नई दिल्ली । वरिष्ठ चार्टर्ड एकाउंटेंट अविनाश गुप्ता नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के वाइस चेयरमैन विवेक खुराना की शिकायत करने के चलते खुद बड़े विवाद में फँस गए हैं । अविनाश गुप्ता पर गंभीर आरोप यह लग रहा है कि वह रीजनल काउंसिल के पदाधिकारियों की
अंदरूनी लड़ाई में एक मोहरा बन गए हैं और रीजनल काउंसिल के चेयरमैन राकेश
मक्कड़ को खुश करने के लिए उनके कहने पर उन्होंने विवेक खुराना पर निशाना
साधा है । उल्लेखनीय है कि वाइस चेयरमैन के रूप में विवेक खुराना इस समय
राकेश मक्कड़ के लिए भारी परेशानी का सबब बने हुए हैं । राकेश मक्कड़ के लिए
मुसीबत की बात यह हो रही है कि रीजनल काउंसिल में कुछेक सदस्य उन पर
चालबाजियाँ रचने तथा बेईमानियाँ करने के जो आरोप लगा रहे हैं, विवेक
खुराना उन्हें समर्थन देते नजर आ रहे हैं - जिसके कारण न सिर्फ आरोपों को विश्वसनीयता मिलती दिख रही है, बल्कि राकेश मक्कड़ के लिए अपना बचाव करना भी मुश्किल हो रहा है ।
इसके अलावा, विवेक खुराना को विरोधी खेमे के नजदीक खिसकता देख राकेश मक्कड़
को अपना पॉवर ग्रुप भी बिखरता नजर आ रहा है - जिसके चलते पॉवर ग्रुप के
सदस्यों को अगले वर्ष सत्ता छिनने का डर हो गया है । अगले वर्ष भी सत्ता
अपने हाथ में बनाए रखने खातिर विवेक खुराना को अपने खेमे में बनाए रखने के
लिए राकेश मक्कड़ ने हर संभव तरीके आजमाना शुरू कर दिया है । इंस्टीट्यूट
में शिकायत करके जाँच में फँसाने और बचाने के विकल्प देकर विवेक खुराना को
ब्लैकमेल करने के प्रयास तो चर्चा में हैं ही, मीटिंग्स में भी विवेक
खुराना को अपमानित किया जा रहा है । हाल ही में संपन्न हुई रीजनल
काउंसिल की मीटिंग में सेक्रेटरी राजिंदर अरोड़ा ने विवेक खुराना को यह कहते
हुए धमकी-सी दी कि तुम चेयरमैन बनना चाहते हो न, हम देखेंगे कि कैसे बनते
हो ! इसी दौरान विवेक खुराना को निशाना बनाती अविनाश गुप्ता की शिकायत
सामने आयी तो लोगों को यह समझने में देर नहीं लगी कि यह शिकायत करवाने
के लिए चाबी राकेश मक्कड़ ने भरी है । यह बात इसलिए चर्चा में आई - क्योंकि
राकेश मक्कड़ और उनके भाई राजेश मक्कड़ के साथ अविनाश गुप्ता की नजदीकियत
जगजाहिर है ।
अविनाश गुप्ता ने इंस्टीट्यूट के प्रेसीडेंट को लिखे पत्र में विवेक खुराना पर अपने राजनीतिक प्रचार के लिए जीएमसीएस क्लासेस को डिस्टर्ब करने का आरोप लगाया है । उनके आरोप को बड़े बचकाने किस्म के आरोप के रूप में देखा गया है । उल्लेखनीय है कि इंस्टीट्यूट के चुनावबाज नेताओं के द्वारा जीएमसीएस क्लासेस का दुरूपयोग करना एक बड़ी आम सी बात हो गयी है, और लोगों ने इसे एक आवश्यक बुराई के रूप में 'स्वीकार' कर लिया है । मजे की बात यह है कि जीएमसीएस क्लासेस को डिस्टर्ब करने की शिकायत फैकल्टी और या छात्रों ने नहीं की है - यानि अविनाश गुप्ता बेगानी शादी में अब्दुल्ला बनने की कोशिश कर रहे हैं । लोगों का कहना है कि लेकिन फिर भी