गाजियाबाद
। सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की चुनावी लड़ाई में गाजियाबाद को
लेकर अश्वनी काम्बोज इतनी उलझन में फँस गए हैं कि उन्हें तीन बार गाजियाबाद
का दौरा टालना पड़ा है । उल्लेखनीय है कि उम्मीदवार के रूप में
अश्वनी काम्बोज लायन-डिस्ट्रिक्ट की भौगोलिक सीमा में आने वाले प्रमुख
शहरों में प्रायः सभी शहरों का दौरा कर उन शहरों के प्रमुख लायन नेताओं और
पदाधिकारियों से मिल चुके हैं, लेकिन एक अकेले गाजियाबाद के लायन नेताओं व
पदाधिकारियों से वह दूर दूर बने हुए हैं । अश्वनी कम्बोज के नजदीकियों का
कहना है कि उन्होंने तीन बार गाजियाबाद का प्रोग्राम बनाया, लेकिन तीनों
बार ऐन मौके पर उन्हें अपना प्रोग्राम स्थगित कर देना पड़ा । तीनों ही बार
इसका कारण उनकी यह असमंजसता रही कि गाजियाबाद में वह 'ऊँगली' किसकी पकड़े ।
खेमेबाजी के लिहाज से उन्हें निवर्त्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर शिव कुमार
चौधरी की 'ऊँगली' पकड़ कर गाजियाबाद में चलना चाहिए, पिछले वर्ष अश्वनी
कम्बोज ने उन्हीं के सहारे/भरोसे चुनाव लड़ा था । लेकिन उनकी प्रमुख
समर्थक और सलाहकार के रूप में देखी/पहचानी जा रहीं पूर्व गवर्नर अनीता
गुप्ता ने उन्हें सख्त हिदायत दी हुई है कि इस वर्ष उन्हें शिव कुमार चौधरी
से दूर रहना है, और गाजियाबाद में तो 'रंगा-बिल्ला की जोड़ी' से बिलकुल ही
बच कर रहना है । बताया जाता है कि शिव कुमार चौधरी और उनके खासमखास विनीत
शर्मा को अनीता गुप्ता 'रंगा-बिल्ला की जोड़ी' के रूप में संबोधित करती हैं ।
अश्वनी काम्बोज पिछले वर्ष शिव कुमार चौधरी के हाथों जिस तरह की 'ठगी' के
शिकार हुए और उसके बाद भी बुरी तरह चुनाव हार गए, उसके चलते वह खुद भी इस
बार शिव कुमार चौधरी से बच कर चल रहे हैं । उन्हें बहुत अच्छे से समझ में आ
गया है कि वह यदि रंगा-बिल्ला की जोड़ी के चक्कर में फिर फँसे तो फिर न
सिर्फ ठगे जायेंगे, बल्कि निश्चित रूप से चुनाव भी हारेंगे । इसलिए
अपनी उम्मीदवारी के संदर्भ में वह गाजियाबाद में अपने नए आधार की तलाश में हैं ।
उम्मीदवारी का पर्चा दाखिल करने के मौके पर डिस्ट्रिक्ट गवर्नर अजय सिंघल के यहाँ उन्हें जो सकारात्मक 'ट्रीटमेंट' मिला, उससे वह उत्साहित हुए थे और उन्हें उम्मीद बनी थी कि गाजियाबाद में उन्हें डिस्ट्रिक्ट के तिकड़ी पदाधिकारियों की ऊँगली पकड़ने को मिल सकती है - लेकिन कुछ मुकेश गोयल की 'राजनीतिक होशियारी' और कुछ अश्वनी काम्बोज की 'राजनीतिक अनुभवहीनता' के कारण अजय सिंघल के यहाँ मिले 'ट्रीटमेंट' को अश्वनी काम्बोज अपने लिए रास्ते के रूप में विकसित नहीं कर सके । अश्वनी काम्बोज और अनीता गुप्ता को विनय मित्तल से बहुत उम्मीदें रही हैं, लेकिन विनय मित्तल को पकड़ने के लिए 'दूर' 'दूर' से की जा रही उनकी कोशिशों का भी अभी तक तो कोई फल उन्हें नहीं मिला है । मजे की बात यह हो रही है कि विनय मित्तल को लेकर वह जब भी नाउम्मीद होते हैं, तभी कुछ ऐसा घट जाता है - जो उनकी उम्मीदों को फिर से जगा देता है । पिछले सप्ताहांत