Tuesday, August 28, 2018

इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की सेंट्रल काउंसिल के लिए चुनाव लड़ रहे चरनजोत सिंह नंदा, राजेश शर्मा व अतुल गुप्ता पर अपनी टुच्ची हरकतों से बठिंडा के लोगों के बीच झगड़े पैदा करने तथा बठिंडा ब्रांच का नाम खराब करने का आरोप लगा

बठिंडा/नई दिल्ली । बठिंडा में इंस्टीट्यूट की सेंट्रल काउंसिल के लिए प्रस्तुत अपनी अपनी उम्मीदवारी के पक्ष में वोट हथियाने को लेकर अतुल गुप्ता, चरनजोत सिंह नंदा और राजेश शर्मा के बीच जैसी जो थुक्का-फजीहत चल रही है, उसने चार्टर्ड एकाउंटेंट्स जैसे पढ़े-लिखे लोगों की सोच और व्यवहार के घटियापन को सामने लाने के साथ-साथ प्रोफेशन व इंस्टीट्यूट की पहचान व प्रतिष्ठा को कलंकित करने का काम ही किया है । उम्मीद की जाती है और विश्वास किया जाता है कि इंस्टीट्यूट की सेंट्रल काउंसिल में जो लोग होंगे, वह अपनी सोच और व्यवहार से न सिर्फ प्रोफेशन के लोगों के बीच, बल्कि समाज के अन्य तबकों के लोगों के बीच भी एक मिसाल प्रस्तुत करेंगे और प्रोफेशन व इंस्टीट्यूट की पहचान तथा प्रतिष्ठा को समृद्ध करने का काम करेंगे - और इस तरह प्रोफेशन व इंस्टीट्यूट को आगे बढ़ायेंगे । लेकिन हो उल्टा रहा है । बठिंडा में अतुल गुप्ता, चरनजोत सिंह नंदा और राजेश शर्मा अपने अपने लोगों के जरिये जो हरकतें कर और करवा रहे हैं, उन्हें यदि सड़कछाप लोग देख/जान लें - तो उन्हें लगेगा कि वह नाहक ही बदनाम हैं, और वह इन लोगों से ट्यूशन लेने लग जायेंगे । लोगों का कहना/बताना है कि बठिंडा में जो कुछ हो रहा है, उसमें सबसे ज्यादा गंदगी फैलाने का काम चरनजोत सिंह नंदा ने किया है । लोगों ने अनुभव किया और बताया है कि सेंट्रल काउंसिल में अपनी पुनर्वापसी को लेकर चरनजोत सिंह नंदा इस कदर उतावले हैं कि टुच्चेपन के नए नए रिकॉर्ड बना रहे हैं । वोट जुटाने के चक्कर में चरनजोत सिंह नंदा ने अपने आपको इस कदर गिरा लिया है कि अपनी पहचान और साख को ही मिट्टी में मिला लिया है । इस मामले में राजेश शर्मा उन्हें 'बराबर की टक्कर' दे रहे हैं - जिसके चलते लोगों के लिए यह तय करना मुश्किल हो रहा है कि वह इनमें से किसे ज्यादा घटिया मानें ? विडंबना की बात यह है कि सेंट्रल काउंसिल के चुनाव में अपने पुनर्निर्वाचन के लिए इन दोनों से मुकाबला करने के लिए अतुल गुप्ता भी कई मौकों पर इनके ही स्तर पर उतरने की कोशिश करते देखे गए हैं ।
चरनजोत सिंह नंदा और राजेश शर्मा के बीच ब्रांच की नई बिल्डिंग के उद्घाटन को लेकर बहुत ही निम्नस्तरीय लड़ाई छिड़ी हुई है । चरनजोत सिंह नंदा बिल्डिंग के उद्घाटन को रोकने के लिए तरह तरह के नाटक कर/करवा रहे हैं । बिल्डिंग कमेटी के चेयरमैन चूँकि राजेश शर्मा हैं, इसलिए चरनजोत सिंह नंदा को लगता है कि बिल्डिंग का उद्घाटन हुआ तो राजेश शर्मा को चुनावी फायदा होगा । राजेश शर्मा ने वहाँ लोगों को बताया हुआ है कि इंस्टीट्यूट के प्रेसीडेंट नवीन गुप्ता तो उनकी जेब में हैं, लिहाजा वह जब चाहें तब उनसे ब्रांच की नई बिल्डिंग का उद्घाटन करवा सकते हैं । चरनजोत सिंह नंदा के समर्थकों ने बिल्डिंग के हिसाब-किताब में गड़बड़ी का आरोप लगाकर नया शिगूफा छोड़ा है, और इस मामले की आड़ में बठिंडा के सीनियर/जूनियर चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के बीच झगड़ा पैदा करने की भी कोशिश की है । ब्रांच में इस समय जो लोग काबिज हैं, वह दूसरे सेंट्रल काउंसिल सदस्यों के नजदीक हैं, और चरनजोत सिंह नंदा के साथ उनकी ट्यूनिंग नहीं बन सकी है - इसलिए चरनजोत सिंह नंदा ने अपने करीबियों के जरिये वहाँ यह बबाल खड़ा करने/करवाने की कोशिश की है कि ब्रांच पर काबिज जूनियर चार्टर्ड एकाउंटेंट्स सीनियर चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की ईज्जत नहीं करते हैं । जिन्हें जूनियर कहा/बताया जा रहा है, उनकी तरफ से जबाव सुनने को मिला है कि जो लोग सीनियर्स को ईज्जत न मिलने की शिकायत कर रहे हैं, उनका काम शाम को इकट्ठा होकर शराब पीने के अलावा और क्या है - और इसके बदले में वह किस तरह की ईज्जत चाहते हैं ? चरनजोत सिंह नंदा और राजेश शर्मा के नजदीकियों के बीच हो रही इस तरह की तूतू मैंमैं के चलते प्रोफेशन और इंस्टीट्यूट की फजीहत हो रही है । बठिंडा के अधिकतर चार्टर्ड एकाउंटेंट्स मान/समझ रहे हैं और कह रहे हैं कि चरनजोत सिंह नंदा व राजेश शर्मा ने अपनी अपनी टुच्ची हरकतों से बठिंडा के लोगों के बीच न सिर्फ झगड़े पैदा कर दिए हैं, बल्कि बठिंडा ब्रांच का नाम भी खराब कर दिया है ।
चरनजोत सिंह नंदा ने अतुल गुप्ता के नजदीकी और समर्थक रहे ब्रांच के एक पूर्व चेयरमैन को अपने साथ कर अतुल गुप्ता को तगड़ा झटका तो दिया है, लेकिन ब्रांच के उक्त पूर्व चेयरमैन को बैंक ऑडिट के लालच में अपने साथ आया बता कर चरनजोत सिंह नंदा ने खुद अपने लिए भी मुसीबत खड़ी कर ली है । मजे की बात यह है कि चरनजोत सिंह नंदा खुद ही लोगों को बताते हैं कि अतुल गुप्ता के उक्त नजदीकी पूर्व चेयरमैन को उन्होंने एक बैंक ऑडिट क्या दिलवा दिया, वह अतुल गुप्ता का साथ छोड़ कर मेरे साथ आ गया है । अतुल गुप्ता की तरफ से भी सुनने को मिला कि चरनजोत सिंह नंदा इस तरह बैंक ऑडिट दिलवा कर आखिर कितने वोट जुटा लेंगे ? अतुल गुप्ता ने बठिंडा के लोगों को चरनजोत सिंह नंदा तथा राजेश शर्मा की असलियत से परिचित कराने/करवाने का भी काम किया, और लोगों के बीच संदेश पहुँचवाया कि इन दोनों की हरकतों से प्रोफेशन व इंस्टीट्यूट का नाम खराब ही हुआ है । समझा जाता है कि अतुल गुप्ता ने कई लोगों को यह कहते हुए भड़काने का भी काम किया कि वह चरनजोत सिंह नंदा से कहें कि हमारा समर्थन और वोट चाहिए तो हमें पहले बैंक ऑडिट या कोई और काम दिलवाओ । ऑडिट तथा अन्य काम दिलवाने के चरनजोत सिंह नंदा के दावे की लुधियाना में पोल खुलने तथा उनकी फजीहत होने के मामले को भी अतुल गुप्ता ने हवा देने का काम खूब किया है, जिसके चलते चरनजोत सिंह नंदा की चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के बीच खासी किरकिरी हो रही है । इंस्टीट्यूट के प्रेसीडेंट नवीन गुप्ता को अपनी जेब में होने का दावा करने वाले राजेश शर्मा को भी बेनकाब करने में अतुल गुप्ता ने जिस तरह की दिलचस्पी ली है, उसने भी इंस्टीट्यूट के चुनावी परिदृश्य को रोमांचक बना दिया है ।  कई लोग इस रोमांचक परिदृश्य को गटरछाप भी पा रहे हैं । उनका कहना है कि चरनजोत सिंह नंदा, राजेश शर्मा और अतुल गुप्ता बठिंडा में वोट जुटाने के लिए जो हरकतें कर रहे हैं - वह इंस्टीट्यूट और प्रोफेशन के लिए कलंक की तरह हैं ।