नई दिल्ली । डिस्ट्रिक्ट लिटरेसी मीट को निवर्त्तमान
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रवि चौधरी ने जिस तरह से अशोक कंतूर की उम्मीदवारी के
प्रमोशन का अड्डा बना दिया, उसे देख कर लोगों ने यही समझा/माना है कि रवि
चौधरी और डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के उम्मीदवार अशोक कंतूर ने रोटरी
का मतलब सिर्फ चुनाव ही मान/समझ लिया है । इन्होंने लिटरेसी जैसे
महत्त्वपूर्ण विषय पर आयोजित आयोजन को भी जिस तरह से अपनी चुनावी राजनीति
में इस्तेमाल करने का प्रयास किया, उससे लोगों को यह भी आभास मिला है कि
अपनी चुनावी स्थिति को यह बहुत ही कमजोर पा/मान रहे हैं और इसलिए जहाँ कहीं
भी इन्हें मौका मिलता है - यह मौके की गंभीरता और जरूरत को अनदेखा करते
हुए अपने चुनावी प्रमोशन में लग जाते हैं । डिस्ट्रिक्ट लिटरेसी मीट में
रवि चौधरी ने पिछले रोटरी वर्ष जैसे ही तेवर दिखाए और लोगों के बीच दावा
किया कि जिस तरह पिछली बार उन्होंने कुछ भी करके मनमाफिक चुनावी नतीजा
प्राप्त किया, वैसे ही इस बार भी उन्हें चाहें जो करना पड़े - वह अशोक
कंतूर को चुनाव जितवायेंगे । रवि चौधरी के इस दावे को सुन कर लोगों को
आश्चर्य भी हुआ और उनके बीच चर्चा हुई कि पिछले रोटरी वर्ष में तो वह
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर थे, इसलिए तरह तरह की बेईमानी करके उन्होंने अपना
मनचाहा नतीजा प्राप्त कर लिया; लेकिन इस वर्ष तो वह गवर्नर नहीं हैं - तब
फिर उनके लिए बेईमानी कर पाना कैसे संभव हो सकेगा ? डिस्ट्रिक्ट
लिटरेसी मीट में रवि चौधरी ने कई लोगों को डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस में
अवॉर्ड दिलवाने के वायदे भी किए । यह उनका पिछले वर्ष जैसा ही चुनावी फंडा
है । उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष उन्होंने कई एक प्रेसीडेंट्स को बेस्ट
प्रेसीडेंट का अवॉर्ड 'बेच' कर वोट जुटाने का उपक्रम किया था । हालाँकि लोगों के लिए यह समझना मुश्किल हो रहा है कि इस वर्ष वह किसी भी प्रेसीडेंट को
कैसे कोई अवॉर्ड बेच कर वोट जुटा सकेंगे ? तो क्या अशोक कंतूर के पक्ष में वोट जुटाने के लिए रवि चौधरी अवॉर्ड का लालच देकर
प्रेसीडेंट्स व क्लब्स के अन्य प्रमुख लोगों को फाँसने और धोखा देने का प्रयास कर रहे
हैं ?
डिस्ट्रिक्ट लिटरेसी मीट में यह और मजे की बात
सुनने/देखने को मिली कि रवि चौधरी ने लोगों के बीच अपने आप को अशोक कंतूर
के गवर्नर-वर्ष के डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर के रूप में बताते/दिखाते हुए लोगों
को 'उस' वर्ष की डिस्ट्रिक्ट टीम की पोस्ट देने/बाँटने का काम भी शुरू कर
दिया । रवि चौधरी की इस हरकत का लोगों के बीच खूब मजाक भी बना और लोगों के
बीच इस बात को लेकर सवालनुमा डर भी पैदा हुआ कि तो क्या अशोक कंतूर एक
कठपुतली गवर्नर होंगे ? अशोक कंतूर के नजदीकियों का ही मानना तथा
कहना/बताना है कि अशोक कंतूर अपनी उम्मीदवारी को लेकर जिस तरह से रवि चौधरी
पर पूरी तरह आश्रित हो गए हैं, उससे उन्होंने अपनी उम्मीदवारी का कबाड़ा कर
लिया है । नजदीकियों का ही बताना है कि रवि चौधरी की हरकतों के कारण अशोक
कंतूर के कई समर्थकों व शुभचिंतकों ने उनसे दूरी बना ली है और इस कारण से
