Saturday, September 29, 2018

इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के पदाधिकारियों के सामने एक सवाल : आप यह उम्मीद क्यों करते हैं कि आप खुद तो बहुत ही नीचता की, घटियापन की, टुच्चेपन की, बेईमानी की हरकतें करेंगे - और कोई पत्रकार और ब्लॉग आपकी हरकतों पर चुप रहे ?

['रचनात्मक संकल्प' के पते पर एक अनजान व्यक्ति एक लिफाफा दे गया, जिसे खोलने पर  सीए सत्येंद्र कुमार गुप्ता का एक पत्र मिला, जिसके साथ अनुरोध था कि यह पत्र यदि 'रचनात्मक संकल्प' में प्रकाशित होगा, तो ज्यादा लोगों तक पहुँच सकेगा और इसमें उठाए गए मुद्दे पर व्यापक चर्चा हो सकेगी । विषय की गंभीरता को देखते हुए उक्त पत्र को यहाँ हू-ब-हू प्रकाशित किया जा रहा है । संपादन के नाम पर हमने कुछेक मात्राओं को और कुछेक वाक्यों को दुरुस्त भर किया है ।]

टीम NIRC के प्रिय साथियों,
इंस्टीट्यूट और उसके पदाधिकारियों की पब्लिक इमेज को लेकर चिंता व्यक्त करते हुए आपका खासा लंबा-चौड़ा मैसेज मैंने भी पढ़ा और मुझे यह देख कर वाकई अच्छा लगा कि आप लोग इंस्टीट्यूट के Torch Bearer पदाधिकारियों और सदस्यों की पब्लिक इमेज को लेकर चिंतित हैं और उसे सुरक्षित करने/रखने की जरूरत समझते हैं । इस जरूरत को समझने और इसके लिए आवश्यक कार्रवाई की पहल करने के लिए मैं आपका शुक्रिया अदा करता हूँ ।
लेकिन मैं बहुत ही अफ़सोस के साथ यह भी महसूस करता हूँ कि मामले को व्यापक रूप से समझने की बजाये आपने मामले को बहुत ही चलताऊ और एकांगी तरीके से निपटा दिया है, तथा सारा दोष एक ब्लॉग पर मढ़ दिया है । इंस्टीट्यूट के आयोजनों में माननीय प्रधानमंत्री जी और माननीय राष्ट्रपति जी क्या क्या कह गए हैं, यह आपको पता ही होगा । उन्होंने अपने अपने भाषणों में जो कहा है, वह यदि सच है तो इसका मतलब क्या यह नहीं है कि इंस्टीट्यूट के Torch Bearer पदाधिकारी और सदस्य अपनी जिम्मेदारियों का पालन करने में विफल रहे हैं - उनकी विफलता के लिए उक्त ब्लॉग कैसे जिम्मेदार हुआ ? इंस्टीट्यूट के Torch Bearer पदाधिकारियों और सदस्यों के खिलाफ आम और खास चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की नाराजगी अक्सर ही देखने/सुनने को मिल जाती है, क्या उसके लिए उक्त ब्लॉग जिम्मेदार है ? पिछले वर्ष सीए डे फंक्शन में जो तमाशा हुआ था, और जिसके लिए तमाम चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ने आपके एक  Torch Bearer सदस्य को जिम्मेदार ठहराया था - उसके लिए क्या उक्त ब्लॉग जिम्मेदार है ? NIRC में पिछले करीब ढाई वर्षों में जो कुछ होता रहा है, और सदस्य एक-दूसरे के खिलाफ गंभीर आरोप लगाते रहे हैं और इंस्टीट्यूट में शिकायत करते रहे हैं - क्या उसके लिए उक्त ब्लॉग जिम्मेदार है ? NIRC की एक मीटिंग में नितिन कँवर ने काउंसिल की एक महिला सदस्य के साथ इस हद तक बदतमीजी की, कि उक्त महिला सदस्य को मीटिंग के बीच में ही पुलिस बुलाने की कार्रवाई करना पड़ी - इंस्टीट्यूट के प्रेसीडेंट व सेक्रेटरी के हस्तक्षेप के बाद ही मामला संभला, इसके लिए क्या उक्त ब्लॉग जिम्मेदार है ? नितिन कँवर की ही बदतमीजियों की शिकायत करते हुए एक महिला स्टॉफ द्वारा पुलिस में रिपोर्ट करने के हालात बने, जिसे किसी तरह निपटाया गया - क्या इसके लिए उक्त ब्लॉग जिम्मेदार है ?      
टीम NIRC के साथियों, इंस्टीट्यूट और उसके Torch Bearer पदाधिकारियों और सदस्यों की तथा टीम NIRC की पब्लिक इमेज बिगड़ने के लिए किसी बाहरी संस्था या व्यक्ति को जिम्मेदार ठहराने से ज्यादा जरूरी क्या यह नहीं होना चाहिए कि पहले आप अपने गिरेबाँ में भी झाँके ?
