मुरादाबाद । दीपक बाबु को पूर्व
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर का तमगा मिलने की खबर ने डिस्ट्रिक्ट 3100 के लोगों को
ही नहीं, बल्कि उन सभी रोटेरियंस को चौंकाया और हैरान किया है, जो रोटरी
इंटरनेशनल के पदाधिकारियों को सम्मान की नजर से देखते हैं और उनमें भरोसा
करते हैं - इस मामले में इंटरनेशनल प्रेसीडेंट नॉमिनी सुशील गुप्ता का नाम
आने से मामला दिलचस्प और हो गया है । जिसने भी इस बात को सुना है,
उसका यही मानना और कहना है कि रोटरी इंटरनेशनल भी एक अंधेर नगरी हो गया
है, जिसे चौपट राजा चला रहे हैं । उल्लेखनीय है कि दीपक बाबु वर्ष 2016-17
के लिए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर चुने गए थे । लेकिन उनका गवर्नर-वर्ष शुरू होने
के करीब तीन महीने पहले ही डिस्ट्रिक्ट को नॉन-डिस्ट्रिक्ट स्टेटस में
डाल दिया गया था । अप्रैल 2016 के शुरू में ही मजे की बात यह हुई थी कि
डिस्ट्रिक्ट को नॉन-डिस्ट्रिक्ट स्टेटस में डालने की औपचारिक घोषणा होने से
पहले ही डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट के रूप में दीपक बाबु को डिस्ट्रिक्ट
असेम्बली करने से रोक दिया गया था । इस तरह दीपक बाबु को रोटरी के 113
वर्षों के इतिहास में पहले और अकेले ऐसे 'गवर्नर' होने की पहचान मिली,
जिन्हें गवर्नर का पदभार संभालने से पहले ही गवर्नर पद के कामकाज करने से
रोक दिया गया था । यानि दीपक बाबु ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में एक
भी दिन काम नहीं किया है - इसके बावजूद उन्हें पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर का
तमगा मिल गया है । रोटरी इंटरनेशनल के नियम के अनुसार, पूर्व डिस्ट्रिक्ट
गवर्नर का तमगा पाने के लिए जरूरी है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में
वर्ष के 365 दिन रहा गया हो - पर दीपक बाबु तो एक दिन भी गवर्नर नहीं रहे ।
डिस्ट्रिक्ट में लोगों का कहना/पूछना है कि दीपक बाबु को यदि एक भी दिन डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रहे बिना पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर का
तमगा मिल सकता है, तो वर्ष 2017-18 के लिए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर चुने गए डीके
शर्मा को भी पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर का तमगा मिलना चाहिए ।
दिलचस्प
बात यह रही कि दीपक बाबु को पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर का तमगा देने की बात
'चुपचाप' तरीके से तय कर ली गई, और डिस्ट्रिक्ट गवर्नर दीपक जैन तक को इस
बारे में अधिकृत जानकारी नहीं दी गई - खुद दीपक बाबु ने भी इस बारे में
किसी को जानकारी नहीं दी । इससे लगता है कि खुद दीपक बाबु को और इस फैसले
से जुड़े बड़े पदाधिकारियों को भी यह 'अपराधबोध' तो है कि इस फैसले से उनका
मजाक ही बनेगा । यह पोल तब खुली, जब 25 अगस्त को हुए इंटरसिटी सेमीनार
से पहले होने वाली कॉलिज ऑफ गवर्नर्स की मीटिंग के लिए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर
दीपक जैन को सिफारिश मिली कि कॉलिज और गवर्नर्स की मीटिंग में उन्हें दीपक
बाबु को भी आमंत्रित करना चाहिए, क्योंकि पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर होने
नाते दीपक बाबु भी कॉलिज ऑफ गवर्नर्स के सदस्य हैं । दीपक जैन का माथा
ठनका और उन्होंने दिल्ली स्थित रोटरी इंटरनेशनल के साऊथ एशिया ऑफिस से इस
बारे में जानकारी माँगी, जहाँ से उन्हें बताया गया कि हाँ, दीपक बाबु को
पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में मान्यता दी गई है । इंटरसिटी सेमीनार
