Friday, August 30, 2019

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 सी वन में मुकेश गोयल अपनी राजनीतिक वापसी के लिए अश्विनी काम्बोज के गवर्नर-वर्ष के पदों को बाँटने के जरिये संदेश देने की कोशिश तो कर रहे हैं कि अश्विनी काम्बोज के गवर्नर-वर्ष को वही चलायेंगे; लेकिन उनका यह हथकंडा काम करता दिख नहीं रहा है

हापुड़ । मुकेश गोयल ने डिस्ट्रिक्ट में कई वर्षों तक अपना जादु बनाये रखने के लिए जिस 'ट्रिक' का खूब इस्तेमाल इस्तेमाल किया था, आज उन्हें उसी ट्रिक का निशाना बनना पड़ रहा है - तो उनके नजदीकी बिलबिला उठे हैं । क्लब्स के कार्यक्रमों में कौन मुख्य अतिथि होगा, कौन मुख्य वक्ता होगा, कार्यक्रम के निमंत्रण पत्र में किसका नाम होगा, किसका नाम ऊपर होगा और किसका नीचे - यह सब मुकेश गोयल तय करते थे । किसका नाम कब रख लेना है और कब उड़ा देना है, यह मुकेश गोयल का प्रिय खेल रहा है; और अपने इस खेल के जरिये वह अपनी राजनीति करते/चलाते थे । आज लेकिन मुकेश गोयल और उनके नजदीकी यह देख देख कर निराश और नाराज हो रहे हैं कि कई क्लब्स के कार्यक्रमों के निमंत्रण पत्रों में उनका नाम या तो होता नहीं है, और यदि होता है तो नीचे कहीं कोने में या दूसरे आमंत्रितों के बीच । इसके लिए वह निवर्त्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर व मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन विनय मित्तल को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं । उनका आरोप है कि विनय मित्तल क्लब्स के पदाधिकारियों पर दबाव डाल कर मुकेश गोयल का नाम उड़वा रहे हैं और या नीचे या बीच में करवा रहे हैं । इस तरह वास्तव में वह यह 'स्वीकार' कर रहे हैं कि डिस्ट्रिक्ट में अब विनय मित्तल ने वैसी ही 'हैसियत' पा ली है, जैसी कि अभी तक मुकेश गोयल की होती थी । उनके लिए मुसीबत की बात लेकिन यह है कि वह इस बात को जाहिर करते हुए भी मानने के लिए भी तैयार नहीं हैं । डिस्ट्रिक्ट के दूसरे लोगों को लेकिन इस प्रकरण में मजा आ रहा है । उनका कहना है कि मुकेश गोयल को आखिरकार वही काटने को मिल रहा है, जो डिस्ट्रिक्ट की राजनीति में उन्होंने ही बोया था । यह हथकंडा तो वास्तव में मुकेश गोयल का था; और यदि विनय मित्तल सचमुच इसे इस्तेमाल कर रहे हैं तो विनय मित्तल ने इसे सीखा तो उन्हीं से है ।
मुकेश गोयल के नजदीकियों तथा उनसे हमदर्दी रखने वाले लोगों का ही मानना और कहना है कि मुकेश गोयल अभी भी वास्तविकता को या तो पहचान/समझ नहीं रहे हैं, और या पहचानते/समझते हुए भी उसे स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं । दरअसल किसी भी काम में और या राजनीति में हर तरीके की - हर हथकंडे की एक उम्र होती है; मुकेश गोयल ने जिन हथकंडों से राजनीति की, उन हथकंडों ने धीरे धीरे करके लोगों को उनसे दूर करने का काम किया है - कहते हैं न कि व्यापार जब अच्छा चल रहा होता है, तो छोटे-मोटे घाटों को अनदेखा ही कर दिया जाता है; मुकेश गोयल के राजनीतिक हथकंडों ने कई बार ऐसे