गाजियाबाद
। डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट दीपक गुप्ता के लिए पेम वन के रूप में किया
जाने वाला अपना पहला कार्यक्रम ही भारी मुसीबत बन गया है । उल्लेखनीय
है कि 23 सितंबर को प्रस्तावित पेम वन के आयोजन के लिए करीब एक महीने का
ही समय बचा रह गया है, लेकिन दीपक गुप्ता अभी तक पेम वन को स्पॉन्सर करने
वाले क्लब्स ही तय नहीं कर पाए हैं, और जो क्लब स्पॉन्सर करने के लिए
जबर्दस्ती राजी भी हुए हैं - या राजी करवाए गए हैं, वह पूरे दो लाख रुपए
देने में आना-कानी कर रहे हैं । दीपक गुप्ता के नजदीकियों का ही कहना है कि
पेम वन की स्पॉन्सरशिप को लेकर माहौल सब्जी बाजार जैसा बना हुआ है, जहाँ
पैसों को लेकर भारी बारगेनिंग हो रही है - अधिकतर क्लब्स दो लाख रुपए देने
को तैयार ही नहीं हो रहे हैं । कई लोगों का कहना/पूछना है कि दीपक
गुप्ता एक तरफ तो यह कहते/बताते हैं कि वह अपने कार्यक्रमों में सुभाष जैन
के कार्यक्रमों जैसी तड़क-भड़क नहीं करेंगे - लेकिन पेम वन के लिए पैसे उनकी
तुलना में करीब तीन गुना ले रहे हैं । उल्लेखनीय है कि सुभाष जैन ने अपने
पेम वन के आयोजन को स्पॉन्सर करने वाले क्लब्स से 75 हजार रुपए लिए थे ।
लोगों का कहना है कि दीपक गुप्ता को जब अपना कार्यक्रम सुभाष जैन की तरह
भव्य तरीके से नहीं करना है, तो उन्हें तो उनसे भी कम पैसे लेने चाहिए -
लेकिन वह उल्टा कर रहे हैं । कुछेक लोगों को लगता है कि दो लाख रुपए की
रकम डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर मुकेश अरनेजा ने दीपक गुप्ता को सुझाई होगी, और इस
तरह अपनी जेब भरने का जुगाड़ किया होगा - लेकिन जो अब दीपक गुप्ता के लिए
परेशानी का सबब बन गई है ।
दीपक गुप्ता को इस मामले में सबसे बड़ा झटका रोटरी क्लब दिल्ली विकास के प्रेसीडेंट सुनील मल्होत्रा से लगा है । सुनील मल्होत्रा से अपनी नजदीकी का वास्ता देकर मुकेश अरनेजा ने उन्हें आश्वस्त किया था कि उनसे तो स्पॉन्सरशिप एक बार कहने से ही मिल जाएगी । दीपक गुप्ता और मुकेश अरनेजा की जोड़ी ने सुनील मल्होत्रा को अगले रोटरी वर्ष में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए उम्मीदवार बनाने और समर्थन देने का लालच भी दिया हुआ है । इसके बावजूद, सुनील मल्होत्रा से उन्हें स्पॉन्सरशिप मिलती नहीं दिख रही है । रोटरी क्लब दिल्ली विकास में दरअसल प्रथा है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट के कार्यक्रमों में जो भी पैसा देना होता है, वह प्रेसीडेंट और प्रेसीडेंट इलेक्ट आधा-आधा अपनी अपनी जेब से देते हैं । दीपक गुप्ता के लिए बदकिस्मती की बात यह हुई है कि पेम वन के लिए प्रेसीडेंट इलेक्ट अरुण गुप्ता भी अपने हिस्से के एक लाख रुपए देने को तैयार नहीं हो रहे हैं । अरुण गुप्ता और सुनील मल्होत्रा ने दीपक गुप्ता और मुकेश अरनेजा को बता दिया है कि वह दोनों मिल कर एक लाख रुपए ही दे पायेंगे । रोटरी क्लब दिल्ली विकास को डिस्ट्रिक्ट के एक बड़े और अच्छे क्लब के रूप में देखा/पहचाना जाता है, जो अपने कार्यक्रमों को तो खासी भव्यता के साथ आयोजित करता ही है, डिस्ट्रिक्ट के कार्यक्रमों में भी बढ़-चढ़ कर भाग लेता है । प्रत्येक डिस्ट्रिक्ट गवर्नर अपने विभिन्न कार्यक्रमों में मदद और सहभागिता के लिए सबसे पहले रोटरी क्लब दिल्ली विकास के पदाधिकारियों की तरफ ही देखता है । इस नाते भी, और प्रेसीडेंट सुनील मल्होत्रा की सक्रियता तथा अगले रोटरी वर्ष में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए उम्मीदवारी प्रस्तुत करने को लेकर उनकी चाहत को देखते हुए और मुकेश अरनेजा के साथ उनकी नजदीकी के चलते दीपक गुप्ता को पूरा विश्वास था कि रोटरी क्लब दिल्ली विकास से तो उन्हें पेम वन के लिए स्पॉन्सरशिप की पूरी रकम आराम से मिल ही जाएगी । लेकिन उसमें भी उन्हें अड़ंगा लगता दिख रहा है ।
