नई
दिल्ली । हंसराज चुग ने 'सीए कॉन्क्लेव' के जरिए सेंट्रल काउंसिल की अपनी
उम्मीदवारी के लिए माहौल बनाने और समर्थन जुटाने का जो उपक्रम किया, वह
'ड्रिंक एंड डाइन' पर जोर देने के कारण एक उम्मीदवार के रूप में उनकी फजीहत
का कारण बन गया । हंसराज चुग के नजदीकियों का ही कहना/बताना रहा कि
हंसराज चुग ने कार्यक्रम में ज्यादा से ज्यादा भीड़ जुटाने के चक्कर में
'ड्रिंक' का जो दाँव चला, उसी ने कार्यक्रम का कबाड़ा कर दिया । नजदीकियों
के ही अनुसार, कार्यक्रम से ठीक पहले हंसराज चुग दरअसल इस बात को लेकर
चिंतित हो उठे थे कि कार्यक्रम में यदि लोग नहीं जुटे, तो क्या होगा ? इस
सवाल ने उन्हें इतना परेशान कर दिया कि उन्होंने 'ड्रिंक' का ऑफर ओपन कर
दिया । नजदीकियों का कहना है कि कार्यक्रम में आने वाले लोगों के लिए
ड्रिंक की व्यवस्था तो पहले से थी, लेकिन उसकी बात ज्यादा प्रचारित नहीं थी
। लेकिन अपनी चिंता से उबरने के लिए हंसराज चुग ने कार्यक्रम का मुख्य
आकर्षण ड्रिंक' ही बना दिया । इसके चलते, कार्यक्रम से ठीक पहले लोगों को जो संदेश मिले, उसमें 'ड्रिंक' की बात को खासी प्रमुखता दी गई । हंसराज
चुग ने माना/समझा कि ड्रिंक का ऑफर रहेगा, तो कार्यक्रम में खूब भीड़
जुटेगी - और एक उम्मीदवार के रूप में उनका डंका बजेगा । भीड़ जुटने की उनकी
उम्मीद तो पूरी हो गई; प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, उनके कार्यक्रम में
साढ़े पाँच से छह सौ के बीच लोग जुटे और अधिकतर युवा चार्टर्ड एकाउंटेंट्स
थे - लेकिन कार्यक्रम में जुटी भीड़ जिस तरह से 'ड्रिंक' पर टूटी पड़ी, उसके
चलते न सिर्फ कार्यक्रम का सारा ग्रेस मिट्टी में मिल गया, बल्कि बदइंतजामी
का ऐसा माहौल बना कि 'ड्रिंक' में दिलचस्पी न रखने वाले चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के लिए वहाँ
रुकना तक मुश्किल हो गया और कई लोगों को बिना खाना खाये ही कार्यक्रम स्थल से लौटना
पड़ा ।
हंसराज चुग के नजदीकियों और समर्थकों का ही कहना है कि 'सीए कॉन्क्लेव' के जरिये हंसराज चुग ने इंस्टीट्यूट की सेंट्रल काउंसिल के चुनाव में अपनी उम्मीदवारी को ऊँची छलाँग देने/दिलवाने की जो योजना बनाई थी, वह वहाँ बने अफरातफरी के माहौल के चलते पूरी तरह फेल तो हो ही गई - कार्यक्रम में फैली बदइंतजामी ने एक उम्मीदवार के रूप में हंसराज चुग की अभी तक की उपलब्धियों पर पानी और फेर दिया है । हंसराज चुग के समर्थकों का ही मानना और कहना है कि 'सीए कॉन्क्लेव' को सफल बनाने में 'ड्रिंक' का सहारा लेने तथा उसके कारण फैली अफरातफरी ने एक उम्मीदवार के रूप में हंसराज चुग को पीछे और धकेल दिया है । उल्लेखनीय है कि हंसराज चुग को लोगों के बीच एक अच्छे, पढ़े-लिखे, जेनुइन चार्टर्ड एकाउंटेंट नेता के रूप में देखा/पहचाना जाता है । पिछली बार मामूली अंतर से वह सेंट्रल काउंसिल के चुनाव में सफलता पाने से रह गए थे । वह काउंसिल सदस्य बन पाने में तो सफल नहीं हो सके थे, लेकिन लोगों के दिल जीतने में वह जरूर कामयाब हुए थे । उनकी असफलता ने बहुत से लोगों