चंडीगढ़
। डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद का चुनाव कपिल गुप्ता के लिए चुनौतीपूर्ण
तो था, लेकिन वह इतनी बुरी तरह से चुनाव हार जायेंगे - इसकी उम्मीद उनके
विरोधियों को भी नहीं थी । कपिल गुप्ता अपनी हार का ठीकरा जिस
तरह पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर मधुकर मल्होत्रा के सिर फोड़ते 'सुने' जा रहे
हैं, उससे लग रहा है कि वह आगे के लिए भी अपने रास्ते बंद कर ले रहे हैं ।
मोटे तौर पर डिस्ट्रिक्ट का चुनावी माहौल कपिल गुप्ता के लिए पूरी तरह
अनुकूल था; डिस्ट्रिक्ट गवर्नर टीके रूबी भारी दबाव में थे, जिसके चलते
उनके उम्मीदवार के रूप में देखे/पहचाने जा रहे रमेश बजाज को सत्ता का
समर्थन मिलता नहीं दिख रहा था, उम्मीदवार के रूप में खुद रमेश बजाज का
व्यवहार और रवैया भी ढीला/ढाला था - लेकिन फिर भी कपिल गुप्ता मौके का
फायदा नहीं उठा सके, उसे देख कर लोगों को लग रहा है कि कपिल गुप्ता के बस
की चुनाव लड़ना है ही नहीं । चुनाव वाले दिन, डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस में
चुनाव संबंधी एक प्रस्ताव को लेकर मचे हंगामे में कपिल गुप्ता और उनके भाई
कमल गुप्ता का 'कुल्हाड़ी पर पैर मारने' वाला जो रवैया देखा गया - उससे ही
साबित हो गया था कि कपिल गुप्ता जब खुद ही अपनी उम्मीदवारी को गंभीरता से
नहीं ले रहे हैं, और खुद ही अपनी चुनावी नाव डुबोने में लगे हैं, तब फिर
उन्हें भला कौन बचा सकता है ? नोमीनेटिंग कमेटी में पूर्व डिस्ट्रिक्ट
गवर्नर मधुकर मल्होत्रा के होने से कपिल गुप्ता को उम्मीद थी कि कमेटी के
सदस्यों को वह मैनेज कर लेंगे और उन्हें अधिकृत उम्मीदवार चुनवा देंगे,
लेकिन मधुकर मल्होत्रा ने अपनी तरफ से कोई अतिरिक्त प्रयास किया ही नहीं और
कपिल गुप्ता नोमीनेटिंग कमेटी में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद का चुनाव भारी अंतर से चुनाव हार गए ।
कपिल गुप्ता, राजा साबू और उनके गिरोह के जिन नेताओं के भरोसे डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनावी मैदान में थे - उनके बीच तालमेल के अभाव का नजारा यह रहा कि डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस के पहले दिन राजा साबू और उनके गिरोह के नेता कॉन्फ्रेंस में आने की बजाये यमुना नगर में अपना एक अलग कार्यक्रम कर रहे थे । लोगों के बीच चर्चा रही कि राजा साबू गिरोह के सदस्यों ने यह हरकत डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस को फेल करने के उद्देश्य से की थी । उन्हें उम्मीद थी कि डिस्ट्रिक्ट के लोग टीके रूबी की डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस में जाने की बजाये उनके कार्यक्रम में आना पसंद करेंगे और इस तरह डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस का रंग फीका पड़ जायेगा । पर हुआ उल्टा । टीके रूबी की डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस में रिकॉर्ड आठ/नौ सौ लोग जुटे और राजा साबू के कार्यक्रम में यमुनानगर के ही थोड़े से लोग आए । डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस में हरियाणा के राज्यपाल कप्तान सिंह सोलंकी मुख्य अतिथि थे । राजा साबू ने जब देखा/पाया कि उनका कार्यक्रम तो पिट गया है और टीके रूबी की डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस 'सुपर हिट' जा रही है, तो उन्हें अक्ल आई और उन्होंने सोचा कि चलो, डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस में ही चलते हैं और वहाँ हरियाणा के राज्यपाल के साथ फोटो-सेशन भी कर/करवा लेंगे । लेकिन इस मामले में भी डिस्ट्रिक्ट गवर्नर टीके रूबी उनसे तेज निकले । टीके रूबी को जैसे ही पता चला कि राजा साबू अपने साथी गवर्नर्स के साथ कॉन्फ्रेंस में आ रहे हैं, तो उन्होंने आनन-फानन में कॉन्फ्रेंस का समापन ही कर/करवा दिया । राजा साबू और उनके साथी गवर्नर्स को कॉन्फ्रेंस स्थल पर खाली कुर्सियाँ ही मिली/दिखीं - और इस तरह एक ही दिन में उन्हें दो बार चोट पड़ी । