चंडीगढ़
। राजेंद्र उर्फ राजा साबू के नजदीकी पूर्व गवर्नर मनप्रीत सिंह को क्लब
के एक प्रोजेक्ट में करीब चार लाख रुपए की घपलेबाजी करने के आरोप में क्लब
की प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर दिया गया है - जिसके बाद उनकी पत्नी
पूनम सिंह को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए प्रस्तुत अपनी
उम्मीदवारी को वापस लेने के लिए मजबूर होना पड़ा है । उल्लेखनीय है कि
पिछले कुछ समय से राजा साबू और उनके नजदीकी पूर्व गवर्नर्स पर रोटरी के नाम
पर पैसों की लूट-खसोट के गंभीर आरोप लगते आ रहे हैं, जिनके चलते उनके
द्वारा पैसों की लूट-खसोट करने के तौर-तरीकों का भंडाफोड़ तो हुआ ही है -
काफी कुछ पैसा लुटने से बचा भी है । यह इसलिए संभव हुआ क्योंकि राजा साबू
और उनके नजदीकी पूर्व गवर्नर्स अपनी देखरेख में चलने वाले प्रोजेक्ट्स का
कभी हिसाब-किताब ही नहीं देते/बताते थे; आरोपों के चलते वह हिसाब-किताब
देने/दिखाने के लिए मजबूर हुए तो उनके द्वारा की जाने वाली चोरी/चकारी का
भंडाफोड़ हुआ । पोल खुली तो राजा साबू और उनके नजदीकी पूर्व गवर्नर्स को
अपने कुछेक 'प्रोजेक्ट्स' स्थगित भी करने पड़े - क्योंकि पोल खुलने के बाद
उन प्रोजेक्ट्स में चोरी/चकारी कर पाना मुश्किल हो गया था, इसलिए उन्हें
स्थगित कर देने में ही भलाई समझी गई । इतने सब के बावजूद, राजा साबू और
उनके नजदीकी पूर्व गवर्नर्स अपनी अपनी बेईमानियों को लेकर लगने वाले
आरोपों को विरोधियों की उन्हें बदनाम करने वाली कार्रवाई के रूप में बताते
हुए अपने आप को बचाने की कोशिश कर रहे थे । इस लिहाज से, मनप्रीत सिंह को
क्लब से निलंबित किए जाने की घटना ने राजा साबू और उनके गिरोह के पूर्व
गवर्नर्स को दबाव में ला दिया है । डिस्ट्रिक्ट में सुना जा रहा है कि
जैसा साहस मनप्रीत सिंह के क्लब - रोटरी क्लब मोहाली के पदाधिकारियों ने
दिखाया है, वैसा ही साहस यदि अन्य पूर्व गवर्नर्स के क्लब्स के
पदाधिकारियों ने भी दिखाया तो राजा साबू सहित अन्य कई पूर्व गवर्नर्स भी
अपने अपने क्लब्स से निलंबित होंगे ।
मनप्रीत सिंह पर आरोप है कि उन्होंने क्लब के एक प्रोजेक्ट के तहत बनाए गए रोटरी वोकेशनल ट्रेनिंग सेंटर के निर्माण कार्य के खर्चों के अनाप-शनाप बिल दिए/लगाए और बसूले और फर्जी तरीके से उन्हें सत्यापित कराया । उनकी हरकत की जब पोल खुली, और उनसे उन्हीं के द्वारा दिए गए बिलों व दस्तावेजों को फिर से सत्यापित करवाने की कार्रवाई शुरू की गई - तो उन्होंने बचने/छिपने की कोशिश की और अलग अलग मौकों पर की गई कार्रवाइयों में कोई सहयोग नहीं किया । क्लब के कुछेक वरिष्ठ सदस्यों ने मामले को सम्मानजनक तरीके से निपटाने के लिए मनप्रीत सिंह को समझाने तथा जाँच में सहयोग करने के लिए मनाने का प्रयास