अश्वनी काम्बोज ने गाजियाबाद का दौरा करने का कार्यक्रम बनाया था, लेकिन तभी विनय मित्तल की तरफ से अगले वर्ष के अपने गवर्नर-काल के पदों के बँटवारे के राजनीतिक-उपयोग पर 'बैन' लगाने की घटना घट गई - जिसने अश्वनी काम्बोज और अनीता गुप्ता की उम्मीदों को एक बार फिर से हवा दे दी । ऐसे में, उनके सामने गाजियाबाद के दौरे को पुनर्व्यवस्थित करने की जरूरत आन पड़ी, और जिस जरूरत को पूरा करने के चक्कर में अश्वनी काम्बोज को तीसरी बार फिर अपनी उम्मीदवारी के प्रचार अभियान से जुड़ा गाजियाबाद का अपना प्रोग्राम स्थगित करना पड़ा ।
विनय मित्तल ने अपने गवर्नर-काल के पदों के राजनीतिक-उपयोग पर जिस दो-टूक तरीके से बैन लगाया है, उसमें सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के चुनाव के संदर्भ में एक बड़ा संदेश है - जो छिपा हुआ भी नहीं है । दरअसल हुआ यह कि राजेश गुप्ता के कुछेक नजदीकियों ने राजेश गुप्ता की उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने के उद्देश्य से अगले लायन वर्ष के पदों की सौदेबाजी शुरू कर दी । सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की चुनावी राजनीति का यह एक आम फंडा/फार्मूला है, जिसका उपयोग करके अपने पसंदीदा उम्मीदवार के लिए समर्थन जुटाया जाता है । राजेश गुप्ता के लिए भी यही करने का प्रयास हो रहा था । विनय मित्तल को इसकी भनक लगी, तो उन्होंने तुरंत दो-टूक संदेश डिस्ट्रिक्ट के लोगों को भेज दिया कि उन्होंने अभी अपनी टीम का गठन करना शुरू नहीं किया है और इसलिए उन्होंने किसी को यह अधिकार नहीं दिया है कि वह अगले वर्ष के लिए पदाधिकारी बनाए; विनय मित्तल ने अपने संदेश में स्पष्ट कहा कि अपनी टीम गठित करने का काम वह डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस हो जाने के बाद करेंगे, क्योंकि नियमानुसार अभी तो उन्हें टीम गठित करने का अधिकार भी नहीं है । 'देखने' में तो ऐसा लगता है जैसे कि विनय मित्तल ने तकनीकी आधार पर अगले वर्ष की अपनी टीम गठित करने के काम को रोका हुआ है, लेकिन राजनीति समझने वाले लोगों ने उनके इस संदेश में चिपटी/लिपटी राजनीति को भी समझ/पहचान लिया है । इससे लोगों के बीच यह भी जाहिर हुआ है कि विनय मित्तल और मुकेश गोयल के बीच ऊपर ऊपर से सब कुछ भले ही ठीक दिख रहा हो, अंदरखाने उनके बीच लेकिन समस्या अभी बनी हुई है । यह स्थिति अश्वनी काम्बोज के लिए एक मौका तो बनाती है, लेकिन इस मौके का फायदा उन्हें तभी मिल सकेगा - जब वह राजनीतिक-होशियारी से स्थिति का आकलन करेंगे और अपने कदम रखेंगे ।
उम्मीदवारी का पर्चा दाखिल करने के मौके पर डिस्ट्रिक्ट गवर्नर अजय सिंघल के यहाँ उन्हें जो सकारात्मक 'ट्रीटमेंट' मिला, उससे वह उत्साहित हुए थे और उन्हें उम्मीद बनी थी कि गाजियाबाद में उन्हें डिस्ट्रिक्ट के तिकड़ी पदाधिकारियों की ऊँगली पकड़ने को मिल सकती है - लेकिन कुछ मुकेश गोयल की 'राजनीतिक होशियारी' और कुछ अश्वनी काम्बोज की 'राजनीतिक अनुभवहीनता' के कारण अजय सिंघल के यहाँ मिले 'ट्रीटमेंट' को अश्वनी