Wednesday, March 14, 2018

इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की सेंट्रल काउंसिल में वापसी की तैयारी कर रहे चरनजोत सिंह नंदा की जबर्दस्ती निमंत्रण जुगाड़ कर सेमीनार में शामिल होने के मौके और तस्वीरें बना लेने की तरकीब उन्हें कहीं उलटी और भारी न पड़ जाए ?

नई दिल्ली । नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल की ब्रांचेज के पदाधिकारियों के बीच चरनजोत सिंह नंदा को लेकर एक मजेदार किस्म का भय व्याप्त हो रखा है, जिसके तहत उन्हें बराबर यह डर सताता रहता है कि चरनजोत सिंह नंदा कब उन पर किसी सेमीनार में आमंत्रित करने के लिए दबाव डाल दें - और उन्हें मजबूर होकर चरनजोत सिंह नंदा को किसी सेमीनार में आमंत्रित करना ही पड़ जाए । ब्रांचेज के पदाधिकारियों ने अलग अलग मौकों पर सेंट्रल काउंसिल के सदस्यों तथा रीजनल काउंसिल के पदाधिकारियों से चरनजोत सिंह नंदा की इस हरकत की शिकायत की है, लेकिन कोई भी उन्हें चरनजोत सिंह नंदा से 'बचने' का उपाय नहीं बता सका है । दबाव में जिन ब्रांचेज के पदाधिकारियों ने चरनजोत सिंह नंदा को अपने अपने यहाँ सेमीनार में आमंत्रित कर भी लिया, उनकी मुश्किलें उनके रवैये को लेकर और और बढ़ीं । चरनजोत सिंह नंदा को अपने यहाँ सेमीनार में आमंत्रित करने वाले पदाधिकारियों की शिकायत है कि चरनजोत सिंह नंदा पाँच/छह घंटे के कार्यक्रम में बीस/तीस मिनट का अपना भाषण देते हैं, और उसके अलावा बाकी समय हॉल से बाहर बैठ कर राजनीति करते हैं - और इस तरह सेमीनार कार्यक्रम को डिस्टर्ब करते हैं । वास्तव में, सेमीनार में आमंत्रित किए जाने के लिए वह दबाव ही इसलिए बनाते हैं, ताकि सेमीनार में आए चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के बीच उन्हें राजनीति करने का मौका मिले । इस तरीके को अपना कर चरनजोत सिंह नंदा दोहरा फायदा उठाते हैं - पहले तो वह सेमीनार में आने/पहुँचने वाले चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के बीच अपने आपको 'दिखाते' हैं, और फिर सोशल मीडिया में बार-बार अपनी तस्वीरें दिखा दिखा कर वह दूसरे चार्टर्ड एकाउंटेंट्स को भरमाते हैं ।
उल्लेखनीय है कि चरनजोत सिंह नंदा कई वर्ष इंस्टीट्यूट की सेंट्रल काउंसिल में रहे हैं । उससे पहले वह रीजनल काउंसिल में रहे थे । इंस्टीट्यूट की काउंसिल्स में सबसे ज्यादा वर्ष रहने वाले सदस्य के लिए यदि किसी अवॉर्ड की स्थापना हो - तो उस अवॉर्ड पर चरनजोत सिंह नंदा का ही हक होगा । लोगों को लगता है कि चरनजोत सिंह नंदा चार्टर्ड एकाउंटेंट शायद बने ही इसलिए हैं, ताकि वह काउंसिल में रह सकें । हो सकता है कि उन्हें काउंसिल से बाहर करने के लिए ही इंस्टीट्यूट ने कॉउंसिल में रहने के लिए समय-सीमा का नियम बनाया हो । अधिकतम लगातार नौ वर्ष ही काउंसिल में रहने का नियम बनाने