मुंबई । इंटरनेशनल डायरेक्टर इलेक्ट
भरत पांड्या ने रोटरी इंस्टीट्यूट 2019 के इंदौर में होने की घोषणा तो कर
दी है, लेकिन इंस्टीट्यूट के चेयरमैन व सेक्रेटरी पद को लेकर सस्पेंस बनाए
हुए हैं । कोचीन में अभी हाल ही में संपन्न हुई डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स
इलेक्ट मीटिंग में भरत पांड्या ने अपने डायरेक्टर-वर्ष के डिस्ट्रिक्ट
गवर्नर्स के साथ अन्य कई मुद्दों के साथ-साथ 'अपनी' इंस्टीट्यूट को लेकर भी
गंभीर चर्चा तो की, लेकिन इंस्टीट्यूट के चेयरमैन व सेक्रेटरी पद पर कौन
रहेगा - इसे लेकर चुप्पी साध गए । कुछेक वरिष्ठ रोटेरियंस का हालाँकि दावा
है कि भरत पांड्या ने अपने ही डिस्ट्रिक्ट के पूर्व गवर्नर टीएन उर्फ राजु
सुब्रमणियन को चेयरमैन तथा डिस्ट्रिक्ट 3070 के पूर्व गवर्नर गुरजीत सिंह
को सेक्रेटरी नियुक्त कर लिया है । लोगों को हैरानी है कि खुद को
टॉर्चबियरर कहने वाले भरत पांड्या अपनी इंस्टीट्यूट के मुख्य पदाधिकारियों
के नाम पर रोशनी डालने से बच/छिप क्यों रहे हैं ? कोचीन में हुई मीटिंग से
लौटे जिन डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स इलेक्ट से इन पंक्तियों के लेखक की बात हो
सकी है, उन सभी ने बताया कि भरत पांड्या ने वहाँ यह तो बताया कि वर्ष 2019
की इंस्टीट्यूट दिसंबर में इंदौर में होगी, लेकिन चेयरमैन और सेक्रेटरी के
बारे में वहाँ कोई घोषणा नहीं की । इंदौर इंस्टीट्यूट की घोषणा होते ही
इंस्टीट्यूट के चेयरमैन या सेक्रेटरी पद पाने की हसरत पाले नेताओं ने
तुरंत से सक्रियता दिखाई, ताकि कोई एक पद वह हासिल कर सकें - लेकिन जल्दी
ही उनके चेहरे लटके दिखाई दिए, क्योंकि उन्हें पता चला कि दोनों प्रमुख
पदों पर तो भरत पांड्या ने पहले ही नियुक्ति कर ली है । यह जानकारी मिलने
से चौंके लोगों को हैरानी लेकिन इस बात की है कि भरत पांड्या दोनों
महत्त्वपूर्ण पदों पर की गई नियुक्तियों को छिपाने का प्रयास क्यों कर रहे
हैं ? भरत पांड्या के इस 'प्रयास' के कारण कुछेक लोगों को उम्मीद बंधी है कि उनकी दाल शायद अभी भी गल सकती है ।
भरत पांड्या के नजदीकियों का कहना/बताना है कि दोनों पदों को लेकर भरत पांड्या पर दरअसल कई लोगों की तरफ से सिफारिशों का भारी दबाव रहा; कई लोग इंटरनेशनल डायरेक्टर के चुनाव में की गई उनकी मदद की 'कीमत' के रूप में उक्त पद हथियाने की कोशिश में थे । जिन लोगों को भविष्य में इंटरनेशनल डायरेक्टर पद का चुनाव लड़ना है, उनकी तो खास निगाह इन पदों पर थी । रोटरी की चुनावी राजनीति में इंस्टीट्यूट का चेयरमैन बनना इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव के संदर्भ में अच्छा संकेत माना जाता है । इसीलिए भरत पांड्या के डिस्ट्रिक्ट के पूर्व गवर्नर विजय जालान की इंस्टीट्यूट के चेयरमैन पद पर खास निगाह थी; विजय जालान के लिए बदकिस्मती की बात लेकिन यह रही कि डिस्ट्रिक्ट के ही कई लोग विजय