Friday, September 21, 2018

इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के चेयरमैन पंकज पेरिवाल द्वारा अपने ऑफिस में पड़े छापे की खबरों से होने वाली फजीहत से बचने के लिए रीजनल काउंसिल की बजाये एक्जीक्यूटिव कमेटी की बुलाई मीटिंग में नितिन कँवर और राजिंदर अरोड़ा के बीच हुई तू-तड़ाक ने काउंसिल में चलने वाली कमीशनखोरी की पोल खोली

नई दिल्ली । नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल की एक्जीक्यूटिव कमेटी की आज हुई मीटिंग में वाइस चेयरमैन नितिन कँवर तथा ट्रेजरर राजिंदर अरोड़ा ने एक-दूसरे के साथ पहले गाली-गलौच और फिर हाथा-पाई करते हुए एक-दूसरे की बेईमानियों की जिस तरह पोल खोली, उससे एक बार फिर साबित हुआ कि इन दोनों की बदतमीजियों और बेईमानियों ने काउंसिल में किस तरह की गंदगी मचाई हुई है । मजे की बात यह है कि यह दोनों ही नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल में तीनों ही वर्ष सत्ता खेमे में साथ-साथ रहे हैं, और दूसरों के साथ लगातार बदतमीजियाँ करते रहे हैं । इन पर बेईमानी करने और काउंसिल में लूट-खसोट मचाने के आरोप तो लगते ही रहे हैं, लेकिन आज की मीटिंग में पहली बार दोनों को एक-दूसरे पर कमीशनखोरी करने के आरोप लगाते सुना गया । एक दूसरे पर हिसाब-किताब में बेईमानी करने तथा वेंडर्स से कमीशन उगाहने के आरोप लगाते हुए शुरू में तो इन्होंने एक-दूसरे के साथ खुल कर गाली-गलौच की, और फिर मामला हाथा-पाई तक जा पहुँचा । काउंसिल के स्टॉफ के लोगों का कहना/बताना है कि चेयरमैन पंकज पेरिवाल तथा स्टॉफ के वरिष्ठ सदस्यों ने बीच-बचाव न किया होता तो दोनों के कपड़े फटने और शारीरिक चोट लगने की स्थिति बन रही थी । हाथापाई करते हुए दोनों ही बार-बार पुलिस में रिपोर्ट करने और पुलिस बुलाने की बात करते हुए भी सुने गए । किसी तरह मामला तो शांत हो गया, लेकिन यह पोल जरूर खुल गई कि पदाधिकारियों के रूप में नितिन कँवर और राजिंदर अरोड़ा नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल का कामकाज करने वाले वेंडर्स से कमीशन खाते हैं, और कमीशन की बंदरबाँट करने के लिए एक-दूसरे के सिर फोड़ने को भी तैयार हो सकते हैं ।
उल्लेखनीय है कि आज हुई एक्जीक्यूटिव कमेटी की मीटिंग का मुख्य एजेंडा वेंडर्स के बकाये के भुगतान को लेकर ही था । दरअसल पिछले कई महीनों से वेंडर्स के भुगतान नहीं हो रहे हैं, जिसके चलते वेंडर्स ने सर्विस देना बंद करने की धमकी दी हुई थी । नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के सेमीनार आयोजित करने वाले होटलों के प्रबंधकों ने धमकी दी हुई थी कि उनके भुगतान यदि जल्दी ही नहीं किए गए तो वह नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल को ब्लैक-लिस्ट कर देंगे और तब काउंसिल को अपने कार्यक्रमों के लिए होटल्स में जगह नहीं मिल सकेगी । चर्चा रही कि काउंसिल के चेयरमैन पंकज पेरिवाल लुधियाना में अपने ऑफिस में पड़े इनकम टैक्स विभाग के छापे के कारण मुसीबत में फँसे होने के चलते चेयरमैन पद की जिम्मेदारियाँ निभाने के लिए समय नहीं निकाल पाए और इसलिए वेंडर्स व होटलों के भुगतान अटके/फँसे । समस्या को हल करने के लिए काउंसिल की सेक्रेटरी पूजा बंसल ने रीजनल काउंसिल की मीटिंग बुलाने के लिए नोटिस निकाला, लेकिन चेयरमैन के रूप में पंकज पेरिवाल ने नियमों की दुहाई देते हुए उनके नोटिस को रद्द