नई दिल्ली । इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए डिस्ट्रिक्ट से एंडोर्समेंट की रिपोर्ट भेजने को लेकर डिस्ट्रिक्ट 321 ए टू
की तीसरी कैबिनेट मीटिंग में जेपी सिंह और इंद्रजीत सिंह के बीच जो तू तू मैं
मैं हुई, उसने सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के चुनाव में इंद्रजीत सिंह खेमे के उम्मीदवार रमन गुप्ता की मुश्किलों को बढ़ाने का काम किया है । हालाँकि
ऊपरी तौर पर दोनों मामलों में कोई संबंध नहीं दिखता है; लेकिन तीसरी
कैबिनेट मीटिंग में जेपी सिंह ने अपने मामले को जिस चतुराई से उठाया और इंद्रजीत सिंह को भड़काया - और इंद्रजीत सिंह भड़क भी गए, उससे रमन गुप्ता के
नजदीकियों को लगने लगा है कि जेपी सिंह ने अपने मामले की आड़ में वास्तव में
लोगों को इंद्रजीत सिंह के खिलाफ करने का काम किया है, जिसका प्रतिकूल असर रमन
गुप्ता की उम्मीदवारी पर पड़ेगा । दरअसल तीसरी कैबिनेट मीटिंग में जेपी
सिंह और इंद्रजीत सिंह के बीच जो तू तू मैं मैं हुई है, उसे देखने/सुनने तथा
उसके बारे में जानने वाले लोगों में अधिकतर का मानना/कहना है कि इंद्रजीत सिंह निजी खुन्नस में इंटरनेशनल डायरेक्टर पद की तरफ बढ़ते जेपी सिंह के कदमों को
रोकने का जो प्रयास कर रहे हैं, उससे वास्तव में वह डिस्ट्रिक्ट को
मिलने वाले सम्मान के खिलाफ काम कर रहे हैं, और यह डिस्ट्रिक्ट विरोधी
कार्रवाई है । ऐसे में, रमन गुप्ता के नजदीकियों को डर हुआ है कि इंद्रजीत सिंह के रवैये को लोगों के बीच यदि डिस्ट्रिक्ट विरोधी कार्रवाई के रूप में
देखा/पहचाना जाने लगा, तो इससे रमन गुप्ता के लिए वोट जुटाने में मुश्किल
हो जायेगी । इसीलिए रमन गुप्ता के नजदीकियों को यह डर सताने लगा है कि जेपी
सिंह और इंद्रजीत सिंह की लड़ाई में कहीं सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए प्रस्तुत उनकी उम्मीदवारी मुसीबत में न फँस जाए ?
जेपी सिंह ने डिस्ट्रिक्ट की तीसरी कैबिनेट मीटिंग में पहली होशियारी तो अपने मामले को उठाने की दिखाई और दूसरी होशियारी यह दिखाई कि शुरू में उन्होंने अपना रवैया नरम रखा - इससे मीटिंग में तू तू मैं मैं का जो नजारा बना, उसके लिए इंद्रजीत सिंह को ही जिम्मेदार ठहराया गया । दरअसल इंद्रजीत सिंह और सत्ता खेमे के दूसरे नेताओं को इस बात का जरा भी आभास नहीं था, कि कैबिनेट मीटिंग में जेपी सिंह यह 'खेल' कर सकते हैं । वास्तव में, जेपी सिंह ने अपना जो मामला उठाया, वह डिस्ट्रिक्ट के साथ-साथ मल्टीपल का मामला भी था; इंद्रजीत सिंह और या सत्ता खेमे के दूसरे नेता यदि थोड़ा सावधान रहते तो जेपी सिंह के सवाल को इग्नोर कर सकते थे । सारे मामले को यदि सिलसिलेवार देखें तो समझ सकते हैं कि जेपी सिंह का उद्देश्य अपने सवाल का जबाव पाना था भी नहीं; जबाव उन्हें पता था - उनका असल उद्देश्य इंद्रजीत सिंह को भड़काना तथा लोगों के बीच उन्हें एक्सपोज करना तथा अपने लिए सहानुभूति