Wednesday, August 16, 2017

चार्टर्ड एकाउंटेंट्स इंस्टीट्यूट की इंदौर ब्रांच में अपने मनमाने कार्य-व्यवहार को लेकर अपने खिलाफ बन रहे नाराजगी के माहौल के बावजूद केमिशा सोनी सेंट्रल काउंसिल के अगले चुनाव में अपनी जीत को लेकर आश्वस्त क्यों हैं ?

इंदौर । इंदौर ब्रांच के कार्यक्रमों में चेयरमैन सोमदत्त सिंघल को किनारे लगा कर एक्सऑफिसो सदस्य के रूप में इंस्टीट्यूट की सेंट्रल काउंसिल की सदस्य केमिशा सोनी द्वारा जिस तरह की मनमानियाँ करने की चर्चाएँ हैं, उससे इंदौर के वरिष्ठ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के बीच उनके प्रति नाराजगी लगातार बढ़ती और मुखर होती जा रही है - जिसे देख कर उनके समर्थकों व शुभचिंतकों को भी डर हुआ है कि यह नाराजगी केमिशा सोनी को अगले चुनाव में कहीं भारी न पड़ जाए । केमिशा सोनी के कुछेक समर्थकों व शुभचिंतकों को हालाँकि यह भी लगता है कि उनके विरोधी जिस तरह बिखरे पड़े हैं और निराश हैं, उसके कारण तमाम बदनामी के बाद भी केमिशा सोनी को कोई चुनावी नुकसान शायद ही हो ! इन लोगों का तर्क है इंदौर में इंस्टीट्यूट की चुनावी राजनीति में वर्षों 'राज' करते रहे विष्णु झावर उर्फ़ काका जी और मनोज फडनिस को करीब बीस महीने पहले केमिशा सोनी की तरफ से जो तगड़ा चुनावी झटका लगा है, उससे वह अभी तक भी उबर नहीं पाए हैं - जिसका नतीजा है कि करीब पंद्रह महीने बाद होने वाले चुनाव के लिए वह इंदौर में 'अपना' कोई उम्मीदवार तक नहीं खोज पाए हैं । पिछली बार जो विकास जैन उनके भरोसे उम्मीदवार बने थे और चुनाव हार गए थे, उनके रंग-ढंग अगली बार उम्मीदवार बनने के दिख नहीं रहे हैं; विकास जैन नहीं, तो उनकी जगह कौन उम्मीदवार बनेगा - विष्णु झावर और मनोज फडनिस की तरफ से उम्मीदवार बनने को लेकर अभी तक कोई अपनी दिलचस्पी व सक्रियता दिखाता हुआ नजर नहीं आया है । इस स्थिति को विष्णु झावर और मनोज फडनिस खेमे की राजनीतिक बदहाली के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है ।
विष्णु झावर और मनोज फडनिस खेमे की इस राजनीतिक बदहाली ने केमिशा सोनी को मनमानी करने की जैसे खुली छूट दे दी है । नजारा यहाँ तक देखा/सुना जा रहा है कि ब्रांच द्वारा आयोजित सेमिनारों में आमंत्रित किए जाने वाले वक्ता यदि केमिशा सोनी को पसंद नहीं होते हैं, तो वह उनका कार्यक्रम ही रद्द करवा देती हैं । केमिशा सोनी की इस कार्रवाई के चलते इंदौर के कई वरिष्ठ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स को पिछले दिनों अपमानित होना पड़ा और इंदौर ब्रांच के चेयरमैन सोमदत्त सिंघल को उन चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के सामने शर्मिंदा होना पड़ा । ब्रांच के कामकाज और फैसलों में केमिशा सोनी का इस हद तक दखल बताया और सुना जाता है कि लोगों को सोमदत्त सिंघल तो बस एक कठपुतली चेयरमैन ही लगते हैं । मजे की बात यह देखने को मिल रही है कि जो लोग पहले विष्णु झावर और मनोज फडनिस के 'व्यवहार' से नाराज रहते/होते थे, वह अब कहने/बताने लगे हैं कि केमिशा सोनी तो उनकी भी 'गुरु' साबित हो रही हैं । उनका कहना है कि विष्णु झावर और मनोज फडनिस मनमानी और पक्षपात तो करते थे, लेकिन ऐसा करते हुए दूसरों को बेइज्जत नहीं करते थे; आरोप है कि केमिशा सोनी विरोधियों को तो छोड़िये, अपने समर्थकों तक का लिहाज नहीं करतीं हैं और वह यदि उनकी बात मानते हुए नहीं दिखते हैं तो उन्हें भी बुरी तरह झिड़क देती हैं और अपमानित करती हैं ।
केमिशा सोनी ने इंदौर ब्रांच के कामकाज और फैसलों में अपना जैसा हस्तक्षेप बना रखा है, उससे लोगों को लगा है कि जैसे इंदौर ब्रांच को वह अपना निजी ऑफिस मान रही हैं और ब्रांच के पदाधिकारियों व सदस्यों को अपने ऑफिस के कर्मचारी के रूप में देख रही हैं । पिछले वर्ष ब्रांच में चेयरपर्सन रहीं गर्जना राठौर को शुरू में केमिशा सोनी के समर्थक के रूप में देखा/पहचाना जाता था, लेकिन केमिशा सोनी के निरंतर बने रहने वाले हस्तक्षेप व दबाव से वह इतनी परेशान हो उठीं कि फिर जल्दी ही वह केमिशा सोनी के विरोधियों के नजदीक दिखाई देने लगीं । सबसे दिलचस्प मामला सेंट्रल इंडिया रीजनल काउंसिल में इंदौर का प्रतिनिधित्व कर रहे चर्चिल जैन और निलेश गुप्ता का है : चर्चिल जैन रीजनल काउंसिल में वाइस चेयरमैन हैं, लेकिन इंदौर ब्रांच में एक्सऑफिसो सदस्य के रूप में उन्हें केमिशा सोनी की मनमानियों के सामने चुप ही बने रहना पड़ता है । उन्हें और निलेश गुप्ता को कई मौकों पर केमिशा सोनी के रवैये और व्यवहार पर इर्रीटेट होते हुए और मनमसोस कर अपमानित होते हुए देखा गया है । केमिशा सोनी के कार्य-व्यवहार को लेकर इंदौर में उनके खिलाफ नाराजगी का जो माहौल बन रहा है, उसने विष्णु झावर तथा मनोज फडनिस व उनके नजदीकियों को खासा उत्साहित तो किया हुआ है - और उन्हें उम्मीद बंध रही है कि केमिशा सोनी की जिस तेजी से लोगों के बीच बदनामी बढ़ रही है, और उनके समर्थक ही उनसे खफा और दूर होते जा रहे हैं; उससे केमिशा सोनी को अगले चुनाव में नुक्सान उठाना पड़ सकता है, और केमिशा सोनी के नुक्सान के चलते विष्णु झावर और मनोज फडनिस खेमे को इंदौर में इंस्टीट्यूट की चुनावी राजनीति में अपनी वापसी करने का मौका मिल सकेगा । यह अभी सिर्फ उम्मीद और अनुमान भर है, क्योंकि इस उम्मीद और अनुमान के पूरा होने की कोई रूपरेखा बनती हुई अभी तो नहीं नजर आ रही है । शायद इसी कारण से केमिशा सोनी लोगों के बीच अपने प्रति बढ़ती नाराजगी को लेकर बेपरवाह बनी हुई हैं ।