जालान को चेयरमैन बनाये जाने का विरोध भी कर रहे थे । भरत पांड्या के डिस्ट्रिक्ट में गुलाम वहनवती को भी इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के भावी उम्मीदवार के रूप में देखा/पहचाना जाता है । पीछे हुए चुनाव में वह उम्मीदवार थे ही, रोटरी फाउंडेशन में ट्रस्टी बन जाने से लेकिन उन्होंने भरत पांड्या के लिए अंततः रास्ता साफ कर दिया । रोटरी फाउंडेशन में ट्रस्टी बन जाने से गुलाम वहनवती का कद बढ़ भी गया है, इसलिए वह और उनके साथी नहीं चाहते हैं कि डिस्ट्रिक्ट में कोई और उनके लिए चुनौती बने । इसी उठापटक में कोशिश की गई कि विजय जालान को इंस्टीट्यूट का चेयरमैन नहीं बनने दिया जाए । डिस्ट्रिक्ट 3012 के पूर्व गवर्नर रमेश अग्रवाल की भी कोशिश थी कि भरत पांड्या अपनी इंस्टीट्यूट का उन्हें चेयरमैन न सही, तो सेक्रेटरी ही बना दें । इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए अपनी उम्मीदवारी की घोषणा करने वाले रमेश अग्रवाल को उम्मीद थी कि इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए अधिकृत उम्मीदवार का चयन करने वाली नोमीनेटिंग कमेटी में उन्होंने भरत पांड्या का जो समर्थन किया था, उसके ईनाम के रूप में भरत पांड्या उन्हें इंस्टीट्यूट का सेक्रेटरी तो बना ही देंगे । रमेश अग्रवाल के लिए बदकिस्मती की बात लेकिन यह रही कि वह तो नोमीनेटिंग कमेटी में भरत पांड्या की उम्मीदवारी का समर्थन करने का दावा करते रहे, लेकिन भरत पांड्या और उनके साथियों ने सुशील गुप्ता के साथ उनकी नजदीकी को देखते हुए उनके दावे पर भरोसा नहीं किया ।
इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए अपनी उम्मीदवारी की घोषणा करने वाले विनोद बंसल ज्यादा होशियार निकले । सुशील गुप्ता के नजदीकी के रूप में पहचाने जाने के कारण उन्होंने समझ लिया था कि भरत पांड्या इंस्टीट्यूट के चेयरमैन या सेक्रेटरी पद के लिए तो उनके नाम पर विचार नहीं ही करेंगे, सो उन्होंने कोई प्रयास भी नहीं किया; लेकिन दूसरे इंटरनेशनल डायरेक्टर इलेक्ट कमल सांघवी के साथ उनके अच्छे संबंधों को ध्यान में रखते हुए दूसरे - खासतौर से उनके प्रतिद्धंद्धी लोगों को यह डर जरूर रहा कि कहीं कमल सांघवी उन्हें 'फिट' न करवा दें । भरत पांड्या और कमल सांघवी के बीच एक एक इंस्टीट्यूट का जिम्मा लेने की जो सहमति बनी है - जिसके अनुसार वर्ष 2019 की इंस्टीट्यूट भरत पांड्या और 2020 की इंस्टीट्यूट कमल सांघवी करवायेंगे - उससे उक्त संभावना और लोगों का डर लेकिन स्वतः दूर हो गया । डिस्ट्रिक्ट 3054 के पूर्व गवर्नर अनिल अग्रवाल ने इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चैलेंजिंग उम्मीदवार अशोक गुप्ता के डिस्ट्रिक्ट में होते हुए भरत पांड्या की उम्मीदवारी का झंडा उठाया हुआ था, इस नाते वह भी उम्मीद में थे कि भरत पांड्या उनका 'ख्याल' रखेंगे । रोटरी की राजनीति तथा प्रशासनिक व्यवस्था में