Tuesday, September 4, 2018

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में सतीश सिंघल की व्यूह रचना में शामिल होने की मुकेश अरनेजा, दीपक गुप्ता व आलोक गुप्ता की 'तैयारी' ने अशोक अग्रवाल के लिए चुनौती पैदा की तथा अमित गुप्ता के लिए मौका बनने के संकेत दिए हैं

नोएडा । रोटरी क्लब नोएडा एक्सेलेंस के नए पदाधिकारियों के अधिष्ठापन समारोह में मुकेश अरनेजा के मुख्य अतिथि तथा दीपक गुप्ता व आलोक गुप्ता के गेस्ट ऑफ ऑनर बनने ने डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में जो करंट पैदा किया है, उसने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के उम्मीदवार के रूप में अशोक अग्रवाल के लिए चुनौती और अमित गुप्ता के लिए एक बेहतर मौका बनाने वाली स्थितियाँ पैदा की हैं । उल्लेखनीय है कि नोएडा एक्सेलेंस के इस समारोह को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए प्रस्तुत रवि सचदेवा की उम्मीदवारी के प्रमोशन के उपक्रम के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है । मजे की बात यह है कि तीनों ही - मुकेश अरनेजा, दीपक गुप्ता और आलोक गुप्ता लोगों को यह भरोसा दिलाने का प्रयास भी कर रहे हैं कि नोएडा एक्सेलेंस के अधिष्ठापन समारोह में उनके जाने को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की चुनावी राजनीति से जोड़ कर नहीं देखना चाहिए - और इसे रोटरी की एक गतिविधि के रूप में ही देखा जाना चाहिए । हालाँकि सयाने लोग जानते/समझते हैं कि सिर्फ रोटरी में ही नहीं, बल्कि जीवन और जगत में भी जो कुछ भी 'होता' है, उसका कोई न कोई खास उद्देश्य होता ही है - निरुद्देश्य या बेमतलब में तो पत्ता भी नहीं हिलता है । इसीलिए नोएडा एक्सेलेंस के अधिष्ठापन समारोह में जाने के पीछे कोई राजनीति न देखने के उक्त तीनों के आग्रह को राजनीति जानने/समझने वाले लोगों ने स्वीकार नहीं किया है; और माना/कहा जा रहा है कि यह पूरी तरह से एक राजनीतिक 'मूव' है - इसे राजनीतिक मूव स्वीकार करने से इंकार सिर्फ इसलिए किया जा रहा है ताकि इसके फेल हो जाने पर यह कह कर बचा जा सके कि 'हम' तो कोई राजनीति कर ही नहीं रहे थे !
सात सितंबर को होने जा रहे उक्त कार्यक्रम में इन तीनों के साथ सतीश सिंघल के भी 'दिखने' की संभावना है । इससे पिछले रोटरी वर्ष के उस घटना चक्र को याद करना प्रासंगिक होगा जब आलोक गुप्ता को चुनावी फायदा पहुँचवाने के लिए जल्दी चुनाव कराने से जुड़ी हलचल को देखते हुए, पूछे जाने पर इन चारों ने ही जल्दी चुनाव करवाने की बात से साफ-साफ इंकार किया था - लेकिन फिर जल्दी चुनाव करवा लिए थे । पहले इंकार और फिर स्वीकार का नाटक इसीलिए किया गया था, ताकि पूरी व्यवस्था कर लेने तथा पूरी तरह आश्वस्त हो लेने के बाद ही 'कार्यक्रम' की घोषणा की जाए । पिछले वर्ष के इसी 'व्यवहार' को देखते हुए लोगों को लग रहा है कि मुकेश अरनेजा, दीपक गुप्ता और आलोक गुप्ता पहले देख और समझ लेना चाहते हैं कि रवि सचदेवा की उम्मीदवारी को लेकर डिस्ट्रिक्ट में सचमुच कोई स्वीकार्यता बन भी रही है क्या ? वह यदि आश्वस्त हुए, तो रवि सचदेवा की उम्मीदवारी का झंडा उठायेंगे, अन्यथा यही कहते/बताते रहेंगे कि भई 'हम' तो राजनीति करते नहीं हैं, 'हम' तो राजनीति से दूर ही रहते हैं, 'हम' तो अमित गुप्ता और अशोक अग्रवाल के कार्यक्रमों में भी गए हैं । राजनीति न करने का दावा करना भी हालाँकि राजनीति का एक बहुत पुराना दाँव है ।