भी किया, किंतु मनप्रीत सिंह किसी भी सवाल का जबाव देने को तैयार ही नहीं हुए । क्लब के वरिष्ठ सदस्य, एक अन्य पूर्व गवर्नर जेपीएस सिबिआ ने भी मनप्रीत सिंह को 'बचाने' का भरसक प्रयास किया, किंतु मनप्रीत सिंह की बेईमानियों के तथ्य इतने पुख्ता हैं कि उनके लिए भी मनप्रीत सिंह का बचाव कर पाना संभव नहीं हुआ । मनप्रीत सिंह के खिलाफ कार्रवाई करने से पहले अपना बचाव करने तथा अपना पक्ष रखने के उन्हें कई मौके दिए गए, लेकिन हर मौके पर अपना पक्ष रखने की बजाए उन्होंने तिकड़मों से बचने का प्रयास किया - इससे उनका मामला लगातार बिगड़ता ही गया । क्लब से निलंबित किए जाने की सूचना देते हुए क्लब के प्रेसीडेंट हरविंदर सिंह ने उन्हें जो चिट्ठी लिखी है, उसमें उन्होंने विस्तार से इस बात का जिक्र किया है कि मनप्रीत सिंह को अपना बचाव करने के लिए कितने कितने मौके दिए गए, लेकि हर बार मनप्रीत सिंह ने चालाकी ही दिखाने की कोशिश की । पर उनकी चालाकी भी उन्हें बचा नहीं सकी ।
मनप्रीत सिंह के क्लब से निलंबित हो जाने का तत्काल सबसे बुरा प्रभाव उनकी पत्नी पूनम सिंह पर पड़ा, जिन्हें डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए प्रस्तुत अपनी उम्मीदवारी को वापस लेने के लिए मजबूर होना पड़ा । पूनम सिंह को राजा साबू खेमे के उम्मीदवार के रूप में देखा/पहचाना जा रहा था और चर्चा थी कि इस बार के चुनाव में राजा साबू खेमा अपने उम्मीदवार के रूप में पूनम सिंह को चुनाव जितवाने के लिए पूरी तैयारी कर रहा है - क्योंकि इस बार का चुनाव उसके लिए राजनीतिक रूप से जीने/मरने का मामला है । लेकिन मनप्रीत सिंह के क्लब से निलंबित हो जाने के बाद बनी परिस्थिति में राजा साबू खेमे के लिए पूनम सिंह की उम्मीदवारी पर बने/टिके रह पाना मुश्किल हुआ; आनन/फानन में राजा साबू से विचार/विमर्श हुआ और राजा साबू का भी मानना/कहना रहा कि वह लोग पहले से ही मुसीबत में घिरे/फँसे हुए हैं और मनप्रीत सिंह के निलंबन ने उनकी मुसीबतों को और बढ़ाने का ही काम किया है, जिसके बाद पूनम सिंह की उम्मीदवारी को लेकर आगे बढ़ पाना मुश्किल ही होगा और भलाई इसी में है कि पूनम सिंह की उम्मीदवारी को वापस ले लिया जाए । राजा साबू से मिले निर्देश के बाद फिर पूनम सिंह ने अपनी उम्मीदवारी को वापस ले लिया । इस तरह, मनप्रीत सिंह का क्लब की सदस्यता से निलंबन राजा साबू खेमे के लिए एक बड़ा और बहुआयामी झटका साबित हुआ है ।