ऊँची छलाँग लगाने की इच्छा रखने वाले कुछेक और लोग भी भरत पांड्या से उम्मीद कर रहे थे कि वह उनकी छलाँग के लॉन्चिंग बेस बन जायेंगे । भरत पांड्या के नजदीकियों का कहना है कि तमाम लोगों से मिल रही सिफारिशों के दबाव के चलते ही भरत पांड्या ने राजु सुब्रमणियन को चेयरमैन तथा गुरजीत सिंह को सेक्रेटरी नियुक्त कर लेने के अपने फैसले को 'छिपाये' रखने का तरीका अपनाया है । इस तरह के फैसले लेकिन छिपते तो हैं नहीं, सो भरत पांड्या का यह फैसला भी लोगों के बीच चर्चा में आ ही गया है । भरत पांड्या ने यह देख कर राहत की साँस ली है कि लोगों को उनके फैसले की जानकारी भी मिल गई है और कोई बबाल भी नहीं हो रहा है । इंस्टीट्यूट के चेयरमैन व सेक्रेटरी पद पर निगाह लगाए कुछेक लोगों को हालाँकि अभी भी उम्मीद है, और इस उम्मीद में वह अभी भी प्रयासरत हैं कि भरत पांड्या चूँकि दोनों पदों के पदाधिकारियों की घोषणा स्वयं से नहीं कर रहे हैं, इसलिए हो सकता है कि विभिन्न दबावों में वह अपना फैसला शायद बदल भी लें ।
भरत पांड्या के नजदीकियों का कहना/बताना है कि दोनों पदों को लेकर भरत पांड्या पर दरअसल कई लोगों की तरफ से सिफारिशों का भारी दबाव रहा; कई लोग इंटरनेशनल डायरेक्टर के चुनाव में की गई उनकी मदद की 'कीमत' के रूप में उक्त पद हथियाने की कोशिश में थे । जिन लोगों को भविष्य में इंटरनेशनल डायरेक्टर पद का चुनाव लड़ना है, उनकी तो खास निगाह इन पदों पर थी । रोटरी की चुनावी राजनीति में इंस्टीट्यूट का चेयरमैन बनना इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव के संदर्भ में अच्छा संकेत माना जाता है । इसीलिए भरत पांड्या के डिस्ट्रिक्ट के पूर्व गवर्नर विजय जालान की इंस्टीट्यूट के चेयरमैन पद पर खास निगाह थी; विजय जालान के लिए बदकिस्मती की बात लेकिन यह रही कि डिस्ट्रिक्ट के ही कई लोग विजय जालान को चेयरमैन बनाये जाने का विरोध भी कर रहे थे । भरत पांड्या के डिस्ट्रिक्ट में गुलाम वहनवती को भी इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के भावी उम्मीदवार के रूप में देखा/पहचाना जाता है । पीछे हुए चुनाव में वह उम्मीदवार थे ही, रोटरी फाउंडेशन में ट्रस्टी बन जाने से लेकिन उन्होंने भरत पांड्या के लिए अंततः रास्ता साफ कर दिया । रोटरी फाउंडेशन में ट्रस्टी बन जाने से गुलाम वहनवती का कद बढ़ भी गया है, इसलिए वह और उनके साथी नहीं चाहते हैं कि डिस्ट्रिक्ट में कोई और उनके लिए चुनौती बने । इसी उठापटक में कोशिश की गई कि विजय जालान को इंस्टीट्यूट का चेयरमैन नहीं बनने दिया जाए । डिस्ट्रिक्ट 3012 के पूर्व गवर्नर रमेश अग्रवाल की भी कोशिश थी कि भरत पांड्या अपनी इंस्टीट्यूट का उन्हें चेयरमैन न सही, तो सेक्रेटरी ही बना दें । इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए अपनी उम्मीदवारी की घोषणा करने वाले रमेश अग्रवाल को उम्मीद थी कि इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए अधिकृत उम्मीदवार का चयन करने वाली नोमीनेटिंग कमेटी में उन्होंने भरत पांड्या का जो समर्थन किया था, उसके ईनाम के रूप में भरत पांड्या उन्हें इंस्टीट्यूट का सेक्रेटरी तो बना ही देंगे । रमेश अग्रवाल के लिए बदकिस्मती की बात लेकिन यह रही कि वह तो नोमीनेटिंग कमेटी में भरत पांड्या की उम्मीदवारी का समर्थन करने का दावा करते रहे, लेकिन भरत पांड्या और उनके साथियों ने सुशील गुप्ता के साथ उनकी नजदीकी को देखते हुए उनके दावे पर भरोसा नहीं किया ।
इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए अपनी उम्मीदवारी की घोषणा करने वाले विनोद बंसल ज्यादा होशियार निकले । सुशील गुप्ता के नजदीकी के रूप में पहचाने जाने के कारण उन्होंने समझ लिया था कि भरत पांड्या इंस्टीट्यूट के चेयरमैन या सेक्रेटरी पद के लिए तो उनके नाम पर विचार नहीं ही करेंगे, सो उन्होंने कोई प्रयास भी नहीं किया; लेकिन दूसरे इंटरनेशनल डायरेक्टर इलेक्ट कमल सांघवी के साथ उनके अच्छे संबंधों को ध्यान में रखते हुए दूसरे - खासतौर से उनके प्रतिद्धंद्धी लोगों को यह डर जरूर रहा कि कहीं कमल सांघवी उन्हें 'फिट' न करवा दें । भरत पांड्या और कमल सांघवी के बीच एक एक इंस्टीट्यूट का जिम्मा लेने की जो सहमति बनी है - जिसके अनुसार वर्ष 2019 की इंस्टीट्यूट भरत पांड्या और 2020 की इंस्टीट्यूट कमल सांघवी करवायेंगे - उससे उक्त संभावना और लोगों का डर लेकिन स्वतः दूर हो गया । डिस्ट्रिक्ट 3054 के पूर्व गवर्नर अनिल अग्रवाल ने इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चैलेंजिंग उम्मीदवार अशोक गुप्ता के डिस्ट्रिक्ट में होते हुए भरत पांड्या की उम्मीदवारी का झंडा उठाया हुआ था, इस नाते वह भी उम्मीद में थे कि भरत पांड्या उनका 'ख्याल' रखेंगे । रोटरी की राजनीति तथा प्रशासनिक व्यवस्था में ऊँची छलाँग लगाने की इच्छा रखने वाले कुछेक और लोग भी भरत पांड्या से उम्मीद कर रहे थे कि वह उनकी छलाँग के लॉन्चिंग बेस बन जायेंगे । भरत पांड्या के नजदीकियों का कहना है कि तमाम लोगों से मिल रही सिफारिशों के दबाव के चलते ही भरत पांड्या ने राजु सुब्रमणियन को चेयरमैन तथा गुरजीत सिंह को सेक्रेटरी नियुक्त कर लेने के अपने फैसले को 'छिपाये' रखने का तरीका अपनाया है । इस तरह के फैसले लेकिन छिपते तो हैं नहीं, सो भरत पांड्या का यह फैसला भी लोगों के बीच चर्चा में आ ही गया है । भरत पांड्या ने यह देख कर राहत की साँस ली है कि लोगों को उनके फैसले की जानकारी भी मिल गई है और कोई बबाल भी नहीं हो रहा है । इंस्टीट्यूट के चेयरमैन व सेक्रेटरी पद पर निगाह लगाए कुछेक लोगों को हालाँकि अभी भी उम्मीद है, और इस उम्मीद में वह अभी भी प्रयासरत हैं कि भरत पांड्या चूँकि दोनों पदों के पदाधिकारियों की घोषणा स्वयं से नहीं कर रहे हैं, इसलिए हो सकता है कि विभिन्न दबावों में वह अपना फैसला शायद बदल भी लें ।