पैदा करना था । इंद्रजीत सिंह उनकी चाल समझ नहीं पाए और उनके जाल में फँस गए - नतीजा यह रहा कि जेपी सिंह के जो जो उद्देश्य थे, उन्हें पाने में वह सफल रहे । उनकी 'सफलता' की आँच चूँकि सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के चुनाव को भी प्रभावित करती है, इसलिए इंद्रजीत सिंह व सत्ता खेमे के अन्य नेताओं के भरोसे सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए उम्मीदवार बने रमन गुप्ता के नजदीकियों का चिंतित होना स्वाभाविक है ।
जेपी सिंह ने तीसरी कैबिनेट मीटिंग में बड़ी सफाई से अपना जाल बिछाया । मीटिंग में उन्हें जब बोलने का मौका मिला - या उन्होंने लिया, तब पहले तो उन्होंने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में इंद्रजीत सिंह के कामकाज तथा उनकी उपलब्धियों की भूरि-भूरि प्रशंसा की और बताया कि इस वर्ष डिस्ट्रिक्ट की पहचान व प्रतिष्ठा में और बढ़ोत्तरी हुई है । यह बताते/कहते हुए उन्होंने अपना मामला उठा दिया । जेपी सिंह ने कहना शुरू किया कि इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए पिछले वर्ष पहले उन्हें डिस्ट्रिक्ट में एंडोर्समेंट मिला और फिर मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट में एंडोर्समेंट मिला; नियम और व्यवस्था के अनुसार इस फैसले की रिपोर्ट लायंस इंटरनेशनल कार्यालय में जानी चाहिए, पर जो अभी तक नहीं गई है । जेपी सिंह ने मीटिंग में बताया कि उक्त रिपोर्ट भेजने को लेकर उन्होंने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इंद्रजीत सिंह को पचासों बार फोन किए हैं, दर्जनों ईमेल लिखी हैं, और उनके घर भी गए हैं - लेकिन इंद्रजीत सिंह ने उन्हें रिपोर्ट न भेजने का न तो कोई कारण बताया है और न ही रिपोर्ट भेजने का काम किया है । जेपी सिंह ने बीच बीच में अपने इंटरनेशनल डायरेक्टर बनने को डिस्ट्रिक्ट की पहचान व प्रतिष्ठा के साथ भी जोड़ा, और सवाल उठाया कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में इंद्रजीत सिंह पता नहीं क्यों डिस्ट्रिक्ट की पहचान व प्रतिष्ठा को बढ़ने नहीं देना चाहते हैं ? जेपी सिंह ने अपने जाल का ताना-बाना बड़ी होशियारी से बुना - लोगों के सामने उन्होंने तथ्य पेश किए, अपने आप को डिस्ट्रिक्ट की पहचान व प्रतिष्ठा बढ़ाने वाले व्यक्ति के साथ साथ पीड़ित के रूप में पेश किया, इंद्रजीत सिंह के प्रति सम्मान भी दिखाया और इंटरनेशनल डायरेक्टर पद पर अपनी जीत के मामले में उन्हें बदले की भावना से काम करने वाले तथा डिस्ट्रिक्ट की पहचान व प्रतिष्ठा से खिलवाड़ करने वाले व्यक्ति के रूप में भी पेश किया ।
