Wednesday, August 8, 2018

इंटरनेशनल प्रेसीडेंट इलेक्ट सुशील गुप्ता के लिए - 'हू इज सुशील गुप्ता' कहने वाले डिस्ट्रिक्ट 3012 के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट दीपक गुप्ता के धमकीभरे रवैये से अगले रोटरी वर्ष में क्लब्स के प्रेसीडेंट के बीच डर बैठा

गाजियाबाद । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट दीपक गुप्ता के धमकीभरे रवैये ने क्लब्स के प्रेसीडेंट इलेक्ट को बुरी तरह डराया हुआ है, और कई तो बेचारे यह सोच-सोच कर परेशान हैं कि अगले रोटरी वर्ष में वह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में दीपक गुप्ता को झेलेंगे कैसे ? कई एक क्लब्स के पदाधिकारियों का कहना है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर होते हुए सुभाष जैन उन पर इतना रौब नहीं जमाते हैं, जितना रौब डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट होते हुए दीपक गुप्ता दिखाते हैं । उल्लेखनीय है कि इन दिनों क्लब्स में अधिष्ठापन समारोह हो रहे हैं; डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुभाष जैन ने सुझाव दिया हुआ है कि अधिष्ठापन समारोह के साथ-साथ क्लब्स जीओवी (गवर्नर्स ऑफिशियल विजिट) भी करवा लें - प्रायः सभी क्लब्स ने उनके इस सुझाव को उपयोगी माना है, जिसके चलते क्लब्स जीओवी तथा अधिष्ठापन समारोह साथ-साथ ही करवा रहे हैं । इसके चलते कार्यक्रम लंबा हो जाता है; लंबाई कतरने के लिए क्लब्स के पदाधिकारी डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट और डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी के भाषण पर कैंची चला देते हैं - इस बात पर दीपक गुप्ता बुरी तरह भड़क उठते हैं । शुरू में इस तरह की स्थितियों से दो-चार होने पर दीपक गुप्ता ने तमाशा शुरू किया, जिसके तहत वह कार्यक्रम वाले दिन क्लब के प्रेसीडेंट को फोन करके कार्यक्रम का पूरा ब्यौरा लेते हैं - कि कार्यक्रम कितने बजे सचमुच शुरू होगा, क्या क्या होगा, कैसे कैसे होगा, कितना कितना समय लगेगा, मुझे बोलने का मौका मिलेगा या नहीं, मौका मिलेगा तो कितना समय मिलेगा आदि-इत्यादि । कुछेक क्लब्स के प्रेसिडेंट्स ने बेहद नाराजगी के साथ बताया कि कार्यक्रम वाले दिन वैसे ही टेंशन रहता है, उस पर दीपक गुप्ता दिमाग का दही और बना देता है । दीपक गुप्ता को यदि पता चलता है कि उन्हें बोलने का मौका नहीं मिलेगा, या कम समय मिलेगा - तो वह भड़क उठते हैं और प्रेसीडेंट के साथ बदतमीजी करने लगते हैं । 
दीपक गुप्ता के इस रवैये ने दिल्ली के एक बड़े व प्रमुख क्लब के प्रेसीडेंट को तो इतना परेशान किया कि वह बेचारा रोने को आ गया । जिन क्लब्स के प्रेसीडेंट दीपक गुप्ता को उचित रूप में इज्जत/मान देना चाहते हैं, और व्यस्त शिड्यूल में उन्हें ठीक-ठाक समय देते हैं - दीपक गुप्ता उन्हें भी तरह तरह से परेशान करते हैं; कार्यक्रम में देर से पहुँचेंगे और फिर जिद करेंगे कि उन्हें जल्दी वापस लौटना है, इसलिए पहले उनका भाषण करवाओ । उनकी माँग पूरी नहीं होती है तो वह प्रेसीडेंट के साथ-साथ क्लब के दूसरे पदाधिकारियों से भी नाराजगी दिखाते हैं । कुछेक प्रेसीडेंट्स को अपने साथी पदाधिकारियों से भी सुनने को मिलता है कि 'इसे' बुला क्यों लेते हो ? दीपक गुप्ता अपने इस रवैये को लेकर इतने कुख्यात हो चुके हैं कि कई एक क्लब्स ने उन्हें आमंत्रित न करने का फैसला किया; कुछेक ने यह सोच कर उनका नाम निमंत्रण पत्र पर नहीं छापा, कि नाम नहीं छपा दिखेगा तो दीपक गुप्ता खुद ही कार्यक्रम में नहीं आने का फैसला कर लेंगे - लेकिन इतनी होशियारी करने के बाद भी वह दीपक गुप्ता के क्रोध से नहीं बच सके । दीपक गुप्ता ने कुछेक प्रेसीडेंट्स को हड़काया कि निमंत्रण पत्र में मेरा नाम क्यों नहीं है, या कार्यक्रम का निमंत्रण मुझे क्यों नहीं भेजा ? आदि-इत्यादि । दीपक गुप्ता को जानने वाले लोग हालाँकि दीपक गुप्ता के व्यवहार से परेशान व दुखी होने वाले प्रेसीडेंट्स को सांत्वना देते  और उन्हें समझाते हुए बताते हैं कि दीपक गुप्ता की बातों से परेशान न हों, वह हैं ही ऐसे; वह किसी के साथ भी बदतमीजी कर सकते हैं; उनके क्रोध से हाल ही में इंटरनेशनल प्रेसीडेंट नॉमिनी चुने गए सुशील गुप्ता तक नहीं बच सके हैं - दो-तीन वर्ष पहले ही कई लोगों के बीच किसी मुद्दे पर बात करते हुए सुशील गुप्ता का जिक्र आने पर दीपक गुप्ता ने भड़क कर कहा था - हूँ इज सुशील गुप्ता (सुशील गुप्ता हैं कौन) ?
दीपक गुप्ता के रवैये और उनकी कुख्याति ने लेकिन अगले रोटरी वर्ष के प्रेसीडेंट्स को डरा दिया है । उन्हें डर हुआ है कि इस वर्ष दीपक गुप्ता जब डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट हैं, तब उन्होंने क्लब्स के पदाधिकारियों पर आतंक जमाया हुआ है, तो अगले रोटरी वर्ष में जब वह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर होंगे तब कितना और कैसा आतंक मचायेंगे ? मजे की बात यह है कि दीपक गुप्ता के रवैये के कारण खुद दीपक गुप्ता को भी परेशानी हो रही है, और अपने रवैये के चलते उन्हें 23 सितंबर को होने वाली पेम वन को स्पॉन्सर करने के लिए क्लब नहीं मिल रहे हैं । दीपक गुप्ता के एक नजदीकी का ही कहना/बताना है कि इस मामले में उनके लिए समस्या इसलिए भी गंभीर हो गई है, क्योंकि उन्हें 'अपने' असिस्टेंट गवर्नर्स का ही पर्याप्त समर्थन नहीं मिल पा रहा है । दीपक गुप्ता को अब पछतावा हो रहा है कि उन्होंने कई ऐसे लोगों को नाहक ही असिस्टेंट गवर्नर्स बना दिया है, जो वास्तव में किसी काम के नहीं हैं । नाकारा किस्म के लोगों की टीम बना लेने तथा अपने अकड़ू रवैये के कारण डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट दीपक गुप्ता के लिए अपने पहले कार्यक्रम के रूप में पेम वन करने को लेकर जिन मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है, उसने उनके गवर्नर-काल के कामकाज को लेकर उनके नजदीकियों और शुभचिंतकों को ही सशंकित बना दिया है ।