कर/करवा दिया । लोगों के बीच चर्चा रही कि पंकज पेरिवाल को डर रहा कि लुधियाना के अखबारों में प्रकाशित हुईं उनके ऑफिस पर पड़े इनकम टैक्स विभाग के छापे की खबरों को लेकर मीटिंग में किसी ने यदि सवाल पूछ लिया तो उन्हें जबाव देना पड़ जायेगा और तब उनके यहाँ पड़े छापे की बात काउंसिल के रिकॉर्ड पर आ जाएगी, इसलिए पंकज पेरिवाल ने रीजनल काउंसिल की मीटिंग से बचने की हर संभव कोशिश की । वेंडर्स के भुगतान के मामले को हल करने का भी दबाव लेकिन बढ़ता जा रहा था, इसलिए पंकज पेरिवाल ने बीच का रास्ता निकालते हुए एक्जीक्यूटिव कमेटी की मीटिंग बुला ली । एक्जीक्यूटिव कमेटी में सब 'अपने' ही लोग हैं, इसलिए पंकज पेरिवाल निश्चिंत रहे कि लुधियाना के अखबारों में छपी खबरों के हवाले से कोई उनके ऑफिस में पड़े इनकम टैक्स विभाग के छापे के बारे में सवाल नहीं पूछेगा ।
पंकज पेरिवाल ने रीजनल काउंसिल की बजाये एक्जीक्यूटिव कमेटी की मीटिंग करके अपने आप को तो बचा लिया, लेकिन नितिन कँवर और राजिंदर अरोड़ा के बीच हुई धींगामुश्ती के चलते प्रोफेशन और इंस्टीट्यूट को कलंकित होने से वह नहीं बचा सके । दरअसल वेंडर्स और होटलों के भुगतान में होने वाली देरी पर बात शुरू हुई तो भेद खुला कि ट्रेजरर के रूप में राजिंदर अरोड़ा भुगतान में जानबूझ कर इसलिए देरी कर रहे थे, क्योंकि उन्हें वेंडर्स से कमीशन नहीं मिल रहा था । वेंडर्स की तरफ से कहा/सुना गया कि वह आखिर किस किस को कमीशन दें ? बात खुली कि पिछले वर्ष ट्रेजरर के रूप में नितिन कँवर वेंडर्स से कमीशन लेते रहे थे, और वह चाहते थे कि चूँकि वेंडर्स को उन्होंने काम दिलवाया है, इसलिए उन्हें इस वर्ष भी कमीशन मिलता रहे । इस कमीशन खोरी के मास्टरमाइंड के रूप में पिछले वर्ष के चेयरमैन राकेश मक्कड़ को देखा/पहचाना गया । काउंसिल के स्टॉफ का कहना/बताना है कि काउंसिल में राकेश मक्कड़ अकेले ऐसे सदस्य हैं, जो सुबह प्रायः स्टॉफ के आने से भी पहले ऑफिस आ जाते हैं और देर शाम तक ऑफिस में रहते हैं और काउंसिल के पैसे से ही दिन भर चाय-नाश्ता और खाना-पीना करते हैं । इस वर्ष भी राकेश मक्कड़ अपने आपको 'चेयरमैन' ही मानते/समझते हैं । नितिन कँवर और राजिंदर अरोड़ा को उनके दो नवरत्नों के रूप में देखा/पहचाना जाता है । लगातार आरोप लगते रहे हैं कि इन तीनों ने काउंसिल को तरह तरह से जी भर कर लूटा है । लूट के माल पर बढ़े लालच के चलते वेंडर्स के भुगतान रुके तो समस्या खड़ी हुई, और समस्या को हल करने की कोशिश में नितिन कँवर और राजिंदर अरोड़ा की कारस्तानियों की पोल खुलना शुरू हुई तो फिर दूसरे की करतूत को अपनी करतूत से बड़ा साबित करने की कोशिश में नितिन कँवर और राजिंदर अरोड़ा एक दूसरे की कारस्तानियों का कच्चा-चिट्ठा खोलने लगे - और उनकी इस कोशिश में नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल की एक्जीक्यूटिव कमेटी की मीटिंग में सड़कछाप माहौल बन गया, जिसमें गाली-गलौच सुनी गईं और हाथा-पाई का नजारा देखा गया ।
मजे की बात यह है कि नितिन कँवर और राजिंदर अरोड़ा नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल में अपने अपने पुनर्निर्वाचन के लिए फिर से चुनावी मैदान में हैं, और इन्हें पूरा विश्वास है कि इनकी हरकतों और कारस्तानियों को जानने के बावजूद चार्टर्ड एकाउंटेंट्स इन्हें वोट देंगे और यह फिर से रीजनल काउंसिल में सदस्य और पदाधिकारी बनेंगे ।