Saturday, August 19, 2017

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सतीश सिंघल रोटरी फाउंडेशन से जब अपने पोते के नाम पर भी 'धोखा' कर सकते हैं, तो डिस्ट्रिक्ट 3011 के गवर्नर रवि चौधरी को उनके गच्चा देने पर आश्चर्य कैसा और क्यों ?

नई दिल्ली । डिस्ट्रिक्ट 3012 के गवर्नर सतीश सिंघल के ऐन मौके पर पीछे हट जाने से डिस्ट्रिक्ट 3011 के गवर्नर रवि चौधरी को 23 अगस्त को टीआरएफ डिनर का आयोजन अकेले ही करना पड़ रहा है । इन दोनों डिस्ट्रिक्ट्स के अस्तित्व में आने के बाद यह पहला मौका है, जब दिल्ली में हो रहे टीआरएफ डिनर में डिस्ट्रिक्ट 3012 के लोगों को शामिल होने का मौका नहीं मिलेगा । रोटरी के महत्त्वपूर्ण आयोजनों और कार्यक्रमों में मुँह छिपा लेने और पीछे हट जाने की सतीश सिंघल की प्रवृत्ति का यह नया उदाहरण है । इससे पहले, एक जुलाई को हुए अपने डिस्ट्रिक्ट के नए पदाधिकारियों के अधिष्ठापन समारोह में सतीश सिंघल ने अपने पोते को मेजर डोनर बनाने/बनवाने की बात कही हुई थी, लेकिन जब सचमुच मेजर डोनर के पैसे देने की बात आई तो सतीश सिंघल गोता लगा गए और मासूमियत ओढ़ बैठे कि कौन पोता, कौन मेजर डोनर ? इसी बात का उदाहरण देते हुए लोग रवि चौधरी को सांत्वना दे रहे हैं कि सतीश सिंघल जब अपने पोते का नाम लेकर 'धोखाधड़ी' करने से नहीं चूके, तो फिर तुम अपने साथ ऐन मौके पर उनसे मिले धोखे से परेशान क्यों हो रहे हो ?
उल्लेखनीय है कि दिल्ली में आयोजित होने वाला टीआरएफ डिनर रोटरी का एक बड़ा प्रमुख और महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम है, जो रोटरी के बुनियादी काम को मदद करने के उद्देश्य से होता है । इसमें रोटरी के बड़े पदाधिकारी मौजूद होते हैं, जिनसे डिस्ट्रिक्ट और क्लब्स के पदाधिकारियों व सदस्यों को रोटरी के मूल व बुनियादी उद्देश्यों को जानने/समझने का मौका तथा रोटरी के लिए वास्तव में कुछ करने का प्रोत्साहन मिलता है । ऐसे आयोजन हो पाना मुश्किल होता है, इसलिए दिल्ली में होने वाले आयोजन में दोनों डिस्ट्रिक्ट्स के पदाधिकारी व अन्य रोटेरियंस भागीदारी करते रहे हैं । इस बार लेकिन डिस्ट्रिक्ट 3012 के गवर्नर सतीश सिंघल के 'बेईमानी' भरे रवैये के चलते डिस्ट्रिक्ट 3012 के पदाधिकारियों और सदस्यों को टीआरएफ डिनर शामिल होने का मौका नहीं मिल सकेगा । खबर है कि सतीश सिंघल ने पहले इस आयोजन में भागीदारी निभाने के लिए सहमति दे दी थी, लेकिन फिर ऐन मौके पर वह पीछे हट गए । आरोपपूर्ण चर्चा है कि सतीश सिंघल ने गणित लगाया और समझा कि वह टीआरएफ में 'अपने' लोगों से पैसे लगवाएँ भी तो उन्हें क्या मिलेगा ? अपने लोगों से वह डिस्ट्रिक्ट में पैसे लगवायेंगे तो मौज-मजा करने का मौका तो मिलेगा ही, अपनी जेब भरने का मौका भी मिलेगा । सतीश सिंघल ने रोटरी को अपनी कमाई के जरिये के रूप में बड़े बढ़िया तरीके से इस्तेमाल किया है; उनकी व्यावसायिक बुद्धि उनके काम-धंधे में उनके काम भले ही न आई हो - लेकिन रोटरी को धंधा बना लेने में उनके खूब काम आई है । रोटरी नोएडा ब्लड बैंक इसका ठोस उदाहरण है ।
