Friday, August 3, 2018

रोटरी इंटरनेशनल के पूर्व प्रेसीडेंट केआर रवींद्रन के सक्रिय विरोध के बावजूद प्रेसीडेंट नॉमिनी पद के लिए सुशील गुप्ता की उम्मीदवारी को लेकर भारतीय रोटेरियंस की उम्मीदें उबाल पर तो हैं, लेकिन यूरोपीय देशों के प्रतिनिधियों की एकता सुशील गुप्ता के लिए मुसीबत भी बन सकती है

नई दिल्ली । रोटरी इंटरनेशनल के प्रेसीडेंट नॉमिनी पद के चुनाव की 'पहली परीक्षा' में सुशील गुप्ता के 'पास' हो जाने से सुशील गुप्ता के समर्थकों व शुभचिंतकों के बीच 'फाइनल परीक्षा' में भी उनके पास हो जाने की उम्मीद पैदा हुई है - और उन्हें लग रहा है कि सुशील गुप्ता के रूप में भारत को रोटरी इंटरनेशनल के प्रेसीडेंट पद पर प्रतिनिधित्व करने का एक बार फिर मौका मिलेगा । हालाँकि इंटरनेशनल प्रेसीडेंट पद के चुनाव से जुड़ी राजनीति को जानने/समझने वाले वरिष्ठ रोटेरियन अभी साफ-साफ कोई राय व्यक्त करने से बच रहे हैं । उनका कहना है कि इंटरनेशनल प्रेसीडेंट का चुनाव इतनी अनिश्चितताओं से भरा हुआ है कि ऐन मौके तक कुछ भी कह पाना मुश्किल होता है । लेकिन फिर भी सुशील गुप्ता के प्रेसीडेंट बनने को लेकर भारतीय रोटेरियंस के बीच उम्मीदें उबाल पर हैं, और जानकारों का कहना/बताना है कि सुशील गुप्ता जीत के बहुत करीब हैं - और इतना करीब आ कर भी वह यदि वाइस प्रेसीडेंट नहीं चुने गए, तो फिर उनके लिए इंटरनेशनल प्रेसीडेंट की कुर्सी की तरफ जाने वाला रास्ता हमेशा के लिए बंद हो जायेगा । एक तरह से कह सकते हैं कि इंटरनेशनल प्रेसीडेंट बनने को लेकर सुशील गुप्ता के सामने यह आखिरी मौका है । सुशील गुप्ता के कुछेक शुभचिंतकों को पूर्व प्रेसीडेंट केआर रवींद्रन से खतरा नजर आ रहा है; उन्हें लग रहा है कि केआर रवींद्रन नहीं चाहते हैं कि भारत से कोई प्रेसीडेंट बने, ताकि भारतीय रोटेरियंस पर उनका राज यथावत चलता रहे; सुशील गुप्ता यदि प्रेसीडेंट बने तो केआर रवींद्रन को भारत से अपना बोरिया-बिस्तर समेटना पड़ेगा - इसलिए केआर रवींद्रन अपनी तरफ से सुशील गुप्ता का काम बिगाड़ने का हर संभव प्रयास करेंगे ही ।
रोटरी इंटरनेशनल प्रेसीडेंट नॉमिनी पद के लिए सुशील गुप्ता का दावा यदि मजबूत समझा जा रहा है तो इसका कारण है कि अधिकृत उम्मीदवार का चुनाव करने वाली 17 सदस्यीय नोमीनेटिंग कमेटी में दो सदस्य तो भारत से ही हैं : जोन 4 से मनोज देसाई और जोन 6 से शेखर मेहता । इन दोनों को ही सुशील गुप्ता के समर्थकों के रूप में देखा पहचाना जाता है । जोन 22 (घाना) के सैम ओकुदजेतो तथा जोन 28 (अमेरिका) के माइकेल मक्कलॉग को सुशील गुप्ता के पक्के समर्थक के रूप में देखा/पहचाना जाता है । जोन 26 (अमेरिका) के ब्रद्फोर्ड हॉवर्ड तथा जोन 30 (अमेरिका) की केरेन वेंटज इंटरनेशनल डायरेक्टर के रूप में उन्हीं वर्षों में इंटरनेशनल बोर्ड के सदस्य रहे हैं, जिन वर्षों में मनोज देसाई इंटरनेशनल डायरेक्टर थे; और उन्हीं वर्षों में सुशील गुप्ता रोटरी फाउंडेशन में ट्रस्टी रहे थे । ब्रद्फोर्ड हॉवर्ड तथा केरेन वेंटज इंटरनेशनल डायरेक्टर बनने