Saturday, August 11, 2018

इंटरनेशनल प्रेसीडेंट इलेक्ट चुने गए सुशील गुप्ता को फजीहत से बचाने के लिए डिस्ट्रिक्ट 3011 में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव से 'बचने' और या चुनाव को ईमानदारी से करवाए जाने की कोशिशें सचमुच सफल हो सकेंगी क्या ?

नई दिल्ली । इंटरनेशनल प्रेसीडेंट नॉमिनी चुने जाने के बाद सुशील गुप्ता को देश/विदेश में/से बधाईयाँ भले ही खूब मिल रही हों, और देश/विदेश के लोग उनके प्रति भले ही सम्मान उड़ेले दे रहे हों - लेकिन अपने ही डिस्ट्रिक्ट में उन्हें बहुत ही प्रतिकूल चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है । सुशील गुप्ता के नजदीक समझे जाने वाले कुछेक पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स के डिस्ट्रिक्ट में कम से कम दो-तीन वर्ष तक डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद पर आपसी सहमति से चयन करने के सुझाव को जिस तरह से नकारने का काम हुआ है, उससे संकेत मिल रहा है कि इंटरनेशनल प्रेसीडेंट इलेक्ट चुने जाने के बाद सुशील गुप्ता के साथ नजदीकी 'दिखाने' को लेकर डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच होड़ भले ही मची हो, लेकिन उनके मान/सम्मान को बनाये रखने को लेकर किसी को फिक्र नहीं है । सुशील गुप्ता के कुछेक नजदीकियों का मानना और कहना है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव को लेकर पिछले रोटरी वर्ष में जिस तरह और जिस स्तर की बेईमानी हुई और डिस्ट्रिक्ट गवर्नर व कुछेक पूर्व गवर्नर्स की उसमें खुली भागीदारी रही, उसके कारण डिस्ट्रिक्ट का माहौल काफी विषाक्त हो गया है । पिछले वर्ष के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रवि चौधरी इस वर्ष भी जिस तरह से अपनी हरकतों को जारी रखे हुए हैं, और मौजूदा डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विनय भाटिया का छिपा तथा उनके साथियों का खुला सहयोग/समर्थन रवि चौधरी की हरकतों को मिलता दिख रहा है - उससे लग रहा है कि पिछले वर्ष जैसी ही हरकतें इस वर्ष भी हो सकती हैं । अब जब हरकतें होंगी, तो उसकी चर्चाएँ भी होंगी - और तब डिस्ट्रिक्ट व सुशील गुप्ता के बड़े 'दुश्मनों' को उन्हें बदनाम करने का मौका मिलेगा; और यह स्थिति इंटरनेशनल प्रेसीडेंट इलेक्ट सुशील गुप्ता के लिए फजीहत वाली होगी ।
कुछेक पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स याद दिलाते हैं कि एक बार पहले भी, विनय भाटिया के चुनाव में हुई बेईमानी को लेकर रोटरी इंटरनेशनल के तत्कालीन पदाधिकारियों ने खुद से संज्ञान लेकर डिस्ट्रिक्ट 3011 के राजनीतिक माहौल पर चर्चा की थी, और तीन पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स तथा पप्पूजीत सिंह सरना की भूमिका की आलोचना करते हुए तीखी टिप्पणी की थी । उसी प्रकरण को याद करते हुए कुछेक पूर्व गवर्नर्स का कहना है कि सुशील गुप्ता के प्रेसीडेंट होते हुए डिस्ट्रिक्ट में चुनावी राजनीति को लेकर यदि गंदी हरकतें होती हैं, तो सुशील गुप्ता के प्रेसीडेंट इलेक्ट चुने जाने से नाखुश हुए बड़े नेताओं को उन्हें और डिस्ट्रिक्ट को बदनाम करने का मौका मिलेगा । इस स्थिति से बचने के लिए ही सुशील गुप्ता के नजदीकियों के रूप में देखे जाने वाले पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स को तरकीब सूझी कि क्यों न अगले दो-तीन वर्षों में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए आपसी विचार-विमर्श से सहमति बनाई जाए, ताकि कोई विवाद पैदा न हो सके - और सुशील गुप्ता के प्रेसीडेंट इलेक्ट चुने जाने से नाखुश हुए बड़े नेताओं को उन्हें और डिस्ट्रिक्ट को बदनाम करने का मौका न मिल सके । डिस्ट्रिक्ट, सुशील गुप्ता और उनके नजदीकी पूर्व गवर्नर्स की बदकिस्मती लेकिन यह रही कि इस विचार को कोई खास समर्थन मिलता हुआ दिख नहीं रहा है, और इस विचार की भ्रूण हत्या ही होती नजर आ रही है । 
दरअसल डिस्ट्रिक्ट के कुछेक चुनावबाज नेताओं को डर है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए चुनाव यदि नहीं हुए, तो उनके सामने तो अस्तित्व का ही संकट खड़ा हो जायेगा । कुछेक 'नेताओं' की तो वास्तव में समस्या ही यह है कि उनका रोटरी और डिस्ट्रिक्ट में कोई सकारात्मक योगदान तो है नहीं, वह राजनीति व बदतमीजी के जरिये ही अपनी 'चौधराहट' जमाने की कोशिश करते हैं - उन्हें जब राजनीति करने का मौका नहीं मिलेगा, तो उनके लिए तो रोटरी का 'मतलब' ही खत्म हो जायेगा । ऐसे लोगों ने ही विचार-विमर्श के जरिये डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए सहमति बनाने के विचार को सिरे से ही नकार दिया है । इसके लिए उन्होंने तर्क भी जोरदार गढ़ लिया है और वह यह कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी कौन हो, इसका फैसला कुछेक पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स को नहीं - बल्कि क्लब्स के प्रेसीडेंट्स को ही करने देना चाहिए । कुछेक वरिष्ठ रोटेरियंस का कहना यह भी है कि चुनाव से 'बचने' की बजाये चुनाव को ईमानदारी से करवाए जाने का प्रयास किया जाना चाहिए और यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर और या उसके संगी-साथी और पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स चुनाव के नाम पर अपनी गंदी राजनीति और हरकतें न कर सकें - जिससे कि डिस्ट्रिक्ट की पहचान को कलंकित होने से और सुशील गुप्ता को फजीहत का शिकार होने से बचाया जा सके । डिस्ट्रिक्ट में लेकिन जिस तरह का माहौल है, और डिस्ट्रिक्ट टीम के कुछेक पदाधिकारियों ने जिस तरह से अपने आपको 'सुपर गवर्नर' समझा हुआ है, और डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विनय भाटिया जिनके सामने असहाय व मजबूर से बने हुए हैं - उसके चलते ऐसा हो सकेगा, यह देखना दिलचस्प होगा ।