हो सकता है कि इंस्टीट्यूट और NIRC में होने वाले मामलों को उक्त ब्लॉग बढ़ा-चढ़ा कर और नमक-मिर्च लगा कर प्रस्तुत करता हो; पर सवाल यह है कि उसे ऐसा करने का मौका कौन देता है और सच्चाई को सामने क्यों नहीं आना चाहिए  ? आप यह उम्मीद क्यों करते हैं कि आप खुद तो बहुत ही नीचता की, घटियापन की, टुच्चेपन की, बेईमानी की हरकतें करेंगे - और कोई पत्रकार और ब्लॉग आपकी हरकतों पर चुप रहे ? मुझे यह देख कर वास्तव में अफसोस हुआ कि इंस्टीट्यूट के Torch Bearer पदाधिकारियों और सदस्यों तथा टीम NIRC की पब्लिक इमेज की चिंता करते हुए आप 'अपनी' हरकतों पर तो एक शब्द भी नहीं कहते हैं, और सारा आरोप 'दूसरों' पर - बाहरी लोगों पर, एक ब्लॉग पर थोप देते हैं ।  
साथियों, आपने जिस ब्लॉग पर निशाना साधा है, उस ब्लॉग की चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के बीच पहुँच और विश्वसनीयता को लेकर मैं खुद हैरान होता रहा हूँ । मैं यह देख कर सचमुच चकित होता रहा हूँ कि चार्टर्ड एकाउंटेंट्स न सिर्फ उसकी रिपोर्ट्स को दिलचस्पी के साथ पढ़ते हैं और उस पर चर्चा करते हैं, बल्कि सोशल मीडिया में उन्हें शेयर भी करते हैं । उस ब्लॉग की रिपोर्ट्स मुझे हमेशा ही आश्चर्य में डालती रही हैं कि काउंसिल की जो जानकारियाँ हम वरिष्ठ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स को भी नहीं होती हैं, वह उस तक कैसे पहुँच जाती हैं और कभी कभी तो 'इधर घटना घटी, और उधर सूचना पहुँची' वाला मामला होता है । यह बात मुझे आश्चर्य में इसलिए डालती है, क्योंकि मैं हमेशा ही काउंसिल पदाधिकारियों और सदस्यों को उस ब्लॉग के खिलाफ बात करते हुए ही पाता/सुनता हूँ ।  मैंने जब जब उस ब्लॉग की जोरदार सफलता के कारणों को समझने की कोशिश की है, तब तब मैं इसी नतीजे पर पहुँचा हूँ कि उस ब्लॉग ने चूँकि इंस्टीट्यूट और काउंसिल्स के बड़े नेताओं और पदाधिकारियों द्वारा आम चार्टर्ड एकाउंटेंट्स से छिपा कर की जाने वाली बेईमानियों की पोल खोली है, तथा बड़े नेताओं और पदाधिकारियों द्वारा प्रताड़ित और अपमानित हुए लोगों का साथ दिया है, उनकी आवाज बना है - इसलिए चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के बीच उसकी साख और विश्वसनीयता बनी है । बड़े नेताओं और पदाधिकारियों तथा उनके आसपास रहने वाले लोगों ने उस ब्लॉग की भले ही एक नकारात्मक छवि बनाने की कोशिश की है, लेकिन काउंसिल्स में होने वाली बेईमानियों और अपमान व प्रताड़नापूर्ण व्यवहार का शिकार होने वाले लोगों को - चाहें वह काउंसिल्स केसदस्य हों, स्टाफ हों और या वेंडर्स हों - वह ब्लॉग, अनजान होते हुए भी, अपना विश्वसनीय साथी और अपना दुःख बाँटने वाला लगा है । 
NIRC की एक मीटिंग में नितिन कँवर को काउंसिल के ही एक वरिष्ठ सदस्य पर निहायत बदतमीजी और अशालीन तरीके से चिल्लाते हुए और उन पर गंभीर आरोप लगाते हुए मैंने एक ऑडियो क्लिप में सुना है । अभी हाल ही में हुई एक्जीक्यूटिव कमेटी की मीटिंग में नितिन कँवर और राजिंदर अरोड़ा के बीच हुए झगड़े की कुछेक बातों की ऑडियो क्लिप भी मैंने सुनी है, जिसमें दोनों लोग एक-दूसरे पर गंभीर आरोप लगा रहे हैं ।  इन क्लिप्स को जिस किसी ने भी सुना है, उसे यह जानकर अफसोस ही हुआ है कि NIRC में इस तरह के सड़क छाप लोग भी हैं । यहाँ दो बातें रेखांकित करने योग्य हैं : एक तो यही कि NIRC टीम के किसी सदस्य ने कभी भी नितिन कँवर और राजिंदर अरोड़ा से यह कहा है क्या कि काउंसिल की मीटिंग में इन्हें अपनी बात शालीनता और मर्यादा के साथ कहना चाहिए; तथा दूसरी बात यह कि इन्होंने आपस में ही एक दूसरे पर जो आरोप लगाए हैं, उनकी सत्यता की जाँच करने की कोई कोशिश हुई है क्या ? 
