Wednesday, August 9, 2017

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सतीश सिंघल की बातों और हरकतों के प्रति क्लब्स के पदाधिकारियों के बीच बढ़ती नाराजगी के आलोक गुप्ता की उम्मीदवारी पर भारी पड़ने का खतरा बढ़ता दिखा

गाजियाबाद । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सतीश सिंघल ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए प्रस्तुत आलोक गुप्ता की उम्मीदवारी के पक्ष में उत्तर प्रदेश के क्लब्स की एकजुटता बनाने की जो कोशिश की है, उसे अगले रोटरी वर्ष में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए उम्मीदवार बनने की तैयारी कर रहे उत्तर प्रदेश के संभावित उम्मीदवारों की तरफ से तगड़ा झटका लग रहा है । अगले रोटरी वर्ष में उम्मीदवारी की तैयारी करने वाले संभावित उम्मीदवारों को डर है कि इस बार यदि आलोक गुप्ता जीतते हैं तो 'हर वर्ष उत्तर प्रदेश से ही गवर्नर क्यों' की भावना के चलते उनके लिए मुसीबत खड़ी हो सकती है । अगले वर्ष की अपनी मुसीबत को टालने के लिए ही अगले वर्ष उम्मीदवार होने की तैयारी कर रहे संभावित उम्मीदवारों और उनके समर्थकों ने आलोक गुप्ता के पक्ष में उत्तर प्रदेश के क्लब्स को एक करने के लिए चलाई जा रही सतीश सिंघल की मुहिम में पंक्चर करने का काम शुरू कर दिया है । मजे की बात यह है कि ललित खन्ना की उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने के लिए दिल्ली के कुछेक क्लब्स पहले से ही 'हर वर्ष उत्तर प्रदेश से ही गवर्नर क्यों' की मुहिम चलाए हुए थे, जिसका मुकाबला करने के लिए ही सतीश सिंघल ने उत्तर प्रदेश के क्लब्स को एकजुट करने की कोशिशें शुरू की - उनके यह कोशिशें सिरे चढ़तीं, कि उत्तर प्रदेश के ही अगले संभावित उम्मीदवारों ने उनकी कोशिशों को झटका दे दिया है ।
आलोक गुप्ता के पक्ष में समर्थन जुटाने के लिए सतीश सिंघल की एक अन्य तरकीब का दिल्ली के क्लब्स पहले ही कबाड़ा कर चुके हैं । उक्त तरकीब के तहत सतीश सिंघल ने क्लब्स के पदाधिकारियों को फरमान जारी किया कि अपने अधिष्ठापन कार्यक्रम में वह डिस्ट्रिक्ट टीम के प्रमुख सदस्यों को भी आमंत्रित करें और उनका स्वागत करें । आलोक गुप्ता चूँकि डिस्ट्रिक्ट टीम के प्रमुख सदस्य हैं - इसलिए उक्त फरमान के जरिए सतीश सिंघल ने क्लब्स को दरअसल आलोक गुप्ता को आमंत्रित करने तथा उनका स्वागत करने के लिए मजबूर करने का काम किया । क्लब्स ने खासकर दिल्ली के क्लब्स ने सतीश सिंघल की इस तरकीब का तोड़ यह निकाला कि उन्होंने अपने अधिष्ठापन कार्यक्रमों में आलोक गुप्ता के साथ-साथ डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के दूसरे उम्मीदवार ललित खन्ना को भी आमंत्रित किया और उनका स्वागत किया - इससे सतीश सिंघल की तरकीब पूरी तरह पिट गयी ।
उल्लेखनीय है कि दिल्ली के क्लब्स और उनके पदाधिकारी राजनीतिक उठापटक के खेल में ज्यादा नहीं फँसते हैं और ज्यादा राजनीति करने वालों को बड़ी नीची निगाह से देखते हैं । सतीश सिंघल ने डेढ़ महीने से भी कम के अभी तक के अपने गवर्नर-काल में 'काम कम, बातें ज्यादा' करने वाले गवर्नर की पहचान बनायी है; अपने भाषणों में वह इतनी लंबी-लंबी फेंकते हैं कि लोग उन्हें 'फेंकू' कहने लगे हैं - ऐसे में, सतीश सिंघल जब राजनीतिक चालबाजी दिखाते हैं तब क्लब्स के पदाधिकारी उनके प्रति और ज्यादा नकारात्मक भाव से भर जाते हैं । क्लब्स के पदाधिकारी डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के प्रति सीधा सीधा विरोध तो प्रकट नहीं करते हैं, इसलिए कोई भी सतीश सिंघल से सामने सामने तो विरोध और नाराजगी की बात नहीं करता है - लेकिन पीठ पीछे अधिकतर क्लब्स के पदाधिकारी सतीश सिंघल का मजाक बनाते/उड़ाते हैं ।
