Monday, August 6, 2018

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3080 में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट जितेंद्र ढींगरा को अलग-थलग रखने/करने की कोशिशों में लगे राजा साबू और उनके गिरोह के पूर्व गवर्नर्स को मनमोहन सिंह का डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर बनना हजम नहीं हो पा रहा है

चंडीगढ़ । मनमोहन सिंह का डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट जितेंद्र ढींगरा के गवर्नर-काल के लिए डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर बनना स्वीकार करने से राजेंद्र उर्फ राजा साबू और उनके गिरोह के पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स बुरी तरह नाराज हैं । दरअसल उन्हें लग रहा है कि इससे डिस्ट्रिक्ट के लोगों के सामने उनके बीच फूट पड़ने और उनके खेमे के बिखरने का संदेश जा रहा है, जिसके चलते उनके लिए डिस्ट्रिक्ट की व्यवस्था और राजनीति में बने/टिके रहना मुश्किल ही हो जायेगा । उल्लेखनीय है कि राजा साबू और उनके साथी पूर्व गवर्नर्स अभी हाल तक कॉलिज ऑफ गवर्नर्स में अपनी एकता बनाए रखे हुए थे, जिसके चलते निवर्त्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर टीके रूबी अलग-थलग से पड़ते नजर आते थे - और इस 'एकता' के भरोसे उन्होंने टीके रूबी को दबाव में लेने/रखने की कोशिश की, और कुछेक मामलों में वह कामयाब भी हुए । डिस्ट्रिक्ट में लोगों के बीच राजा साबू और उनके साथी पूर्व गवर्नर्स की साख भले ही धूल चाटने लगी हो, लेकिन कॉलिज ऑफ गवर्नर्स में अपनी एकता के भरोसे वह काफी मनमानियाँ कर ले रहे थे । इसीलिए कॉलिज ऑफ गवर्नर्स में अपनी एकता बनाए रखना उन्हें जरूरी लगता रहा है । इसी संदर्भ में राजा साबू और उनके गिरोह के पूर्व गवर्नर्स को मनमोहन सिंह के डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर बनने में कॉलिज ऑफ गवर्नर्स की एकता के लिए खतरे की घंटी बजती 'सुनाई' दे रही है । 
कॉलिज ऑफ गवर्नर्स की एकता पर खतरे का साया हालाँकि पहली बार तब पड़ा दिखा था, जब पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर अरुण शर्मा ने पिछले वर्ष हुए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में नोमीनेटिंग कमेटी में फैसले को अनिर्णीत छोड़ देने के पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर मधुकर मल्होत्रा के 'दबावपूर्ण' सुझाव को स्वीकार करने से इंकार कर दिया था । मधुकर मल्होत्रा के जरिये राजा साबू खेमे ने दरअसल कोशिश यह की थी कि नोमीनेटिंग कमेटी में अधिकृत उम्मीदवार को लेकर फैसला नहीं हो पायेगा तो रमेश बजाज आसानी से डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी नहीं चुने जा पायेंगे । अरुण शर्मा भी हालाँकि राजा साबू खेमे के ही सदस्य के रूप में देखे जाते हैं, लेकिन राजा साबू गिरोह की राजनीति का साथ देने से उन्होंने इंकार कर दिया और उनके सख्त रवैये के कारण ही रमेश बजाज अधिकृत उम्मीदवार चुने जा सके - और फिर डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी घोषित हुए । अरुण शर्मा के रवैये से डिस्ट्रिक्ट में लोगों को यह समझने में देर नहीं लगी कि कॉलिज ऑफ गवर्नर्स में राजा साबू की राजनीति और मनमानियों को जो समर्थन 'दिखता' है, वह मजबूरी का और विकल्पहीनता के चलते पैदा होने वाला समर्थन है - और कॉलिज ऑफ गवर्नर्स में कई सदस्य हैं जो मौका मिलने पर राजा साबू की मनमानियों का विरोध कर सकते हैं । अरुण शर्मा को मौका मिला, और उन्होंने राजा साबू गिरोह की गंदी राजनीति का सहभागी बनने से साफ इंकार कर दिया । अरुण शर्मा के रवैये से मिले झटके के बाद, मनमोहन सिंह ने जितेंद्र ढींगरा के गवर्नर-काल का डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर बनना स्वीकार करके राजा साबू गिरोह को उससे भी बड़ा झटका दिया है ।