में आए इंटरनेशनल डायरेक्टर भरत पांड्या और नेशनल पोलियो प्लस कमेटी के
चेयरमैन दीपक कपूर भी कॉलिज ऑफ गवर्नर्स की मीटिंग में शामिल हुए और उन्हें
भी दीपक बाबु को पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर का तमगा मिलने पर हैरानी हुई । डिस्ट्रिक्ट
के 'असली' पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स के साथ अनौपचारिक बातचीत में इस
मामले पर बात करते हुए भरत पांड्या और दीपक कपूर ने हालाँकि औपचारिक तौर पर तो ज्यादा कुछ नहीं कहा, लेकिन
बातों ही बातों में इशारों-इशारों में उन्होंने इसके लिए नॉन-डिस्ट्रिक्ट स्टेटस के दौरान
डिस्ट्रिक्ट के प्रभारी रहे संजय खन्ना और इंटरनेशनल प्रेसीडेंट नॉमिनी सुशील गुप्ता को जिम्मेदार ठहराने वाले संकेत जरूर दिए ।
एक
भी दिन गवर्नर रहे बिना दीपक बाबु को पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर का तमगा
मिलने जैसा चमत्कार घटने के पीछे के खेल को समझने की कोशिश करने वाले लोगों
को लगता है कि इसके लिए भूमिका बनाने का काम पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर
मनोज देसाई के कहने पर संजय खन्ना ने किया, जिसे अंजाम तक पहुँचाने की जिम्मेदारी सुशील गुप्ता ने निभाई । दीपक बाबु की मनोज देसाई से खास निकटता की बात सभी की जानकारी में है; मनोज देसाई के इंटरनेशनल डायरेक्टर रहते हुए ही डिस्ट्रिक्ट 3011 के पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर संजय खन्ना को नॉन-डिस्ट्रिक्ट स्टेटस में गए डिस्ट्रिक्ट 3100 के प्रभारी की भूमिका मिली थी और उनके द्वारा खासी कुशलता के साथ निभाई गई उक्त भूमिका के चलते रोटरी इंटरनेशनल के पदाधिकारियों के बीच उनकी अच्छी पहचान और साख बनी - लोगों को लगता है कि
जिसका फायदा उठाते हुए मनोज देसाई ने पहले तो संजय खन्ना के जरिये 'माहौल'
तैयार किया और फिर इंटरनेशनल प्रेसीडेंट इलेक्ट के लिए अधिकृत उम्मीदवार का
चुनाव करने वाली नोमीनेटिंग कमेटी में सदस्य होने का फायदा उठाते हुए
सुशील गुप्ता के संपर्कों के जरिये दीपक बाबु के मामले में फैसले पर मोहर
लगवाई । इस 'थ्योरी' को दरअसल इसलिए भी विश्वसनीय माना जा रहा है क्योंकि इस फैसले को पूर्व इंटरनेशनल प्रेसीडेंट केआर रवींद्रन के लिए एक बड़े झटके के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है । उन्हीं के प्रेसीडेंट-वर्ष में डिस्ट्रिक्ट 3100 नॉन-डिस्ट्रिक्ट स्टेटस में गया था ।
यहाँ यह याद करना प्रासंगिक होगा कि तत्कालीन डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुनील
गुप्ता का इस्तीफा करा लेने के बावजूद रोटरी इंटरनेशनल ने डिस्ट्रिक्ट को
नॉन-डिस्ट्रिक्ट स्टेटस में नहीं डाला था; बल्कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट
के रूप में दीपक बाबु की हरकतों और कारस्तानियों को देखने के बाद डिस्ट्रिक्ट को नॉन-डिस्ट्रिक्ट स्टेटस में डाला था । दरअसल सुनील गुप्ता के इस्तीफे के बाद दीपक बाबु ने खुद को गवर्नर समझ लिया था, और वह तरह-तरह की मनमानी करने पर उतर आये थे । दीपक बाबु के मनमाने, स्वार्थपूर्ण तथा अहंकारभरे रवैये को देख कर ही केआर रवींद्रन ने डिस्ट्रिक्ट 3100 को नॉन-डिस्ट्रिक्ट स्टेटस में डाल दिया । लोगों
का कहना है कि जो दीपक बाबु डिस्ट्रिक्ट की बदनामी और बर्बादी के लिए
मुख्य रूप से जिम्मेदार रहे, उन्हीं दीपक बाबु को नियमों की अनदेखी करते
हुए पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर का तमगा देना दुर्भाग्यपूर्ण तो है ही,
डिस्ट्रिक्ट के लिए भी बदकिस्मती की बात है ।