Saturday, August 5, 2017

इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल में पुलिस कार्रवाई की धमकी के बाद राजेंद्र अरोड़ा और नितिन कँवर की बदतमीजी पर विराम लगा और राकेश मक्कड़ विरोधी सदस्यों की माँगे मानने के लिए मजबूर हुए

नई दिल्ली । राजेंद्र अरोड़ा और नितिन कँवर ने नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल की मीटिंग में जो निर्लज्ज किस्म का लफंगापन प्रदर्शित किया, उसे रोकने के लिए काउंसिल सदस्यों को पुलिस बुलाने की धमकी देनी पड़ी - और तब मीटिंग में शांति स्थापित हो सकी और उसमें सदस्यों को अपनी अपनी बात कहने/रखने का मौका मिल सका । नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल क्या, चार्टर्ड एकाउंटेंट्स इंस्टीट्यूट के इतिहास में यह पहली बार हुआ है कि पदाधिकारियों के रवैये के खिलाफ काउंसिल  सदस्यों को ही पुलिस बुलाने की जरूरत महसूस हुई । मीटिंग में राजेंद्र अरोड़ा और नितिन कँवर के व्यवहार के बारे में जिस किसी ने भी सुना, उसकी यही प्रतिक्रिया रही कि नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के चुनाव में इन्हें वोट देने वाले चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ने काउंसिल के लिए सदस्य चुने हैं या लफंगे चुने हैं ? राजेंद्र अरोड़ा नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल में सेक्रेटरी हैं और नितिन कँवर निकासा चेयरमैन हैं; यह दोनों यूँ तो मीटिंग में चीख-चिल्लाहट के जरिए और मेजें थपथपा कर शोर-शराबा करने तथा अपशब्दों व गालियों के जरिये दूसरों को चुप करने का काम करने के लिए कुख्यात रहे हैं, लेकिन कल की मीटिंग में तो इन दोनों ने हद ही कर दी - अपने लफंगई व्यवहार से यह दूसरे सदस्यों को लगातार अपमानित करते जा रहे थे और उन्हें बोलने ही नहीं दे रहे थे; इनके व्यवहार से दो-तीन बार तो ऐसे हालात बने कि लगा कि मीटिंग में मार-पिटाई हो जाएगी ।
इंस्टीट्यूट प्रशासन द्वारा मीटिंग में भेजे गए ऑब्जर्वर्स की उपस्थिति की भी इन्होंने परवाह नहीं की । इनके व्यवहार से तंग आकर काउंसिल के कुछेक सदस्यों ने इंस्टीट्यूट के सेक्रेटरी वी सागर से इनकी शिकायत की, उन्होंने लेकिन यह कहते हुए हाथ खड़े कर दिए कि मीटिंग में उन्होंने ऑब्जर्वर्स भेज दिए हैं और इससे ज्यादा वह कुछ नहीं कर सकते हैं । शिकायत करने गए काउंसिल सदस्यों ने तब वी सागर को दो-टूक शब्दों में बता दिया कि आप कुछ नहीं कर सकते हैं, तो हम पुलिस में रिपोर्ट कर रहे हैं और पुलिस बुला रहे हैं । यह बात कही तो गयी थी इंस्टीयूट के सेक्रेटरी वी सागर से उनके ऑफिस में, लेकिन यह बात तुरंत राजेंद्र अरोड़ा और नितिन कँवर तक पहुँची - जिसका नतीजा यह देखने में आया कि फिर इन्होंने मीटिंग में कोई बदतमीजी नहीं की और मीटिंग में सचमुच कुछ महत्त्वपूर्ण फैसले हुए । लगता है कि इनके रिंग मास्टर राजेश शर्मा, जो मीटिंग के दौरान मीटिंग-स्थल के आसपास ही बने हुए थे और इन्हें लगातार निर्देश दे रहे थे, ने इन्हें चेता दिया होगा कि पुलिस को 'बेस' पसंद है और वह 'बेस' सुजा देती है, इसलिए अब कोई ऐसी हरकत न करना कि अपने अपने 'बेस' को सुजवा लो और बैठने लायक न रहो । राजेंद्र अरोड़ा और नितिन कँवर ने पॉवर ग्रुप के रिंग मास्टर राजेश शर्मा की चेतावनी को गंभीरता से लिया और अपने अपने 'बेस' की चिंता करते हुए मीटिंग में अपनी बदतमीजी पर ब्रेक लगाया ।