काम्बोज अपने लिए रास्ते के रूप में विकसित नहीं कर सके । अश्वनी काम्बोज और अनीता गुप्ता को विनय मित्तल से बहुत उम्मीदें रही हैं, लेकिन विनय मित्तल को पकड़ने के लिए 'दूर' 'दूर' से की जा रही उनकी कोशिशों का भी अभी तक तो कोई फल उन्हें नहीं मिला है । मजे की बात यह हो रही है कि विनय मित्तल को लेकर वह जब भी नाउम्मीद होते हैं, तभी कुछ ऐसा घट जाता है - जो उनकी उम्मीदों को फिर से जगा देता है । पिछले सप्ताहांत अश्वनी काम्बोज ने गाजियाबाद का दौरा करने का कार्यक्रम बनाया था, लेकिन तभी विनय मित्तल की तरफ से अगले वर्ष के अपने गवर्नर-काल के पदों के बँटवारे के राजनीतिक-उपयोग पर 'बैन' लगाने की घटना घट गई - जिसने अश्वनी काम्बोज और अनीता गुप्ता की उम्मीदों को एक बार फिर से हवा दे दी । ऐसे में, उनके सामने गाजियाबाद के दौरे को पुनर्व्यवस्थित करने की जरूरत आन पड़ी, और जिस जरूरत को पूरा करने के चक्कर में अश्वनी काम्बोज को तीसरी बार फिर अपनी उम्मीदवारी के प्रचार अभियान से जुड़ा गाजियाबाद का अपना प्रोग्राम स्थगित करना पड़ा ।
विनय मित्तल ने अपने गवर्नर-काल के पदों के राजनीतिक-उपयोग पर जिस दो-टूक तरीके से बैन लगाया है, उसमें सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के चुनाव के संदर्भ में एक बड़ा संदेश है - जो छिपा हुआ भी नहीं है । दरअसल हुआ यह कि राजेश गुप्ता के कुछेक नजदीकियों ने राजेश गुप्ता की उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने के उद्देश्य से अगले लायन वर्ष के पदों की सौदेबाजी शुरू कर दी । सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की चुनावी राजनीति का यह एक आम फंडा/फार्मूला है, जिसका उपयोग करके अपने पसंदीदा उम्मीदवार के लिए समर्थन जुटाया जाता है । राजेश गुप्ता के लिए भी यही करने का प्रयास हो रहा था । विनय मित्तल को इसकी भनक लगी, तो उन्होंने तुरंत दो-टूक संदेश डिस्ट्रिक्ट के लोगों को भेज दिया कि उन्होंने अभी अपनी टीम का गठन करना शुरू नहीं किया है और इसलिए उन्होंने किसी को यह अधिकार नहीं दिया है कि वह अगले वर्ष के लिए पदाधिकारी बनाए; विनय मित्तल ने अपने संदेश में स्पष्ट कहा कि अपनी टीम गठित करने का काम वह डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस हो जाने के बाद करेंगे, क्योंकि नियमानुसार अभी तो उन्हें टीम गठित करने का अधिकार भी नहीं है । 'देखने' में तो ऐसा लगता है जैसे कि विनय मित्तल ने तकनीकी आधार पर अगले वर्ष की अपनी टीम गठित करने के काम को रोका हुआ है, लेकिन राजनीति समझने वाले लोगों ने उनके इस संदेश में चिपटी/लिपटी राजनीति को भी समझ/पहचान लिया है । इससे लोगों के बीच यह भी जाहिर हुआ है कि विनय मित्तल और मुकेश गोयल के बीच ऊपर ऊपर से सब कुछ भले ही ठीक दिख रहा हो, अंदरखाने उनके बीच लेकिन समस्या अभी बनी हुई है । यह स्थिति अश्वनी काम्बोज के लिए एक मौका तो बनाती है, लेकिन इस मौके का फायदा उन्हें तभी मिल सकेगा - जब वह राजनीतिक-होशियारी से स्थिति का आकलन करेंगे और अपने कदम रखेंगे ।