वाले पदाधिकारियों ने सोचा होगा कि चरनजोत सिंह नंदा बाहर होंगे, तो फिर बाहर ही रह जायेंगे । चरनजोत सिंह नंदा लेकिन नियम बनाने वाले पदाधिकारियों से ज्यादा होशियार निकले । जिस प्रकार गुड़ पर बैठी मक्खी बार-बार भगाये जाने के बाद भी गुड़ पर फिर फिर लौट आती है, उसी प्रकार चरनजोत सिंह नंदा भी एक टर्म बाहर रहने के बाद फिर से सेंट्रल काउंसिल में जाने के लिए तैयार हो गए । तैयार तो वह हो गए, लेकिन यह देख कर वह भौंचक रह गए कि अपने साथ रहे जिन लोगों से वह अब फिर मदद की उम्मीद कर रहे थे, वह उनसे बचने/छिपने की कोशिश कर रहे हैं । अपने ही संगी-साथी और लगातार कई चुनावों में समर्थक रहे लोगों के इस रवैये को देख कर चरनजोत सिंह नंदा को समझ में आ गया कि अबकी बार का चुनाव जीत कर सेंट्रल काउंसिल में अपनी वापसी करने को वह जितना आसान समझ रहे हैं, मामला उतना आसान है नहीं ।
चरनजोत सिंह नंदा के लिए मुसीबत की बात यह रही कि उनके कुछेक नजदीकियों व शुभचिंतकों ने ही उन्हें समझाया कि सेंट्रल काउंसिल में वापसी करने की उनकी कोशिशों को प्रोफेशन के लोगों के बीच अच्छी भावना से नहीं देखा जा रहा है और इससे लोगों के बीच उनकी नकारात्मक पहचान ही बन रही है - ऐसे में कहीं ऐसा न हो कि वह सेंट्रल काउंसिल का चुनाव भी हार जाएँ और उनकी जो थोड़ी-बहुत साख है, उसे भी वह खो दें । इस समझाइश का चरनजोत सिंह नंदा पर कोई असर न तो पड़ना था, और न ही वह पड़ा । इससे सिर्फ इतना हुआ कि उन्होंने यह समझ लिया कि अपने पुराने साथियों/सहयोगियों के भरोसे रह कर उनका काम चलने वाला नहीं है, तथा उन्हें नए साथी/सहयोगी बनाने पड़ेंगे । नए साथी/सहयोगी बनाने के लिए उन्हें ब्रांचेज की शरण में जाने की जरूरत महसूस हुई । ब्रांचेज के पदाधिकारियों के सामने काउंसिल के मौजूदा सदस्यों को तवज्जो देने की जरूरत होती है, जिसके चलते वह भूतपूर्व सदस्यों को तो फिर 'चल चुके कारतूस' के ही रूप में देखते/पहचानते हैं । ब्रांचेज के पदाधिकारियों पर दबाव बनाने के लिए चरनजोत सिंह नंदा ने ब्रांचेज के पुराने और अपने समय के पदाधिकारियों की मदद लेना शुरू किया । दबाव बना कर चरनजोत सिंह नंदा ने कुछेक ब्रांचेज में सेमीनार आदि में अपने लिए निमंत्रणों का जुगाड़ करने में तो सफलता पाई, लेकिन उनकी सफलता ब्रांचेज के पदाधिकारियों के लिए मुसीबत बन गई है । ब्रांचेज के पदाधिकारियों की शिकायत है कि चरनजोत सिंह नंदा बार-बार आमंत्रित किए जाने की उम्मीद करते हैं और इसके लिए दबाव बनाते हैं । चरनजोत सिंह नंदा जबर्दस्ती निमंत्रण जुगाड़ कर सेमीनार में शामिल होने के मौके और तस्वीरें तो बना ले रहे हैं, लेकिन उनके इस तरीके से उनकी बदनामी भी खूब हो रही है । इससे उनके नजदीकियों को ही डर हो चला है कि चरनजोत सिंह नंदा की यह तरकीब कहीं उन्हें उलटी और भारी न पड़ जाए ?