इसके बाद मीटिंग का पूरा नजारा बदल गया । नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के चेयरमैन राकेश मक्कड़ ने अपनी बेईमानीपूर्ण हरकतों के लिए बार-बार माफी माँगी; अपने भाई को काउंसिल की कोचिंग क्लास देने के लिए उन्होंने मासूम-सा तर्क दिया कि उन्हें उस नियम के बारे में पता नहीं था जिसके अनुसार वह अपने भाई को क्लास नहीं दे सकते हैं । पिछले वर्ष के एकाउंट काउंसिल सदस्यों को ही दिखाने से लगातार इंकार करते रहे राकेश मक्कड़ फिर एकाउंट दिखाने के लिए भी राजी हो गए । रीजनल काउंसिल के हर उस फैसले के पूरे विवरण देने के लिए भी उन्होंने सहमति व्यक्त की, जिसमें पैसों का लेन-देन होता है । कल हुई नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल की मीटिंग दरअसल इसीलिए महत्त्वपूर्ण थी, क्योंकि उसमें पॉवर ग्रुप की बेईमानियों के हिसाब-किताब के बारे में फैसला होना था । राजेश शर्मा द्वारा नियंत्रित और राकेश मक्कड़ द्वारा संचालित काउंसिल का पॉवर ग्रुप इसीलिए काउंसिल की मीटिंग करने से बच रहा था । इंस्टीट्यूट के प्रेसीडेंट नीलेश विकमसे को बार बार मेल लिखे जा रहे थे कि वह हस्तक्षेप करें और रीजनल काउंसिल की मीटिंग करवाएँ, लेकिन इसके बावजूद मीटिंग करने से बचा जा रहा था । रीजनल काउंसिल की पूर्व चेयरपरसन पूजा अग्रवाल बंसल ने रीजनल काउंसिल की मीटिंग करवाने की माँग करते हुए प्रेसीडेंट को मेल लिखना लगातार जारी रखा और उनकी बारहवीं मेल के बाद मीटिंग करने का फैसला हुआ ।
मीटिंग के लिए मजबूर होने के बाद भी राजेश शर्मा और राकेश मक्कड़ की जोड़ी अपनी हरकत से बाज नहीं आई और उसने मीटिंग का एजेंडा तय नहीं होने दिया । काउंसिल के विरोधी सदस्यों को आभास था कि मीटिंग में हुड़दंगबाजी करके यह अपनी बेईमानियों के मामलों को एजेंडा नहीं बनने देंगे, इसलिए उन्होंने ऑब्जर्वर की माँग की । इंस्टीट्यूट प्रशासन ने दो ऑब्जर्वर नियुक्त कर दिए । राजेश शर्मा की शह पर राजेंद्र अरोड़ा और नितिन कँवर ने ऑब्जर्वर्स की मौजूदगी की भी परवाह नहीं की और अपनी बदतमीजियों से मीटिंग में कोई बात ही नहीं होने दी । अपनी बदतमीजियों का निशाना बनाने से उन्होंने अपने ग्रुप के महत्त्वपूर्ण सदस्य और वाइस चेयरमैन विवेक खुराना तक को नहीं छोड़ा; विवेक खुराना का 'कुसूर' सिर्फ इतना था कि वह लगातार नियमानुसार काम करने की वकालत कर रहे थे - जो राजेंद्र अरोड़ा और नितिन कँवर को पसंद नहीं आ रहा था और इसलिए उन्होंने विवेक खुराना को कई बार धमकाया । उनकी हरकतों के कारण एक-डेढ़ घंटे की मीटिंग छह घंटे चली - और छह घंटे की मीटिंग में भी कई-एक फैसले तब संभव हो सके जब पुलिस कार्रवाई की धमकी के बाद राजेंद्र अरोड़ा और नितिन कँवर ने अपने अपने 'बेस' की चिंता करते हुए अपनी बदतमीजियों पर ब्रेक लगाया ।
चेयरमैन राकेश मक्कड़ ने कल हुई मीटिंग में काउंसिल के विरोधी खेमे के सदस्यों की कई माँगों को सिद्धांततः स्वीकार तो कर लिया है, लेकिन विरोधी खेमे के कुछेक सदस्यों को शक है कि उन्हें सचमुच अमल में लाने से बचने के लिए वह कोई हरकत न कर दें, इसलिए वह राकेश मक्कड़ और उनके संगी-साथियों की हरकतों पर नजर रखने की जरूरत भी समझ रहे हैं । राकेश मक्कड़ अपनी हरकतों से अपनी और काउंसिल की खासी फजीहत करवा चुके हैं, और अपनी हरकतों पर पर्दा डालने की उनकी हर कोशिश लगातार फेल होती जा रही है - इससे उम्मीद हालाँकि यह भी की जा रही है कि इससे सबक लेते हुए राकेश मक्कड़ अब अपनी बात पर ईमानदारी से अमल करेंगे । देखना दिलचस्प होगा कि राकेश मक्कड़ लगातार हो रही अपनी फजीहत से सचमुच सबक लेंगे या अपनी बेईमानीपूर्ण हरकतों को जारी रखेंगे ?