को निराश किया था, क्योंकि उन्हें लगता था कि हंसराज चुग जैसे व्यक्ति को सेंट्रल काउंसिल में होना ही चाहिए । इस नाते, इस बार उन्हें एक मजबूत उम्मीदवार के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है । लेकिन लगता है कि हंसराज चुग को जैसे खुद ही अपने ऊपर भरोसा नहीं रहा है । उनके कुछेक नजदीकियों का कहना/बताना है कि हंसराज चुग को आजकल कुछेक ऐसे लोगों ने भी घेर लिया है, जो उनकी उम्मीदवारी का समर्थन करने के नाम पर सिर्फ अपने खाने-पीने के जुगाड़ में रहते हैं । ऐसे लोगों के चक्कर में, हंसराज चुग अपने पुराने साथियों/समर्थकों से भी दूर होते हुए दिख रहे हैं । चर्चा है कि खाने-पीने के चक्कर में रहने वाले नजदीकियों ने ही उन्हें सलाह दी थी कि कार्यक्रम में ड्रिंक की बात को लोगों के बीच जोरशोर से प्रचारित करो, तो बहुत चार्टर्ड एकाउंटेंट्स जुटेंगे । ड्रिंक की बात के प्रचार के 'फार्मूले' से भीड़ तो जुट गई, लेकिन वही भीड़ हंसराज चुग की उम्मीदवारी के अभियान का कबाड़ा कर बैठी ।
हंसराज चुग ने 'सीए कॉन्क्लेव' के लिए हालाँकि अच्छी तैयारी की थी । गिरीश आहुजा, बिमल जैन, यशीष दहिया, अश्विन रस्तोगी जैसे प्रतिष्ठित व प्रमुख लोगों को कार्यक्रम में वक्ता के रूप में आमंत्रित किया गया था । कार्यक्रम के लिए उन्होंने रफी मार्ग स्थित कॉन्स्टीट्यूशन क्लब जैसी आसान पहुँच वाली और खुली जगह चुनी थी । कार्यक्रम का निमंत्रण पत्र उन्होंने बहुत ही आकर्षक रूप में डिजाइन करवाया था, जिसकी कई लोगों ने प्रशंसा भी की थी । लेकिन कार्यक्रम का दिन नजदीक आते आते हंसराज चुग जैसे अपनी ही उम्मीद से डर गए । उन्हें डर हुआ कि कार्यक्रम में यदि ठीक-ठाक संख्या में लोग नहीं पहुँचे, तो उनकी सारी तैयारी पर पानी फिर जायेगा । उनके नजदीकियों के अनुसार, उन्हें यह डर कुछेक दूसरे उम्मीदवारों के कार्यक्रमों के पिट जाने को देख कर भी हुआ । सेंट्रल काउंसिल में तीसरी टर्म के लिए पुनर्निर्वाचित होने की तैयारी कर रहे 'स्टार' उम्मीदवार अतुल गुप्ता तक को अपने कार्यक्रमों में जिस तरह श्रोताओं का टोटा पड़ा देखा गया है, उसने लगता है कि हंसराज चुग को बुरी तरह परेशान कर दिया । ऐसे में उनके नजदीकियों ने 'ड्रिंक' की शरण में जाने का फार्मूला उन्हें सुझाया, तो उसे उन्होंने झट से लपक और अपना लिया । यह फार्मूला भीड़ जुटाने में तो सफल हुआ, लेकिन इस 'सफलता' ने हंसराज चुग की पहचान और साख पर दाग लगाने का ही काम किया है । कार्यक्रम में पहुँचे लोगों के बीच वक्ताओं को सुनने में दिलचस्पी कम ही देखी गई; अधिकतर लोग 'ड्रिंक' की तलाश में दिखे - हालत यह हो गई कि वक्ताओं के भाषण चलते हुए ही ड्रिंक और खाना खोलने के लिए मजबूर होना पड़ा, जिसमें फिर जो अफरातफरी फैली तो उसमें हंसराज चुग की सेंट्रल काउंसिल के लिए प्रस्तुत उम्मीदवारी की उम्मीदों की धज्जियाँ उड़ते हुए ही देखी गईं । यह देखना दिलचस्प होगा कि 'सीए कॉन्क्लेव' से हंसराज चुग की उम्मीदवारी के अभियान को जो चोट पहुँची है, उसकी भरपाई के लिए वह आगे क्या कदम उठाते हैं ?
