Monday, September 3, 2018

इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के कन्वोकेशन समारोह में राजेश शर्मा की हरकतों को देख कर नए बने चार्टर्ड एकाउंटेंट्स, उनके अभिभावक और मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित जनरल वीके मलिक तक के लिए यह समझना मुश्किल हुआ कि चार्टर्ड एकाउंटेंट्स जैसे प्रोफेशन में ऐसे 'सड़कछाप' लोग हैं कैसे ?

नई दिल्ली । नए बने चार्टर्ड एकाउंटेंट्स को इंस्टीट्यूट की सदस्यता का सर्टीफिकेट देने के लिए यमुना स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में आयोजित हुए कन्वोकेशन समारोह में राजेश शर्मा की हरकतों और कारस्तानियों के कारण इंस्टीट्यूट और प्रोफेशन को एक बार फिर शर्मिंदा व लज्जित होना पड़ा है, जिसके चलते लोगों के बीच पिछले वर्ष 'सीए डे' पर उनके द्वारा किए गए कारनामों की याद एक बार फिर ताजा हो गई है । इस बार तो राजेश शर्मा की हरकतों ने और गजब ढाया । अभिभावकों द्वारा मंच पर सर्टीफिकेट लेने/देने के दौरान लड़कियों को गलत तरीके से और गलत जगहों पर छूने/पकड़ने के राजेश शर्मा पर लगाए आरोपों ने मामले को खासा गंभीर रूप दे दिया है । अभिभावकों ने इंस्टीट्यूट के स्टॉफ से कार्यक्रम की वीडियो रिकॉर्डिंग के असंपादित - रॉ फुटेज माँगे हैं, ताकि वह राजेश शर्मा के खिलाफ उचित कार्रवाई कर/करवा सकें । राजेश शर्मा ने कार्यक्रम में जिस तरह से अपने लोगों को इकट्ठा करके अपने भाषण में पढ़े घटिया व फूहड़ किस्म की शेर-ओ-शायरी पर उनसे तालियाँ और सीटियाँ बजवाईं, उससे कार्यक्रम की गरिमा सार्वजनिक रूप से पहले ही नष्ट हो चुकी थी । इंस्टीट्यूट के प्रेसीडेंट नवीन गुप्ता का बेबसीभरा नाकारापन एक बार फिर लोगों के सामने आया । यह सब हुआ भारतीय सेना के पूर्व चीफ जनरल वीके मलिक के सामने, जो कन्वोकेशन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे । कुछेक लोगों ने नवीन गुप्ता की यह कहते हुए भी आलोचना की कि वह यदि राजेश शर्मा की हरकतों पर लगाम नहीं लगा सकते हैं, तो उन्हें इंस्टीट्यूट के कार्यक्रमों में बाहर के प्रतिष्ठित लोगों को आमंत्रित नहीं करना चाहिए, ताकि कम से कम बाहर के लोगों को तो न पता चले कि एक गंभीर समझे जाने वाले विषय के इंस्टीट्यूट के आयोजनों में आयोजक-सदस्यों की तरफ से ही किस तरफ की टुच्ची और लफंगईभरी हरकतें होती हैं । 
उल्लेखनीय है कि कल, दो सितंबर को मुंबई, चेन्नई, कोलकाता, हैदराबाद, अहमदाबाद, पुणे, जयपुर, कानपुर के साथ-साथ दिल्ली में भी नए बने चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के लिए कन्वोकेशन समारोह हुए । दिल्ली में हुए कन्वोकेशन समारोह में सेंट्रल काउंसिल में नॉर्दर्न रीजन के संजीव चौधरी को छोड़ कर सभी सदस्य तथा नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के कुछेक सदस्य मौजूद थे । नार्दर्न रीजन के करीब ढाई हजार नए बने चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के लिए यह समारोह था, जिसके लिए हालाँकि करीब दो हजार नए बने चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ने रजिस्ट्रेशन करवाया था । इंस्टीट्यूट के स्टॉफ के अनुसार समारोह में करीब 1600 नए बने चार्टर्ड एकाउंटेंट्स पहुँच सके थे । उनमें से चार/पाँच सौ के अभिभावक भी थे । इस बार अभिभावकों को भी समारोह में शामिल होने की अनुमति दे दी गई थी । कार्यक्रम की शुरुआत में सेंट्रल काउंसिल सदस्यों को पाँच पाँच मिनट का समय भाषण देने के लिए तय किया गया था । बाकी सभी ने समय-सीमा में थोड़ी-थोड़ी आजादी ली और जो जैसा बोलता/बताता है, उसने वैसा ही बोला/बताया । राजेश शर्मा का जब नंबर आया, तो माहौल एकदम से बदल गया । उनके माइक पर आते ही तालियों और सीटियों का जो शोर मचा, उसे सुन कर मौजूद लोगों ने अनुमान लगा लिया कि राजेश शर्मा ने अपने लोगों को बुला कर यहाँ तमाशा खड़ा