Saturday, August 25, 2018

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 में अवैध माने गए थैंक्स गिविंग कार्यक्रम में अवॉर्ड पाए लोगों को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी आलोक गुप्ता ने जिस तरह अचानक से चिन्हित करके शाबाशी देने का काम शुरू किया है, उसके पीछे डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए प्रस्तुत रवि सचदेवा की उम्मीदवारी के पक्ष में माहौल बनाने का खेल भी छिपा है क्या ?

नोएडा । सतीश सिंघल को लेकर तमाम प्रतिकूल स्थितियों का सामना कर रहे रवि सचदेवा की डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की उम्मीदवारी ने डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति के खिलाड़ियों को असमंजस में डाला हुआ है - और जिस असमंजस को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी आलोक गुप्ता की अचानक से शुरू की गई थैंक्स गिविंग के अवॉर्डियों को शाबाशी देने की कार्रवाई ने और बढ़ाने का काम किया है । डिस्ट्रिक्ट के राजनीतिक खिलाड़ियों के लिए असमंजस की बात यह है कि रोटरी इंटरनेशनल के एक फैसले के चलते जो सतीश सिंघल डिस्ट्रिक्ट की प्रशासनिक व्यवस्था से 'बाहर' हैं, और जिस कारण उनके लिए डिस्ट्रिक्ट और क्लब्स की गतिविधियों में शामिल हो सकना भी मुश्किल बना हुआ है, या 'बना दिया गया' है - उन सतीश सिंघल के उम्मीदवार के रूप में रवि सचदेवा डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में बने/टिके कैसे रह पायेंगे ? डिस्ट्रिक्ट के चुनावी खिलाड़ियों को हैरान/परेशान करते हुए रवि सचदेवा लेकिन न सिर्फ उम्मीदवार बने हुए हैं, बल्कि लोगों के बीच अपनी सक्रियता की निरंतरता को भी बनाए हुए हैं । उल्लेखनीय है कि रवि सचदेवा को सतीश सिंघल को अपने क्लब में शामिल करने/करवाने को लेकर डिस्ट्रिक्ट के स्वयंभू नेताओं की तरफ से बड़े भारी विरोध का सामना करना पड़ा है । पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रमेश अग्रवाल ने रवि सचदेवा पर तरह तरह से दबाव बनाया कि वह सतीश सिंघल को अपने क्लब में शामिल न करें । रवि सचदेवा ने लेकिन दो तर्कों के साथ उनके दबाव को स्वीकार करने से इंकार किया : रवि सचदेवा का कहना रहा कि पहली बात तो यह कि सतीश सिंघल के साथ उनकी बहुत पुरानी दोस्ती है, इसलिए आज जब सतीश सिंघल मुसीबत में हैं तो वह उनकी मदद करना अपना फर्ज और अपनी जिम्मेदारी समझते हैं; रवि सचदेवा का कहना है कि वह ऐसे व्यक्ति नहीं हैं कि अपने दोस्त को मुसीबत में देख/जान कर उसका साथ छोड़ दें; दूसरी बात यह कि रोटरी इंटरनेशनल को जब सतीश सिंघल के रोटेरियन होने/रहने पर कोई आपत्ति नहीं है, तो सतीश सिंघल के उनके क्लब का सदस्य होने पर आपत्ति क्यों की जा रही है ?