हंसराज चुग के नजदीकियों और समर्थकों का ही कहना है कि 'सीए कॉन्क्लेव' के जरिये हंसराज चुग ने इंस्टीट्यूट की सेंट्रल काउंसिल के चुनाव में अपनी उम्मीदवारी को ऊँची छलाँग देने/दिलवाने की जो योजना बनाई थी, वह वहाँ बने अफरातफरी के माहौल के चलते पूरी तरह फेल तो हो ही गई - कार्यक्रम में फैली बदइंतजामी ने एक उम्मीदवार के रूप में हंसराज चुग की अभी तक की उपलब्धियों पर पानी और फेर दिया है । हंसराज चुग के समर्थकों का ही मानना और कहना है कि 'सीए कॉन्क्लेव' को सफल बनाने में 'ड्रिंक' का सहारा लेने तथा उसके कारण फैली अफरातफरी ने एक उम्मीदवार के रूप में हंसराज चुग को पीछे और धकेल दिया है । उल्लेखनीय है कि हंसराज चुग को लोगों के बीच एक अच्छे, पढ़े-लिखे, जेनुइन चार्टर्ड एकाउंटेंट नेता के रूप में देखा/पहचाना जाता है । पिछली बार मामूली अंतर से वह सेंट्रल काउंसिल के चुनाव में सफलता पाने से रह गए थे । वह काउंसिल सदस्य बन पाने में तो सफल नहीं हो सके थे, लेकिन लोगों के दिल जीतने में वह जरूर कामयाब हुए थे । उनकी असफलता ने बहुत से लोगों को निराश किया था, क्योंकि उन्हें लगता था कि हंसराज चुग जैसे व्यक्ति को सेंट्रल काउंसिल में होना ही चाहिए । इस नाते, इस बार उन्हें एक मजबूत उम्मीदवार के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है । लेकिन लगता है कि हंसराज चुग को जैसे खुद ही अपने ऊपर भरोसा नहीं रहा है । उनके कुछेक नजदीकियों का कहना/बताना है कि हंसराज चुग को आजकल कुछेक ऐसे लोगों ने भी घेर लिया है, जो उनकी उम्मीदवारी का समर्थन करने के नाम पर सिर्फ अपने खाने-पीने के जुगाड़ में रहते हैं । ऐसे लोगों के चक्कर में, हंसराज चुग अपने पुराने साथियों/समर्थकों से भी दूर होते हुए दिख रहे हैं । चर्चा है कि खाने-पीने के चक्कर में रहने वाले नजदीकियों ने ही उन्हें सलाह दी थी कि कार्यक्रम में ड्रिंक की बात को लोगों के बीच जोरशोर से प्रचारित करो, तो बहुत चार्टर्ड एकाउंटेंट्स जुटेंगे । ड्रिंक की बात के प्रचार के 'फार्मूले' से भीड़ तो जुट गई, लेकिन वही भीड़ हंसराज चुग की उम्मीदवारी के अभियान का कबाड़ा कर बैठी ।
हंसराज चुग ने 'सीए कॉन्क्लेव' के लिए हालाँकि अच्छी तैयारी की थी । गिरीश आहुजा, बिमल जैन, यशीष दहिया, अश्विन रस्तोगी जैसे प्रतिष्ठित व प्रमुख लोगों को कार्यक्रम में वक्ता के रूप में आमंत्रित किया गया था । कार्यक्रम के लिए उन्होंने रफी मार्ग स्थित कॉन्स्टीट्यूशन क्लब जैसी आसान पहुँच वाली और खुली जगह चुनी थी । कार्यक्रम का निमंत्रण पत्र उन्होंने बहुत ही आकर्षक रूप में डिजाइन करवाया था, जिसकी कई लोगों ने प्रशंसा भी की थी । लेकिन कार्यक्रम का दिन नजदीक आते आते हंसराज चुग जैसे अपनी ही उम्मीद से डर गए । उन्हें डर हुआ कि कार्यक्रम में यदि ठीक-ठाक संख्या में लोग नहीं पहुँचे, तो उनकी सारी तैयारी पर पानी फिर जायेगा । उनके नजदीकियों के अनुसार, उन्हें यह डर कुछेक दूसरे उम्मीदवारों के कार्यक्रमों के पिट जाने को देख कर भी हुआ । सेंट्रल काउंसिल में तीसरी टर्म के लिए पुनर्निर्वाचित होने की तैयारी कर रहे 'स्टार' उम्मीदवार अतुल गुप्ता तक को अपने कार्यक्रमों में जिस तरह श्रोताओं का टोटा पड़ा देखा गया है, उसने लगता है कि हंसराज चुग को बुरी तरह परेशान कर दिया । ऐसे में उनके नजदीकियों ने 'ड्रिंक' की शरण में जाने का फार्मूला उन्हें सुझाया, तो उसे उन्होंने झट से लपक और अपना लिया । यह फार्मूला भीड़ जुटाने में तो सफल हुआ, लेकिन इस 'सफलता' ने हंसराज चुग की पहचान और साख पर दाग लगाने का ही काम किया है । कार्यक्रम में पहुँचे लोगों के बीच वक्ताओं को सुनने में दिलचस्पी कम ही देखी गई; अधिकतर लोग 'ड्रिंक' की तलाश में दिखे - हालत यह हो गई कि वक्ताओं के भाषण चलते हुए ही ड्रिंक और खाना खोलने के लिए मजबूर होना पड़ा, जिसमें फिर जो अफरातफरी फैली तो उसमें हंसराज चुग की सेंट्रल काउंसिल के लिए प्रस्तुत उम्मीदवारी की उम्मीदों की धज्जियाँ उड़ते हुए ही देखी गईं । यह देखना दिलचस्प होगा कि 'सीए कॉन्क्लेव' से हंसराज चुग की उम्मीदवारी के अभियान को जो चोट पहुँची है, उसकी भरपाई के लिए वह आगे क्या कदम उठाते हैं ?