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर टीके रूबी ने पहला झटका तो उन्हें अपनी डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस में रिकॉर्ड उपस्थिति के जरिये डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस को खराब करने की उनकी कोशिश को फेल करके दिया, और दूसरे झटके के रूप में अंतिम क्षणों में डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस में शामिल होने की राजा साबू और उनके साथी गवर्नर्स की कोशिश को फेल करने का काम किया ।
डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस का दूसरा दिन राजा साबू और उनके गिरोह के पूर्व सदस्यों के लिए और भी बुरा रहा । रोटरी क्लब चंडीगढ़ सिटी ब्यूटीफुल के वरिष्ठ पूर्व प्रेसीडेंट मोहिंदर पॉल गुप्ता ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की चुनावी प्रक्रिया में संशोधन का एक प्रस्ताव रखा, जिसमें नोमीनेटिंग कमेटी की व्यवस्था को हटा कर रोटरी इंटरनेशनल की एमओपी के अनुसार चुनाव करवाने का सुझाव दिया गया । इस प्रस्ताव पर कॉन्फ्रेंस में बबाल हो गया । पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर जेपीएस सीबिया और शाजु पीटर ने इस प्रस्ताव के खिलाफ भारी शोर मचाया । उनका कहना रहा कि इस प्रस्ताव पर कॉलिज और गवर्नर्स में कोई चर्चा नहीं हुई है, इसलिए इस प्रस्ताव पर यहाँ विचार नहीं हो सकता है । उन्होंने इस प्रस्ताव को स्थगित करने की माँग की । मोहिंदर पॉल गुप्ता का तर्क लेकिन यह रहा कि किसी भी प्रस्ताव को डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस में रखने के लिए जिस भी प्रक्रिया का पालन करना होता है, उनके क्लब ने उस प्रक्रिया का पूरी तरह से पालन किया है और इसलिए इस प्रस्ताव को डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस में रखने से और इस पर फैसला होने से नहीं रोका जा सकता है । इसके बाद भी, राजा साबू की शह पर शुरू हुआ जेपीएस सीबिया व शाजु पीटर का शोर जब कम नहीं हुआ तथा राजा साबू गिरोह के कुछेक और पूर्व गवर्नर्स ने उनका साथ देना शुरू कर दिया, तब डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस में रोटरी इंटरनेशनल के प्रतिनिधि के रूप में मौजूद मुकेश अरनेजा ने मोर्चा संभाला और साफ कहा कि किसी भी प्रस्ताव को कॉलिज ऑफ गवर्नर्स की मीटिंग में रखना कोई जरूरी नहीं है; कॉन्फ्रेंस में रखने वाले प्रस्ताव को क्लब्स के प्रेसीडेंट को भेजना जरूरी होता है और यदि किसी पूर्व गवर्नर को प्रस्ताव के बारे में जानकारी नहीं है तो इस बारे में शिकायत उसे अपने क्लब में करना चाहिए । जेपीएस सीबिया और शाजु पीटर वैसे तो अपने आप को रोटरी का बड़ा ज्ञाता समझते/बताते हैं, लेकिन मुकेश अरनेजा के तर्क से लोगों के सामने पोल खुली कि उन्हें या तो रोटरी इंटरनेशनल के नियमों का अता/पता नहीं है और या वह अपनी हेकड़ी दिखाने/जताने की कोशिश कर रहे हैं ।