राजा साबू गिरोह की कोशिश दरअसल जितेंद्र ढींगरा को अलग-थलग करने की है, जिसके तहत उन्हें डिस्ट्रिक्ट के जरूरी कामों/कार्यक्रमों से भी दूर रखने की कोशिश की गई है । पिछले दिनों इंटरनेशनल डायरेक्टर इलेक्ट भरत पांड्या का डिस्ट्रिक्ट में स्वागत कार्यक्रम हुआ, जिसके बारे में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट जितेंद्र ढींगरा तथा डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी रमेश बजाज को अधिकृत रूप से कोई जानकारी नहीं दी गई, और इस तरह उन्हें उक्त कार्यक्रम से दूर रखने की कोशिश की गई । हालाँकि भरत पांड्या की सदाश्यता और होशियारी ने राजा साबू और डिस्ट्रिक्ट गवर्नर प्रवीन गोयल की इस टुच्ची हरकत को सफल नहीं होने दिया और अपनी तरफ से पहल करके उन दोनों को कार्यक्रम का निमंत्रण दिलवाया । भरत पांड्या के हस्तक्षेप के बाद राजा साबू की शह के चलते जितेंद्र ढींगरा और रमेश बजाज को निमंत्रण देने से बच रहे डिस्ट्रिक्ट गवर्नर प्रवीन गोयल उन्हें कार्यक्रम में निमंत्रित करने के लिए मजबूर हुए । डिस्ट्रिक्ट में रोटरी फाउंडेशन से जुड़े खर्चों में राजा साबू की मनमानी चलती रहे, इसके लिए रोटरी फाउंडेशन से संबद्ध डिस्ट्रिक्ट क़्वालीफिकेशन मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टेंडिंग में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट जितेंद्र ढींगरा को शामिल करने से बचा जा रहा है । ऐसे में, राजा साबू और उनके गिरोह के पूर्व गवर्नर्स को यह देख कर झटका लगा है कि एक तरफ तो वह जितेंद्र ढींगरा को अलग-थलग करने/रखने का प्रयास कर रहे हैं, और दूसरी तरफ उनके ही एक साथी मनमोहन सिंह ने जितेंद्र ढींगरा के गवर्नर-काल का डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर बनना स्वीकार कर लिया है । राजा साबू और उनके गिरोह के पूर्व गवर्नर्स के लिए झटके वाली बात दरअसल यह है कि जब से यह चर्चा फैली कि जितेंद्र ढींगरा डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर पद के लिए मनमोहन सिंह को राजी करने का प्रयास कर रहे हैं, तभी से राजा साबू और उनके गिरोह के पूर्व गवर्नर्स ने तरह तरह से संदेश भेज कर मनमोहन सिंह को आगाह किया था कि वह जितेंद्र ढींगरा के गवर्नर-काल में ड्रिस्ट्रिक्ट ट्रेनर बनना स्वीकार न करें - लेकिन मनमोहन सिंह ने उनकी लेकिन एक न सुनी और डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर बन गए । 
राजा साबू और उनके गिरोह के पूर्व गवर्नर्स को डर है कि कॉलिज ऑफ गवर्नर्स के दूसरे सदस्य भी यदि अरुण शर्मा और मनमोहन सिंह के 'रास्ते' पर चल पड़े, तो कॉलिज ऑफ गवर्नर्स में उनके लिए मनमानी करना मुश्किल क्या - असंभव ही हो जायेगा और तब डिस्ट्रिक्ट पूरी तरह से उनके हाथ से निकल जायेगा । इसी डर के कारण मनमोहन सिंह का डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर बनना राजा साबू और उनके गिरोह के गवर्नर्स को हजम नहीं हो पा रहा है ।