलेगा - और जब उन्हें मेरठ में समर्थन नहीं मिलेगा, तो फिर दूसरी जगह कहाँ/क्या समर्थन मिलेगा ? श्रीहरी गुप्ता और उनके समर्थकों ने लेकिन इस दावे को कोई तवज्जो नहीं दी; उनका कहना रहा कि रोटरी में नेतागिरी और रोटरी के नाम पर धंधा करने वाले पूर्व गवर्नर्स नेताओं की पोल पूरी तरह खुल गई है, और दीपक जैन की उम्मीदवारी को समर्थन देने की आड़ में अपनी राजनीति जमाने की कोशिश करने वाले पूर्व गवर्नर्स नेताओं को मेरठ में अपने ही क्लब्स का समर्थन मिल जाए - तो बहुत समझा जाए ।
दरअसल, दीपक जैन की उम्मीदवारी के समर्थक पूर्व गवर्नर्स नेताओं के क्लब्स के पदाधिकारियों को भी लगने लगा है कि दीपक जैन से पैसे ऐंठने के लिए इन पूर्व गवर्नर्स ने अपने-अपने क्लब्स को बेचने का सौदा कर लिया है । वास्तव में किसी के लिए भी यह समझना मुश्किल बना हुआ है कि दीपक जैन की जब रोटरी में और डिस्ट्रिक्ट में ज्यादा सक्रियता और संलग्नता नहीं रही है, जब न वह लोगों को जानते हैं और न लोग उन्हें जानते हैं - तब फिर कुछेक पूर्व गवर्नर्स उन्हें डिस्ट्रिक्ट का गवर्नर क्यों चुनवाना/बनवाना चाहते हैं ? डिस्ट्रिक्ट की अभी जो हालत है, उसमें डिस्ट्रिक्ट को एक ऐसे गवर्नर की जरूरत है जिसकी रोटरी और डिस्ट्रिक्ट में लंबी सक्रियता और संलग्नता रही हो, तथा जो डिस्ट्रिक्ट की तथा डिस्ट्रिक्ट के लोगों की जरूरतों व समस्याओं को जानता/पहचानता हो । इस लिहाज से लोगों को श्रीहरी गुप्ता और चक्रेश लोहिया ही उचित उम्मीदवार लग रहे हैं, लेकिन डिस्ट्रिक्ट की बर्बादी के लिए जिम्मेदार रहे पूर्व गवर्नर्स इन दोनों की बजाए अपने अपने 'कठपुतली-उम्मीदवार' लेकर चुनावी मैदान में आ डटे हैं ।
इसके चलते सबसे रोचक स्थिति राजकमल गुप्ता और उनके समर्थकों की बनी है । बेचारे राजकमल गुप्ता के समर्थकों को ही उनके मुकाबले में होने का कोई भरोसा नहीं है, और उनका साफ कहना है कि राजकमल गुप्ता की उम्मीदवारी तो उन्होंने चक्रेश लोहिया को नुकसान पहुँचाने के लिए प्रस्तुत की हुई है - उनका मानना/कहना है कि राजकमल गुप्ता की उम्मीदवारी के न रहने पर मुरादाबाद क्षेत्र के सभी वोट चक्रेश लोहिया को मिल जायेंगे । मजे की बात यह है कि राजकमल गुप्ता और उनके समर्थकों को उन पूर्व गवर्नर्स के नजदीक देखा/समझा जाता है, जो दीपक जैन की उम्मीदवारी का झंडा उठाए हुए हैं - इसके बावजूद उक्त पूर्व गवर्नर्स राजकमल गुप्ता की उम्मीदवारी को वापस नहीं करवा सके हैं । राजकमल गुप्ता और उनके समर्थकों का कहना है कि ऐन मौके पर वह अपना समर्थन उसे देंगे, जो चक्रेश लोहिया को हरा सकने में समर्थ दिखेगा । अभी चूँकि श्रीहरी गुप्ता के मुकाबले दीपक जैन की चुनावी स्थिति उन्हें बहुत ही कमजोर नजर आ रही है, इसलिए अभी से वह दीपक जैन की उम्मीदवारी का समर्थन करने की घोषणा करके अपने वोटों को खराब नहीं कर सकते हैं ।   
इस तरह दीपक जैन की उम्मीदवारी के समर्थक पूर्व गवर्नर्स को 'अपने' लोगों को ही दीपक जैन की उम्मीदवारी की मजबूती को लेकर आश्वस्त करना मुश्किल हो रहा है । उनकी यह मुश्किल इसलिए भी बढ़ी है, क्योंकि वह अपनी गवर्नरी को लेकर रोटरी इंटरनेशनल से कानूनी लड़ाई लड़ रहे डीके शर्मा का समर्थन पाने के अपने दावे को भी सच साबित करने में विफल रहे हैं । दीपक जैन की उम्मीदवारी के समर्थक पूर्व गवर्नर्स का दावा था कि कानूनी लड़ाई की तैयारी करने/करवाने में उन्होंने चूँकि डीके शर्मा की बहुत मदद की है, इसलिए डीके शर्मा का समर्थन उन्हें ही मिलेगा । डीके शर्मा के कहने में छह से आठ वोटों का अनुमान लगाया जा रहा है; और डीके शर्मा की तरफ से लोगों को जो संकेत मिल रहे हैं - उनमें यह तो साफ नहीं है कि उनका समर्थन किसे मिलेगा, लेकिन यह बहुत साफ है कि उनका समर्थन दीपक जैन को तो नहीं ही मिलेगा ।
दीपक जैन की उम्मीदवारी के समर्थक पूर्व गवर्नर्स को जिस तरह हर तरफ से धक्का और निराशा ही मिल रही है, उसके चलते उन्हें अब वोटों की खरीद-फरोख्त का ही विकल्प सूझ रहा है । उनके नजदीकियों का कहना है कि उन्होंने दीपक जैन को बता दिया है कि चुनाव जीतना है तो अब वोटों की खरीदारी ही करनी पड़ेगी । दीपक जैन के कुछेक शुभचिंतकों ने दीपक जैन को आगाह भी किया है कि वोटों की खरीदारी के नाम पर उनके समर्थक पूर्व गवर्नर्स अपनी अपनी जेबें भरने का काम कर सकते हैं, इसलिए जो भी करना - सोच/समझ कर और आँखें खोल कर करना । वोट खरीद कर दीपक जैन को चुनाव जितवाने की तैयारी शुरू हो जाने से रोटरी के बुनियादी सिद्धांतों तथा आदर्शों के साथ डिस्ट्रिक्ट में एक बार फिर खिलवाड़ तो शुरू हो ही गया है, साथ ही साथ डिस्ट्रिक्ट में चुनावी परिदृश्य खासा दिलचस्प हो उठा है ।