Sunday, September 23, 2018

इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की सेंट्रल काउंसिल में पुनर्निर्वाचन की कोशिश करते हुए राजेश शर्मा युवा चार्टर्ड एकाउंटेंट्स को मूर्ख क्यों समझ रहे हैं और उन्हें क्यों लगता है कि युवा चार्टर्ड एकाउंटेंट्स उनकी कारस्तानियों से परिचित नहीं हैं और उनके झाँसे में आ जायेंगे ?

नई दिल्ली । केंद्रीय मंत्रियों के साथ अपनी नजदीकियत बताने/दिखाने की हरकतों तथा कुछेक प्रशासनिक फैसलों में ढील दिलवाने का श्रेय लेने की राजेश शर्मा की कोशिशों ने उन्हें लोगों के बीच मजाक का विषय बना दिया है । लोगों का कहना है कि इस तरह खुद ही अपना ढोल बजा कर राजेश शर्मा चार्टर्ड एकाउंटेंट्स - खासकर युवा चार्टर्ड एकाउंटेंट्स को प्रभावित करने की जो कोशिश कर रहे हैं, वह वास्तव में उन्हें उल्टी पड़ रही है, क्योंकि चार्टर्ड एकाउंटेंट्स - खासकर युवा चार्टर्ड एकाउंटेंट्स राजेश शर्मा की नौटंकी अच्छे से समझ रहे हैं, और मान रहे हैं कि राजेश शर्मा यह छिछोरी हरकतें अपने आपको प्रभावशाली 'दिखाने' के लिए कर रहे हैं । युवा चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ही पूछ रहे हैं कि छिछोरी हरकतें करके कौन प्रभावशाली बन सका है; और जो प्रभावशाली है - उसे छिछोरी हरकतें करने की जरूरत क्या है ? कुछेक युवा चार्टर्ड एकाउंटेंट्स का कहना/पूछना यह भी है कि यदि मान भी लें कि राजेश शर्मा की संबद्ध मंत्रालयों और मंत्रियों के बीच अच्छी पैठ है, तो फिर चार्टर्ड एकाउंटेंट्स को पिछले दो वर्षों से जिन फैसलों और कारणों से लगातार मुसीबतों का जो सामना करना पड़ रहा है, उन्हें बदलवाने और दूर करवाने के लिए राजेश शर्मा ने कोई प्रयास क्यों नहीं किए ? युवा चार्टर्ड एकाउंटेंट्स का कहना/पूछना है कि राजेश शर्मा ने कभी भी इस बात का नोटिस आखिर क्यों नहीं लिया कि सरकार के मंत्री लोग चार्टर्ड एकाउंटेंट्स को तरह तरह से 'चोर' बताते रहते हैं और जहाँ कहीं मौका मिलता है वहाँ बेमतलब के आरोप लगाते हुए चार्टर्ड एकाउंटेंट्स को अपमानित करते रहते हैं और नसीहतें देते रहते हैं । अपने इस सवाल का खुद ही जबाव देते हुए युवा चार्टर्ड एकाउंटेंट्स का कहना है कि वास्तव में राजेश शर्मा की मंत्रियों के बीच इतनी और ऐसी औकात ही नहीं है कि चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के सम्मान और हित में वह मंत्रियों से कोई उचित और सम्मानजनक फैसला करवा सकें ।
राजेश शर्मा की हरकतों को देखते/पहचानते हुए वरिष्ठ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के साथ-साथ युवा चार्टर्ड एकाउंटेंट्स को भी अब लगने लगा है कि जिन मंत्रियों के साथ राजेश शर्मा अपनी नजदीकी दिखाते/जताते हैं, उन मंत्रियों के यहाँ उनकी हैसियत एक मसखरे से ज्यादा नहीं है । लोगों के बीच चर्चा है कि दरअसल मंत्रियों को भी अपना दिल बहलाने तथा अपने तनाव दूर करने के लिए कुछेक चमचे किस्म के मसखरों की जरूरत होती है, जो उनकी हाँ में हाँ मिलाएँ और उनकी बातों पर या तो गंभीर होने का नाटक करते हुए अपनी मुंडी हिलाएँ या खिलखिला कर हँसे - राजेश शर्मा उनकी इस तरह की जरूरतों को पूरा करने वाले समूह का एक हिस्सा हैं । मंत्री लोग ऐसे लोगों की सेवाओं से खुश हो कर कभी कभी ऐसे लोगों पर कुछ उपकार कर देते हैं और या इनकी कुछेक माँगे मान लेते हैं या