टीम NIRC के साथियों, मामले को व्यापकता और गंभीरता के साथ आप समझ भी रहे हो न ! आपको क्या लगता है कि आप उक्त ब्लॉग के खिलाफ पुलिस में और कोर्ट में जाओगे, तो पुलिस और कोर्ट बिना जाँच-पड़ताल के उक्त ब्लॉग के खिलाफ कार्रवाई कर देगी - वह कोई जाँच-पड़ताल नहीं करेगी ? और यदि जाँच-पड़ताल करेगी तो आपके द्वारा की गई गड़बड़ियों पर ध्यान नहीं देगी ? जिन क्लिप्स की मैं बात कर रहा हूँ, वह यदि पब्लिक डोमेन में हैं तो क्या उक्त ब्लॉग के कर्ता-धर्ताओं के पास नहीं होंगी; और वह पुलिस और कोर्ट में उन्हें पेश नहीं करेंगे ? उन क्लिप्स को सुन कर तथा आपके कई कारनामों के रिकॉर्ड/सुबूत देख कर कोर्ट आप लोगों को क्या शाबाशी देगी, आपकी तारीफ करेगी ? आपने अभी हाल ही में अखबारों में पढ़ा होगा कि कोर्ट ने दिल्ली के एक सांसद तथा दिल्ली प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष मनोज तिवारी को फटकार लगाते हुए उनसे कहा कि सांसद हो तो क्या अपने आपको खुदा समझते हो कि नियम-कानूनों का पालन नहीं करोगे । टीम NIRC के साथियों, क्या आप लोग भी अपने आपको और अपने Torch Bearer को खुदा तो नहीं समझते हो ? आप लोग कहीं यह तो नहीं समझते हो कि आपको तो नियम-कानूनों का पालन करने की कोई जरूरत ही नहीं है, आप जो चाहें सो कर सकते हो और चाहें किसी भी भाषा और लहजे में काउंसिल की मीटिंग्स में अपने ही साथियों से बात कर सकते हो और उन पर कोई भी कैसा भी आरोप लगा सकते हो ? मुझे डर है कि कहीं जोश और गलतफहमी में आप अपने लिए और नई मुसीबतें न पैदा कर लें ?                  
टीम NIRC के साथियों, हालाँकि मैं आपकी इस चिंता से पूरा इत्तफाक रखता हूँ कि इंस्टीट्यूट और  काउंसिल्स के पदाधिकारियों और सदस्यों की पब्लिक इमेज को खराब करने का मौका किसी को भी - किसी भी ब्लॉग को न मिले । इसके लिए मेरा सुझाव है कि आप लोग यदि अपने काम को ईमानदारी से करना शुरू कर दो, हर काम में वेंडर्स से कमीशन खाना बंद कर दो, काउंसिल के पैसों पर अपने चाय-नाश्ते और खाने-पीने के लिए निर्भर रहना बंद कर दो, अपने 'भाईयों' को फायदा पहुँचाने के लिए नियमों से खिलवाड़ करना बंद कर दो, नियम-कानूनों से और जिम्मेदारी से काम करना शुरू कर दो, काउंसिल में अपने ही साथियों पर हावी होने तथा उन पर रौब जमाने की कोशिश करने और उनके साथ अभद्र भाषा में बात करने से बचो, खासकर महिला सदस्यों और महिला स्टॉफ के साथ सम्मानजनक व्यवहार करना सीख सको, आपसी मतभेदों को शालीनता व मर्यादा में रहते हुए हल करने की कोशिश करो - तो बाहर के लोगों को, उक्त ब्लॉग के दुष्ट कर्ता-धर्ताओं को बातें बनाने का मौका ही नहीं मिलेगा, और वह ब्लॉग अपने आप ही बंद हो जायेगा । आपको पुलिस और कोर्ट में जाने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी । 
मैं ईश्वर से प्रार्थना करूँगा कि वह आपको सद्बुद्धि दे, और आप सचमुच में अपनी पब्लिक इमेज को साफ-सुथरा रख सकें, न कि इमेज बचाने के चक्कर में अपनी और पोल खुलवा लो तथा अपनी इमेज का और कबाडा करवा लो ।
शुभकामनाओं के साथ,
- सीए सत्येंद्र कुमार गुप्ता