Tuesday, August 6, 2019

रोटरी इंटरनेशनल के वर्ष 2021-22 के प्रेसीडेंट पद पर शेखर मेहता के चुने जाने में विनोद बंसल को अपना इंटरनेशनल डायरेक्टर बनना 'पक्का' लग रहा है; उन्हें विश्वास है कि दूसरे बड़े नेताओं की तरह शेखर मेहता उन्हें धोखा नहीं देंगे और उन्हें इंटरनेशनल डायरेक्टर चुनवाने की जिम्मेदारी निभायेंगे

नई दिल्ली । रोटरी इंटरनेशनल के वर्ष 2021-22 के प्रेसीडेंट पद के लिए शेखर मेहता के अधिकृत उम्मीदवार चुने जाने की जानकारी मिलने के बाद से विनोद बंसल ने दावा करना शुरू कर दिया है कि अब उन्हें इंटरनेशनल डायरेक्टर चुने जाने से कोई नहीं रोक सकता है । विनोद बंसल ने अपने नजदीकियों से कहना शुरू कर दिया है कि अब कोई चाहें कुछ भी करे या कहे, उन्हें इंटरनेशनल डायरेक्टर बनने से नहीं रोक पायेगा । विनोद बंसल का कहना है कि शेखर मेहता के साथ उनके जैसे संबंध हैं, उसके चलते उन्हें इंटरनेशनल डायरेक्टर चुनवाने/बनवाने की जिम्मेदारी अब वह खुद लेंगे -  और जब इंटरनेशनल प्रेसीडेंट नॉमिनी के रूप में शेखर मेहता उन्हें इंटरनेशनल डायरेक्टर चुनवाने/बनवाने की जिम्मेदारी लेंगे, तो फिर कौन उन्हें इंटरनेशनल डायरेक्टर बनने से रोक सकेगा ? विनोद बंसल ने अपने नजदीकियों को बताया है कि शेखर मेहता से उनकी उस समय से दोस्ती है, जब वह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी थे और शेखर मेहता इंटरनेशनल डायरेक्टर थे । वर्ष 2011 में शेखर मेहता ने कोलकाता में जो रोटरी इंस्टीट्यूट करवाया था, उसके लिए उन्होंने मोटी रकम की स्पॉन्सरशिप दिलवाई थी; जिसके चलते शेखर मेहता उनसे काफी प्रभावित हुए थे और फिर दोनों के संबंध मजबूत होते गए । विनोद बंसल ने अपने नजदीकियों को बताया है कि शेखर मेहता जब भी पारिवारिक कारणों से और या रोटरी के काम से दिल्ली आते हैं, तो उनसे जरूर मिलते हैं । ऐसे में, स्वाभाविक ही है कि शेखर मेहता इंटरनेशनल प्रेसीडेंट नॉमिनी के रूप में विनोद बंसल की इंटरनेशनल डायरेक्टर पद की उम्मीदवारी का झंडा उठा लें और उन्हें चुनवा/बनवा कर ही मानें ।
विनोद बंसल का कहना/बताना है कि शेखर मेहता ने जिस तरह से कमल सांघवी को इंटरनेशनल डायरेक्टर बनवाया/चुनवाया है, वैसे ही वह उन्हें भी चुनवाएँगे/बनवाएँगे । उल्लेखनीय है कि यूँ तो विनोद बंसल के रोटरी के हर बड़े नेता/पदाधिकारी के साथ अच्छे संबंध रहे हैं, लेकिन उनके लिए मुसीबत की बात यह रही कि मौकों पर तथा जरूरत पड़ने पर कोई भी उनके काम नहीं आया । पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर पीटी प्रभाकर के साथ उनके बड़े नजदीकी संबंध रहे हैं; पीटी प्रभाकर के रोटरी इंस्टीट्यूट को स्पॉन्सर करने की जिम्मेदारी लेने को वह तैयार थे, और बदले में वह इंस्टीट्यूट के चेयरमैन बनना चाहते थे । पीटी प्रभाकर दिल्ली में इंस्टीट्यूट करने के लिए तैयार भी हो गए थे, लेकिन विनोद बंसल के डिस्ट्रिक्ट के गवर्नर्स ने अड़ंगा डाल दिया कि विनोद बंसल यदि चेयरमैन होंगे तो वह इंस्टीट्यूट से नहीं 'जुड़ेंगे' - विनोद बंसल ने पीटी प्रभाकर को बहुत समझाया कि उन्हें किसी के सहयोग/समर्थन की जरूरत ही नहीं पड़ेगी, वह अकेले ही सब संभाल लेंगे, लेकिन पीटी प्रभाकर ने उनकी एक नहीं सुनी और सिर्फ इतना ही नहीं कि वह इंस्टीट्यूट