मजे की बात यह रही कि रमेश अग्रवाल तो रवि सचदेवा पर दबाव बना रहे थे कि वह सतीश सिंघल को अपने क्लब में न रहने दें; लेकिन रवि सचदेवा ने उनके दबाव में आने से इंकार करने के साथ-साथ डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए अपनी उम्मीदवारी और प्रस्तुत कर दी । दरअसल इसके लिए उन्हें पिछले रोटरी वर्ष के थैंक्स गिविंग कार्यक्रम की सफलता से उत्साह मिला - जो घोषित रूप से तो असिस्टेंट गवर्नर्स की तरफ से आयोजित किया गया था, लेकिन अवॉर्ड देने का काम सतीश सिंघल ने ही किया था । रोटरी इंटरनेशनल द्वारा सतीश सिंघल को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद से हटा देने के बाद हुए इस कार्यक्रम को रोटरी के नजरिये से अवैध भले ही माना गया हो, लेकिन रोटेरियंस की अच्छी-खासी उपस्थिति के कारण वैध/अवैध के सारे तर्क बेअसर हो कर रह गए । मजे की बात यह रही कि थैंक्स गिविंग कार्यक्रम के अवैध होने को लेकर नेताओं के बीच ऐसा 'डर' रहा कि सतीश सिंघल के नजदीक समझे जाने वाले डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर मुकेश अरनेजा तथा सतीश सिंघल की मेहरबानी से गवर्नर की कुर्सी तक पहुँचने की लाइन में लगे दीपक गुप्ता और आलोक गुप्ता तक ने कार्यक्रम से दूरी बनाई, हालाँकि रोटेरियंस ने उक्त कार्यक्रम में उत्साह के साथ भाग लिया । रोटेरियंस की उपस्थिति के लिहाज से थैंक्स गिविंग कार्यक्रम को जो सफलता मिली, समझा जाता है कि उससे उत्साहित हो कर ही रवि सचदेवा डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में कूद पड़े हैं । रवि सचदेवा तथा सतीश सिंघल के दूसरे नजदीकियों को लगता है कि रोटरी इंटरनेशनल ने भले ही सतीश सिंघल के साथ न्याय न किया हो, और डिस्ट्रिक्ट में कुछेक लोग भले ही सतीश सिंघल को रोटरी के दुश्मन के रूप में देखते हों - लेकिन आम रोटेरियंस के बीच सतीश सिंघल के प्रति प्रेम और समर्थन का भाव है, जो थैंक्स गिविंग कार्यक्रम में साफ-साफ नजर आया । रवि सचदेवा को विश्वास है कि सतीश सिंघल के प्रति आम रोटेरियंस का यही प्रेम और समर्थन तथा उनकी मेहनत उनकी उम्मीदवारी को कामयाब बनायेगी । रवि सचदेवा लोगों के बीच कहते भी हैं कि वह सिर्फ उम्मीदवार नहीं हैं, बल्कि 'फाइटर' हैं - और वह सिर्फ डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बनने के लिए नहीं, बल्कि रोटरी से जुड़े कुछेक बड़े उद्देश्यों व लक्ष्यों को पूरा करने के लिए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में शामिल हुए हैं ।
रवि सचदेवा की उम्मीदवारी ने डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति के खिलाड़ियों के समीकरणों को उलझाने का काम किया है, और इसीलिए उन्होंने तरह तरह से रवि सचदेवा को चुनावी मैदान से बाहर करने का प्रयास किया । रवि सचदेवा को कई मौकों पर सतीश सिंघल का संदर्भ देकर उकसाने/भड़काने का प्रयास किया गया, ताकि वह ऐसा कुछ कहें/करें जिससे उन्हें लोगों के बीच बदनामी मिले । रवि सचदेवा लेकिन होशियारी दिखाते हुए 'कूल' बने रहे हैं और अभी तक तो वह उकसाने/भड़काने वाली कार्रवाई से अपने आपको बचाये हुए हैं । रवि सचदेवा ने अभी तक अपनी उम्मीदवारी के अभियान को 'लो-प्रोफाइल' रखा हुआ है और अपनी सक्रियताओं को क्लब्स के प्रेसीडेंट्स के बीच तक सीमित रखा हुआ है, दरअसल इस कारण ही उनकी उम्मीदवारी को डिस्ट्रिक्ट के नेताओं के बीच ज्यादा 'भाव' नहीं मिल रहा है । दिलचस्प नजारा लेकिन यह है कि डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति के खिलाड़ी रवि सचदेवा की उम्मीदवारी को ज्यादा भाव भी नहीं दे रहे हैं, किंतु उनकी उम्मीदवारी से 'डरे' हुए से भी हैं । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी आलोक गुप्ता ने क्लब्स के जीओवी आयोजनों में अचानक से जिस तरह से सतीश सिंघल के अवैध माने गए थैंक्स गिविंग कार्यक्रम में अवॉर्ड पाए लोगों को चिन्हित करके उन्हें शाबाशी देने का काम शुरू किया है, उससे लग रहा है कि सतीश सिंघल के नजदीकियों की जैसे कोई अलग खिचड़ी पक रही है । रोटरी इंटरनेशनल की 'निगरानी' के चलते आलोक गुप्ता थैंक्स गिविंग कार्यक्रम में तो नहीं जा सके थे, इसलिए अब वह थैंक्स गिविंग के अवॉर्डियों को शाबाशी देकर सतीश सिंघल के 'उपकार' का ऋण चुकाने की कोशिश कर रहे हैं । आलोक गुप्ता की इस कोशिश का उद्देश्य सिर्फ सतीश सिंघल के उपकार का ऋण चुकाना भर है, या इसके पीछे रवि सचदेवा की उम्मीदवारी के पक्ष में माहौल बनाने का खेल भी छिपा है - यह तो आने वाले समय में ही पता चल सकेगा; लेकिन अचानक से आलोक गुप्ता की तरफ से शुरू हुई इस कार्रवाई ने रवि सचदेवा की उम्मीदवारी के 'भाव' को फिलहाल महत्त्वपूर्ण जरूर बना दिया है ।