मुकेश अरनेजा से मिली जानकारी से कॉन्फ्रेंस में मौजूद लोग जेपीएस सीबिया और शाजु पीटर पर भड़क उठे । रोटरी क्लब करनाल मिडटाउन की युवा महिला सदस्य अंशु गोयल का चौधराहटभरी मनमानी राजनीति के खिलाफ जो गुस्सा फूटा, उसने कॉन्फ्रेंस के माहौल को ही बदल दिया । फिर तो हर किसी ने राजा साबू और उनके गिरोह के सदस्यों की लानत-मलानत शुरू कर दी । लोगों का आरोप रहा कि नोमीनेटिंग कमेटी के जरिये पूर्व गवर्नर्स डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी के चुनाव में अपनी मनमानी थोपने की कोशिश करते हैं, इसलिए मोहिंदर पॉल गुप्ता के प्रस्ताव से उन्हें चूँकि अपनी मनमानी के मौके छिनते दिख रहे हैं - इसलिए वह बौखला रहे हैं । माहौल को खिलाफ बनता देख राजा साबू ने तो मौके से खिसक लेने में ही अपनी भलाई देखी/पहचानी और वह अपने संगी-साथियों को वही छोड़ कर चुपचाप कॉन्फ्रेंस से निकल गए । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर टीके रूबी ने मोहिंदर पॉल गुप्ता के प्रस्ताव पर मत-विभाजन करवाते हुए आह्वान किया कि जो लोग प्रस्ताव के समर्थन में हैं वह राइट साइड में आ जाएँ, और जो लोग प्रस्ताव के खिलाफ हैं वह लेफ्ट साइड में रहें । राजा साबू गिरोह के पूर्व गवनर्स के लिए शर्मनाक स्थिति यह बनी कि लेफ्ट साइड में उनके साथ कुल छह/आठ रोटेरियंस ही बचे, जबकि कॉन्फ्रेंस में मौजूद तमाम सदस्य राइट साइड में जा पहुँचे । मजेदार और आत्मघाती रवैया रहा कपिल गुप्ता और उनके भाई कमल गुप्ता का । वह देख रहे थे कि कॉन्फ्रेंस में मौजूद लोगों में 95 प्रतिशत मोहिंदर पॉल गुप्ता के प्रस्ताव के समर्थन में हैं, लेकिन फिर भी वह प्रस्ताव के विरोध में रहे - और बड़े मुखर तरीके से रहे । उनके समर्थकों को ही आश्चर्य हुआ कि उम्मीदवार होने के चलते उन्हें इस बबाल में सक्रिय रूप से कूदने की जरूरत भला क्या थी ? उनके सामने पूर्व गवर्नर्स का समर्थन करने की मजबूरी यदि थी भी, तो भी उन्हें 'साइलेंट समर्थक' की भूमिका में रहना था । मौके पर मौजूद हर किसी ने माना कि मोहिंदर पॉल गुप्ता के जिस प्रस्ताव को कॉन्फ्रेंस में जबर्दस्त समर्थन मिल रहा था, उसका सक्रिय विरोध करके कपिल गुप्ता ने अपने पैरों पर कुल्हाड़ी नहीं मार ली थी, बल्कि अपने पैर ही कुल्हाड़ी पर मार लिए थे । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में कपिल गुप्ता की हार को उसी समय लोगों ने पहचान लिया था और कहना शुरू कर दिया था कि कपिल गुप्ता को अब अगले वर्ष की तैयारी शुरू कर देना चाहिए । चुनाव शुरू होने से पहले ही लोगों के मुँह से इस तरह की बातें सुन कर कपिल गुप्ता की पत्नी ने कुछेक लोगों के प्रति अपनी नाराजगी भी दिखाई, लेकिन उनकी नाराजगी भी कपिल गुप्ता को एक बड़ी पराजय से नहीं बचा सकी ।
कपिल गुप्ता, राजा साबू और उनके गिरोह के जिन नेताओं के भरोसे डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनावी मैदान में थे - उनके बीच तालमेल के अभाव का नजारा यह रहा कि डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस के पहले दिन राजा साबू और उनके गिरोह के नेता कॉन्फ्रेंस में आने की बजाये यमुना नगर में अपना एक अलग कार्यक्रम कर रहे थे । लोगों के बीच चर्चा रही कि राजा साबू गिरोह के सदस्यों ने यह हरकत डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस को फेल करने के उद्देश्य से की थी । उन्हें उम्मीद थी कि डिस्ट्रिक्ट के लोग टीके रूबी की डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस में जाने की बजाये उनके कार्यक्रम में आना