चेन्नई ले गए, उन्होंने विनोद बंसल को चेयरमैन भी नहीं बनाया । इसके बाद, गुलाम वाहनवती के रोटरी फाउंडेशन के ट्रस्टी बनने से खाली हुई आरआरएफसी (रीजनल रोटरी फाउंडेशन को-ऑर्डिनेटर) की कुर्सी पाने के लिए विनोद बंसल ने पीटी प्रभाकर, बासकर चॉकलिंगम, मनोज देसाई, शेखर मेहता से लेकर सुशील गुप्ता तक की मदद लेने की कोशिश लेकिन उनकी दाल गली नहीं । पिछले कुछ समय में वह सुशील गुप्ता के काफी नजदीक पहुँचे, लेकिन यहाँ भी उन्होंने पाया कि खासी नजदीकियत के बावजूद सुशील गुप्ता जब कुछ देने/दिलवाने की 'हैसियत' में आते हैं, तो उन्हें भूल जाते हैं और तब वह या तो अशोक गुप्ता को याद करते हैं और या रंजन ढींगरा को । सुशील गुप्ता की तरफ से निराश होने के बाद विनोद बंसल ने पूर्व इंटरनेशनल प्रेसीडेंट केआर रवींद्रन से तार जोड़े, लेकिन वहाँ भी उन्होंने केआर रवींद्रन को उनकी बजाए आशीष घोष को ज्यादा तवज्जो देते हुए देखा/पाया ।
हर तरफ से धोखा खाए विनोद बंसल को यकीन है कि शेखर मेहता उनके साथ दूसरों की तरह धोखा नहीं करेंगे । ऐसा भी नहीं है कि दूसरों ने विनोद बंसल को कुछ नहीं दिलवाया; विनोद बंसल को बहुत कुछ मिला भी है - विभिन्न डिस्ट्रिक्ट्स में आरआई रिप्रेजेंटेटिव बनने का उन्हें अवसर मिला; लेकिन यह अवसर तो किसी को भी मिल जाता है, इसलिए विनोद बंसल इससे संतुष्ट नहीं हुए । इंटरनेशनल में उन्हें कोई बड़ी जिम्मेदारी भी मिली है, लेकिन वह जिम्मेदारी ऐसी है कि रोटेरियंस को उसके बारे में कुछ पता ही नहीं है; उन्होंने कई बार लोगों को बताने की कोशिश भी की, लेकिन लोगों की समझ में कुछ आया नहीं । उन्हें इस बात का बड़ा अफसोस रहा कि उन्हें रोटरी इंटरनेशनल में इतना बड़ा पद मिला, और किसी ने उन्हें बधाई भी नहीं दी । उन्हें रीजनल लीडर्स ग्रुप में शामिल होने का मौका भी मिला, जहाँ उन्हें एंडाउमेंट एडवाइजर का पद मिला है । यह पद तो उन्होंने ले लिया, ताकि इसके बहाने से देश के डिस्ट्रिक्ट्स के डायरेक्टरी में नाम/फोटो छपने का जुगाड़ हो जाए, लेकिन इस पद की जिम्मेदारी निभाने में उनकी कोई दिलचस्पी नहीं है । हद की, मजाक की और विडंबना की बात यह है कि विनोद बंसल के क्लब ने रोटरी फाउंडेशन में यूँ तो करीब सवा दो लाख डॉलर दिए हैं, लेकिन एंडाउमेंट फंड में इकन्नी भी नहीं दी है । समझा जा सकता है कि एडवाइजर के रूप में विनोद बंसल जब अपने ही क्लब को, और इस तरह जब अपने आप को ही एडवाइज नहीं करना चाहते हैं, तो फिर दूसरों को वह क्या और क्यों करेंगे ? विनोद बंसल को दरअसल रोटरी में ऐसा पद चाहिए, रोटेरियंस के बीच जिसका 'भौकाल' बने - और इसीलिए उन्होंने मिली जिम्मेदारियों को निभाने की बजाये अपना सारा ध्यान इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव में लगाया हुआ है । यहाँ लेकिन उन्हें अपने ही डिस्ट्रिक्ट में मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है । लेकिन शेखर मेहता के इंटरनेशनल प्रेसीडेंट नॉमिनी बनने में उन्हें अपनी सारी मुसीबतें दूर होती हुई नजर आ रही हैं । इसीलिए उन्होंने अपने नजदीकियों को आश्वस्त किया है कि अब फिक्र करने की कोई जरूरत नहीं है, शेखर मेहता के इंटरनेशनल प्रेसीडेंट नॉमिनी बनने के बाद अब उन्हें इंटरनेशनल डायरेक्टर बनने से कोई नहीं रोक सकेगा ।