टीआरएफ डिनर के आयोजन में शामिल होने से पीछे हटने में सतीश सिंघल के सामने कुछ मजबूरियाँ भी रहीं : सतीश सिंघल यूँ कुछेक महत्वाकांक्षी तथा रोटरी के संबंध में बड़ी बड़ी बातें करने और बड़ा ज्ञान बताने वाले लोगों से घिरे हुए हैं - उम्मीद की जाती है कि सतीश सिंघल इन लोगों को बातों के अलावा रोटरी के लिए सचमुच कुछ करने के लिए भी प्रेरित करेंगे; लेकिन लगता है कि इन लोगों ने सतीश सिंघल को साफ साफ बता दिया है कि हमसे बकवास तो चाहें जितनी करवा लो, पर रोटरी के लिए सचमुच में कुछ करने के लिए मत कहना । इस तरह, सतीश सिंघल को अपने अधिकतर संगी-साथी भी अपने जैसे ही मिले हैं । इसके बावजूद, सतीश सिंघल कुछेक लोगों को तो टीआरएफ डिनर में 'कुछ उल्लेखनीय' करने के लिए तैयार कर ही सकते थे - लेकिन लगता है कि उसमें उनकी बेईमान और स्वार्थी नीयत आड़े आ गयी । दरअसल, दिल्ली में हो रहे टीआरएफ डिनर के आयोजन से जुड़े पदाधिकारियों को पूरी पूरी उम्मीद थी कि वह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए 'अपने' उम्मीदवार आलोक गुप्ता से अवश्य ही टीआरएफ डिनर में बड़ी घोषणा करवायेंगे । इस उम्मीद का कारण यह रहा कि लोग देख/जान रहे हैं कि सतीश सिंघल तमाम कार्यक्रमों के खर्चों के लिए आलोक गुप्ता पर निर्भर हैं और उनसे बेहिसाब पैसे खर्च करवा रहे हैं । पर अब लोगों को लग रहा है कि सतीश सिंघल को डर हुआ होगा कि वह आलोक गुप्ता से यदि टीआरएफ में पैसे खर्च करवा देंगे, तो कहीं आलोक गुप्ता उनके खर्चों में कटौती न कर दें - इसलिए सतीश सिंघल ने दोनों डिस्ट्रिक्ट्स के संयुक्त प्रयासों से दिल्ली में होने वाले रोटरी के महत्त्वपूर्ण आयोजन टीआरएफ डिनर से पीछा छुड़ा लेने में ही अपनी 'मलाई' देखी है ।
सतीश सिंघल अपनी बेईमान और स्वार्थी नीयत के चलते अपने पोते के नाम पर भी धोखाधड़ी करने से नहीं चूके । सतीश सिंघल ने एक जुलाई के डिस्ट्रिक्ट के अधिष्ठापन समारोह में अपने पोते को मेजर डोनर बनाने/बनवाने की तैयारी की हुई थी । उन्होंने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के उम्मीदवार ललित खन्ना को भी इस बात के लिए राजी कर लिया था कि उनके साथ वह भी अपने पोते को मेजर डोनर बनवाएँ । एक जुलाई के आयोजन में ललित खन्ना तो जरूरी रकम का चेक ले आए, लेकिन सतीश सिंघल गोता 'लगा' गए । दो दिन बाद ही एक कार्यक्रम में सतीश सिंघल की यह हरकत पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर सुशील गुप्ता के सामने आई, तो सुशील गुप्ता ने उन्हें रोटरी को लेकर तमाम नसीहतें दीं - लेकिन सतीश सिंघल पर उनका कोई असर नहीं पड़ा । अपने पोते का नाम लेकर भी सतीश सिंघल धोखाधड़ी करते नजर आए तो ललित खन्ना ने अपना तैयार किया हुआ चेक शरत जैन के गवर्नर-काल के खाते में दे दिया । सतीश सिंघल की इस हरकत से परिचित लोगों का कहना है कि सतीश सिंघल जब अपने पोते के नाम पर रोटरी के साथ धोखाधड़ी कर सकते हैं, तो फिर रवि चौधरी को ऐन मौके पर गच्चा क्यों नहीं दे सकते हैं ?