नई दिल्ली । रोटरी क्लब ई-क्लब मैग्नम के पदाधिकारियों को रोटरी फाउंडेशन से मिले करीब 31 लाख रुपए वापस लौटाने के आदेश ने डिस्ट्रिक्ट 3012 में रोटरी फाउंडेशन के पैसों की लूट के मामले को उजागर कर दिया है । इस मामले ने रोटरी फाउंडेशन के साथ-साथ सीएसआर (कॉपोरेट सोशल रेस्पोंसिबिलिटी) के पैसों में भी रोटेरियंस की लूट की तरकीबों को सामने लाने का काम किया है । इस मामले ने डिस्ट्रिक्ट के बड़े पदाधिकारियों के गैर-जिम्मेदार रवैये को भी उद्घाटित किया है, जो उनकी मिलीभगत होने के भी संकेत देता है । ई-क्लब मैग्नम के पदाधिकारियों ने जिस ग्लोबल ग्रांट (जीजी 1755525) में घपला किया है, वह शरत जैन के गवर्नर वर्ष में मंजूर हुई थी, और उस दौरान मुकेश अरनेजा डीआरएफसी थे । डीआरएफसी के रूप में मुकेश अरनेजा ने वरदान अस्पताल में बनने वाले ब्लड बैंक की ग्रांट के मामले में तो बड़ा बबाल काटा था, लेकिन ई-क्लब मैग्नम की ग्लोबल ग्रांट बिना किसी चूँ-चपड़ के पास कर दी थी । विन्स इंडिया के सेक्रेटरी के रूप में रमेश अग्रवाल ने उक्त ग्रांट मिलने पर खासी खुशी जाहिर की थी । मौजूदा डिस्ट्रिक्ट गवर्नर दीपक गुप्ता ने तो और भी कमाल किया है । रोटरी फाउंडेशन व सीएसआर के पैसों की लूट के उद्देश्य से स्कूलों और स्कूली बच्चों के साथ धोखाधड़ी करने के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार ठहराए जा रहे क्लब के पूर्व प्रेसीडेंट सुनील प्रकाश को दीपक गुप्ता ने अपनी टीम में बेसिक एजुकेशन एंड लिट्रेसी कमेटी का जोन चेयरमैन बनाया हुआ है । इस तरह जाहिर होता है और देखने में आया है कि रोटरी फाउंडेशन, सीएसआर तथा स्कूली बच्चों के पैसों व उनकी सुविधाओं की लूट करने वाले ई-क्लब मैग्नम के पदाधिकारी डिस्ट्रिक्ट के कई बड़े पदाधिकारियों/नेताओं के चहेते हैं ।
सुनील प्रकाश को संबोधित रोटरी फाउंडेशन की तरफ से भेजे गए पाँच पृष्ठीय पत्र में विस्तार से बताया गया है कि हरियाणा के छह स्कूलों में शौचालय, पीने के पानी और शिक्षा सुविधाओं के स्तर में सुधार के उद्देश्य से ग्लोबल ग्रांट ली गई थी, जिसके तहत नए शौचालय बनने थे; नए कंप्यूटर लगने थे; विज्ञान की प्रयोगशालाओं के लिए टेबल व रैक्स व स्टूल तथा क्लास रूम्स के लिए नए डेस्क्स आने थे; इन्वर्टर व यूपीएस लगने थे; आदि-इत्यादि । प्रोजेक्ट के पूरा होने के बाद रोटरी फाउंडेशन की ऑडिट टीम ने मौके पर जा कर जो जाँच की, उसमें लेकिन घपलेबाजी की पोल खुली । ऑडिट टीम ने पाया कि प्रोजेक्ट के तहत जो कुछ भी किया जाना था, उसमें से कुछ भी नहीं किया गया । नए शौचालय बनवाने की जगह पुराने बने शौचालयों की ही मरम्मत/पुताई करवा दी गई; नए कंप्यूटर, इन्वर्टर व यूपीएस देने/लगाने की जगह पुराने कंप्यूटर्स, इन्वर्टर व यूपीएस की ही सर्विस करवा दी गई; डेस्क, टेबल, रैक्स, स्टूल आदि के मामले में भी यही रवैया अपनाया गया । प्रोजेक्ट के सलाहकार की फीस के नाम पर करीब साढ़े तीन लाख रुपए खर्च दिखाए गए । ऑडिट टीम का निष्कर्ष रहा कि प्रोजेक्ट में जो जो काम करने की बात की गई थी, उनमें से कोई भी काम करने के उदाहरण नहीं मिले हैं । ऑडिट टीम की रिपोर्ट के आधार पर रोटरी फाउंडेशन ने सुनील प्रकाश को फैसला सुनाया है कि चूँकि प्रोजेक्ट के तहत बताए गए कोई काम नहीं हुए हैं, इसलिए विभिन्न मदों में दिखाए गए कुल खर्च के 30,85,085 रुपए वह रोटरी फाउंडेशन को 31 अगस्त तक वापस भेजें ।
रोटरी फाउंडेशन के पैसों के साथ की गई इस लूट का और भी गंभीर व सनसनीखेज पक्ष यह है कि इस प्रोजेक्ट के लिए जेको एयरकॉन लिमिटेड से सीएसआर के तहत पैसा लिया गया । जो तथ्य इस बात को गंभीर व सनसनीखेज बनाता है, वह यह है कि सुनील प्रकाश इस कंपनी में डायरेक्टर हैं । सुनील प्रकाश के साथ प्रोजेक्ट कमेटी में जो दूसरे लोग सदस्य हैं, उनमें रवि सिंघल इसी कंपनी में मैनेजिंग डायरेक्टर हैं और नवनीत कुमार गुप्ता इसी कंपनी में एक अन्य डायरेक्टर हैं । रवि सिंघल पिछले रोटरी वर्ष में क्लब के प्रेसीडेंट थे, और नवनीत कुमार गुप्ता प्रेसीडेंट इलेक्ट हैं । क्लब में कुल 16 सदस्य हैं । यानि क्लब कुल मिलाकर इन्हीं तीन-चार लोगों का क्लब है । इस तरह कहानी यह बनी कि इनकी कंपनी इनके क्लब को सीएसआर के तहत पैसे देती है, जिसे दिखा कर यह रोटरी फाउंडेशन से मोटी रकम ले लेते हैं - और उसे हजम कर जाते हैं । इस तरह यह एक साथ सरकार से, रोटरी फाउंडेशन से और स्कूली बच्चों से धोखा करते हैं । सुनील प्रकाश, रवि सिंघल, नवनीत कुमार गुप्ता आदि बड़े लोग हैं, बड़े पैसे वाले लोग हैं, बड़ी बड़ी बातें करते हैं; यह स्कूली डेस्क, स्टूल, रैक्स, कंप्यूटर और शौचालयों के पैसों में चोरी-चकारी जैसा काम करेंगे - यह किसी ने नहीं सोचा था । लेकिन रोटरी फाउंडेशन से सुनील प्रकाश को संबोधित और भेजा गया पत्र इनकी सारी कारस्तानी की पोल खोल देता है और इनके मामले में 'नाम बड़े और दर्शन छोटे' वाली कहावत को चरितार्थ करता है ।