Sunday, March 4, 2018

रोटरी इंटरनेशनल के रिसोर्स ग्रुप में तमाम कोशिशों के बाद भी मुकेश अरनेजा के एआरआरएफसी पद पाने में असफल रह जाने से रोटरी इंटरनेशनल पदाधिकारियों के बीच उनके 'ब्लैक लिस्ट' हो जाने की चर्चाओं को और बल मिला है

नई दिल्ली । मुकेश अरनेजा ने एआरआरएफसी (असिस्टेंट रीजनल रोटरी फाउंडेशन कोऑर्डीनेटर) पद से विनोद बंसल की छुट्टी करवा कर खुद उस पद को हासिल करने की जो घोषणा की हुई थी, वह अंततः झूठी और उनके बड़बोलेपन का एक और सुबूत साबित हुई । इंटरनेशनल डायरेक्टर बासकर चॉकलिंगम तथा फाउंडेशन ट्रस्टी गुलाम वहनवती ने उक्त पद पर डॉक्टर सुब्रमणियन की नियुक्ति करके मुकेश अरनेजा को सीधा झटका दिया है । मुकेश अरनेजा हालाँकि विनोद बंसल की छुट्टी करवा देने के अपने दावे पर चाहें तो गर्व कर सकते हैं । यद्यपि विनोद बंसल का कहना है कि एआरआरएफसी के पद पर लगातार तीसरे वर्ष रहने को लेकर उन्होंने अपनी अनिच्छा प्रकट कर दी थी, और लगातार तीसरे वर्ष उक्त पद पर बने रहने में उनकी कोई दिलचस्पी नहीं बची थी । दरअसल विनोद बंसल की इस अनिच्छा को जान कर ही मुकेश अरनेजा ने उक्त पद के लिए लॉबिंग शुरू की थी । बासकर चॉकलिंगम तथा गुलाम वहनवती से नजदीकी बनाने की कोशिश करते हुए मुकेश अरनेजा ने डीआरएफसी (डिस्ट्रिक्ट रोटरी फाउंडेशन चेयरमैन) के रूप में अपने कामकाज का ब्यौरा उन्हें दिया । मुकेश अरनेजा ने दावा किया कि डीआरएफसी के रूप में उनकी परफॉर्मेंस को देख/जान कर दोनों ने खुशी ही प्रकट की । लगता है कि दोनों के द्वारा प्रकट खुशी के झाँसे में मुकेश अरनेजा आ गए और दावा करने लगे कि बस अब यह दोनों एआरआरएफसी के पद पर उन्हीं की नियुक्ति करेंगे । लेकिन उक्त पर डॉक्टर सुब्रमणियन की नियुक्ति होने से मुकेश अरनेजा की उम्मीदों पर पानी फिर गया ।
उल्लेखनीय है कि उक्त पद पर अन्य कुछेक लोगों की भी निगाह थी और डॉक्टर सुब्रमणियन की नियुक्ति से उन्हें भी नाउम्मीद होना पड़ा है । अपने आप में यह कोई बड़ी बात नहीं है । किसी भी पद के लिए एक से अधिक दावेदार होते हैं, लेकिन पद एक को ही मिलता है - बाकी लोग लॉबिंग में कमी रह जाने का तर्क देकर और या किस्मत को जिम्मेदार ठहरा कर चुप लगा जाते है । किसी के लिए भी यह बात कोई बड़ा मुद्दा नहीं बनती है । लेकिन मुकेश अरनेजा के लिए एआरआरएफसी का पद - 'इस समय' की एक बड़ी जरूरत थी । वास्तव में मुकेश अरनेजा इस पद को लेकर 'इस समय' जो लॉबिंग कर रहे थे, वह सिर्फ एक पद के लिए उनकी 'भूख' नहीं थी, बल्कि अपने बारे में फैली हुई एक धारणा को झूठा साबित करने की तैयारी थी । असल में, मुकेश अरनेजा को लेकर रोटरी जगत में बड़ी चर्चा है कि उनकी तरह