पसंद करेंगे और इस तरह डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस का रंग फीका पड़ जायेगा । पर हुआ उल्टा । टीके रूबी की डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस में रिकॉर्ड आठ/नौ सौ लोग जुटे और राजा साबू के कार्यक्रम में यमुनानगर के ही थोड़े से लोग आए । डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस में हरियाणा के राज्यपाल कप्तान सिंह सोलंकी मुख्य अतिथि थे । राजा साबू ने जब देखा/पाया कि उनका कार्यक्रम तो पिट गया है और टीके रूबी की डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस 'सुपर हिट' जा रही है, तो उन्हें अक्ल आई और उन्होंने सोचा कि चलो, डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस में ही चलते हैं और वहाँ हरियाणा के राज्यपाल के साथ फोटो-सेशन भी कर/करवा लेंगे । लेकिन इस मामले में भी डिस्ट्रिक्ट गवर्नर टीके रूबी उनसे तेज निकले । टीके रूबी को जैसे ही पता चला कि राजा साबू अपने साथी गवर्नर्स के साथ कॉन्फ्रेंस में आ रहे हैं, तो उन्होंने आनन-फानन में कॉन्फ्रेंस का समापन ही कर/करवा दिया । राजा साबू और उनके साथी गवर्नर्स को कॉन्फ्रेंस स्थल पर खाली कुर्सियाँ ही मिली/दिखीं - और इस तरह एक ही दिन में उन्हें दो बार चोट पड़ी । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर टीके रूबी ने पहला झटका तो उन्हें अपनी डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस में रिकॉर्ड उपस्थिति के जरिये डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस को खराब करने की उनकी कोशिश को फेल करके दिया, और दूसरे झटके के रूप में अंतिम क्षणों में डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस में शामिल होने की राजा साबू और उनके साथी गवर्नर्स की कोशिश को फेल करने का काम किया ।
डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस का दूसरा दिन राजा साबू और उनके गिरोह के पूर्व सदस्यों के लिए और भी बुरा रहा । रोटरी क्लब चंडीगढ़ सिटी ब्यूटीफुल के वरिष्ठ पूर्व प्रेसीडेंट मोहिंदर पॉल गुप्ता ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की चुनावी प्रक्रिया में संशोधन का एक प्रस्ताव रखा, जिसमें नोमीनेटिंग कमेटी की व्यवस्था को हटा कर रोटरी इंटरनेशनल की एमओपी के अनुसार चुनाव करवाने का सुझाव दिया गया । इस प्रस्ताव पर कॉन्फ्रेंस में बबाल हो गया । पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर जेपीएस सीबिया और शाजु पीटर ने इस प्रस्ताव के खिलाफ भारी शोर मचाया । उनका कहना रहा कि इस प्रस्ताव पर कॉलिज और गवर्नर्स में कोई चर्चा नहीं हुई है, इसलिए इस प्रस्ताव पर यहाँ विचार नहीं हो सकता है । उन्होंने इस प्रस्ताव को स्थगित करने की माँग की । मोहिंदर पॉल गुप्ता का तर्क लेकिन यह रहा कि किसी भी प्रस्ताव को डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस में रखने के लिए जिस भी प्रक्रिया का पालन करना होता है, उनके क्लब ने उस प्रक्रिया का पूरी तरह से पालन किया है और इसलिए इस प्रस्ताव को डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस में रखने से और इस पर फैसला होने से नहीं रोका जा सकता है । इसके बाद भी, राजा साबू की शह पर शुरू हुआ जेपीएस सीबिया व शाजु पीटर का शोर जब कम नहीं हुआ तथा राजा साबू गिरोह के कुछेक और पूर्व गवर्नर्स ने उनका साथ देना शुरू कर दिया, तब डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस में रोटरी इंटरनेशनल