यदि अविनाश गुप्ता वास्तव में इस बुराई को दूर करना ही चाहते हैं तो उन्हें पहले रीजनल काउंसिल के चेयरमैन को तथा रीजनल काउंसिल की जीएमसीएस कमेटी को जीएमसीएस क्लासेस में व्यवस्था बनाए रखने का सुझाव देना चाहिए था; उनके कुछ न करने पर प्रेसीडेंट को लिखना चाहिए था और उनकी कार्रवाई का इंतजार करना चाहिए था । ऐसा कुछ न करके, प्रेसीडेंट को लिखी चिट्ठी सोशल मीडिया में डाल कर अविनाश गुप्ता ने यही जताया है कि उनका उद्देश्य जीएमसीएस क्लासेस में व्यवस्था बनवाना नहीं, बल्कि राजनीति करना है । इंस्टीट्यूट के पूर्व प्रेसीडेंट अमरजीत चोपड़ा तक ने अविनाश गुप्ता की इस कार्रवाई पर ऐतराज जताया है ।
अविनाश गुप्ता पर आरोप लग रहा है कि रीजनल काउंसिल के चेयरमैन राकेश मक्कड़ ने अपने भाई के जरिए इंस्टीट्यूट में जो लूट मचा रख्खी है, उस पर तो उनके मुँह से कोई शब्द नहीं फूट रहे हैं, उस पर इंस्टीट्यूट के प्रेसीडेंट को पत्र लिखने की वह कोई जरूरत नहीं समझ रहे हैं - और एक बड़े मामूली से मुद्दे पर वह शोर मचाने का प्रयास कर रहे हैं; इससे जाहिर है कि वह खुद एक बड़ी टुच्ची राजनीति कर रहे हैं । उल्लेखनीय है कि रीजनल काउंसिल के पिछले चुनाव में सफल न हो पाने वाले अविनाश गुप्ता अगले चुनाव में फिर उम्मीदवार बनने की तैयारी करते हुए सुने जा रहे हैं । उनके नजदीकियों का कहना है कि अगले चुनाव में उन्हें राकेश मक्कड़ और उनके भाई का समर्थन मिलने की उम्मीद है, अपनी इस उम्मीद को और पक्का करने के लिए ही उन्होंने राकेश मक्कड़ के लिए अभी मुसीबत बने हुए विवेक खुराना को निशाने पर ले लिया है । इस कार्रवाई पर राकेश मक्कड़ और उनके भाई ने जिस तरह से उनकी पीठ थपथपाई है, उससे अविनाश गुप्ता को विश्वास हो चला है कि अगले चुनाव में इनका समर्थन उन्हें अवश्य ही मिल जाएगा और तब वह अपनी चुनावी वैतरणी आराम से पार कर लेंगे ।
अविनाश गुप्ता वैसे खुशकिस्मत भी हैं कि 'बड़े लुटेरों' को छोड़ कर छोटी-मोटी हरकतें करने वालों को निशाना बनाने की उनकी कार्रवाई को सिर्फ आलोचना का ही शिकार नहीं होना पड़ा है - बल्कि रतन सिंह यादव, गौरव गर्ग, अजय सिंघल आदि नेताओं का समर्थन भी उन्हें मिला है । मजेदार संयोग लेकिन यह है कि यह लोग भी पिछले चुनावों में हारे हुए नेता हैं, और अगले चुनाव में उम्मीदवार होने की तैयारी करते सुने जा रहे हैं; तथा इन्होंने भी राकेश मक्कड़ और उनके भाई की लूट-खसोट पर चुप्पी साधी हुई है । दरअसल यह लोग भी राकेश मक्कड़ और उनके भाई का समर्थन लेने/पाने की जुगाड़ में हैं । इसलिए विवेक खुराना को निशाना बनाती अविनाश गुप्ता की कार्रवाई पर जोर जोर से ताली बजाते हुए इन्होंने राकेश मक्कड़ और उनके भाई को खुश करने का प्रयास किया है । इन संभावित उम्मीदवारों के इस रवैये से लोगों के बीच चर्चा छिड़ी है कि यह लोग अगले चुनाव में यदि जीत भी गए तो काउंसिल में सांपनाथों की बजाए नागनाथों के आने के अलावा और क्या बदलेगा ?