तरह की हरकतों को लेकर रोटरी इंटरनेशनल में उनकी फाइल तैयार हो गई है, और किसी भी मौके पर उन्हें 'झटका' मिल सकता है । डीआरएफसी के रूप में उनके कारनामों की शिकायतों का पुलिंदा रोटरी इंटरनेशनल में उनकी स्थिति को बुरी तरह से खराब कर चुका है । आरोप है कि क्लब्स के प्रोजेक्ट्स के लिए ग्रांट्स क्लियर करने के ऐवज में मुकेश अरनेजा पैसे माँगते हैं, और जिन क्लब्स के पदाधिकारी उन्हें पैसे देने के लिए तैयार नहीं होते हैं - मुकेश अरनेजा उनकी ग्रांट्स क्लियर ही नहीं करते हैं । चर्चा है कि इस तरह के आरोपों को रोटरी इंटरनेशनल के पदाधिकारियों ने गंभीरता से लिया है और मुकेश अरनेजा को 'ब्लैक लिस्ट' रोटेरियंस के रूप में चिन्हित किया हुआ है । इन चर्चाओं के बीच मुकेश अरनेजा के सामने यह गंभीर चुनौती बनी हुई है कि कैसे वह इन चर्चाओं को झूठा साबित करें । इसके लिए उन्हें एआरआरएफसी के पद की 'जरूरत' थी । उनका मानना/सोचना था कि उक्त पद यदि उन्हें मिल जाता है, तो उनके बारे में हो रही चर्चाएँ अपने आप ही झूठी दिख जायेंगी और इन चर्चाओं को हवा देने वालों के मुँह बंद हो जायेंगे ।
मुकेश अरनेजा ने इसीलिए उक्त पद को पाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाया और बासकर चॉकलिंगम व गुलाम वहनवती को तरह तरह से खुश करने का प्रयास किया । विनोद बंसल की अनिच्छा के चलते मुकेश अरनेजा को एआरआरएफसी पद खाली होने का आभास तो था, लेकिन उन्हें यह डर भी था कि अनिच्छा की बात कहीं विनोद बंसल का ड्रामा तो नहीं है; इसलिए उक्त पद सचमुच खाली करवाने के लिए उन्होंने विनोद बंसल के खिलाफ जमकर बातें कीं । कमल सांघवी के इस्तीफे से खाली हुए आरआरएफसी (रीजनल रोटरी फाउंडेशन कोऑर्डीनेटर) के पद पर विनोद बंसल की भी निगाह थी - इस बात/तथ्य का वास्ता देकर मुकेश अरनेजा ने गुलाम वहनवती के कान भरे कि उक्त पद लेकिन विजय जालान को मिल जाने पर उनके खिलाफ प्रोपेगैंडा करने/चलाने में विनोद बंसल का हाथ था । मुकेश अरनेजा का कहना रहा कि विनोद बंसल को उम्मीद थी कि रोटरी फाउंडेशन के ट्रस्टी सुशील गुप्ता के समर्थन के कारण आरआरएफसी का पद उन्हें ही मिल जायेगा, लेकिन उक्त पद जब विजय जालान को मिल गया तो विनोद बंसल ने उसका ठीकरा नए घोषित हुए ट्रस्टी गुलाम वहनवती के सिर फोड़ा । मुकेश अरनेजा को भरोसा रहा कि इस तरह की बातों से गुलाम वहनवती और बासकर चॉकलिंगम खुश होंगे और एआरआरएफसी का पद उन्हें ही सौंप देंगे । उक्त पद लेकिन डॉक्टर सुब्रमणियन को मिल जाने के कारण मुकेश अरनेजा की उम्मीदों पर पानी फिर गया है । इससे उनके 'ब्लैक लिस्ट' रोटेरियन के रूप में चिन्हित होने की चर्चाओं को और बल भी मिला है ।