मौके भी बनाए कि उनके रिश्तेदार भी उनके खिलाफ खड़े नजर आए - लेकिन मुकेश गोयल ने कभी इस बात की परवाह नहीं की । परवाह न करने का नतीजा रहा कि उनकी उन विनय मित्तल के साथ भी खटक गई, जो लगातार उनके सबसे विश्वस्त सहयोगी रहे । मुकेश गोयल ने इस बात पर भी ध्यान नहीं दिया कि पिछले कई वर्षों से उनकी जो राजनीतिक चौधराहट चल रही थी, उसमें विनय मित्तल का बड़ा सहयोग रहा । चौधराहट के 'नशे' में उन्होंने विनय मित्तल के साथ भी वही 'व्यवहार' किया, जो वह दूसरों के साथ करते रहे थे - यही बात उनके राजनीतिक जीवन की सबसे बड़ी भूल साबित हुई । उल्लेखनीय है कि जब से उन्होंने विनय मित्तल को निशाने पर लिया है, तभी से डिस्ट्रिक्ट व लायन राजनीति में उनके दुर्दिन शुरू हुए हैं । आज हालत यह हो गई है कि डिस्ट्रिक्ट में जो क्लब उनके माने/पहचाने/समझे जाते थे, उनके कार्यक्रमों में उन्हें तवज्जो नहीं मिल रही है तथा उनके निमंत्रण पत्रों में उनका नाम या तो छप नहीं रहा है और यदि छप भी रहा है तो नीचे और या दूसरे आमंत्रितों के साथ में । 
मुकेश गोयल चाहते हैं कि उनका नाम निमंत्रण पत्र में सबसे ऊपर छपा हो; और इसीलिए वह उन कार्यक्रमों में नहीं जाते हैं, जहाँ उनका नाम नीचे या दूसरे आमंत्रितों के साथ छपा होता है । इसी चक्कर में वह डिस्ट्रिक्ट में और अलग-थलग पड़ते जा रहे हैं । एक मशहूर नसीहत है कि किसी को कुर्सी से कोई दूसरा नहीं गिराता है, बल्कि अपने अहंकार के कारण वह खुद गिर पड़ता है । मुकेश गोयल लगता है कि इसी दुष्चक्र में फँस गए हैं, और वह समझ ही नहीं पा रहे हैं कि इससे कैसे निकलें । वह अभी भी अपने पुराने हथकंडों पर ही टिके/बने हैं । अपनी राजनीतिक वापसी के लिए उन्होंने फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर अश्विनी काम्बोज को इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है । अश्विनी काम्बोज के गवर्नर-वर्ष के पदों को बाँटने के जरिये मुकेश गोयल ने डिस्ट्रिक्ट में यह संदेश देने की कोशिश की है कि अश्विनी काम्बोज के गवर्नर-वर्ष को वही चलायेंगे और लोगों को पद देने का काम वही करेंगे । इसका भी लेकिन कोई असर पड़ता नहीं दिख रहा है । अश्विनी काम्बोज इस समय अपने कॉलिज पर आई मुसीबत को हल करने में व्यस्त हैं, और इसलिए लायन राजनीति या अपने गवर्नर-वर्ष को लेकर वह कोई सक्रियता नहीं दिखा/बना पा रहे हैं । इस कारण उनके गवर्नर-वर्ष को चलाने के मुकेश गोयल के 'संदेश' पर लोग विश्वास नहीं कर रहे हैं; और इस तरह मुकेश गोयल का हथकंडा फेल होता हुआ दिख रहा है । मुकेश गोयल के साथ बड़ी समस्या यह है कि उनके साथ कोई ऐसा अनुभवी लायन नहीं है जो हालात को समझ सके, हालात में बनने वाले मौकों की पहचान कर सके और उनका लाभ उठा सके; उनके आसपास ऐसे लोगों का जमावड़ा हो गया है जो सिर्फ फालतू किस्म की बकवास करने में एक्सपर्ट हैं - वह अपनी बातों और अपनी हरकतों से अपनी निराशा, अपनी खीझ और अपना रोना ही व्यक्त करते हैं, जिससे वास्तव में उनकी कमजोरी ही जाहिर हो रही है ।