मनप्रीत सिंह पर आरोप है कि उन्होंने क्लब के एक प्रोजेक्ट के तहत बनाए गए रोटरी वोकेशनल ट्रेनिंग सेंटर के निर्माण कार्य के खर्चों के अनाप-शनाप बिल दिए/लगाए और बसूले और फर्जी तरीके से उन्हें सत्यापित कराया । उनकी हरकत की जब पोल खुली, और उनसे उन्हीं के द्वारा दिए गए बिलों व दस्तावेजों को फिर से सत्यापित करवाने की कार्रवाई शुरू की गई - तो उन्होंने बचने/छिपने की कोशिश की और अलग अलग मौकों पर की गई कार्रवाइयों में कोई सहयोग नहीं किया । क्लब के कुछेक वरिष्ठ सदस्यों ने मामले को सम्मानजनक तरीके से निपटाने के लिए मनप्रीत सिंह को समझाने तथा जाँच में सहयोग करने के लिए मनाने का प्रयास भी किया, किंतु मनप्रीत सिंह किसी भी सवाल का जबाव देने को तैयार ही नहीं हुए । क्लब के वरिष्ठ सदस्य, एक अन्य पूर्व गवर्नर जेपीएस सिबिआ ने भी मनप्रीत सिंह को 'बचाने' का भरसक प्रयास किया, किंतु मनप्रीत सिंह की बेईमानियों के तथ्य इतने पुख्ता हैं कि उनके लिए भी मनप्रीत सिंह का बचाव कर पाना संभव नहीं हुआ । मनप्रीत सिंह के खिलाफ कार्रवाई करने से पहले अपना बचाव करने तथा अपना पक्ष रखने के उन्हें कई मौके दिए गए, लेकिन हर मौके पर अपना पक्ष रखने की बजाए उन्होंने तिकड़मों से बचने का प्रयास किया - इससे उनका मामला लगातार बिगड़ता ही गया । क्लब से निलंबित किए जाने की सूचना देते हुए क्लब के प्रेसीडेंट हरविंदर सिंह ने उन्हें जो चिट्ठी लिखी है, उसमें उन्होंने विस्तार से इस बात का जिक्र किया है कि मनप्रीत सिंह को अपना बचाव करने के लिए कितने कितने मौके दिए गए, लेकि हर बार मनप्रीत सिंह ने चालाकी ही दिखाने की कोशिश की । पर उनकी चालाकी भी उन्हें बचा नहीं सकी ।
मनप्रीत सिंह के क्लब से निलंबित हो जाने का तत्काल सबसे बुरा प्रभाव उनकी पत्नी पूनम सिंह पर पड़ा, जिन्हें डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए प्रस्तुत अपनी उम्मीदवारी को वापस लेने के लिए मजबूर होना पड़ा । पूनम सिंह को राजा साबू खेमे के उम्मीदवार के रूप में देखा/पहचाना जा रहा था और चर्चा थी कि इस बार के चुनाव में राजा साबू खेमा अपने उम्मीदवार के रूप में पूनम सिंह को चुनाव जितवाने के लिए पूरी तैयारी कर रहा है - क्योंकि इस बार का चुनाव उसके लिए राजनीतिक रूप से जीने/मरने का मामला है । लेकिन मनप्रीत सिंह के क्लब से निलंबित हो जाने के बाद बनी परिस्थिति में राजा साबू खेमे के लिए पूनम सिंह की उम्मीदवारी पर बने/टिके रह पाना मुश्किल हुआ; आनन/फानन में राजा साबू से विचार/विमर्श हुआ और राजा साबू का भी मानना/कहना रहा कि वह लोग पहले से ही मुसीबत में घिरे/फँसे हुए हैं और मनप्रीत सिंह के निलंबन ने उनकी मुसीबतों को और बढ़ाने का ही काम किया है, जिसके बाद पूनम सिंह की उम्मीदवारी को लेकर आगे बढ़ पाना मुश्किल ही होगा और भलाई इसी में है कि पूनम सिंह की उम्मीदवारी को वापस ले लिया जाए । राजा साबू से मिले निर्देश के बाद फिर पूनम सिंह ने अपनी उम्मीदवारी को वापस ले लिया । इस तरह, मनप्रीत सिंह का क्लब की सदस्यता से निलंबन राजा साबू खेमे के लिए एक बड़ा और बहुआयामी झटका साबित हुआ है ।