सतीश सिंघल के प्रति क्लब्स के पदाधिकारियों के इस रवैये को देखते/समझते हुए आलोक गुप्ता की उम्मीदवारी के कुछेक समर्थकों व शुभचिंतकों ने डर भी व्यक्त किया है कि सतीश सिंघल की कारस्तानियाँ कहीं आलोक गुप्ता की उम्मीदवारी पर भारी न पड़ें । उनका कहना है कि आलोक गुप्ता अपनी सक्रियता, अपने व्यवहार और अपने रवैये से लोगों के बीच पैठ बनाते हुए अपने लिए समर्थन का भाव बनाते हैं - लेकिन सतीश सिंघल की बेवकूफीभरी बातें और उनकी हरकतें लोगों को इर्रिटेट कर देती हैं । आलोक गुप्ता के लिए समर्थन जुटाने हेतु सतीश सिंघल ने जो जो कदम उठाए हैं, उनका उल्टा ही असर देखने को मिला है । उत्तर प्रदेश के क्लब्स को आलोक गुप्ता के पक्ष में एकजुट करने की सतीश सिंघल की कोशिशों का भी नकारात्मक असर देखने को मिल रहा है : जब तक आलोक गुप्ता अपने लिए समर्थन जुटाने का प्रयत्न कर रहे थे, तब तक उन्हें उत्तर प्रदेश के क्लब्स से अच्छा समर्थन मिलने की बातें सुनी जा रही थीं; लेकिन जैसे ही सतीश सिंघल ने उत्तर प्रदेश की एकजुटता का राग आलापना शुरू किया, वैसे ही आलोक गुप्ता के लिए मामला उल्टा पड़ने लगा ।
सतीश सिंघल ने उत्तर प्रदेश में आलोक गुप्ता के लिए समर्थन मजबूत करने/बनाने के लिए एकजुटता की जो तरकीब लगाई, उसे पहला झटका नोएडा के क्लब्स की तरफ से मिला - जिन्होंने अपने आप को उत्तर प्रदेश में 'मानने' को लेकर ऐतराज जताया । नोएडा के लोग यूँ भी अपने आप को उत्तर प्रदेश की बजाए दिल्ली के ज्यादा 'नजदीक' समझते हैं । आलोक गुप्ता अपने प्रयत्नों से नोएडा के क्लब्स में अपने लिए समर्थन जुटाने का जो प्रयास कर रहे थे, उसका सकारात्मक असर होता हुआ दिख रहा था - लेकिन सतीश सिंघल की कारस्तानी ने सब गुड़ गोबर कर दिया । सतीश सिंघल की कारस्तानी ने ही अगले रोटरी वर्ष में उम्मीदवार बनने की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों को उकसाया है - उन्हें लगा है कि उत्तर प्रदेश को एकजुट करके यदि आलोक गुप्ता के लिए समर्थन जुटाया गया, तो अगले वर्ष उनके लिए मुसीबत हो जाएगी । सतीश सिंघल, सुभाष जैन, दीपक गुप्ता के रूप में उत्तर प्रदेश से ही जिस तरह से गवर्नर्स की लाइन है - उसे लेकर दिल्ली के क्लब्स के लोगों में पहले ही बेचैनी है और वह डिस्ट्रिक्ट में स्वयं को उपेक्षित स्थिति में पा रहे हैं । ऐसे में, डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में सतीश सिंघल की आलोक गुप्ता की उम्मीदवारी के समर्थन में की जा रही हरकतें दिल्ली के क्लब्स के पदाधिकारियों तथा वरिष्ठ सदस्यों के जले पर नमक रगड़ने जैसा काम कर रही हैं । अगले रोटरी वर्ष में उम्मीदवारी प्रस्तुत करने की तैयारी कर रहे उत्तर प्रदेश के संभावित उम्मीदवारों ने इस स्थिति को अपने लिए गंभीर खतरे के रूप में देखा/पहचाना है - और इस कारण से उत्तर प्रदेश को आलोक गुप्ता की उम्मीदवारी के पक्ष में एकजुट करने की सतीश सिंघल की योजना पानी फिरता नजर आ रहा है ।