करने का इंतजाम किया हुआ है । राजेश शर्मा ने करीब पंद्रह मिनट भाषण दिया, जिसमें हर दो/एक मिनट पर वह एक सस्ता व फूहड़ सा कोई शेर कहते - जिस पर कुछेक लोग तालियाँ पीटते और सीटियाँ बजाते । नए बने चार्टर्ड एकाउंटेंट्स, उनके अभिभावक और मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित जनरल वीके मलिक यह नजारा देख कर हैरान थे; उनके लिए यह समझना मुश्किल हुआ कि चार्टर्ड एकाउंटेंट्स जैसे प्रोफेशन में ऐसे 'सड़कछाप' लोग हैं कैसे ? इंस्टीट्यूट के प्रेसीडेंट नवीन गुप्ता तथा कुछेक सेंट्रल काउंसिल सदस्यों ने इशारों इशारों में कई बार प्रयास भी किया कि कम से कम सीटियाँ तो न बजाई जाएँ, लेकिन राजेश शर्मा के लोगों को इस तरह से सिखा/पढ़ा कर लाया गया था कि उन्होंने किसी की नहीं सुनी और जब तक राजेश शर्मा का भाषण व शेर-ओ-शायरी चलती रही - वह अपनी हरकतों को दोहराते हुए इंस्टीट्यूट व प्रोफेशन की पहचान और साख के साथ खिलवाड़ करते रहे । 
इस शर्मनाक वाकये से मिले झटके से इंस्टीट्यूट के पदाधिकारी अभी उबरे भी नहीं थे कि कार्यक्रम के अंतिम चरण में राजेश शर्मा की हरकतों को लेकर एक नया बबाल खड़ा हो गया । समारोह में मौजूद कुछेक अभिभावकों ने आरोप लगाना शुरू किया कि सर्टीफिकेट लेने मंच पर पहुँचने वाली लड़कियों को मंच पर व्यवस्था बनाये रखने के नाम पर गलत तरीके से छू रहे हैं । इंस्टीट्यूट के स्टाफ ने हालाँकि यह शिकायत करने वाले अभिभावकों को यह कहते हुए शांत करने का प्रयास किया कि मंच पर और मंच के सामने इतने लोगों के बीच राजेश शर्मा ऐसी हरकत नहीं कर सकते हैं, और उन्हें गलतफहमी हो रही है । स्टाफ के लोगों ने अनुभव किया कि राजेश शर्मा के भाषण के दौरान जिस तरह का सीन बना, उसे तथा मंच पर राजेश शर्मा की बेमतलब में की जा रही उछल-कूद को देख कर अभिभावकों के बीच राजेश शर्मा को लेकर समझ बनी कि वह कोई सड़कछाप व्यक्ति हैं; और इस समझ के चलते ही लड़कियों को छूने की राजेश शर्मा की हरकत उन्हें नागवार लगी । दरअसल नए बने चार्टर्ड एकाउंटेंट्स को सर्टीफिकेट देने के काम को जल्दी जल्दी पूरा करने के लिए 'व्यवस्था' बनाने हेतु मंच पर मौजूद काउंसिल सदस्य सर्टीफिकेट लेने आने वाले को पकड़ पकड़ कर ठीक जगह पर खड़ा कर रहे थे; इस चक्कर में कई बार खींचा-तानी जैसा दृश्य बनता हुआ नजर आया । लड़कों के मामले में तो यह दृश्य 'चल' गया, लेकिन लड़कियों के संदर्भ में मामला सेंसेटिव हो गया । 
अपनी हरकतों से राजेश शर्मा ने जो पहचान बनाई, कुछ उसके असर में और कुछ व्यवस्था बनाने में उनके ज्यादा सक्रिय होने से अभिभावकों को उनकी हरकत नागवार तथा उनकी 'नीयत' संदेहास्पद लगी है । कुछेक अभिभावकों ने इंस्टीट्यूट के स्टॉफ से समारोह की वीडियो रिकॉर्डिंग के असंपादित, रॉ फुटेज देने की माँग की है; उनका कहना है कि वह वीडियो रिकॉर्डिंग देखेंगे और यदि उन्हें अपना संदेह सही लगा, तो वह राजेश शर्मा को छोड़ेंगे नहीं । अभिभावकों ने इंस्टीट्यूट के प्रेसीडेंट नवीन गुप्ता से भी अनुरोध किया है कि उन्हें राजेश शर्मा की हरकतों पर लगाम लगाना चाहिए । यह अनुरोध करने वाले बेचारे अभिभावकों को राजेश शर्मा के मामले में नवीन गुप्ता की बेबसी का पता नहीं है, इसलिए उन्हें लगता है कि नवीन गुप्ता अवश्य ही उनके अनुरोध पर ध्यान देंगे । उधर मामले की गंभीरता को समझ रहे इंस्टीट्यूट के प्रशासनिक अधिकारियों ने वीडियो रिकॉर्डिंग की माँग कर रहे अभिभावकों को टालने का रवैया अपनाया हुआ है । उन्हें लगता है कि इसी तरीके से राजेश शर्मा की हरकतों से इंस्टीट्यूट व प्रोफेशन की पहचान व छवि को होने वाले और नुकसान से बचा जा सकता है । यह देखना दिलचस्प होगा कि वीडियो रिकॉर्डिंग की माँग कर रहे अभिभावकों को टाल/टरका कर पहचान व छवि के नुकसान से बचने तथा राजेश शर्मा को मुसीबत से बचाने की इंस्टीट्यूट प्रशासन की चाल कामयाब होती है या नहीं ?