Sunday, August 26, 2018

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3011 में अपने गवर्नर-वर्ष के एकाउंट्स की 'ड्रेसिंग' करने/करवाने में लगे निवर्त्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रवि चौधरी खुद के द्वारा मंजूर करवाई गई ग्लोबल ग्रांट में हिस्सेदारी बसूलने के लिए रोटरी क्लब दिल्ली साऊथ सेंट्रल में ट्रांसफर लेने की भूमिका बना रहे हैं क्या ?

नई दिल्ली । निवर्त्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रवि चौधरी ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रहते हुए लोगों को बताया था कि रोटरी में और डिस्ट्रिक्ट में जो गंदगी है, उसे नजदीक से देखने के बाद उनकी बेटी ने उनसे पूछा/कहा है कि ऐसी रोटरी में आप क्यों बने हुए हो, और इसलिए गवर्नर-काल पूरा होते ही वह रोटरी छोड़ देंगे । सुनने/देखने में लेकिन यह आ रहा है कि खुद रोटरी छोड़ने की बजाये रवि चौधरी, रोटरी और डिस्ट्रिक्ट में गंदगी देखने वाली अपनी बेटी की माँ को भी रोटरी ज्वाइन करवा रहे हैं । डिस्ट्रिक्ट में हर किसी के लिए यह बात एक पहेली बनी हुई है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में अपनी हरकतों और अपनी कारस्तानियों से बार-बार फजीहत का शिकार होते रहे रवि चौधरी को रोटरी में आखिर ऐसा क्या मिला है, जो अब वह अपनी पत्नी को भी रोटेरियन बनवा रहे हैं ? इससे भी बड़ी पहेली की बात यह है कि रवि चौधरी अपनी पत्नी को अपने ही क्लब में नहीं, बल्कि रोटरी क्लब दिल्ली साऊथ सेंट्रल में सदस्य बनवा रहे हैं । किसी के लिए भी यह समझना मुश्किल हो रहा है कि जिस क्लब ने रवि चौधरी को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बनने/बनाने का मौका दिया, उस क्लब से रवि चौधरी को आखिर ऐसी क्या नाराजगी है कि वह अपनी पत्नी को अपने ही क्लब का सदस्य नहीं बनवा रहे हैं ? उनके क्लब के लोगों का ही कहना/बताना है कि क्लब में रवि चौधरी की स्थिति बहुत ही खराब हो गई है, और उनका खुद का क्लब में बने रहना मुश्किल हो गया है - इसका बिलकुल नया सुबूत यह है कि रोटरी फाउंडेशन के लिए पैसे इकट्ठे करने के हाल ही में हुए कार्यक्रम में रवि चौधरी के क्लब की तरफ से कोई पैसा सिर्फ इसलिए नहीं दिया गया, क्योंकि उससे रवि चौधरी को नेतागिरी करने का मौका मिल जाता । डिस्ट्रिक्ट के फंडरेजिंग कार्यक्रम में रवि चौधरी के लिए वास्तव में बड़ी शर्मिंदगी की स्थिति बनी कि उनके क्लब से रोटरी फाउंडेशन में इकन्नी भी नहीं दी गई ।
इस तरह रवि चौधरी दूसरे पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स पर अपने द्वारा लगाए जाने वाले आरोपों के खुद ही शिकार भी हो गए हैं । उल्लेखनीय है कि रवि चौधरी पूर्व गवर्नर्स पर आरोप लगाते रहे हैं कि वह रोटरी के लिए कुछ ठोस काम तो करते नहीं हैं, और सिर्फ राजनीति ही करते हैं । उनके ही आरोपों का हवाला देते हुए लोगों का पूछना है कि अब रवि चौधरी खुद क्या कर रहे हैं ? अपने क्लब में उनकी क्या ऐसी भी हैसियत नहीं बची रह गई है कि वह रोटरी के एक महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम में अपने क्लब से कोई सहयोग दिलवा सकते और अब उनके लिए रोटरी का मतलब सिर्फ राजनीति करना ही रह गया है क्या ? रवि चौधरी पूर्व गवर्नर्स पर हिसाब-किताब में पारदर्शिता न रखने का आरोप भी लगाते रहे हैं और वह बताते रहे हैं कि पूर्व गवर्नर्स विभिन्न तरीकों से पैसों की हेराफेरी करते रहे हैं । रवि चौधरी लेकिन खुद अपने गवर्नर वर्ष के एकाउंट्स देने से बचते और मुँह छिपाते फिर रहे हैं । गवर्नर रहते हुए रवि चौधरी ने कई मौकों पर कहा था कि वह रोटरी इंटरनेशनल द्वारा तय की गई 30 जुलाई की समयावधि तक अपने गवर्नर-वर्ष के एकाउंट्स दे देंगे । 30 जुलाई को बीते एक महीना होने को आ रहा है, लेकिन रवि चौधरी के गवर्नर-वर्ष के एकाउंट्स का अभी कोई अता/पता नहीं है । उनके नजदीकियों को ही शक है कि रवि चौधरी ने अपने गवर्नर-वर्ष में इतनी घपलेबाजियाँ की हैं कि अपने एकाउंट्स की 'ड्रेसिंग' करवाने में ही उनका समय लग रहा है और इसी कारण उन्हें अपने एकाउंट्स देने में देर लग रही है । रवि चौधरी ने पिछले दिनों कोशिश की थी कि उन्हें दूसरे डिस्ट्रिक्ट्स में तथा जोन के कार्यक्रमों में पब्लिक इमेज पर बोलने के लिए बुलाया जाए । रवि चौधरी को लगता है और वह जताते हैं कि इस विषय के वह बहुत ज्ञाता हैं; उनके प्रोफेशन को देखते हुए उन्हें न जानने वाले लोगों को उनके ज्ञानी होने का भ्रम भी हो जाता है; इसी भ्रम के चलते दो/एक जगह उन्हें वक्ता के रूप में बुलाने की बात लगभग तय भी हो गई थी - लेकिन बुलाने वालों को जब रवि चौधरी की इमेज के बारे में पता चला तो फिर वह यह सोच कर पीछे हट गए कि जिस व्यक्ति की खुद की इमेज खराब हो तो वह रोटरी की पब्लिक इमेज पर क्या बात करेगा ?