रोटरी क्लब दिल्ली विकास से मिले इस झटके का असर यह होता दिख रहा है कि स्पॉन्सरशिप के लिए राजी हुए अन्य क्लब्स के पदाधिकारियों ने भी दो लाख रुपए देने में आनाकानी करना शुरू कर दिया है और कोई पचास हजार तो कोई पिचहत्तर हजार और कोई एक लाख रुपए ही देने की बात कर रहा है । दीपक गुप्ता के लिए मुसीबत की बात यह हुई है कि उन्होंने जिन मुकेश अरनेजा को डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर बनाया है, डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच उनकी छवि बहुत ही खराब है, और लोगों को लगता है कि मुकेश अरनेजा ने रोटरी को जैसे अपना धंधा बना लिया है । डीआरएफसी के रूप में उन पर क्लब्स से पैसे ऐंठने के गंभीर आरोप रहे हैं । मुकेश अरनेजा दूसरों से तो हिसाब-किताब माँगने और दूसरों के हिसाब-किताब जाँचने में खूब दिलचस्पी लेते हैं, लेकिन अपने हिसाब-किताब देने में बचते-छिपते हैं । मुकेश अरनेजा पिछले रोटरी वर्ष में डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर थे; पिछले रोटरी वर्ष में शरत जैन के गवर्नर-काल के हिसाब-किताब को लेकर तो मुकेश अरनेजा रोटरी इंटरनेशनल तक जा पहुँचे थे, लेकिन सतीश सिंघल के गवर्नर-काल के हिसाब-किताब को लेकर वह चुप्पी साधे हुए हैं । पेम वन के स्पॉन्सरशिप के लिए दो लाख रुपए प्रति क्लब की रकम तय करने में भी मुकेश अरनेजा की मिलीभगत को देखा/पहचाना जा रहा है । दीपक गुप्ता को इस मामले में 'अपने' असिस्टेंट गवर्नर्स से भी अपेक्षित सहयोग नहीं मिल रहा है । इसके अलावा, लोगों के बीच अपनी बुरी पहचान के चलते भी दीपक गुप्ता को स्पॉन्सरशिप जुटाना मुश्किल हो रहा है । लोगों का कहना है कि दीपक गुप्ता खुद चूँकि कभी किसी के काम नहीं आए हैं, इसलिए उनकी मदद करने तथा उनके कार्यक्रमों में सहभागिता करने को लेकर किसी में कोई उत्साह नहीं है । पेम वन के रूप में अपने पहले ही कार्यक्रम को लेकर डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट दीपक गुप्ता जिस तरह से मुसीबत में घिर गए हैं, उसे देखते हुए उनके गवर्नर-काल को लेकर उनके अपने ही नजदीकी और शुभचिंतक आशंकित हो गए हैं ।
दीपक गुप्ता को इस मामले में सबसे बड़ा झटका रोटरी क्लब दिल्ली विकास के प्रेसीडेंट सुनील मल्होत्रा से लगा है । सुनील मल्होत्रा से अपनी नजदीकी का वास्ता देकर मुकेश अरनेजा ने उन्हें आश्वस्त किया था कि उनसे तो स्पॉन्सरशिप एक बार कहने से ही मिल जाएगी । दीपक गुप्ता और मुकेश अरनेजा की जोड़ी ने सुनील मल्होत्रा को अगले रोटरी वर्ष में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए उम्मीदवार बनाने और समर्थन देने का लालच भी दिया हुआ है । इसके बावजूद, सुनील मल्होत्रा से उन्हें स्पॉन्सरशिप मिलती नहीं दिख रही है । रोटरी क्लब दिल्ली विकास में दरअसल प्रथा है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट के कार्यक्रमों में जो भी पैसा देना होता है, वह प्रेसीडेंट और प्रेसीडेंट इलेक्ट आधा-आधा अपनी अपनी जेब से देते