पर दिल्ली आ चुके हैं, और सुशील गुप्ता यहाँ उनका स्वागत करवा चुके हैं । इस पृष्ठभूमि के चलते इन दोनों का समर्थन भी सुशील गुप्ता को मिल सकता है । जोन 10 (फिलीपींस) के गुइलर तुमंगन, जोन 12 (कोरिया) के जुइन पार्क, जोन 32 (अमेरिका) के माइकेल मक्गवर्न को भी सुशील गुप्ता के अच्छे परिचितों व नजदीकियों के रूप में देखा/पहचाना जाता है । सुशील गुप्ता की एक बड़ी उपलब्धि जोन 20 (नीदरलैंड) के पॉल क्निफ का समर्थन भी है, जिनके बारे में हालाँकि यह भी माना/कहा जाता है कि इंटरनेशनल प्रेसीडेंट नॉमिनी के चुनाव में यूरोपीय देशों की एकता का खेल चला तो पॉल क्निफ यूरोपीय उम्मीदवार के समर्थन में भी जा सकते हैं ।
सुशील गुप्ता को नोमीनेटिंग कमेटी में दरअसल यूरोपीय देशों के प्रतिनिधियों से ही खतरा है, 17 सदस्यीय नोमीनेटिंग कमेटी में वैसे तो जिनकी संख्या कुल चार ही है - लेकिन जो आपसी एकता बना कर दूसरे देशों के प्रतिनिधियों का भी समर्थन जुटा लेने का प्रयास करते हैं । यूरोपीय देशों को चूँकि लंबे समय से इंटरनेशनल प्रेसीडेंट पद पर प्रतिनिधित्व देने का अवसर नहीं मिला है, इसलिए इस बार वह भी जोरशोर से अपने दावे को जता रहे हैं । सुशील गुप्ता के लिए झटके और चुनौती की बात यह है कि गैर एशियाई व गैर अमेरिकी देशों के बीच तो यूरोपीय दावे के प्रति समर्थन है ही, एशियाई व अमेरिकी जोन में भी उनके प्रति समर्थन का भाव है । नोमीनेटिंग कमेटी की कार्यप्रणाली से परिचित लोगों का कहना है कि नोमीनेटिंग कमेटी का फैसला इससे भी प्रभावित होगा कि नोमीनेटिंग कमेटी में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले मनोज देसाई तथा शेखर मेहता प्रेसीडेंट नॉमिनी पद के अधिकृत उम्मीदवार के लिए सुशील गुप्ता की वकालत कितने जोरदार तथा कन्विंसिंग तरीके से करते हैं । दरअसल नोमीनेटिंग कमेटी के सदस्य प्रेसीडेंट नॉमिनी चुनने की प्रक्रिया में प्रेसीडेंट नॉमिनी पद के उम्मीदवारों की बजाये अपने अपने 'भविष्य' को लेकर ज्यादा सजग रहते हैं, और यह 'मैसेज' नहीं छोड़ना चाहते हैं कि वह किसी के खिलाफ हैं; दरअसल उन्हें डर होता है कि उन्होंने जोरशोर से किसी की खिलाफत की - और उनकी खिलाफत के बावजूद वह यदि जीत गया तो उनका तो कैरियर चौपट कर देगा । यह डर मनोज देसाई व शेखर मेहता द्वारा सुशील गुप्ता की वकालत के तेवर को कमजोर कर सकता है, और उनकी यह कमजोरी सुशील गुप्ता के लिए घातक हो सकती है ।
नोमीनेटिंग कमेटी प्रेसीडेंट नॉमिनी पद के लिए छह उम्मीदवारों का चयन पहले ही कर चुकी है; इन छह में से अधिकृत उम्मीदवार का चयन करने का काम 6 अगस्त को होगा । भारत में रोटरी की राजनीति के संदर्भ में देखें, तो 6 अगस्त को फैसला सिर्फ सुशील गुप्ता के भविष्य का ही नहीं होगा - बल्कि देश में उनके भरोसे रोटरी की व्यवस्था व राजनीति में 'छलाँग' लगाने की ताक में बैठे रोटेरियंस का भी होगा । इस हिसाब से 6 अगस्त का दिन सुशील गुप्ता के समर्थकों/नजदीकियों और विरोधियों में से किसी एक के लिए राजनीतिक 'क़त्ल' का दिन भी होगा ।