जेपी सिंह की पूरी कोशिश इंद्रजीत सिंह को भड़काने की थी; और इंद्रजीत सिंह ने भड़क कर उन्हें सफलता दिलवा दी । जेपी सिंह के बिछाए जाल में फँस कर इंद्रजीत सिंह इतने भड़क गए कि मंच की कुर्सी छोड़ कर वह सामने आ गए । इससे पहले वह अपनी कुर्सी पर बैठे बैठे ही जबाव दे रहे थे, लेकिन जेपी सिंह को जबाव देने के लिए वह आगे आ गए । जेपी सिंह को अपनी 'योजना' कामयाब होती दिखी, तो वह और 'सक्रिय' हो गए । इंद्रजीत सिंह ने कुछ कहना/बताना शुरू किया, तो जेपी सिंह ने उन्हें झूठा ठहराना शुरू किया । इसके चलते माहौल फिर तू तू मैं मैं वाला हो गया । जेपी सिंह को अपने सवाल का जबाव तो नहीं मिला, जो शायद उन्हें चाहिए भी नहीं था - लेकिन मीटिंग में उपस्थित लोगों के सामने वह यह दिखाने/जताने में सफल रहे कि इंटरनेशनल डायरेक्टर पद की तरफ बढ़ते उनके कदमों को रोकने के लिए इंद्रजीत सिंह बदले की भावना से काम कर रहे हैं और इस तरह डिस्ट्रिक्ट की पहचान व प्रतिष्ठा को भी चोट पहुँचा रहे हैं । जेपी सिंह की इस 'कामयाबी' ने सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की चुनावी राजनीति पर असर डालने के संकेत दिए हैं, जिन संकेतों ने रमन गुप्ता के नजदीकियों को डराने का काम किया है ।
जेपी सिंह ने डिस्ट्रिक्ट की तीसरी कैबिनेट मीटिंग में पहली होशियारी तो अपने मामले को उठाने की दिखाई और दूसरी होशियारी यह दिखाई कि शुरू में उन्होंने अपना रवैया नरम रखा - इससे मीटिंग में तू तू मैं मैं का जो नजारा बना, उसके लिए इंद्रजीत सिंह को ही जिम्मेदार ठहराया गया । दरअसल इंद्रजीत सिंह और सत्ता खेमे के दूसरे नेताओं को इस बात का जरा भी आभास नहीं था, कि कैबिनेट मीटिंग में जेपी सिंह यह 'खेल' कर सकते हैं । वास्तव में, जेपी सिंह ने अपना जो मामला उठाया, वह डिस्ट्रिक्ट के साथ-साथ मल्टीपल का मामला भी था; इंद्रजीत सिंह और या सत्ता खेमे के दूसरे नेता यदि थोड़ा सावधान रहते तो जेपी सिंह के सवाल को इग्नोर कर सकते थे । सारे मामले को यदि सिलसिलेवार देखें तो समझ सकते हैं कि जेपी सिंह का उद्देश्य अपने सवाल का जबाव पाना था भी नहीं; जबाव उन्हें पता था - उनका असल उद्देश्य इंद्रजीत सिंह को भड़काना तथा लोगों के बीच उन्हें एक्सपोज करना तथा अपने लिए सहानुभूति पैदा करना था । इंद्रजीत सिंह उनकी चाल समझ नहीं पाए और उनके जाल में फँस गए - नतीजा यह रहा कि जेपी सिंह के जो जो उद्देश्य थे, उन्हें पाने में वह सफल रहे । उनकी 'सफलता' की आँच चूँकि सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के चुनाव को भी प्रभावित करती है, इसलिए इंद्रजीत सिंह व सत्ता खेमे के अन्य नेताओं के भरोसे सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए उम्मीदवार बने रमन गुप्ता के नजदीकियों का चिंतित होना स्वाभाविक है ।