के प्रतिनिधि के रूप में मौजूद मुकेश अरनेजा ने मोर्चा संभाला और साफ कहा कि किसी भी प्रस्ताव को कॉलिज ऑफ गवर्नर्स की मीटिंग में रखना कोई जरूरी नहीं है; कॉन्फ्रेंस में रखने वाले प्रस्ताव को क्लब्स के प्रेसीडेंट को भेजना जरूरी होता है और यदि किसी पूर्व गवर्नर को प्रस्ताव के बारे में जानकारी नहीं है तो इस बारे में शिकायत उसे अपने क्लब में करना चाहिए । जेपीएस सीबिया और शाजु पीटर वैसे तो अपने आप को रोटरी का बड़ा ज्ञाता समझते/बताते हैं, लेकिन मुकेश अरनेजा के तर्क से लोगों के सामने पोल खुली कि उन्हें या तो रोटरी इंटरनेशनल के नियमों का अता/पता नहीं है और या वह अपनी हेकड़ी दिखाने/जताने की कोशिश कर रहे हैं ।
मुकेश अरनेजा से मिली जानकारी से कॉन्फ्रेंस में मौजूद लोग जेपीएस सीबिया और शाजु पीटर पर भड़क उठे । रोटरी क्लब करनाल मिडटाउन की युवा महिला सदस्य अंशु गोयल का चौधराहटभरी मनमानी राजनीति के खिलाफ जो गुस्सा फूटा, उसने कॉन्फ्रेंस के माहौल को ही बदल दिया । फिर तो हर किसी ने राजा साबू और उनके गिरोह के सदस्यों की लानत-मलानत शुरू कर दी । लोगों का आरोप रहा कि नोमीनेटिंग कमेटी के जरिये पूर्व गवर्नर्स डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी के चुनाव में अपनी मनमानी थोपने की कोशिश करते हैं, इसलिए मोहिंदर पॉल गुप्ता के प्रस्ताव से उन्हें चूँकि अपनी मनमानी के मौके छिनते दिख रहे हैं - इसलिए वह बौखला रहे हैं । माहौल को खिलाफ बनता देख राजा साबू ने तो मौके से खिसक लेने में ही अपनी भलाई देखी/पहचानी और वह अपने संगी-साथियों को वही छोड़ कर चुपचाप कॉन्फ्रेंस से निकल गए । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर टीके रूबी ने मोहिंदर पॉल गुप्ता के प्रस्ताव पर मत-विभाजन करवाते हुए आह्वान किया कि जो लोग प्रस्ताव के समर्थन में हैं वह राइट साइड में आ जाएँ, और जो लोग प्रस्ताव के खिलाफ हैं वह लेफ्ट साइड में रहें । राजा साबू गिरोह के पूर्व गवनर्स के लिए शर्मनाक स्थिति यह बनी कि लेफ्ट साइड में उनके साथ कुल छह/आठ रोटेरियंस ही बचे, जबकि कॉन्फ्रेंस में मौजूद तमाम सदस्य राइट साइड में जा पहुँचे । मजेदार और आत्मघाती रवैया रहा कपिल गुप्ता और उनके भाई कमल गुप्ता का । वह देख रहे थे कि कॉन्फ्रेंस में मौजूद लोगों में 95 प्रतिशत मोहिंदर पॉल गुप्ता के प्रस्ताव के समर्थन में हैं, लेकिन फिर भी वह प्रस्ताव के विरोध में रहे - और बड़े मुखर तरीके से रहे । उनके समर्थकों को ही आश्चर्य हुआ कि उम्मीदवार होने के चलते उन्हें इस बबाल में सक्रिय रूप से कूदने की जरूरत भला क्या थी ? उनके सामने पूर्व गवर्नर्स का समर्थन करने की मजबूरी यदि थी भी, तो भी उन्हें 'साइलेंट समर्थक' की भूमिका में रहना था । मौके पर मौजूद हर किसी ने माना कि मोहिंदर पॉल गुप्ता के जिस प्रस्ताव को कॉन्फ्रेंस में जबर्दस्त समर्थन मिल रहा था, उसका सक्रिय विरोध करके कपिल गुप्ता ने अपने पैरों पर कुल्हाड़ी नहीं मार ली थी, बल्कि अपने पैर ही कुल्हाड़ी पर मार लिए थे । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में कपिल गुप्ता की हार को उसी समय लोगों ने पहचान लिया था और कहना शुरू कर दिया था कि कपिल गुप्ता को अब अगले वर्ष की तैयारी शुरू कर देना चाहिए । चुनाव शुरू होने से पहले ही लोगों के मुँह से इस तरह की बातें सुन कर कपिल गुप्ता की पत्नी ने कुछेक लोगों के प्रति अपनी नाराजगी भी दिखाई, लेकिन उनकी नाराजगी भी कपिल गुप्ता को एक बड़ी पराजय से नहीं बचा सकी ।