अशोक कंतूर का समर्थन-आधार खासा घट गया है । डेढ़/दो महीने पहले तक अशोक
कंतूर की चुनावी जीत को आसान मान रहे, अशोक कंतूर की उम्मीदवारी के समर्थक
बड़े नेता तक - अब इस बात को लेकर परेशान हो उठे हैं कि अशोक कंतूर को कैसे
करके इतने वोट तो कम-से-कम मिल जाएँ ताकि वह अगले रोटरी वर्ष में
उम्मीदवार हो सकने का दावा पेश कर सकें । उन्हें यह चिंता सताने लगी है कि
अशोक कंतूर को यदि ज्यादा अंतर से हार मिली, तो अशोक कंतूर के लिए तो अगले
रोटरी वर्ष में उम्मीदवारी प्रस्तुत करने का नैतिक आधार ही खो जायेगा । ज्यादा
बड़े अंतर से मिली हार के बाद अगले रोटरी वर्ष में उनकी उम्मीदवारी को भला
कौन गंभीरता से लेगा ? दिलचस्प नजारा यह है कि अशोक कंतूर की उम्मीदवारी के
कई एक समर्थक ही दावा कर रहे हैं कि रवि चौधरी की बदनामी तथा लगातार जारी
उनकी हरकतों ने अशोक कंतूर की उम्मीदवारी के अभियान को कभी भी 'उठने' नहीं
दिया और अब जब चुनाव सिर पर आ गए हैं - तो अशोक कंतूर की उम्मीदवारी का
अभियान संकट में फँसा दिख रहा है ।
दरअसल अशोक कंतूर की
उम्मीदवारी के कई समर्थकों ने उनसे इसलिए दूरी बना ली है, क्योंकि उनकी
उम्मीदवारी के अभियान की कमान पूरी तरह रवि चौधरी ने सँभाल ली है, और वह
रवि चौधरी के ऑफिस से संचालित होने लगा है । अशोक कंतूर के कई समर्थकों व
नजदीकियों का कहना है कि अशोक कंतूर की उम्मीदवारी के अभियान के सिलसिले
में होने वाली मीटिंग्स में रवि चौधरी उनके साथ ही बदतमीजी करने लगते हैं;
वह दूसरों के सुझावों को अनसुना करते हैं तथा अपनी ही बात थोपने की कोशिश
करते हैं । रवि चौधरी की इस हरकत के चलते अशोक कंतूर के कई समर्थक उनसे दूर
हो गए हैं, और यह कहने लगे हैं कि खुदा-न-खास्ता कहीं अशोक कंतूर
गवर्नर बन गए, तो उनकी आड़ में रवि चौधरी तो डिस्ट्रिक्ट और रोटरी का
सत्यानाश ही कर देंगे । मजे का सीन यह है कि समर्थकों के अशोक कंतूर का साथ
छोड़ते जाने की रवि चौधरी कोई परवाह करते हुए भी नहीं नजर आ रहे हैं;
उन्होंने अशोक कंतूर को भी आश्वस्त किया है और लोगों के बीच भी दावा किया
है कि मैं अकेला ही काफी हूँ अशोक कंतूर को चुनाव जितवाने के लिए । रवि
चौधरी का कहना है कि उन्हें यह बात अच्छी तरह से समझ में आ गई है कि
प्रेसीडेंट्स वोट देने के बदले में उम्मीदवार से क्या चाहते हैं - वह
प्रेसीडेंट्स को वह सब दिलवायेंगे, जो वह चाहते हैं; और इस तरह अशोक कंतूर
को आसानी से चुनाव जितवा लेंगे । रवि चौधरी कहते/बताते हैं कि उन्हें यह
बात खूब अच्छे से पता है कि डिस्ट्रिक्ट के अधिकतर सक्रिय और पहचान रखने
वाले पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के दूसरे
उम्मीदवार अनूप मित्तल की उम्मीदवारी के समर्थन में हैं; लेकिन उन सब पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स से निपटने
के लिए 'मैं अकेले ही काफी हूँ ।' लगता है कि अशोक कंतूर ने भी मान/समझ
लिया है कि रवि चौधरी अकेले ही उनकी चुनावी नैय्या को पार लगवा देंगे -
इसलिए ही रवि चौधरी की तमाम बदनामी और रवि चौधरी के रवैये के कारण
समर्थकों व नजदीकियों के साथ छोड़ते जाने के बावजूद अशोक कंतूर 'अकेले' रवि
चौधरी पर ही भरोसा कर रहे हैं कि वह कोई भी बेईमानी करके उन्हें
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी का चुनाव जितवा ही देंगे ।