हैं । दीपक गुप्ता के लिए बदकिस्मती की बात यह हुई है कि पेम वन के लिए प्रेसीडेंट इलेक्ट अरुण गुप्ता भी अपने हिस्से के एक लाख रुपए देने को तैयार नहीं हो रहे हैं । अरुण गुप्ता और सुनील मल्होत्रा ने दीपक गुप्ता और मुकेश अरनेजा को बता दिया है कि वह दोनों मिल कर एक लाख रुपए ही दे पायेंगे । रोटरी क्लब दिल्ली विकास को डिस्ट्रिक्ट के एक बड़े और अच्छे क्लब के रूप में देखा/पहचाना जाता है, जो अपने कार्यक्रमों को तो खासी भव्यता के साथ आयोजित करता ही है, डिस्ट्रिक्ट के कार्यक्रमों में भी बढ़-चढ़ कर भाग लेता है । प्रत्येक डिस्ट्रिक्ट गवर्नर अपने विभिन्न कार्यक्रमों में मदद और सहभागिता के लिए सबसे पहले रोटरी क्लब दिल्ली विकास के पदाधिकारियों की तरफ ही देखता है । इस नाते भी, और प्रेसीडेंट सुनील मल्होत्रा की सक्रियता तथा अगले रोटरी वर्ष में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए उम्मीदवारी प्रस्तुत करने को लेकर उनकी चाहत को देखते हुए और मुकेश अरनेजा के साथ उनकी नजदीकी के चलते दीपक गुप्ता को पूरा विश्वास था कि रोटरी क्लब दिल्ली विकास से तो उन्हें पेम वन के लिए स्पॉन्सरशिप की पूरी रकम आराम से मिल ही जाएगी । लेकिन उसमें भी उन्हें अड़ंगा लगता दिख रहा है ।
रोटरी क्लब दिल्ली विकास से मिले इस झटके का असर यह होता दिख रहा है कि स्पॉन्सरशिप के लिए राजी हुए अन्य क्लब्स के पदाधिकारियों ने भी दो लाख रुपए देने में आनाकानी करना शुरू कर दिया है और कोई पचास हजार तो कोई पिचहत्तर हजार और कोई एक लाख रुपए ही देने की बात कर रहा है । दीपक गुप्ता के लिए मुसीबत की बात यह हुई है कि उन्होंने जिन मुकेश अरनेजा को डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर बनाया है, डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच उनकी छवि बहुत ही खराब है, और लोगों को लगता है कि मुकेश अरनेजा ने रोटरी को जैसे अपना धंधा बना लिया है । डीआरएफसी के रूप में उन पर क्लब्स से पैसे ऐंठने के गंभीर आरोप रहे हैं । मुकेश अरनेजा दूसरों से तो हिसाब-किताब माँगने और दूसरों के हिसाब-किताब जाँचने में खूब दिलचस्पी लेते हैं, लेकिन अपने हिसाब-किताब देने में बचते-छिपते हैं । मुकेश अरनेजा पिछले रोटरी वर्ष में डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर थे; पिछले रोटरी वर्ष में शरत जैन के गवर्नर-काल के हिसाब-किताब को लेकर तो मुकेश अरनेजा रोटरी इंटरनेशनल तक जा पहुँचे थे, लेकिन सतीश सिंघल के गवर्नर-काल के हिसाब-किताब को लेकर वह चुप्पी साधे हुए हैं । पेम वन के स्पॉन्सरशिप के लिए दो लाख रुपए प्रति क्लब की रकम तय करने में भी मुकेश अरनेजा की मिलीभगत को देखा/पहचाना जा रहा है । दीपक गुप्ता को इस मामले में 'अपने' असिस्टेंट गवर्नर्स से भी अपेक्षित सहयोग नहीं मिल रहा है । इसके अलावा, लोगों के बीच अपनी बुरी पहचान के चलते भी दीपक गुप्ता को स्पॉन्सरशिप जुटाना मुश्किल हो रहा है । लोगों का कहना है कि दीपक गुप्ता खुद चूँकि कभी किसी के काम नहीं आए हैं, इसलिए उनकी मदद करने तथा उनके कार्यक्रमों में सहभागिता करने को लेकर किसी में कोई उत्साह नहीं है । पेम वन के रूप में अपने पहले ही कार्यक्रम को लेकर डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट दीपक गुप्ता जिस तरह से मुसीबत में घिर गए हैं, उसे देखते हुए उनके गवर्नर-काल को लेकर उनके अपने ही नजदीकी और शुभचिंतक आशंकित हो गए हैं ।