मान लेने का आश्वासन दे देते हैं - जिसे राजेश शर्मा जैसे लोग अपनी 'उपलब्धि' के रूप में दिखाते हैं । लोगों को लगता है और उनका कहना है कि मंत्रियों से कुछ करवा सकने की राजेश शर्मा की हैसियत यदि सचमुच होती, तो पिछले दो वर्षों में वह चार्टर्ड एकाउंटेंट्स को बार-बार सार्वजनिक मंचों पर अपमानित और कामकाज में परेशान नहीं होने देते - और चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के लिए वास्तव में कुछ करते हुए नजर आते । इसके विपरीत, सेंट्रल काउंसिल सदस्य के रूप में राजेश शर्मा चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के साथ 'धोखाधड़ी' करते हुए और उन्हें अपमानित व परेशान करते/करवाते हुए ही नजर आए हैं । उल्लेखनीय है कि सेंट्रल काउंसिल सदस्य के रूप में राजेश शर्मा की हरकतों को लेकर चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के बीच इतना गुस्सा और विरोध रहा है कि इंस्टीट्यूट के मुख्यालय में 'राजेश शर्मा चोर है' जैसे नारे गूँजे । चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के मुखर गुस्से का जैसा शिकार राजेश शर्मा को होना पड़ा है, वैसा इंस्टीट्यूट के अभी तक के इतिहास में अन्य किसी सेंट्रल काउंसिल सदस्य को नहीं होना पड़ा है ।
राजेश शर्मा के नजदीकियों का कहना है कि दरअसल राजेश शर्मा को यह देख कर खासा तगड़ा झटका लगा है कि दिल्ली से दूर की ब्रांचेज के सदस्यों के बीच भी उनकी कारस्तानियों के चर्चे हैं और उनकी बदनामी है । राजेश शर्मा अभी तक यह समझते रहे थे कि उनकी करतूतों से सिर्फ दिल्ली के लोग ही परिचित हैं दिल्ली के चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के बीच ही उनकी बदनामी है; लेकिन सेंट्रल काउंसिल में अपने पुनर्निर्वाचन के उद्देश्य से पिछले दिनों जब वह अलग अलग ब्रांचेज में गए तो यह देख/जान कर सन्न रह गए कि उनकी हरकतों को लेकर यहाँ भी लोगों के बीच भारी नाराजगी है । कई एक जगह राजेश शर्मा को सुनने को मिला कि उनकी सड़कछाप हरकतों ने इंस्टीट्यूट और प्रोफेशन की पहचान और प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचाने का ही काम किया है, और यह इंस्टीट्यूट व प्रोफेशन के लिए कलंक की बात है कि उनके जैसा व्यक्ति सेंट्रल काउंसिल में है । इस तरह की बातों से राजेश शर्मा को पता चल गया कि नॉर्दर्न रीजन में हर तरफ उनकी कारस्तानियों के चर्चे हैं और उनकी बदनामी है । ऐसे में उन्हें सेंट्रल काउंसिल में अपना पुनर्निर्वाचित होना मुश्किल लगा है । इस मुश्किल को आसान करने के लिए राजेश शर्मा को उपाय सूझा है कि वह मंत्रियों के साथ अपनी नजदीकियत बताएँ/दिखाएँ और चार्टर्ड एकाउंटेंट्स को भरोसा दिलवाएँ कि वह उनके काम मंत्रियों से करवा सकते हैं । राजेश शर्मा के नजदीकियों के अनुसार, राजेश शर्मा को लगता है कि उनके इस उपाय के झाँसे में वरिष्ठ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स भले ही न आएँ, लेकिन युवा चार्टर्ड एकाउंटेंट्स अवश्य ही आ जायेंगे और उनकी चुनावी नैय्या को पार लगवा देंगे । कई युवा चार्टर्ड एकाउंटेंट्स का कहना/पूछना लेकिन यह है कि राजेश शर्मा युवा चार्टर्ड एकाउंटेंट्स को मूर्ख क्यों समझ रहे हैं और उन्हें क्यों लगता है कि युवा चार्टर्ड एकाउंटेंट्स उनकी कारस्तानियों से परिचित नहीं हैं और उनके झाँसे में आ जायेंगे ?