इन तीनों की भूमिका इस कारण से भी संदेहास्पद बनी है कि यह तीनों घोषित रूप से असिस्टेंट गवर्नर्स द्वारा आयोजित थैंक्स गिविंग कार्यक्रम में नहीं गए थे; क्योंकि उस कार्यक्रम के पीछे सतीश सिंघल को ही देखा/पहचाना गया था - सात सितंबर का कार्यक्रम भी कहने को तो रोटरी क्लब नोएडा एक्सेलेंस के नए पदाधिकारियों के अधिष्ठापन का कार्यक्रम है, लेकिन इसके पीछे मुख्य उद्देश्य रवि सचदेवा की उम्मीदवारी का प्रमोशन तथा शक्ति-प्रदर्शन है - और यह सतीश सिंघल की व्यूह रचना के अनुरूप है । करीब दो महीने पहले हुए थैंक्स गिविंग कार्यक्रम में सतीश सिंघल के नजदीक 'दिखने' से बचने की कोशिश करने वाले मुकेश अरनेजा. दीपक गुप्ता और आलोक गुप्ता को अब सतीश सिंघल के साथ दिखने में कोई समस्या नहीं है - तो इस हृदय परिवर्तन का एक ही कारण समझ में आता है और वह यह कि थैंक्स गिविंग कार्यक्रम की सफलता ने इन तीनों को अहसास कराया है कि सतीश सिंघल के साथ राजनीतिक गठजोड़ किया जा सकता है । इस गठजोड़ की संभावना को और पुख्ता करने के लिए ही इन तीनों ने सतीश सिंघल की व्यूह रचना में शामिल होना स्वीकार किया है । सतीश सिंघल की व्यूह रचना के तहत आ रही रवि सचदेवा की उम्मीदवारी को लेकर अभी भी चूँकि यह पूरी तरह आश्वस्त नहीं हैं, इसलिए यह अभी रवि सचदेवा की उम्मीदवारी का झंडा नहीं उठा रहे हैं; लेकिन जिस तरह से यह उनकी तरफ बढ़ रहे हैं, उसे देख कर समझा जा रहा है कि हालात रवि सचदेवा की उम्मीदवारी के जरा भी अनुकूल नजर आये तो मुकेश अरनेजा, दीपक गुप्ता, आलोक गुप्ता के हाथों में रवि सचदेवा की उम्मीदवारी का झंडा होगा ।
यह स्थिति अशोक अग्रवाल की उम्मीदवारी के लिए खासी बड़ी चुनौती खड़ी करती है । दरअसल अभी उन तीनों को अशोक अग्रवाल अपनी उम्मीदवारी के समर्थन में दिखाते/जताते हैं; जो स्थिति बन रही है वह लेकिन यह संकेत दे रही है कि उक्त तीनों लोग अशोक अग्रवाल का विकल्प खोज रहे हैं - यह संकेत अशोक अग्रवाल के लिए मनोवैज्ञानिक रूप से भी और व्यावहारिक कारणों से भी खासे झटके वाला है । इस स्थिति में अमित गुप्ता के समर्थकों व शुभचिंतकों को अमित गुप्ता की उम्मीदवारी के लिए फायदे का मौका बनता दिख रहा है । उन्हें लगता है कि रवि सचदेवा की उम्मीदवारी को उन तीनों के परोक्ष और या अपरोक्ष समर्थन से जो बल मिलेगा, वह वास्तव में अशोक अग्रवाल की स्थिति को कमजोर करने का काम करेगा और रवि सचदेवा व अशोक अग्रवाल के समर्थक एक-दूसरे पर जो कीचड़ उछालेंगे - उससे लोगों के बीच दोनों की ही स्थिति डावांडोल बनेगी - जिसका फायदा अमित गुप्ता को मिल सकेगा । दरअसल सतीश सिंघल के बहाने रवि सचदेवा को तथा जेके गौड़ की कारस्तानियों के बहाने अशोक अग्रवाल को घेरने की दोनों तरफ से जो कोशिश होगी, उसमें डिस्ट्रिक्ट के लोग एक निर्विवाद उम्मीदवार को चुनना पसंद करेंगे, और तब उनकी पसंद अमित गुप्ता बन सकते हैं । सिद्धांततः और तर्कपूर्ण नजरिये से ठीक लग रही यह उम्मीद सचमुच पूरी हो सकेगी या नहीं, यह इस पर निर्भर करता है कि स्थितियाँ किस रास्ते पर चलती हैं और क्या मोड़ लेती हैं ?