इस तरह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद से हटने के बाद भी बदनामी और फजीहत रवि चौधरी का पीछा नहीं छोड़ रही हैं । अपनी पत्नी को रोटरी क्लब दिल्ली साऊथ सेंट्रल का सदस्य बनवा देने के कारण वह और विवाद में फँस गए हैं । बताया जा रहा है कि रोटरी क्लब दिल्ली साऊथ सेंट्रल को दो आईसीयू यूनिट के साथ 20 डायलिसिस मशीन लगाने के लिए करीब पौने दो लाख अमेरिकी डॉलर की ग्लोबल ग्रांट मिली है ।  इसके अलावा, क्लब को करीब सवा लाख अमेरिकी डॉलर की एक और ग्लोबल ग्रांट मिलना है । आरोप है कि उक्त ग्रांट्स की बंदरबाँट में अपना हिस्सा बसूलने के लिए ही रवि चौधरी ने अपनी पत्नी को रोटरी क्लब दिल्ली साऊथ सेंट्रल का सदस्य बनवाया है । उक्त दोनों ग्रांट्स संभव करवाने में रवि चौधरी चूँकि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में अपनी भूमिका को निर्णायक मानते हैं, इसलिए एक होशियार 'सौदेबाज' के रूप में वह अपनी भूमिका की उचित कीमत बसूलना चाहते हैं । मजे की बात यह है कि रवि चौधरी पूर्व गवर्नर्स पर ग्लोबल तथा अन्य ग्रांट्स में हेराफेरी करने का आरोप भी खूब लगाते रहे हैं । इस मामले में पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विनोद बंसल के क्लब की एक ग्रांट का हवाला देकर वह विनोद बंसल को लगातार निशाने पर लेते रहे हैं । आरोप है कि अब वह खुद इस जुगाड़ में हैं कि विभिन्न ग्रांट्स में कैसे पैसे बनाये जाएँ ? रोटरी क्लब दिल्ली साऊथ सेंट्रल के निवर्त्तमान प्रेसीडेंट मुकेश अग्रवाल को उन्होंने बेस्ट प्रेसीडेंट का (आधा) अवॉर्ड दिया ही है, और उन्हें करीब तीन लाख अमेरिकी डॉलर की ग्लोबल ग्रांट दिलवाने में भूमिका निभाई है - इसलिए उन्हें लगता है कि मुकेश अग्रवाल के सहारे वह उक्त ग्रांट्स में अपनी हिस्सेदारी निकाल सकेंगे । 'बाहर' से यह कर पाना उनके लिए मुश्किल क्या, असंभव ही होता; आरोपपूर्ण चर्चा के अनुसार, अपनी पत्नी को रोटरी क्लब दिल्ली साऊथ सेंट्रल का सदस्य बनवा कर रवि चौधरी ने वास्तव में क्लब को मिली ग्रांट में सेंध लगाने का मौका बनाया है । आरोपपूर्ण चर्चा में तर्क दिया जा रहा है कि अन्यथा कोई कारण नहीं है, कि जो रवि चौधरी खुद रोटरी छोड़ देने की बात कर रहे हों, वह रवि चौधरी अपनी पत्नी को भी रोटेरियन बनवा दें, और वह भी अपने क्लब में नहीं । कुछेक लोगों को तो शक है कि रवि चौधरी हो सकता है कि कुछ दिनों में खुद भी रोटरी क्लब दिल्ली साऊथ सेंट्रल में ट्रांसफर ले लें ।