अविनाश गुप्ता ने इंस्टीट्यूट के प्रेसीडेंट को लिखे पत्र में विवेक खुराना पर अपने राजनीतिक प्रचार के लिए जीएमसीएस क्लासेस को डिस्टर्ब करने का आरोप लगाया है । उनके आरोप को बड़े बचकाने किस्म के आरोप के रूप में देखा गया है । उल्लेखनीय है कि इंस्टीट्यूट के चुनावबाज नेताओं के द्वारा जीएमसीएस क्लासेस का दुरूपयोग करना एक बड़ी आम सी बात हो गयी है, और लोगों ने इसे एक आवश्यक बुराई के रूप में 'स्वीकार' कर लिया है । मजे की बात यह है कि जीएमसीएस क्लासेस को डिस्टर्ब करने की शिकायत फैकल्टी और या छात्रों ने नहीं की है - यानि अविनाश गुप्ता बेगानी शादी में अब्दुल्ला बनने की कोशिश कर रहे हैं । लोगों का कहना है कि लेकिन फिर भी यदि अविनाश गुप्ता वास्तव में इस बुराई को दूर करना ही चाहते हैं तो उन्हें पहले रीजनल काउंसिल के चेयरमैन को तथा रीजनल काउंसिल की जीएमसीएस कमेटी को जीएमसीएस क्लासेस में व्यवस्था बनाए रखने का सुझाव देना चाहिए था; उनके कुछ न करने पर प्रेसीडेंट को लिखना चाहिए था और उनकी कार्रवाई का इंतजार करना चाहिए था । ऐसा कुछ न करके, प्रेसीडेंट को लिखी चिट्ठी सोशल मीडिया में डाल कर अविनाश गुप्ता ने यही जताया है कि उनका उद्देश्य जीएमसीएस क्लासेस में व्यवस्था बनवाना नहीं, बल्कि राजनीति करना है । इंस्टीट्यूट के पूर्व प्रेसीडेंट अमरजीत चोपड़ा तक ने अविनाश गुप्ता की इस कार्रवाई पर ऐतराज जताया है ।
अविनाश गुप्ता पर आरोप लग रहा है कि रीजनल काउंसिल के चेयरमैन राकेश मक्कड़ ने अपने भाई के जरिए इंस्टीट्यूट में जो लूट मचा रख्खी है, उस पर तो उनके मुँह से कोई शब्द नहीं फूट रहे हैं, उस पर इंस्टीट्यूट के प्रेसीडेंट को पत्र लिखने की वह कोई जरूरत नहीं समझ रहे हैं - और एक बड़े मामूली से मुद्दे पर वह शोर मचाने का प्रयास कर रहे हैं; इससे जाहिर है कि वह खुद एक बड़ी टुच्ची राजनीति कर रहे हैं । उल्लेखनीय है कि रीजनल काउंसिल के पिछले चुनाव में सफल न हो पाने वाले अविनाश गुप्ता अगले चुनाव में फिर उम्मीदवार बनने की तैयारी करते हुए सुने जा रहे हैं । उनके नजदीकियों का कहना है कि अगले चुनाव में उन्हें राकेश मक्कड़ और उनके भाई का समर्थन मिलने की उम्मीद है, अपनी इस उम्मीद को और पक्का करने के लिए ही उन्होंने राकेश मक्कड़ के लिए अभी मुसीबत बने हुए विवेक खुराना को निशाने पर ले लिया है । इस कार्रवाई पर राकेश मक्कड़ और उनके भाई ने जिस तरह से उनकी पीठ थपथपाई है, उससे अविनाश गुप्ता को विश्वास हो चला है कि अगले चुनाव में इनका समर्थन उन्हें अवश्य ही मिल जाएगा और तब वह अपनी चुनावी वैतरणी आराम से पार कर लेंगे ।
अविनाश गुप्ता वैसे खुशकिस्मत भी हैं कि 'बड़े लुटेरों' को छोड़ कर छोटी-मोटी हरकतें करने वालों को निशाना बनाने की उनकी कार्रवाई को सिर्फ आलोचना का ही शिकार नहीं होना पड़ा है - बल्कि रतन सिंह यादव, गौरव गर्ग, अजय सिंघल आदि नेताओं का समर्थन भी उन्हें मिला है । मजेदार संयोग लेकिन यह है कि यह लोग भी पिछले चुनावों में हारे हुए नेता हैं, और अगले चुनाव में उम्मीदवार होने की तैयारी करते सुने जा रहे हैं; तथा इन्होंने भी राकेश मक्कड़ और उनके भाई की लूट-खसोट पर चुप्पी साधी हुई है । दरअसल यह लोग भी राकेश मक्कड़ और उनके भाई का समर्थन लेने/पाने की जुगाड़ में हैं । इसलिए विवेक खुराना को निशाना बनाती अविनाश गुप्ता की कार्रवाई पर जोर जोर से ताली बजाते हुए इन्होंने राकेश मक्कड़ और उनके भाई को खुश करने का प्रयास किया है । इन संभावित उम्मीदवारों के इस रवैये से लोगों के बीच चर्चा छिड़ी है कि यह लोग अगले चुनाव में यदि जीत भी गए तो काउंसिल में सांपनाथों की बजाए नागनाथों के आने के अलावा और क्या बदलेगा ?