जेपी सिंह ने तीसरी कैबिनेट मीटिंग में बड़ी सफाई से अपना जाल बिछाया । मीटिंग में उन्हें जब बोलने का मौका मिला - या उन्होंने लिया, तब पहले तो उन्होंने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में इंद्रजीत सिंह के कामकाज तथा उनकी उपलब्धियों की भूरि-भूरि प्रशंसा की और बताया कि इस वर्ष डिस्ट्रिक्ट की पहचान व प्रतिष्ठा में और बढ़ोत्तरी हुई है । यह बताते/कहते हुए उन्होंने अपना मामला उठा दिया । जेपी सिंह ने कहना शुरू किया कि इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए पिछले वर्ष पहले उन्हें डिस्ट्रिक्ट में एंडोर्समेंट मिला और फिर मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट में एंडोर्समेंट मिला; नियम और व्यवस्था के अनुसार इस फैसले की रिपोर्ट लायंस इंटरनेशनल कार्यालय में जानी चाहिए, पर जो अभी तक नहीं गई है । जेपी सिंह ने मीटिंग में बताया कि उक्त रिपोर्ट भेजने को लेकर उन्होंने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इंद्रजीत सिंह को पचासों बार फोन किए हैं, दर्जनों ईमेल लिखी हैं, और उनके घर भी गए हैं - लेकिन इंद्रजीत सिंह ने उन्हें रिपोर्ट न भेजने का न तो कोई कारण बताया है और न ही रिपोर्ट भेजने का काम किया है । जेपी सिंह ने बीच बीच में अपने इंटरनेशनल डायरेक्टर बनने को डिस्ट्रिक्ट की पहचान व प्रतिष्ठा के साथ भी जोड़ा, और सवाल उठाया कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में इंद्रजीत सिंह पता नहीं क्यों डिस्ट्रिक्ट की पहचान व प्रतिष्ठा को बढ़ने नहीं देना चाहते हैं ? जेपी सिंह ने अपने जाल का ताना-बाना बड़ी होशियारी से बुना - लोगों के सामने उन्होंने तथ्य पेश किए, अपने आप को डिस्ट्रिक्ट की पहचान व प्रतिष्ठा बढ़ाने वाले व्यक्ति के साथ साथ पीड़ित के रूप में पेश किया, इंद्रजीत सिंह के प्रति सम्मान भी दिखाया और इंटरनेशनल डायरेक्टर पद पर अपनी जीत के मामले में उन्हें बदले की भावना से काम करने वाले तथा डिस्ट्रिक्ट की पहचान व प्रतिष्ठा से खिलवाड़ करने वाले व्यक्ति के रूप में भी पेश किया ।
जेपी सिंह की पूरी कोशिश इंद्रजीत सिंह को भड़काने की थी; और इंद्रजीत सिंह ने भड़क कर उन्हें सफलता दिलवा दी । जेपी सिंह के बिछाए जाल में फँस कर इंद्रजीत सिंह इतने भड़क गए कि मंच की कुर्सी छोड़ कर वह सामने आ गए । इससे पहले वह अपनी कुर्सी पर बैठे बैठे ही जबाव दे रहे थे, लेकिन जेपी सिंह को जबाव देने के लिए वह आगे आ गए । जेपी सिंह को अपनी 'योजना' कामयाब होती दिखी, तो वह और 'सक्रिय' हो गए । इंद्रजीत सिंह ने कुछ कहना/बताना शुरू किया, तो जेपी सिंह ने उन्हें झूठा ठहराना शुरू किया । इसके चलते माहौल फिर तू तू मैं मैं वाला हो गया । जेपी सिंह को अपने सवाल का जबाव तो नहीं मिला, जो शायद उन्हें चाहिए भी नहीं था - लेकिन मीटिंग में उपस्थित लोगों के सामने वह यह दिखाने/जताने में सफल रहे कि इंटरनेशनल डायरेक्टर पद की तरफ बढ़ते उनके कदमों को रोकने के लिए इंद्रजीत सिंह बदले की भावना से काम कर रहे हैं और इस तरह डिस्ट्रिक्ट की पहचान व प्रतिष्ठा को भी चोट पहुँचा रहे हैं । जेपी सिंह की इस 'कामयाबी' ने सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की चुनावी राजनीति पर असर डालने के संकेत दिए हैं, जिन संकेतों ने रमन गुप्ता के नजदीकियों को डराने का काम किया है ।